CHITARMAL filed a consumer case on 27 Jun 2014 against THE ORIENTOL INS. COMPANY in the Jaipur-I Consumer Court. The case no is CC/316/2012 and the judgment uploaded on 27 May 2015.
ंजिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 316/2012
छीतरमल पुत्र श्री कुम्भराम चैधरी, निवासी ग्राम छीतररोली, वाया बगरू, तहसील सांगानेर, जिला जयपुर Û
परिवादी
ं बनाम
दी ओरियंटल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, क्षेत्रीय कार्यालय, आनन्द भवन, संसार चन्द्र रोड, जयपुर जरिए क्षेत्रीय प्रबंधक Û
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री गोपाल शास्त्री - परिवादी
श्री भागचंद भारद्वाज - विपक्षी
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 05.03.12
आदेश दिनांक: 10.04.2015
परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने वाहन सॅंख्या आर.जे.14-1जी-7792 का बीमा विपक्षी केे यहां से दिनांक 12.12.2010 से 11.12.2011 की अवधि के लिए करवाया था । उक्त वाहन दिनांक 05.06.2011 को मेज नदी डबलाना में दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसकी अविलम्ब रिपोर्ट थाना डबलाना जिला बुन्दी में दर्ज करवाई गई व विपक्षी को सूचना दी गई । विपक्षी के यहां क्लेम प्रस्तुत किया गया । वाहन को ठीक करवाने में 1,50,000/- रूपए का खर्चा हुआ । विपक्षी के कई बार निवेदन करने पर भी क्लेम राशि अदा नहीं की गई । परिवादी का कथन है कि दिनांक 18.10.2011 के पत्र से विपक्षी ने क्लेम को बेबुनियाद आधार पर निरस्त कर दिया कि वक्त दुर्घटना वाहन पूर्ण रूप से खाली था वाहन में किसी प्रकार का कोई माल सामान नहीं ले जाया जा रहा था । परिवादी का कथन है कि इस प्रकार विपक्षी ने क्लेम राशि अदा नहीं कर अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस अपनाई है और सेवादोष कारित किया है । परिवादी ने विपक्षी से 1,50,000/- रूपए 12 प्रतिशत ब्याज सहित, खर्चा मुकदमा 5000/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी की ओर से इस आशय का जवाब प्रस्तुत किया गया है कि वक्त दुर्घटना दिनांक 05.06.2011 को प्रश्नगत वाहन के चालक श्री बिरधी लाल बैरवा के पास मोटरसाईकिल एवं हल्का मोटरयान वाहन चलाने का लाईसेंस था जबकि प्रश्नगत वाहन काॅमर्शियल एवं गुड्स श्रेणी का व्हीकल है । इस प्रकार बीमाधारी ने बीमा पाॅलिसी की शर्तो एवं शरायतों का उल्लंधन करते हुए ऐसे व्यक्ति से वाहन का संचालन करवाया जिसके पास वाहन को चलाने का वैध एवं प्रभावी लाईसेंस नहीं था । बीमा पाॅलिसी की शर्तो के उल्लंधन के कारण परिवादी का क्लेम खारिज किया गया जिसकी सूचना परिवादी को जरिए पत्र दिनांक 18.10.2011 दे दी गई थी । इस प्रकार क्लेम खारिज कर कोई सेवादोष नहीं किया गया है । अत: परिवाद पत्र खारिज किया जावे ।
मंच द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनी गई, विपक्षी के लिखित तर्को पर विचार किया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
प्रस्तुत परिवाद में परिवादी का बीमा दावा इस आधार पर खारिज किया गया है कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन एक वाणिज्यिक वाहन था जिसे चालने का कोई वैध ड्राईविंग लाईसेंस परिवादी के ड्राईवर के पास नहीं था उसके पास केवल हल्का मोटरयान चलाने का ड्राईविंग लाईसेंस था । विपक्षी ने शपथ-पत्र पेश कर यह कहा है कि चूंकि परिवादी के वाहन चालक के पास वक्त दुर्घटना वाणिज्यिक वाहन चालने का कोई चालक लाईसेंस नहीं था इस कारण से उसका बीमा दावा निरस्त किया गया है । विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि परिवादी का बीमा दावा निरस्त करने से पूर्व उसे सभी तथ्यों से सूचित करते हुए उसे मौका दिया गया था कि यदि वाहन चालक का अन्य कोई ड्राईविंग लाईसेंस हो तो प्रस्तुत कर सकता है परन्तु परिवादी की ओर से वाहन चालक का कोई वैध लाईसेंस वाहन चलाने का प्रस्तुत नहीं किया गया है । इसके अलावा परिवादी की ओर से अपने कथनों के समर्थन में कोई शपथ-पत्र प्रस्तुत कर विपक्षी के कथनों का खण्डन भी नहीं किया गया है । अत: ऐसी परिस्थिति में विपक्षी के कथनों पर अविश्वास किए जाने का कोई न्यायोचित आधार नहीं रह जाता है । अत: यह नहीं कहा जा सकता है कि विपक्षी ने परिवादी का बीमा दावा गलत रूप से रद्द कर दिया है।
परिवादी की ओर से अपने पक्ष में निम्न न्यायिक दृष्टांत प्रस्तुत किए गए हैं:-
सिविल अपील नंबर 4490/1996 अशोक गंगाधर बनाम ओरियंटल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड
प्ट ;2007द्ध सी पी जे 306 (एन सी) नेशनल इन्श्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम जी.आर.तशनिवाल
प्ट ;2007द्ध सी पी जे 207 न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम आनन्द प्रकाश लोहिआ
एम ए सी डी 2015( एस सी ) 1 कुलवंत सिंह एण्ड अदर्स बनाम ओरियंटल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड
उक्त न्यायिक दृष्टांतों का सम्मानपूर्वक अध्ययन किया गया । इन में प्रतिपादित कानूनी सिद्धान्त से परिवादी को कोई सहायता नहीं मिलती है ।
विपक्षी की ओर से परिवादी द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृष्टांतों के विरूद्ध निम्न न्यायिक दृष्टांत प्रस्तुत किए गए हैं । इनमें प्रतिपादित कानूनी सिद्धान्तों का सार यही है कि यदि चालक के पास प्रश्नगत वाहन को चलाने के लिए वैध लाईसेंस नहीं है तो उसे दुर्घटना का बीमा दावा मंजूर नहीं किया जा सकता है । प्रस्तुत न्यायिक दृष्टांत निम्न हैं:-
ााा (2012) सी पी जे 231 (एन सी) संध्या बनाम यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0
ा (2008 ) सी पी जे ा (एस सी) न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी बनाम प्रभूलाल
ाााा (2012) सी पी जे 589 (एन सी) अजमेर सिंह बनाम न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद अस्वीकार किया जाता है। प्रकरण का खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करेंगे ।
निर्णय आज दिनांक 10.04.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (राकेश कुमार माथुर)
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