Rajasthan

Jhunjhunun

85/2014

JAGDISH - Complainant(s)

Versus

THE ORIENTAL INSURANCE COMPANYIN - Opp.Party(s)

KELASH

17 Nov 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 85/2014
 
1. JAGDISH
CHURU
...........Complainant(s)
Versus
1. THE ORIENTAL INSURANCE COMPANYIN
JHUNJHUNU
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel PRESIDENT
 HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui MEMBER
 HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra MEMBER
 
For the Complainant:KELASH, Advocate
For the Opp. Party: Satish Chandar Kulhari, Advocate
ORDER

       जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
                        परिवाद संख्या -85/14

 समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष। 
        2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
        3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

जगदीश पुत्र कुरडाराम उर्फ रूडाराम जाति जाट निवासी सूरपुरा खुर्द तहसील लुहारू जिला भिवानी हरियाणा जरिये मुख्तियार मनोज कुमार डांगी पुत्र जयसिंह डांगी जाति जाट निवासी बैरासर गुमाना तहसील राजगढ जिला चूरू (राज0)
                                                             - परिवादी
                बनाम
दि ओरियंटल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिये प्रबंधक, स्टेषन रोड, झुंझुनू (राज0)
                                                               - विपक्षी
    
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 

उपस्थित:-
1.     श्री कैलाष जांगिड़, अधिवक्ता -  परिवादी की ओर से।
2.     श्री सतीष कुलहरि, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।

                      - निर्णय -          दिनांकः 17.11.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक         06.02.2014 को संस्थित किया गया। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी जगदीष वाहन बोलेरो नम्बर एच.आर. 32बी 6517 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 24.08.2011 से 23.08.2012 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी विपक्षी की उपभोक्ता है। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि  परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 02.12.2011 को फरीदाबाद से चोरी हो गया। जिसकी पुलिस थाना फरीदाबाद में लिखित रिपोर्ट पेष की, जिस पर प्रथम सूचना संख्या 276/11 दर्ज की गई तथा बाद जांच पुलिस ने एफ.आर. पेष की, जिनकी फोटो प्रतियां परिवाद पत्र में संलग्न हैं। परिवादी ने उक्त वाहन चोरी होने के दिन ही विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी।  परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी से सम्पर्क किया तथा वाहन की बीमित राषि का क्लेम प्राप्त करने का आवेदन पेष किया। विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी से वाहन की बीमा पालिसी, रजिस्ट्रेषन सर्टिफिकेट, वाहन खरीद बिल, वाहन की मूल चाबिया, पुलिस द्वारा प्रस्तुत अंतिम रिर्पोट आदि उपलब्ध कराने हेतु पत्र लिखा। परिवादी ने वांछित दस्तावेज विपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध करवा दिये । विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर इन्द्रसेन कुमार नियुक्त किया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से परिवादी को दिनांक 29.05.2012 को पुनः पत्र लिखकर परिवादी से उपरोक्त सूचनाओं के अलावा ड्राईविंग लाईसेंस, एफ.आई.आर., आर.सी. बुक. क्लेम फाईल, इंष्योरेंस तथा फिटनेस, परमिट एवं टेक्स आदि की प्रतियांे की मांग की। उक्त दस्तावेजात में से मूल ड्राईविंग लाईसेंस, आर.सी, बीमा, परमिट चोरी हुये वाहन में थे, जो वाहन के साथ चोरी हो गये । परिवादी ने उक्त दस्तावेजात में ड्राईविंग लाईसेंस के अलावा समस्त दस्तावेजात विपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध करवा दिये । दिनांक 13.01.2014 को परिवादी विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय में गया तथा क्लेम दावा की राषि हेतु निवेदन किया परन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी ने क्लेम देने से इन्कार कर दिया। 
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 4,25,000/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी के नाम का वाहन बीमा पाॅलिसी की शर्तो के अनुसार विपक्षी के यहां दिनांक      24.08.2011 से 23.08.2012 बीमित होना स्वीकार किया है। 
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में जो इंजिन नम्बर व चेसिस नम्बर अंकित किये हैं उक्त नम्बर का वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित नहीं है। परिवादी का वाहन दिनांक 03.12.2011 को चोरी होना तथा विपक्षी बीमा कम्पनी को दिनांक    13.12.2011 को सूचना देना बताया है, जबकि वाहन चोरी की सूचना चोरी होने के 48 घण्टे के अंदर दिया जाना आवष्यक है, इस कारण पालिसी में वर्णिर्तो का उल्लंघन हुआ है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर ने परिवादी को असल दस्तावेजात पेष करने हेतु कई अवसर दिये परन्तु परिवादी ने कोई दस्तावेज पेष नहीं किये। इसलिये परिवादी का क्लेम पारित नहीं हो सका। 
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष की बहस सुनी गई पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहे है कि परिवादी वाहन बोलेरो नम्बर एच.आर. 32बी 6517 का रजिस्टर्ड मालिक है तथा उक्त वाहन दिनांक 24.08.2011 से 23.08.2012 तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दिनांक 02.12.2011 की मध्य रात्रि को उक्त वाहन चोरी हुआ है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी का यह तर्क होना कि परिवादी द्वारा वाहन चोरी की सूचना बीमा कम्पनी को 24 घण्टे के अंदर नहीं दी तथा 10 दिन देरी से दी गई तथा विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा वांछित दस्तावेजात पेष नहीं किये।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी के उक्त तर्क से हम सहमत नहीं है। क्योंकि परिवादी का वाहन दिनांक 02.12.2011 को मध्य रात्रि में चोरी हुआ तथा चोरी के संबंध में पुलिस थाना फरीदाबाद में लिखित रिपोर्ट दिनांक 03.12.2011 को पेष की, जिस पर प्रथम सूचना संख्या 276/11 दर्ज हुई। पुलिस द्वारा अनुसंधान के बाद प्रकरण में अंतिम प्रतिवेदन तैयार किया गया है। एफ.आई.आर. एवं एफ.आर. की फोटो काॅपी पत्रावली मे सलंग्न है। परिवादी द्वारा उसी दिन विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा किस आधार पर 10 दिन देरी से सूचना दिया जाना बताया गया है, इस संबंध में परिवादपत्र में कोई अभिलेख नहीं है। देरी से बीमा कम्पनी को सूचना देने के सम्बंध में कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पेष नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में अंकित तथ्यों का खण्डन करने में विपक्षी बीमा कम्पनी असफल रही है। 
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने तर्को के समर्थन मे माननीय 2015 DNJ (CC) 7 NOC – HDFC Ergo General Insurance Co. Ltd.(M/S) Vs Bhagchand Saini न्यायदृष्टांत पेष किया।
उपरोक्त न्यायदृष्टान्त मे माननीय राष्ट्रीय आयोग द्धारा जो सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है उससे हम पूर्ण रुप से सहमत हैं। लेकिन इस प्रकरण के तथ्य व परिस्थितियां भिन्न होने के कारण उपरोक्त न्यायदृष्टान्त विपक्षी को पूर्ण रूप से मदद नही करता है। 
जहां तक राषि अदायगी का प्रष्न है इस संबंध में यह देखना आवष्यक है कि जिस वक्त बीमा कम्पनी ने उक्त वाहन का बीमा किया था उस वक्त वाहन की कीमत 4,25,000/-रूपये आंकलन कर परिवादी की ओर से प्रीमियम लिया गया था परन्तु प्रीमियम लिये जाने के बाद व वाहन चोरी होने से पूर्व वाहन को लगभग 3-4 महिने काम में भी लिया गया है। यदि परिवादी की ओर से पालिसी की शर्तो का किसी तरह से उल्लंघन भी हुआ है तो भी अमानक आधार पर 75ः राषि परिवादी को दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है। बीमा कम्पनी ने 4,25,000/-रूपये वाहन की वेल्यु मानकर प्रीमियम लिया है उसकी 75 प्रतिषत राषि 3,18,750/-रूपये होते हैं, जिसकी अदायगी के उतरदायित्व से विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से विमुख/मुक्त नही हो सकती। 
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्ध विपक्षी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी उक्त विपक्षी से  3,18,750/-रूपये (अक्षरे रूपये तीन लाख अट्ठारह हजार सात सौ पचास मात्र) बतौर क्लेम राषि क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त बीमा क्लेम राषि पर दायरी परिवाद पत्र दिनांक 06.02.2014 से ता वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।       
  निर्णय आज दिनांक 17.11.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
           

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra]
MEMBER

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