एकपक्षीय आदेश
1. परिवादी ने इस आशय का परिवाद पत्र विपक्षी के विरुद्ध दाखिल किया कि जब वह चांदनी चौक पोस्ट एवं जिला-मुजफ्फरपुर में रह रहा था तो उसने चार पहिया वाहन बेलोरो जिसका चेचिस नंबर FR85L85935 और इंजन नंबर FG4K37256 था जिसका रेजिस्ट्रेशन नंबर BR-06P-6437 था जो कि दि० 13.12.2008 जिला परिवाहन पदाधिकारी मुजफ्फरपुर के वहां विजय कुमार साह पुत्र राम खिलावन साह के नाम से निबंधित था परिवादी का यह भी कथन है कि कुछ दिनों के बाद आवेदक ने मुजफ्फरपुर छोड़ दिया और वह अपने गांव भड़वाड़ा थाना सिंघवाड़ा जिला दरभंगा में रहने लगा परिवादी का यह भी कथन है कि रोड टैक्स का भुगतान बिहार सरकार को करता था जो कि मार्च 2013 तक का किया गया।
2. परिवादी का यह भी कथन है कि उक्त बेलोरो जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर BR-06P-6437 था वह ओरिएण्टल इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड शाखा दरभंगा से बीमित था जिसका पॉलिसी नंबर 332103/31/2012/2514 था जो दि० 17.12.2011 से 16.12.2012 तक वेध था इसके पूर्व वर्ष में भी उक्त वाहन ओरिएण्टल इन्सुरेंस कंपनी द्वारा ही बीमित था लेकिन परिवादी ने किसी प्रकार का कोई दावा बीमा पर नहीं किया
3. परिवादी का यह भी कथन है कि उक्त बेलोरो में कुछ तकनिकी खराबी आ गयी धन कि तंगी के कारन परिवादी उक्त वाहन का मरम्मत नहीं करा सका और वह परिवादी के दरवाजे पर ही खड़ी रही।
4. परिवादी का यह भी कथन है कि दि० 03.05.2012 को शाम चार बजे स्थानीय मोटर गैरेज से मरम्मत कराके उक्त बेलोरो का चालक मो० साबीर उर्फ़ सागीर पुत्र मो० मोईन प्रश्नगत वाहन को दरवाजे पर लाया और खड़ा कर दिया और उसके चाभी का गुच्छा मुझे हस्तगत कर दिया उक्त वाहन उसी स्थान पर 10 बजे रात तक वैसे ही रहा दूसरे दिन सुबह दि० 04.05.2012 को परिवादी तथा उसके परिवार के सदस्यगण ने देखा कि प्रश्नगत बेलोरो वाहन गायब है परिवादी तथा उसके परिवार के सदस्यों ने प्रश्नगत वाहन को खोजने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं मिला उसके बाद एक लिखित आवेदन सिंघवाड़ा पुलिस स्टेशन को दिया जिसके आधार पर थाना कांड सं० 121/12 दि० 04.05.2012 अंतर्गत धारा 379 भा०द०वि० दर्ज करके अनुसन्धान पदाधिकारी ने मामले में अनुसन्धान किया तथा केस को सत्य एवं सूत्रहीन पाते हुए अंतिम प्रतिवेदन समर्पित किया।
5. परिवादी ने दि० 05.04.2012 को एक आवेदन सभी आवश्यक दस्तावेजों को संलग्न करते हुए विपक्षी एक को भेजा उसके पश्चात् परिवादी को कहा गया कि वह सुसंगत दस्तावेज दो सेट चाभी के साथ बीमा कंपनी को जमा कर दें।
6. परिवादी ने बीमा कंपनी को सभी सुसंगत दस्तावेज जिसमें गाड़ी के दस्तावेज की मूल प्रति, बीमा पॉलिसी और दो सेट चाभी रिंग, FIR फाइल में विद्वान मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी दरभंगा के आदेश को जमा कर दिया।
7. परिवादी का यह भी कथन है कि विपक्षी ने उसके दावा को निरस्त कर दिया। अतः अनुरोध है कि विपक्षी को यह आदेश दिया जाये कि वह परिवादी को 18% प्रतिवर्ष ब्याज की दर से बीमा की धनराशि पर दि० 04.05.2012 की तिथि से परिवादी को भुगतान करें विपक्षी को यह भी आदेश दिया जाय कि परिवादी को पहुंची मानसिक पीड़ा के लिए 50000 रु० वाद खर्च के रूप में 15000 रु० तथा चोरी की तिथि से 1000 रु० प्रतिदिन आमदनी के हिसाब से विपक्षी परिवादी को भुगतान करे। विपक्षी को यह भी निर्देश दिया जाय कि परिवादी की संचिका जो निबंधन और रोड टैक्स से सम्बंधित है उसको बंद कर दें इसके अतिरिक्त अन्य जो अनुतोष पाने का अधिकारी हो उसे दिया जाये लेकिन सारी प्रक्रिया के अनुपालन के पश्चात् भी विपक्षी की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुए उसके मामले में एकपक्षीय सुनवाई प्रारंभ किया गया।
8. मौखिक साक्षी के रूप में परिवादी विजय कुमार साह द्वारा स्वयं का परिक्षण कराया उन्होंने अपने परीक्षण में अपने शिकायत पत्र में कहे गए कथन का समर्थन किया दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी द्वारा प्रदर्श-1 जो की ओरिएण्टल इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड का रिपोर्ट जिसमें शिकायतकर्ता के दावा को प्रश्नगत वाहन के चोरी के समय वाहन का रुट परमिट नहीं होने के कारण निरस्त कर दिया गया, प्रदर्श-2 शिकायतकर्ता द्वारा जिला परिवाहन पदाधिकारी को प्रश्नगत वाहन को चोरी के सम्बन्ध में दी गयी सुचना प्रदर्श-3 प्रश्नगत वाहन का निबंधन एवं मालिकाना प्रमाण पत्र जो कि शिकायतकर्ता के नाम पर है, प्रदर्श-4 टैक्स टोकन प्रश्नागत वाहन का जो दि० 15.03.2012 से 01.03.2013 तक वेध था, प्रदर्श-5 प्रथम सूचना प्रतिवेदन प्रदर्श-6 अंतिम प्रतिवेदन, प्रदर्श- 7 मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश की छायाप्रति, प्रदर्श-8 शिकायतकर्ता द्वारा ओरिएण्टल इन्सुरेंस कंपनी दरभंगा को लिखा गया पत्र जिसमें प्रश्नगत वाहन के चोरी का उल्लेख है, प्रदर्श-9 जिला परिवाहन पदाधिकारी को लिखा गया पत्र, प्रदर्श-10 ओरिएण्टल इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड का पॉलिसी जिसका नंबर-332103/31/2012/2514 प्रदर्श-11 ओरिएण्टल इन्सुरेंस कंपनी का प्रमाण पत्र, प्रदर्श-12 ओरिएण्टल इन्सुरेंस कंपनी का प्रमाण पत्र, प्रदर्श-13 ओरिएण्टल इन्सुरेंस कंपनी का प्रमाण पत्र प्रदर्श-14 शिकायतकर्ता विजय कुमार साह द्वारा ओरिएण्टल इन्सुरेंस कंपनी दरभंगा शाखा को लिखा गया पत्र, प्रदर्श-15 शिकायतकर्ता द्वारा ओरिएण्टल इन्सुरेंस कंपनी में जमा किये गए कागजात एवं सामानों का विवरण है को साबित कराया I
9. परिवादी के विद्वान् अधिवक्ता के तर्क को सुना परिवादी द्वारा दाखिल दस्तावेजों के गहन विचार के पूर्व इस फोरम द्वारा यह सुनिश्चित कर लेना आवश्यक है कि क्या शिकायतकर्ता एक उपभोक्ता है क्योँकि धारा 2(D)(1) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कोई भी मामला उपभोक्ता ही ला सकता है। यदि कोई व्यक्ति कोई वास्तु व्यपारिक उदेश्य के लिए लिया है तो उसको उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपचार पाने का अधिकारी नहीं है। इस मामले में शिकायतकर्ता ने अपने शिकायत पत्र में ही स्पष्ट कर दिया है कि उसने बेलोरो गाड़ी जिसका नंबर BR-06P-6437 ख़रीदा उक्त वाहन का निबंधन टैक्सी में हुआ था। उसको चालक चलाता था इन सब बातों को शिकायतकर्ता ने अपने परिवादी पत्र में स्वयं शिकायत किया है कि प्रश्नगत वाहन नंबर BR-06P-6437 टैक्सी में चल रहा था वह व्यपारिक प्रयोग में लाया जा रहा था। उसका टैक्सी में निबंधन भी था। ऐसी स्थिति में धारा 2(D)(1) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार शिकायतकर्ता उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है और उपभोक्ता संरक्षण के प्रावधानों के अनुसार शिकायत उपभोक्ता ही ला सकता है। ऐसी स्थिति में परिवादी के शिकायत को बिना खर्चा के ख़ारिज किया जाता है।