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Praveen Kumar filed a consumer case on 12 Feb 2015 against Through Manager Kotak Mahindra Bank Ltd. in the Raipur Consumer Court. The case no is CC/14/175 and the judgment uploaded on 20 Mar 2015.
न्यायालय-जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, रायपुर (छ.ग.)
समक्ष
सदस्य - श्रीमती अंजू अग्रवाल
सदस्य - श्रीमती प्रिया अग्रवाल
प्रकरण क्रमांक -175/2014
संस्थित दिनांक 26.04.2014
प्रवीण कुमार सिंह, उम्र 30 साल,
पिता श्री आर.एन.सिंह,
निवासी-40, ब्लाक शिवानंद नगर,
कारगिल चैक के पास, खमतराई,
तहसील व जिला-रायपुर (छ.ग.) परिवादी
विरूद्ध
कोटक महिन्द्रा बैंक लिमिटेड,
द्वारा-प्रबंधक,
पता-15, धंड कम्पाउन्ड,
पुलिस मुख्यालय के पीछे,
सिविल लाईन्स, तहसील व
जिला-रायपुर (छ.ग.) अनावेदक
परिवादी की ओर से श्री मनोज प्रसाद अधिवक्ता।
अनावेदक की ओर से कोई नहीं, अनुपस्थित ।
एकपक्षीय-आदेश
आज दिनांक 12 फरवरी 2015 को पारित
श्रीमती प्रिया अग्रवाल - सदस्य
1. परिवादी, अनावेदक से अपनी वाहन क्रमांक-सीजी-07/सीए-3338 को वापस दिलाने, वाहन की अनुपलब्धता अवधि के लिये आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 100000/- रू दिलाने, सेवा में निम्नता एवं अनुचित व्यापार व्यवहार के लिये क्षतिपूर्ति के रूप में 50000/- रू, वादव्यय के रूप में 25000/- रू व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है ।
परिवाद:-
2. परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अनावेदक से एक वाहन क्रमांक-सीजी-07/सीए-3338 वित्तीय सहायता प्राप्त कर प्राप्त की थी । परिवादी वाहन का नियमित किश्त 50300/- रू प्रतिमाह दे रहा था । अनावेदक ने भुगतान की सुरक्षा के लिये परिवादी से उसके हस्ताक्षरयुक्त 10 चेक भी प्राप्त किया है । अनावेदक द्वारा दि0 20.02.2014 को परिवादी को बिना सूचना दिये उसके वाहन को इस आधार पर जप्त कर लिया गया कि परिवादी 98200/- रू0 जमा नहीं किया है। वाहन जप्ती के समय परिवादी रायपुर में था तथा वाहन रजोली बिहार में जप्त की गई जो कि अनावेदक के पास है, जिसे अनावेदक वापस नहीं कर रहा है । अनावेदक ने परिवादी को सूचित किया कि 98200/- रू जमा करने पर वाहन वापस की जायेगी । परिवादी ने दि0 26.03.2014 को एक डीडी क्रमांक-000395 आईसीआईसीआई बैंक के माध्यम से 98200/- रू का भुगतान कर वापस करने की मांग की । अनावेदक ने परिवादी को 3 दिनों के भीतर वाहन वापस करने का आश्वासन दिया किन्तु वाहन वापस करने में उनके द्वारा टालमटोल की जाती रही । अनावेदक, परिवादी को केवल वाहन वापस करने का आश्वासन ही देता रहा और दि0 20.04.2014 को संपूर्ण राशि भुगतान करने के लिये कहा गया अन्यथा वाहन विक्रय कर देने की बात कही गई । अनावेदक ` 1515229.41 की मांग कर रहा है जबकि वाहन अनावेदक के कब्जे में विगत 2 माह से अधिक अवधि से है । परिवादी वाहन का उपयोग नहीं कर पा रहा है और न ही परिवादी को उक्त वाहन से कोई आय प्राप्त हो रही है, जिसके लिये अनावेदक जिम्मेदार है । परिवादी, अनावेदक के पास आज दिनांक तक 1000000/- रू से अधिक राशि जमा कर चुका है और वाहन अनावेदक के कब्जे में होने के कारण परिवादी को आय प्राप्त नहीं होने से किश्त की राशि जमा नहीं की गई है जिसके लिये अनावेदक जिम्मेदार है । परिवादी को 46 किश्तों में फायनेंस राशि चुकाना है । वर्तमान तक 16 किश्ते हुई है जिसमें से 14 किश्तें जमा की जा चुकी है और दो किश्त जमा नहीं की गई है क्योंकि विगत दो माह से वाहन अनावेदक के कब्जे में हैं और परिवादी को वाहन वापस नहीं किया जा रहा है जो कि अनुचित व्यापार-व्यवहार है । अनावेदक के उक्त कृत्य से परिवादी को मानसिक पीड़ा एवं आर्थिक नुकसान हुआ है । अतः परिवादी यह परिवाद पेश कर अनावेदक से वाहन वापस दिलाने, वाहन की अनुपलब्धता अवधि के लिये आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 100000/- रू0 दिलाने, सेवा में निम्नता एवं अनुचित व्यापार व्यवहार के लिये क्षतिपूर्ति के रूप में 50000/- रू, वादव्यय के रूप में 25000/- रू व अन्य अनुतोष दिलाये जाने की याचना कर परिवादी प्रवीण कुमार सिंह ने परिवाद पत्र में किये अभिकथन के समर्थन में स्वयं का शपथपत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेजों की फोटोप्रति पेश किया है ।
3. अनावेदक को इस अधिकरण द्वारा पेशी दिनांक-02.05.2014 हेतु पंजीकृत सूचना पत्र जारी किया गया था, जो अनावेदक को विधिवत् तामिल है जिसकी तामिली रिपोर्ट प्रकरण में संलग्न है । उसके बावजूद अनावेदक प्रकरण में उपस्थित नहीं हुए ना ही उनके द्वारा अपने प्रतिरक्षा में जवाबदावा, शपथपत्र, दस्तावेज आदि पेश किया गया । अतः अनावेदक के विरूद्ध प्रकरण में एकपक्षीय कार्यवाही की गई है।
4. परिवादी के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण में निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं कि:-
(1) क्या परिवादी, अनावेदक से अपने प्रश्नाधीन वाहन किश्तों की नियमित अदायगी
वापस प्राप्त करने का अधिकारी है ? के उपरांत प्राप्त करने का अधिकारी है ।
(2) क्या परिवादी, अनावेदक से वाहन की अनुपलब्धता 20000/- रू प्राप्त करने का
अवधि में हुए नुकसानी के लिये आर्थिक क्षतिपूर्ति के अधिकारी है ।
रूप में 100000/- रू सेवा में निम्नता एवं अनुचित
व्यापार - व्यवहार के लिये क्षतिपूर्ति के रूप में
में 50000/- रू प्राप्त करने का अधिकारी है ?
(3) अन्य सहायता एवं वादव्यय ? परिवाद अंशतः स्वीकृत।
विचारणीय बिन्दुओं के निष्कर्ष के आधार
5. प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है ।
फोरम का निष्कर्ष
6. प्रकरण का अवलोकन किया गया । परिवादी का परिवाद एवं तर्क है कि परिवादी ने अनावेदक (कोटक महिन्द्रा बैंक) से एक वाहन क्रमांक- सीजी-07/सीए-3338 वित्तीय सहायता प्राप्त कर एग्रीमेंट क्रमांक-सीवी 266080 दि 31.10.2012 को निष्पादित कर प्राप्त किया था और नियमित किश्त राशि 50300/- रू प्रतिमाह अदा करना था। अनावेदक ने भुगतान की सुरक्षा के लिये परिवादी के हस्ताक्षरयुक्त 10 चेक भी प्राप्त किया है, जो अनावेदक बैंक का है । परिवादी नियमित किश्त अदा कर रहा था इसके बावजूद अनावेदक द्वारा परिवादी को बिना सूचना दिये उक्त वाहन को दि0 20.02.2014 को रजोली, बिहार में जप्त कर ली गई । परिवादी ने अपने परिवाद में इस बात का उल्लेख किया है कि अनावेदक उनकी वाहन इसलिये जप्त कर ली कि परिवादी ने 98200/- रू जमा नहीं किये हैं। अनावेदक द्वारा परिवादी को सूचित किया गया कि 98200/- रू जमा करने पर जप्त की गई उक्त वाहन परिवादी को लौटा दी जायेगी इस पर परिवादी द्वारा दि 26.03.2014 को एक डीडी क्रमांक-000395 आईसीआईसीआई बैंक के माध्यम से 98200/- रू का भुगतान किया गया जिसका रसीद क्रमांक-2257324 है । अनावेदक द्वारा परिवादी को आश्वासन दिया गया कि तीन सप्ताह में आपका उक्त वाहन लौटा दिया जायेगा किन्तु आज दिनांक तक अनावेदक द्वारा उक्त वाहन को नहीं लौटाया गया है।
7. परिवादी को 46 माह में कुल 46 किश्त में फायनेंस की राशि चुकाना था और वर्तमान में 16 किश्तें हुई है जिसमें से 14 किश्तों का भुगतान परिवादी द्वारा किया जा चुका है । किश्तों का भुगतान परिवादी द्वारा इसलिये नहीं किया गया क्योंकि उक्त वाहन अनावेदक द्वारा जप्त कर ली गई है । अतः अनावेदक द्वारा बिना सूचना दिये परिवादी के वाहन को जप्त कर निश्चित रूप से सेवा में निम्नता की है और अनुचित व्यापार-व्यवहार किया गया है।
8. परिवादी द्वारा कथन किया गया कि उपरोक्त वाहन दि0 20.02.2014 से अनावेदक के कब्जे में होने के कारण परिवादी को वाहन वापस किये जाने की तारीख तक परिवादी प्रतिमाह किश्त अदायगी के लिये जिम्मेदार नहीं हैं । उक्त संबंध में फोरम का मत है कि परिवादी द्वारा किश्त की रकम जमा करने पर ही उक्त वाहन अनावेदक द्वारा परिवादी को दी जायेगी ।
9. परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में किये गये उपरोक्त कथन शपथपत्र से समर्थित है जिसका खण्डन अनावेदक द्वारा नहीं किया गया है । परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में दस्तावेज के रूप में रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, पेमेंट रिसिप्ट एवं अनावेदक का पत्र दि 17.04.2014 प्रस्तुत किया है, जो अखंडित है । चॅूकि प्रकरण में पेश दस्तावेज व शपथपत्रों के खण्डन में अनावेदक कोई भी शपथपत्र पेश नहीं किये हैं। इसलिए परिवादी द्वारा पेश दस्तावेजों व शपथपत्रों पर विश्वास किया जाता है । अतः परिवादी द्वारा उपरोक्त वाहन की किश्त की अदायगी नियमित करने पर अनावेदक परिवादी को उक्त वाहन वापस प्रदान करेगा । अनावेदक के उक्त कृत्य से निश्चित ही परिवादी को आर्थिक व मानसिक क्षति पहॅुची है । अतः परिवादी, अनावेदक से आर्थिक, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 20000/- रू एवं वादव्यय के रूप में 2000/- रू प्राप्त करने का अधिकारी है।
10. अतः उपरोक्त विवेचना के आधार पर धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अंशतः स्वीकार किया जाकर आदेशित किया जाता है कि आदेश दिनांक से एक माह के अवधि के भीतर:-
(अ) परिवादी द्वारा अभी तक के बकाया सभी किश्तों की रकम जमा करने पर अनावेदक, परिवादी को उसका उक्त वाहन वाहन क्रमांक- सीजी-07/सीए-3338 वापस लौटायेगा ।
(ब) अनावेदक, परिवादी को उपरोक्त कृत्य के कारण हुई आर्थिक व मानसिक कष्ट के लिए 20000/- रू (बीस हजार रूपये) अदा करेगा।
(स) अनावेदक, परिवादी को अधिवक्ता शुल्क तथा वादव्यय के रूप में 2000/- रू (दो हजार रूपये) भी अदा करेगा।
(श्रीमती अंजू अग्रवाल) (श्रीमती प्रिया अग्रवाल)
सदस्य सदस्य
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
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