Rajasthan

Jhunjhunun

CC/285/2014

Aasis - Complainant(s)

Versus

THE ORIENTAL INSURANCE COMPANYIN - Opp.Party(s)

Rajes Pooniya

28 Apr 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/285/2014
 
1. Aasis
Chidawa, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. THE ORIENTAL INSURANCE COMPANYIN
Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

        जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
                    परिवाद संख्या -285/14


 समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष। 
        2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
        3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

आशीष आयु 28 साल पुत्र शीषराम झाझडिया जाति जाट निवासी जोधा का बास तहसील चिडावा जिला झुंझुनू हाल निवासी वार्ड नम्बर 17 रेलवे स्टेषन के पास चिडावा जिला झुंझुनू (राज0)                              - परिवादी
                बनाम
दी ओरियंटल इंष्योरेंस कम्पनी लि. शाखा कार्यालय एस.बी.आई. बैंक के उपर स्टेषन रोड़,झुंझुनूू जरिये शाखा प्रबंधक                             - विपक्षी
    
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ताद सरंक्षण अधिनियम 1986 
उपस्थित:-
1.     श्री राजेष पूनिया अधिवक्ता    -  परिवादी की ओर से।
2.     श्री हरिष चन्द्र एवं श्री अमित जोषी, अधिवक्ता-विपक्षी की ओर से।

                      - निर्णय -          दिनांकः 21.05.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक         20.05.2014 को संस्थित किया गया। 
परिवाद पत्र के संक्षिप्त तथ्य इस प्रकार है कि - परिवादी, वाहन मोटर साईकिल नम्बर आर.जे. 18 एस.जे. 3096 इन्जन नम्बर श्रब् 36 म् 7152606 चेचिस नम्बर डम् 4 श्रब् 36 श्रळब् 7102517 का रजिस्टर्ड मालिक है । उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 23.07.2012 से 22.07.2013 तक की अवधि के लिए बीमित था जिसका प्रिमीयम विपक्षी ने परिवादी से नियमानुसार प्राप्त किया था । इस प्रकार परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह भी कथन किया है कि परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 15.04.2013 को वार्ड नम्बर 22 पिलानी में चोरी हो गया जिसकी सूचना परिवादी ने तुरंत विपक्षी को करदी तथा पुलिस थाना पिलानी में भी रिपोर्ट रिपोर्ट संख्या 129/13 दर्ज कराई गई। परिवादी ने मोटरसाईकिल चोरी होने की सूचना विपक्षी को देने के बाद क्लेम की कार्यवाही की तथा वाहन के समस्त कागजात विपक्षी के कार्यालय में पेष कर दिये। विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 29.01.2014 के द्वारा यह कहते हुये क्लेम देने से इन्कार कर दिया कि बीमा कम्पनी को चोरी होने की सूचना चोरी होने की घटना से 48 घंटे के अंदर-अंदर नहीं दी। 
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 49,832/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जवाब पेष किया गया कि परिवादी के वाहन का बीमा पाॅलिसी की शर्तो के अनुसार बीमा होना स्वीकार है परन्तु शर्तो की अवहेलना करने पर बीमा कम्पनी का केाई उतरदायित्व नही बनता है। तथाकथित वाहन दिनांक 15.04.2013 को चोरी होना बताया है तथा विपक्षी बीमा कम्पनी को वाहन के चोरी होने बाबत सूचित नहीं किया गया जबकि चोरी होने के अधिक से अधिक 48 घंटे के अंदर बीमित वाहन की बीमा कम्पनी को बीमा पालिसी की शर्तो के अधीन सूचित करना आवष्यक है। परिवादी ने दिनांक 18.06.2013 को विपक्षी बीमा कम्पनी के पास क्लेम दावा पेष किया जो घटना से 2 माह 3 दिन के बाद पेष किया है। चोरी की सूचना देरी से देने का कोई कारण भी नही बताया गया है तथा जिला परिवहन कार्यालय में वाहन का रजिस्ट्रेषन करवाया गया है वहां भी परिवहन विभाग को भी सूचना नहीं दी गई है।  बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंघन होने के कारण मौजूदा परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है। 
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष की बहस सुनी गई पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहे है कि परिवादी अपनी मोटरसाईकिल आर.जे. 18 एस.जे. 3096 इन्जन नम्बर श्रब् 36 म् 7152606 चेचिस नम्बर डम् 4 श्रब् 36 श्रळब् 7102517 का रजिस्टर्ड मालिक है । उक्त वाहन दिनांक 23.07.2012 से 22.07.2013 तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दिनांक 15.04.2013 को उक्त वाहन चोरी हुआ है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि मोटरसाईकिल चोरी की रिपोर्ट पुलिस थाना, पिलानी में परिवादी ने जानबुझकर अपनी लापरवाही से देरी से दर्ज करवाई है तथा बीमा कम्पनी को भी उक्त घटना की सूचना 2 माह 3 दिन बाद देरी से दी गई है, जिसके कारण बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंघन होने पर बीमा कम्पनी किसी भी तरह से क्लेम अदा करने के लिए उतरदायी नही है।
हम, विद्धान अधिवक्ता विपक्षी के उक्त तर्को से सहमत नही है क्योंकि अब हमें यह देखना है कि क्या परिवादी की लापरवाही के कारण बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंघन हुआ है ? 
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 15.04.2013 को कस्बा पिलानी में चोरी हो गया था जिसकी सूचना परिवादी द्वारा सम्बन्धित पुलिस थाना मे दूसरे दिन ही करदी गई थी लेकिन उसकी रिपोर्ट दर्ज नही की गई जिस पर न्यायालय में परिवाद पत्र दिनांक 22.04.2013 को पेष किया तब पुलिस थाना पिलानी में रिपोर्ट दिनांक 02.05.2013 को दर्ज की गई। एफ.आई.आर. व एफ.आर. की फोटो काॅपी पत्रावली मे सलंग्न है। इसके अतिरिक्त परिवादी ने वाहन चोरी के संबंध में तुरंत घटना के दिन ही विपक्षी  बीमा कम्पनी को सूचना देना बताया है तथा परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी को वाहन चोरी के संबंध में लिखित में भी सूचना दी है जो पत्रावली में संलग्न है। उक्त सूचना रिपोर्ट में परिवादी ने यह अंकित किया है कि वाहन चोरी होने के पश्चात बीमा कार्यालय में सूचना देरी से दी गई देरी का कारण घरेलु था । परिवादी द्वारा विलम्ब से वाहन चोरी के संबंध में विपक्षी बीमा कम्पनी को 2 माह 3 दिन बाद सूचना दी है। सूचना रिर्पोट में देरी का  स्पष्ट कारण अंकित नहीं किया है। इस प्रकार परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को मामुली विलम्ब से दी गई सूचना के लिये उसकी लापरवाही नही मानी जा सकती। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा वाहन के क्लेम की क्षतिपूर्ति का आवेदन किस आधार पर खारिज कर दिया गया, इसका कोई युक्तियुक्त कारण पेष नहीं किया है। जिस वक्त बीमा कम्पनी ने उक्त वाहन का बीमा किया था उस वक्त वाहन की कीमत 49832/-रूपये आंकलन कर परिवादी से प्रीमियम लिया था परन्तु प्रीमियम लिये जाने के बाद व वाहन चोरी होने से पहले परिवादी द्वारा वाहन को लगभग 8-9 महिने काम में भी लिया गया है। यदि परिवादी ने देरी से विपक्षी बीमा कम्पनी को चोरी की घटना की सूचना दी है और पालिसी की शर्तो का किसी तरह से उल्लंघन भी हुआ है तो भी अमानक आधार पर 75ः राषि परिवादी को दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है। बीमा कम्पनी ने 49832/-रूपये वाहन की  वेल्यु मानकर प्रीमियम लिया है उसकी 75 प्रतिषत राषि 37374/-रूपये अदायगी के उतरदायित्व से विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से विमुख/मुक्त नही हो सकती। 
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्ध विपक्षी बीमा कम्पनी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी विपक्षी से बीमा क्लेम राषि 37374/रुपये  (अक्षरे रूपये सैंतीस हजार तीन सौ चैहतर मात्र) बतौर क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त क्लेम राषि पर संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 20.05.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।  
पक्षकारान खर्चा मुकदमा स्वंय अपना- अपना वहन करेगें।
       निर्णय आज दिनांक 21.05.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
           पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

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