Lawlesh Kumar filed a consumer case on 14 Sep 2022 against The Peerless General Finance & 1 Others in the Bahraich Consumer Court. The case no is CC/167/1997 and the judgment uploaded on 19 Sep 2022.
Uttar Pradesh
Bahraich
CC/167/1997
Lawlesh Kumar - Complainant(s)
Versus
The Peerless General Finance & 1 Others - Opp.Party(s)
Shri Prem Chandra Srivastava
14 Sep 2022
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बहराइच।
परिवाद योजित करने की तिथि 23-06-1997
निर्णय की तिथि 14-09-2022
परिवाद सं0 167/1997
लवलेश कुमार आयु 16 साल नाबालिग पुत्र स्व0 सन्तलाल द्वारा रंजीत सिंह पुत्र चन्द्रिका सिंह साकिन कपरवल पोस्ट-पिपरी, परगना-फखरपुर, तहसील-महसी, जिला बहराइच (नेक्स्ट फ्रेण्ड) ...........................परिवादी।
परिवादी अधिवक्ता श्री प्रेम चन्द्र श्रीवास्तव (मृतक)
बनाम
1.दि पियरलेस जनरल फाइनेन्स एण्ड इन्वेस्टमेन्ट कम्पनी लिमिटेड रजिस्टर्ड- आॅफिस-पियरलेस भवन, 3इसप्लेनेड ईस्ट कलकत्ता-69 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर, पियरलेस जनरल फाइनेन्स एण्ड इन्वेस्टमेन्ट कम्पनी लिमिटेड,
2.शाखा प्रबन्धक, पियरलेस जनरल फाइनेन्स एण्ड इन्वेस्टमेन्ट कम्पनी लिमिटेड ाा एम0जी0 मार्ग फस्ट फ्लोर लखनऊ। ...........विपक्षीगण।
विपक्षीगण अधिवक्ता श्री श्रवण कुमार निगम (अनुपस्थित)
उपस्थिति:- श्री ज्ञान प्रकाश तिवारी प्रथम, अध्यक्ष।
श्री अम्बिकेश्वर प्रसाद मिश्र, सदस्य।
डा0 मोनिका प्रियदर्शिनी, सदस्या।
निर्णय
अम्बिकेश्वर प्रसाद मिश्र, सदस्य द्वारा उद्घोषित।
प्रस्तुत परिवाद, विपक्षीगण के यहाॅं जमा समस्त धनराशि मु0 17530/-रू0 दिलाये जाने के सम्बन्ध में योजित किया गया है।
प्रस्तुत परिवाद अपील सं0-1850/1998 दि पियरलेस जनरल फाइनेंस एण्ड इन्वेस्टमेन्ट कम्पनी बनाम लवलेश कुमार में मा0 राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग लखनऊ के द्वारा पारित आदेश दिनाॅंक 05.9.2013 के अनुपालन में इस जिला आयोग के आदेश दिनाॅंक 16.7.2016 के अनुपालन में पूर्व मूल परिवाद सं0-167/1997 पर पुनः पंजीकृत हुआ।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी रंजीत सिंह पुत्र श्री चन्द्रिका सिंह नाबालिग लवलेश कुमार पुत्र श्री सन्त लाल का वाद मि़त्र है। और प्रस्तुत परिवाद वाद मित्र के हैसियत से योजित किया गया हैं परिवाद का संक्षिप्त विवरण यह है कि नाबालिग लवलेश कुमार की माॅं श्रीमती ज्ञानवती पत्नी संतलाल ने विपक्षीगण के यहाॅं से मु0 14000/- की एक बीमा पाॅलिसी ली थी। जिसका बीमा प्रीमियम प्रतिवर्ष मु0 1000/- रू0, जिसका प्रमाण पत्र सं0-401009025/413 दिनांकित 08-05-1990 था। बीमा पालिसी में आवेदक नाबालिग नाॅमिनी था और बहैसियत नामिनी अपनी माॅं की समस्त धनराशि मु0 17530/- रू0 पाने का अधिकारी था।
आवेदक की माॅं ने अपने उपरोक्त बीमा पाॅलिसी के अन्तर्गत बराबर पैसा जमा किया। आवेदक की माॅं की मृत्यु दिनाॅंक 24.02.1996 को हो गयी है। आवेदक/ परिवादी के अनुसार उसके द्वारा बीमा धनराशि प्राप्त करने हेतु दिनाॅंक 22.01.1997 , 21-02-1997 व 07.4.1997 को वाॅंछित समस्त कागजात विपक्षीगण को भेजा गया। इसके बावजूद विपक्षीगण द्वारा बीमा धनराशि का भुगतान नहीं किया गया।
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विपक्षीगण की ओर से उत्तर पत्र कागज सं0-12 लगायत 12/3 दिनाॅंक 19.11.1997 को दाखिल हैै। जिसमें विपक्षीगण द्वारा कथन किया गया है कि नबालिग की ओर से परिवाद प्रस्तुत नहीं किया जा सकता हैं जबतक कि किसी सक्षम न्यायालय से वैध संरक्षक की नियुक्ति न हुई हो। विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद को अन्य उल्लिखित बिन्दुओं के आधार पर निरस्त करने का अनुरोध किया गया है।
परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में फेहरिस्त कागज सं0-6 के माध्यम से कागजात क्रमशः बीमा पाॅलिसी सार्टीफिकेट दिनाॅंकित 08.5.1990 बाबत ज्ञानवती पत्नी सन्त लाल कागज सं0-6/2 लगायत 3, रसीद जमा धनराशि मु0 1000/- कागज सं0-6/4 लगायत जमा धनराशि मु0 1000/- कागज सं0-6/6 जमा धनराशि में0 1000/- कागज 6/7, रजिस्ट्री रसीद फोटो कापी कागज सं0-6/8 परिवादी लवलेश कुमार की ओर से विपक्षी को प्रेषित प्रार्थना पत्र वास्ते भुगतान क्रमशः कागज सं0-6/8 लगायत 6/11 प्रस्तुत है।
विपक्षी की तरफ से कागज सं0-13 दाखिल किया गया है, जो लवलेश कुमार को सम्बोघित है, तथा परिवादी से अभिलेख प्रस्तुत कराने के सम्बन्ध में है।
परिवादी एवं विपक्षीगण द्वारा अन्य कोई साक्ष्य एवं लिखित तर्क दाखिल नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि प्रस्तुत परिवादमें उभयपक्ष आयोग द्वारा प्रेषित नोटिस के बावजूद भी पैरवी हेतु उपस्थित नहीं हुए।
उभयपक्ष केी अनुपस्थिति में आयोग द्वारा पत्रावली का अवलोकन किया गया।उल्लेखनीय है कि मूल परिवाद सं0-167/1997 में इस फोरम द्वारा दिनाॅंक 05.2.1998 को गुण-दोष के आधार पर आदेश पारित किया गया था, जिसमें परिवाद को स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेश दिया गया था कि वे परिवादी के नाम वाॅंछित धनराशि का एफ.डी.आर. दो वर्ष के लिए बनाकर फोरम के समक्ष 60 दिन के अन्दर प्रस्तुत करें, जिससे क्षुब्ध होकर विपक्षीगण द्वारा अपील सं0-1850/1996 मा0 राज्य आयोग लखनऊ के समक्ष प्रस्तुत किया गया। मा0 राज्य आयेाग द्वारा दिनाॅंक 5.9.2013 को उक्त अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय दिनाॅंकित 05.02.1998 निरस्त कर दिया गया तथा पत्रावली को पुनः प्रति-प्रेषित करते हुए आदेशित किया गया है कि जिला आयोग दोनों पक्षों को साक्ष्य का समुचित अवसर प्रदान करते हुए मामले का निस्तारण त्वरित गति से करना सुनिश्चित करें। जिसके अनुपालन में उभय पक्ष को आयोग द्वारा नोटिस भेजी गयी परन्तु न तो पक्षकार आये और न ही उनके अधिवक्ता आये।
उल्लेखनीय है कि प्रश्नगत मामले में मा0 राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ द्वारा पारित आदेश दिनाॅंक 05.9.2013 बाबत अपील सं0-1850/1998 मूल रूप से पत्रावली पर उपलब्ध है। जिसमें मा0 राज्य आयोग लखनऊ द्वारा यह आदेशित किया गया है कि वर्तमान प्रकरण में प्रश्नगत पाॅलिसी संविदा के रूप में है तथा यह बीमा पाॅलिसी नहीं है। ऐसी स्थिति में परिपक्वता धनराशि के भुगतान का आदेश दिया जाना विधि अनुकूल नहीं है। अधिक से अधिक उतनी धनराशि परिवादी को दी जा सकती थी, जितनी धनराशि वर्तमान पाॅलिसी के अन्तर्गत परिवादी की ओर से जमा की गयी है।
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आयोग द्वारा पत्रावली के परिशीलन से यह पाया गया कि मा0 राज्य आयोग के आदेश के अनुपालन में यह परिवाद पुनः दिनांक 16-7-2016 को मूल वाद पर पंजीकृत हुआ तब से अबतक उभय पक्ष द्वारा कोई अन्य साक्ष्य अथवा लिखित तर्क नही दाखिल किया गया है। आयोग द्वारा सूचना देने के बावजूद भी उभय पक्ष आयोग के समक्ष उपस्थित नही हुये है। यहाॅ तक कि परिवादी द्वारा जितनी धनराशि विपक्षी के यहाॅं जमा की गयी है उसकी प्रमाणिक रसीद व साक्ष्य नही दाखिल किया गया है। साक्ष्य के अभाव में परिवादी को मृतका की परिपक्वता धनराशि नही दिलायी जा सकती है। परन्तु चॅूकि मा0 राज्य आयोग के समक्ष विपक्षी जो अपीलीय न्यायालय में अपीलार्थी थे स्वयं कहा है कि अधिक से अधिक इतनी धनराशि परिवादी को दी जा सकती थी जितनी धनराशि वर्तमान पालिसी के अन्तर्गत परिवादी पक्ष की ओर से जमा की गयी है।विपक्षी का उक्त कथन स्वयं उस पर बाध्यकारी है। अतः उक्त विश्लेषण के आधार पर आयोग की राय में परिवादी को उसके द्वारा जमा धनराशि पर 6 प्रतिशत साधारण व्याज सहित एवं अन्य क्षतिपूर्ति विपक्षीगण से दिलाया जाना न्यायोचित है।
आदेश
परिवादी का परिवाद इस रूप में स्वीकार करते हुये विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह बीमा धारिका श्रीमती ज्ञानवती के पुत्र लवलेश कुमार पुत्र सन्त लाल को बीमा धारिका द्वारा नियमानुसार जमा समस्त धनराशि एवं उस पर 6ः वार्षिक साधारण ब्याज, एवं शारीरिक एवं मानसिक कष्ट के लिए मु0 2000/-एवं वाद व्यय के मद मेें मु0 2000/-रू0 कुल मु0-4000/-रू0 अलग से इस निर्णय से 30 दिन के अन्दर अदा करें। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारांे को निःशुल्क प्रदान की जाय।
(डा0मोनिका प्रियदर्शिनी) (अम्विकेश्वर प्रसाद मिश्र) (ज्ञान प्रकाश तिवारी प्रथम)
सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता आयोग, जिला उपभोक्ता आयोग, जिला उपभोक्ता आयोग,
बहराइच। बहराइच। बहराइच।
यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित ,दिनांकित कर उद्घोषित किया गया।
(डा0मोनिका प्रियदर्शिनी) (अम्विकेश्वर प्रसाद मिश्र) (ज्ञान प्रकाश तिवारी प्रथम)
सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता आयोग, जिला उपभोक्ता आयोग, जिला उपभोक्ता आयोग,
बहराइच। बहराइच। बहराइच।
उद्घोषित दिनांक 14-09-2022
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