Uttar Pradesh

Faizabad

CC/55/07

LAL CHANDRA MISHRA - Complainant(s)

Versus

THE ORIENTAL INSURANCE - Opp.Party(s)

18 May 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/55/07
 
1. LAL CHANDRA MISHRA
VILL- HARIDASPUR BATHURIA KHANDHA PO. BHAVPUR TEH MILKIPUR FZD
...........Complainant(s)
Versus
1. THE ORIENTAL INSURANCE
H.NO.-2/1/55 MO. CIVIL LINE PAR. HAWELI AVADH TEH SADAR FZD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

 


उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

 

              परिवाद सं0-55/2007

 

    लाल चन्द्र मिश्रा पुत्र श्री राम अंजोर मिश्र निवासी ग्राम हरिदासपुर बतुरिहा कौंधा (पोस्ट भावापुर तहसील बीकापुर जनपद फैजाबाद                  .................परिवादी         
                    बनाम


1-    दि ओरियन्टल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड स्थित भवन संख्या-2/1/55 स्थित मोहल्ला सिविल लाईन्स परगना हवेली अवध तहसील सदर शहर व जनपद फैजाबाद द्वारा शाखा प्रबन्धक।
2-    बैंक आफ बड़ौदा शाखा रामपुर भगन जनपद फैजाबाद द्वारा शाखा प्रबन्धक।                                                     ................. विपक्षीगण


निर्णय दिनाॅंक 15.05.2015    


                    
                        निर्णय 

     उद्घोषित द्वारा: श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध इस आशय का योजित किया ह,ै कि परिवादी ने एक भैंस मु0 13,500=00 में जीविकोपार्जन हेतु दि0 18.4.2004 को बैंक आफ बड़ौदा से ऋण प्राप्त करके क्रय किया था, जिसका बीमा विपक्षी सं0-1 दि ओरियन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी में हुआ था। भैंस का टैग नं0-ओ0आई0सी0-एफ0जेड0डी0/64543 था। परिवादी विपक्षी सं0-2 बैंक को माह 

                    (  2  )

फरवरी 2006 तक किश्तों की अदायगी बराबर करता रहा। परिवादी की भैंस बीमार हो गयी, जिसका इलाज पशु चिकित्साधिकारी बीकापुर फैजाबाद से कराता रहा। भैंस की हालत काफी बिगड़ गयी, जिसके कारण इलाज के दौरान दि0 01.03.2006 को भैंस की मृत्यु हो गयी। दि0 02.03.2006 को पशु चिकित्साधिकारी बीकापुर फैजाबाद को सूचित करके भैंस का पोस्ट मार्टम कराया, जिसकी सूचना बैंक को तथा बीमा कम्पनी को दिया तथा बीमित धनराशि की माॅंग किया। विपक्षी सं0-1 बीमा कम्पनी ने बीमित धनराशि की अदायगी नहीं किया। नोटिस दिया फिर भी बैंक को परिवादी को कहने के बावजूद बीमित धनराशि नहीं दिया तब यह परिवाद योजित किया।
विपक्षी सं0-1 ने अपने जवाबदावे में कहा है कि परिवादी ने कभी भी अपने दावा प्रपत्र के साथ कोई औपचारिकता प्रस्तुत नहीं किया। इस सम्बन्ध में दि0 26.02.2007, दि0 23.03.2007 एवं दि0 30.03.2007 को साधारण डाक से एवं रजिस्टर्ड डाक से औपचारिकता पूर्ण करने हेतु पत्र भेजा गया। परिवादी ने न तो उक्त पत्रों का संतोषजनक उत्तर दिया और न ही औपचारिकता पूर्ण किया, इसलिए परिवादी का क्लेम नो क्लेम करके बन्द कर दिया। 
पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया तथा परिवादी के लिखित बहस का अवलोकन किया। परिवादी ने सूची 22ख से कागजात प्रेषित किये हैं, जिसमें से परिवादी के अधिवक्ता ने दि0 16.11.2006 को विपक्षी सं0-1 दि ओरियन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी को नोटिस दिया है, जो क्रमशः 24ख और 25ख है। 26ख विपक्षी सं0-1 ने कहा है कि औपचारिकतायें पूर्ण करिये। शिकायत का कोई प्रश्न नहीं उठता। विपक्षी सं0-1 ने मृत्यु प्रमाण-पत्र, पाॅलिसी बीमा धारक द्वारा भेजने का आग्रह किया गया। परिवादी ने भैंस का पोस्ट मार्टम रिपोर्ट तथा टैग नम्बर और पालिसी से सम्बन्धित प्रपत्र प्रेषित किये। पत्रावली के देखने से स्पष्ट होता है कि विपक्षी सं0-1 दि ओरियन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी परिवादी को बहाना बना-बना करके टाल-मटौल करता रहा है और जानबूझ करके परिवादी की भैंस की बीमित धनराशि की अदायगी नहीं किया। बीमा पाॅलिसी विपक्षी सं0-1 के पास होती है। बैंक द्वारा भैंस का टैग नम्बर आदि समस्त प्रपत्र बीमा कम्पनी के पास भेजी जाती है। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की फोटो कापी भी बैंक द्वारा विपक्षी सं0-1 को भेजी जाती है। इसके बावजूद विपक्षी सं0-1 टैग नम्बर की मांॅग करता रहा। पोस्ट मार्टम करने वाले डाॅक्टर के अनुसार भैंस का टैग नम्बर सही है। टैग भी प्रस्तुत किया गया, लेकिन फिर भी बीमा कम्पनी ने परिवादी के भैंस की बीमित धनराशि की अदायगी नहीं किया। इस प्रकार पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य के अनुसार परिवादी विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध अपने भैंस की बीमित धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षी सं0-2 बैंक है, जिसने ऋण दिया है। विपक्षी सं0-2 से कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध अंशतः स्वीकार तथा अंशतः खारिज किये जाने योग्य है।

                 आदेश

    परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध अंशतः स्वीकार तथा अंशतः खारिज किया जाता है। परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध खारिज किया जाता है। विपक्षी सं0-1 परिवादी को भैंस की बीमित धनराशि मु0 13,500=00 निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर अदा करें तथा वाद व्यय मु0 5,000=00 तथा शारीरिक मानसिक पीड़ा के लिए मु0 500=00 अदा करें। यदि विपक्षी सं0-1 मु0 13,500=00 उक्त दिये गये समय के अन्दर अदायगी नहीं करता ह,ै तो परिवाद योजित करने की तिथि से 12 प्रतिशत सालाना साधारण ब्याज तारोज वसूली करने का अधिकारी होगा।  

          (विष्णु उपाध्याय)           (माया देवी शाक्य)            ( चन्द्र पाल )            
              सदस्य                    सदस्या                    अध्यक्ष    
            
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 15.05.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              ( चन्द्र पाल )
              सदस्य                 सदस्या                      अध्यक्ष

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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