//जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जशपुर (छ0ग0)//
प्रकरण क्रमांक :-CC/19/2016
प्रस्तुति दिनांक :- 02/03/2016
विमल कुजूर आ. श्री करलुस कुजूर
नि.ग्राम-जरूडांड, पो पिरई, बगीचा
जिला जषपुर छ.ग.
हाल मुकाम-ब्लाक कॉलोनी, जशपुर नगर,
जिला-जशपुर छ.ग. ..................परिवादी /आवेदक
( विरूद्ध )
1.दि ओरिएण्ट इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
मण्डल कार्यालय राहुल काम्पलेक्स तृतीय तल
एक्सिस बैंक के ऊपर बजाज शो रूम के बाजू
में, जगतपुर ढिमरापुर रोड़, रायगढ़ छ.ग.
2. मेसर्स, ऑटो सेंटर
खरसिया रोड,
धीमरापुर चौक रायगढ़ छ.ग. .........विरोधी पक्षकारगण/अनावेदकगण
///आदेष///
( आज दिनांक 27/01/2017 को पारित)
1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद विरोधी पक्षकारगण/अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी करने के आधार पर 1,17,352/-रू. का भुगतान ऑटो सेंटर में किया गया है की राषि, विलंब के कारण बार-बार आवागमन किये जाने का व्यय 10,000/-रू., समय पर वाहन मरम्मत कर आटो सेंटर द्वारा नहीं दिये जाने के कारण किस्त की राषि 13,700/-रू. मासिक मय ब्याज के कुल सात माह का 96,600, वाहन लाने के पष्चात पुनः दिनांक 15.10.2015 को वाहन मरम्मतत कराना पड़ा जिसमें लगभग 72,500/-रू. व्यय हुए साथ ही परिवादी को शारीरिक एवं मानसिक क्षति हुई है, जिसका आंकलन 1,00,000/-रू. करते हुए कुल वसूली योग्य राषि जुमला 3,96,452/-रू. की अदायगी मय 9 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाए जाने हेतु दिनांक 02.03.2016 को प्रस्तुत किया है।
2. स्वीकृत तथ्य है कि :-
1. परिवादी के वाहन बुलेरो क्रमांक सी.जी. 14 एम. सी.-5832 अनावेदक क्रमांक 1 द ओरिएण्टल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड में दिनांक 30.09.2014 से 29.09.2015 तक के लिए बीमित थी।
2. उक्त वाहन दिनांक 09.02.2015 की रात्रि मेनरोड कलेक्टर ऑफीस जषपुर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
3. परिवादी ने दुर्घटना में वाहन को हुई क्षति की राषि अदायगी किए जाने बाबत् बीमा दावा अनावेदक क्रमांक 1 के समक्ष प्रस्तुत किया है, जो लंबित है।
4. परिवादी ने अनावेदक बीमा कंपनी को पंजीकृत नोटिस भिजवाया था।
3. अ. परिवाद के निराकरण के लिए आवष्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/आवेदक ने जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित जशपुर द्वारा बोलेरा वाहन क्रमांक सी.जी. 14 एम. सी.-5832 को ऋण में प्राप्त कर उपयोग कर रहा था उक्त वाहन दिनांक 09.02.2015 को समय 12.00 बजे रात में मेन रोड कलेक्ट्रेट आफीस के पास जशपुर नगर जिला जशपुर में दुर्घटनाग्रस्ट हो गयी, जिसकी सूचना पंजीकृत वाहन स्वामी विमल कुजूर के द्वारा कोतवाली जशपुर में दर्ज कराया गया जो प्र.सू.प्र.क्र. 34/15 अंतर्गत धारा 279 भा.द.वि. के तहत चालक जगदीश उरावं पिता रामधनी, निवासी ग्राम- हर्राडिप आस्त, जिला-जशपुर के विरूद्ध दर्ज किया गया। पुलिस थाना जशपुर ने कार्यवाही के दौरान उक्त वाहन का मेकेनिकल मुलाहिजा कराया था उक्त वाहन पूर्णतः क्षतिग्रस्त हो चुकी थी। परिवादी का उक्त वाहन बीमा कंपनी में दिनांक 30.09.2014 से दिनांक 29.09.2015 तक के लिये बीमित थी जिसके कारण उक्त अवधि में वाहन को हुए क्षति के मरम्मत में आने वाले समस्त खर्च प्रदाय किये जाने की जिम्मेदारी बीमा कंपनी पर है और इस हेतु संभावित खर्च का आंकलन किया जाकर उक्त वाहन को मरम्मत हेतु महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा कंपनी के मेसर्स आटों सेंटर खरसिया रोड, धीमरापुर चौक रायगढ़ को दिया गया था।
ब. परंतु बीमा कंपनी के द्वारा बीमा राशि का भुगतान ऑटों सेंटर को नहीं करने के कारण मरम्मत कार्य प्रांरभ नही किया गया जिसके लिये परिवादी को बार-बार अनावेदक क्र 2 मेसर्स ऑटों सेंटर चक्कर लगाना पड़ा। मेसर्स ऑटों सेंटर रायगढ़ के द्वारा उक्त वाहन को मरम्मत कार्य शुरू करने वाबत् राशि की मांग बार-बार किया जाने लगा । मजबूरन परिवादी को क्रमशः दिनांक 17.03.2015, 16.06.2015 एवं 08.10.2015 को 20,000, 60,000, 37352/-रू कुल राशि 1,17,352/-रू का भुगतान ऑटो सेंटर में करना पड़ा जो बीमा कंपनी के द्वारा दिया जाना चाहिए था, किंतु आज दिनांक तक अदा नहीं किया गया है, जो वसूली योग्य है । साथ ही उक्त वाहन का मरम्मत सही ढंग से नहीं किया गया जिससे वाहन में अनेक प्रकार की यांत्रिक त्रुटि बनी थी और वाहन के बॉडी में आवाज थी उक्त वाहन में साइलेंसर फिट नहीं थी और वाहन ठीक ढंग से नहीं चल रही थी और वाहन का मरम्मत ठीक ढंग से नहीं होने के कारण वाहन लाने के पश्चात् पुनः दिनांक 15.10.2015 को वाहन मरम्मत कराना पड़ा जिसमें लगभग 72,500/-रू व्यय करना पड़ा।
स. उपरोक्तानुसार परिवादी को क्रमशः दिनांक 17.03.2015, 16.06.2015, एवं 08.10.2015 को 20,000, 60,000, 37352/-रू कुल राशि 1,17,352/-रू का भुगतान ऑटो सेंटर में किया है की राशि, विलंब के कारण बार-बार आवागमन किये जाने का व्यय रूपये 10,000 समय पर वाहन मरम्मत कर आटो सेंटर द्वारा नहीं दिये जाने के कारण किस्त की राशि 13,700/-रू मासिक मय ब्याज के कुल सात माह का 96,600, वाहन लाने के पश्चात् पुनः दिनांक 15.10.2015 को वाहन मरम्मत कराना पड़ा जिसमें लगभग 72,500/-रू व्यय हुए साथ ही परिवादी को शारीरिक एवं मानसिक क्षति हुई है, जिसका आकलन 1,00,000/- करते हुए वसूली योग्य राशि 3,96,452/-रू की अदायगी मय 9 प्रतिशत ब्याज के परिवादी को अनावेगणों से दिलाए जाने की प्रार्थना किया है ।
4. अ. अनावेदक क्रमांक 1 ने स्वीकृत तथ्य को छोड़ शेष तथ्यों से इंकार करते हुए कथन किया है कि जब उक्त वाहन हाईपोथिकेषन पर है तो ऐसी स्थिति में जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित जषपुर भी आवष्यक पक्षकार है और इस प्रकरण में पक्षकार नहीं बनाया गया है। दुर्घटना की सूचना बीमा शर्तों के अधीन विधिसम्यक रूप से परिवादी द्वारा अनावेदक क्रमांक 1 को प्रदान नहीं किया गया है और दुर्घटना से संबंधित कोई भी दस्तावेज परिवादी अपने परिवाद पत्र में संलग्न नहीं किया है कि जिस पर विष्वास किया जा सके। उक्त वाहन का मेकेनिकल मुलाहिता किस दिनांक को कराया गया, यह भी लेख नहीं है। परिवादी ने उक्त वाहन दुर्घटनास्थल से मनमानी तौर पर उठवा लिया, जबकि उक्त वाहन जब बीमित था तो दुर्घटना की सूचना नजदीकी बीमा कार्यालय को दिया जाना चाहिए था और बीमा शर्तों के अधीन बीमा कंपनी उक्त घटनास्थल का मुआयना करता और कंपनी के अधिकृत रिपेयरिंग सेंटर से रिपेयर करवाता, किंतु ऐसा नहीं किया गया है और मनमाने तौर पर वाहन का मरम्मत कराया गया है।
ब. परिवादी ने भिन्न-भिन्न तिथियों पर 1,17,352/-रू. भुगतान करने का जो अभिवचन किया है, इस संदर्भ में भिन्न तिथियों पर भुगतान किये गये रूपयों का कोई भी प्राप्ति रसीद प्रस्तुत नहीं किया है, मात्र येन-केन प्रकारेण अधिक से अधिक लाभ अर्जन करने की नियत से लेख किया है । यदि भुगतान का दायित्व बीमा कंपनी पर थी और इस तथ्य की जानकारी परिवादी को था तो वह किन आधारों पर किसके निर्देषानुसार ऑटो सेंटर को भुगतान किया और यदि ऑटो सेंटर को भुगतान किया तो ऐसे भुगतान के लिए अनावेदक क्रमांक 1 उत्रदायी नहीं है, क्योंकि उक्त लेन-देन ऑटो सेंटर के एवं परिवादी के मध्य की आपसी लेन-देन है और उक्त लेन-देन की जानकारी अनावेदक क्रमांक 1 को नहीं है। यदि बीमाधारक बीमा शर्तों के अधीन संपूर्ण दस्तावेजों को देने में चूक करता है तो ऐसी दषा में भुगतान किया जाना संभव नहीं है। वाहन का मरम्मत और मरम्मत पष्चात वाहन पूर्णरूपेण परिवादी के संतुष्टि लायक तैयार हुई या नहीं यह बात परिवादी के जिम्मे पर है यदि वाहन पूरी तरह से सुंतुष्टि लायक नहीं बना था तो परिवादी को वाहन अपने आधिपत्य में लेनी ही नहीं थी और यदि कोई पार्ट्स जो बदला गया हो और ऐसे पार्ट्स को ऑटो सेंटर वाला नहीं दिखाया तो इसकी षिकायत भी बीमा कंपनी को किया जाना चाहिए, किंतु ऐसा परिवादी ने नहीं किया है और अगर कोई ऐसी बात हुई तो उसके लिये अनावेदक क्रमांक 2 एवं परिवादी जिम्मेदार है। परिवादी द्वारा प्रेषित अधिवक्ता नोटिस की प्राप्ति बीमा कंपनी को नहीं हुई है। फलतः अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद उसके विरूद्ध सव्यय निरस्त करने का निवेदन किया है।
5. अ. अनावेदक क्रमांक 2 ने स्वीकृत तथ्य को छोड़ शेष तथ्यों से इंकार करते हुए कथन किया है कि आटो सेंटर रायगढ़ में वाहन रिपेयर हेतु प्रस्तुत किये जाने पर आटो सेंटर रायगढ़ द्वारा उक्त वाहन के मालिक को वाहन रिपेयर हेतु वर्क आर्डर प्रदान करने हेतु निवेदन प्रस्तुत किया गया। उक्त वाहन रिपेयर हेतु वर्क आर्डर नहीं दिये जाने पर आटो सेंटर रायगढ़ द्वारा वाहन मालिक को दिनांक 19.03.2015 को अपने स्मरण पत्र के माध्यम से सूचित करते हुए यह निवेदन किया गया कि आपका वाहन 17.02.2015 को रिपेयर हेतु आटो सेंटर रायगढ़ में दिया गया था, उक्त रिपेयर कार्य हेतु वर्क आर्डर वाहन मालिक द्वारा दिया जाना आवष्यक है, किंतु अनावेदक द्वारा परिवादी से मोबाईल पर संपर्क करने के बाद भी किसी प्रकार का कार्य हेतु आदेषित नहीं किये जाने पर अपने पत्र के माध्यम से रजिस्टर्ड डाक द्वारा दिनांक 19.03.2015 को वर्क आर्डर हेतु आदेषित किया गया, किंतु वर्क आर्डर नहीं मिलने के कारण उक्त वाहन का रिपेयर कार्य निष्पादन नहीं किया जा सका, जिसकी समस्त जवाबदारी वाहन मालिक की है। इसमें आटो सेंटर रायगढ़ की किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं है। वाहन का कंपनी के प्रषिक्षित मैकेनिकों द्वारा रिपेयर करके वाहन मालिक को उचित वाहन पूर्णतः संतुष्टि में प्रदाय करते हुए उक्त वाहन स्वामी को सुपुर्द किया गया था । वाहन में पुनः 7 माह के उपरांत जो खराबी आई वह वाहन मालिक द्वारा वाहन के अनियमित रूप से संचालन के कारण एवं स्वयं की लापरवाही पूर्वक उक्त वाहन के संचालन के कारण निर्मित हुई है। वाहन मालिक द्वारा अनावष्यक रूप से अनावेदक क्रमांक 2 को प्रताड़ित करने के उद्देष्य से इस प्रकार का मिथ्या आरोप लगाया जा रहा है।
ब. वाहन मालिक द्वारा अपने वाहन रिपेयर हेतु आटो सेंटर रायगढ़ में प्रस्तुत किये जाने पर वाहन मालिक को उसमें लगने वाले खर्चे हेतु अवगत करा दिया गया था एवं उक्त खर्चे की स्वीकृति मिलने के उपरांत उक्त वाहन का रिपेयर कार्य का निष्पादन किया गया। अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा वाहन मालिक को इस आषय से लगने वाले वाहन रिपेयर की राषि का विधि संबंधी बिल प्रदाय करते हुए उक्त राषि का भुगतान प्राप्त किया गया है। वाहन मालिक द्वारा अधिवक्ता नोटिस सम्प्रेषित किये जाने पर अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा उसका जवाब नोटिस रजिस्टर्ड डाक द्वारा दिनांक 02.03.2016 को वाहन मालिक को संप्रेषित किया गया। अनावेदक क्रमांक 2 के उपर लगे आरोप पूर्णतः अवैध है उक्त आरोप से अनावेदक को अत्यधिक मानसिक क्षति पहुंची है एवं अनावेदक क्रमांक 2 को अनावष्यक रूप से प्रताड़ित होना पड़ा है। अतः अनावेदक क्रमांक 2 ने मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 50,000/-रू. की राषि प्रदान करते हुए प्रकरण निरस्त करने का निवेदन किया है।
6. परिवाद पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिषीलन किया गया है ।
7. विचारणीय प्रष्न यह है कि :-
क्या अनावेदकगण/विरूद्ध पक्षकारगण ने परिवादी/आवेदक के विरूद्ध सेवा में कमी किया है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्न का सकारण निष्कर्ष :-
8. परिवादी ने परिवाद के समर्थन में अपना शपथ पत्र एवं सूची अनुसार दस्तावेज दुर्घटना ग्रस्त बोलेरो वाहन क्र. सी.जी.एम. सी. 5832 के अभियोग पत्र से संबधित दस्तावेज की छाया प्रति दस्तावेज क्रमांक-1, वाहन रिहाई आदेश एवं सुपूर्दनामा पावती की छाया प्रति दस्तावेज क्रमांक-2, बीमा प्रमाण पत्र दस्तावेज क्रमांक-3, वाहन दुर्घटना की सूचना की पावती दस्तावेज क्रमांक-4, शाखा प्रबंधक आटो का वाहन रिपेयरिंग हेतु सूचना दस्तावेज क्रमांक-5, जिला परिवहन प्राधिकारी को पर्टिकुलर जारी बावत् पत्र दस्तावेज क्रमांक-6, बीमा को भुगतान हेतु कार्यालय जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित, जशपुर को जारी पत्र की छायाप्रति दस्तावेज क्रमांक-7, वाहन सुधार करने हेतु राशि मांग करने की कार्यपालन अधिकारी जिला अत्या.सह. सयि. जशपुर को प्रेषित पत्र की पावती दस्तावेज क्रमांक-8, दिनांक 12.03.2016 को प्रेषित रजिस्ट्री पत्र की पावती एवं मधुर कोरियर की पावती दस्तावेज क्रमांक-9, दुर्घटनाग्रस्त वाहन का इस्टीमेंट की प्रति दस्तावेज क्रमांक-10, वाहन मरम्मत हेतु अदा की गई राशि की प्रति दस्तावेज क्रमांक-11, वाहन का आटों सेंटर द्वारा दिया गया मरम्मत का बिल दस्तावेज क्रमांक-12, अधिवक्ता नोटिस एवं पावती दस्तावेज क्रमांक-13, वाहन मालिक को वाहन मालिक को रजिस्टर्ड नोटिस के माध्यम से रिपेयर हेतु वर्क आर्डर दिये जाने हेतु नोटिस की प्रतिलिपि दिनांक 19.03.2015 की प्रतिलिपि दस्तावेज क्रमांक-14, वाहन मालिक को विधि सम्मत बिल प्रदाय की गयी थी की प्रतिलिपि दस्तावेज क्रमांक-15, वाहन मालिक को अनावेदक क्र.2 द्वारा अधिवक्ता नोटिस के जवाब की प्रति जोकि अपने अधिवक्ता के माध्यम से दी गयी थी की प्रतिलिपि दस्तावेज क्रमांक-16 प्रस्तुत किया गया है।
9. अनावेदक क्रमांक 1 ओरिएण्टल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने जवाब के समर्थन में शंभू भगत का शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।
10. अनावेदक क्रमांक 2 बीमा कंपनी ने जवाब के समर्थन में रविंदर सिंह का शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।
11. परिवादी ने अपने स्वामित्व की वाहन बुलेरो क्रमांक सी.जी. 14 एम. सी.-5832 दिनांक 30.09.2014 से 29.09.2015 तक के लिए अनावेदक क्रमांक 1 द ओरिएण्टल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड में बीमित होना शपथ पत्र से समर्थित परिवाद में बतलाया है, जिसकी पुष्टि में बीमा पॉलिसी की मूल प्रति दस्तावेज क्रमांक 3 प्रस्तुत किया है। उक्त बीमा पॉलिसी क्रमांक 193400/31/2015/4076 द्वारा प्रायवेट कार पैकेज पॉलिसी अंतर्गत दिनांक 30.09.2014 से 29.09.2015 की मध्य रात्रि तक के लिए बीमा की गई है का तथ्य परिवादी ने प्रमाणित किया है।
12. परिवादी ने शपथ पत्र से समर्थित परिवाद में बतलाया है कि उसके स्वामित्व की अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा बीमित वाहन दिनांक 09.02.2015 की रात्रि मेनरोड कलेक्ट्रेट ऑफिस के पास जषपुर नगर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसकी सूचना कोतवाली जषपुर में दी गई थी। जिस पर चालक जगदीष उरांव के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट अपराध क्रमांक 34/15 दर्ज किया गया था। परिवादी ने पुलिस थाना कोतवाली जषपुर नगर के अपराध क्रमांक 34/15 की फाईनल रिपोर्ट प्रस्तुत किया है जो कुल 12 पृष्ठां में है। परिवादी ने उसकी वाहन पुलिस द्वारा जप्त किया जाना, वाहन का मैकेनिकल मुलाहिजा कराए जाने हेतु निरीक्षणक का नक्षा तैयार किया जाना तथा अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने बाबत उक्त दस्तावेजी प्रस्तुत किया है। जप्त वाहन को सुपुर्दगी में प्राप्त करने बाबत वाहन रिहाई आदेष एवं सुपुर्दगी पावती का दस्तावेज क्रमांक 2 प्रस्तुत किया है। उक्त दस्तावेजी प्रमाण से परिवादी ने उसके स्वामित्व की वाहन दिनांक 09.02.2015 को दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। वाहन का मैकेलिकल मुलाहिजा कराया गया था, जिसमें वाहन क्षतिग्रस्त होने का उल्लेख है का तथ्य प्रमाणित किया गया है।
13. परिवादी ने वाहन बुलेरो पंजीयन क्रमांक सी.जी. 14 एम. सी.-5832 जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित जषपुर से ऋण प्राप्त कर क्रय किया जाना बताया है तथा दुर्घटना की सूचना जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित जषपुर को दिए जाने की दस्तावेज क्रमांक 4 दिनांक 16.02.2015 प्रस्तुत किया है। परिवादी ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन के रिपेयरिंग के संबंध में ऑटो सेंटर रायगढ़ को दिया पत्र दिनांक 17.02.2015 दस्तावेज क्रमांक 5 प्रस्तुत किया है तथा ऑटो सेंटर रायगढ़ का स्टीमेट की प्रति दस्तावेज क्रमांक 10 तथा मरम्मत का बिल दस्तावेज क्रमांक 12 प्रस्तुत किया है। परिवाद अनुसार अनावेदक क्रमांक 2 ने परिवादी के वाहन का मरम्मत किया था। अनावेदक क्रमांक 2 ने जवाबदावा के साथ सूची अनुसार दस्तावेज में ऑटो सेंटर द्वारा परिवादी को दिया गया पत्र दिनांक 19.03.2015 दस्तावेज क्रमांक 1 ऑटो सेंटर इन्टेक्स इनवाइस द्वितीय प्रति मूल दस्तावेज क्रमांक 2 प्रस्तुत किया है। इस प्रकार परिवादी ने दुर्घटना में वाहन को आई क्षति का आटो सेंटर द्वारा दिया गया स्टीमेट दस्तावेज क्रमांक 2 प्रस्तुत किया है। परिवादी ने अपने क्षतिग्रस्त वाहन के मरम्मत का खर्च ऑटो सेंटर रायगढ़ को दिनांक 17.03.2015 को 20,000/-रू. उसके इकरारनामा दिनांक 13.03.2015 ऑटो सेंटर को दिनांक 16.06.2015 को भुगतान किया गया 60,000/-रू. रसीद क्रमांक 48 तथा दिनांक 08.10.2015 का रसीद क्रमांक 136 राषि 37,352/-रू. भुगतान करने का दस्तावेज क्रमांक 11 के रूप में प्रस्तुत किया है। उक्त दस्तावेजी प्रमाण द्वारा परिवादी ने वाहन मरम्मत का खर्च अनावेदक क्रमांक 2 ऑटो सेंटर रायगढ़ को कुल 1,17,352/-रू. का भुगतान किए जाने को युक्तियुक्त रूप से प्रमाणित किया है।
14. परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 2 ऑटो सेंटर से वाहन का मरम्मत की राषि भुगतान करने के बाद वाहन को आधिपत्य में लिया था, किंतु अनावेदक क्र्रमांक 1 द्वारा वाहन को ठीक से सुधार नहीं कराया गया, तब भगत मोटर गैरेज जषपुर नगर से वाहन का मरम्मत कराया था, बताते हुए बिल दिनांक 15.10.2015 राषि 72,500/-रू. का प्रस्तुत किया है।
15. परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 के समक्ष दुर्घटना ग्रस्त वाहन की क्षतिपूर्ति दिलाए जाने हेतु बीमा दावा प्रस्तुत किया था, जिसका निराकरण नहीं किया गया है बतलाया है। अनावेदक क्रमांक 1 ने उसके समक्ष प्रस्तुत दावा विचारण हेतु लंबित होना जवाबदावा में प्रकट किया है। इस प्रकार अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत बीमा दावा को लंबित रखा है स्पष्ट हुआ है।
16. परिवादी के स्वामित्व की वाहन का दुर्घटना में हुई क्षति के मरम्मत का स्टीमेट परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 12 तथा अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 2 से कुल 4,80,878/-रू. का दिया गया है जिसमें से परिवादी ने वाहन मरम्मत का खर्च 1,17,352/-रू. अनावेदक क्रमांक 2 को भुगतान किए जाने का प्रमाण प्रस्तुत किया है। वाहन की बीमा पालिसी दस्तावेज क्रमांक 3 अनुसार वाहन का मूल्य 7,04.013/-रू. उल्लेखित है, जो दस्तावेज क्रमांक 12 परिवादी का तथा दस्तावेज क्रमांक 2 अनावेदक क्रमांक 2 का स्टीमेट राषि से अधिक है।
17. परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा बीमा दावा का निराकरण कर क्षतिपूर्ति प्रदान नहीं करने पर अधिवक्ता के माध्यम से पंजीकृत नोटिस दस्तावेज क्रमांक 13 दिया जाना बताया है, जिसकी डाक रसीद एवं पावती अभिस्वीकृति अनावेदक क्रमांक 2 का प्रस्तुत किया है। अनावेदक क्रमांक 2 ने नोटिस का जवाब दस्तावेज क्रमांक 3 दिया जाना बताया है। अनावेदक क्रमांक 1 ने उक्त नोटिस को प्राप्त होने से इंकार नहीं किया है। इस प्रकार अनावेदकगण को नोटिस प्राप्त हो गई है, परिवादी ने प्रमाणित किया है। नोटिस प्राप्त होने के बाद भी अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कंपनी ने परिवादी के बीमा दावा का निराकरण नहीं किया।
18. अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी द्वारा संपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया जवाबदावा में उल्लेखित किया है, किंतु जवाबदावा के साथ ऐसा कोई प्रमाण अनावेदक क्रमांक 1 ने प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे यह प्रगट होता हो कि उसने परिवादी से बीमा दावा प्रस्तुत करने के बाद दस्तावेजों की मांग की थी। बीमा दावा को निराकरण करने में परिवादी की ओर से विलंब कारित किया गया दर्षाने के लिए अनावेदक क्रमांक 1 ने कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है।
19. उपरोक्त अनुसार अभिलेखगत सामग्री से हम पाते हैं कि परिवादी ने अनावेदक के समक्ष वाहन क्रमांक सी.जी. 14 एम. सी.-5832 मरम्मत का खर्च अनावेदक क्रमांक 2 को भुगतान किया था। मरम्मत का खर्च का रसीद प्रस्तुत किया है। अनावेदक क्रमांक 1 ने उसके समक्ष बीमा दावा को लंबित रखा, निराकरण नहीं किया है से अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी के विरूद्ध बीमा दावा का निराकरण न कर सेवा में कमी कारित किया है, हम पाते हैं। तद्नुसार
विचारणीय प्रष्न का निष्कर्ष अनावेदक क्रमांक 1 के विरूद्ध प्रमाणित में देते हैं।
20. परिवादी ने उसके स्वामित्व की वाहन सी.जी. 14 एम. सी.-5832 की बीमा अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा किए गए बीमा अवधि में दुर्घटना होने से वाहन के मरम्मत हेतु अनावेदक क्रमांक 2 को भुगतान किए गए राषि 1,17,552/-रू. तथा दिनांक 15.10.2015 को पुनः मरम्मत कराने का खर्च 72,500/-रू. वाहन की मासिक किष्त 13,700/-रू. अनुसार 7 माह का 96,600/-रू., आवागमन व्यय 10,000/-रू., शारीरिक एवं मानसिक क्षति का 1,00,000/-रू. कुल 3,96,452/-रू. 9 प्रतिषत ब्याज सहित दिलाए जाने की प्रार्थना किया है।
21. अनावेदक क्रमांक 1 के समक्ष परिवादी द्वारा प्रस्तुत बीमा दावा का निराकरण नहीं किया गया है, दावा पर विचार नहीं किया गया है, जवाबदावा में व्यवक्त किया गया है, से अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी के विरूद्ध सेवा में कमी किया है के आधार पर परिवाद स्वीकार करने योग्य पाते हैं तथा परिवाद स्वीकार करते हुए निम्नलिखित निर्देष देते हैं :-
अ. अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार क्रमांक 1 द्वारा परिवादी के वाहन का किए बीमा पालिसी क्रमांक 193400/31/2015/4076 अनुसार बीमा अवधि में वाहन सी.जी. 14 एम. सी.-5832 के क्षतिग्रस्त होने से प्रस्तुत बीमा दावा का निराकरण पारित आदेष दिनांक से 1 माह के भीतर करेगा।
ब. परिवादी के बीमा दावा को विचार नहीं किए जाने, लंबित रखे जाने के कारण मानसिक क्षति का 10,000/-रू. (दस हजार रूपये) 1 माह के भीतर परिवादी को भुगतान करेगा।
स. अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार, परिवादी को परिवाद व्यय 2,000/-रू. (दो हजार रूपये) का भुगतान 1 माह के भीतर करेगा।
द. उक्त समय पर बीमा दावा का भुगतान नहीं करने पर अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार क्रमांक 1 परिवाद प्रस्तुति दिनांक से वसूली दिनांक तक 9 प्रतिषत वार्षिक साधारण ब्याज का भुगतान परिवादी को करेगा।
(संजय कुमार सोनी) (श्रीमती अनामिका नन्दे) (बी.पी. पाण्डेय)
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दिनांक 27/01/2017 दिनांक27/01 /2017 दिनांक 27 /01/2017