Final Order / Judgement | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - परिवादी ने इस परिवाद के माध्यम से परिवादीगण ने यह अनुरोध किया है कि उन्हें उनके पिता की मृत्यु के फलस्वरूप कृषक दुर्घटना बीमा की धनराशि अंकन 1,00,000/- 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित विपक्षीगण से दिलाई। वाद व्यय परिवादीगण ने अतिरिक्त मांगा हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादीगण के पिता श्री बेनीरम का कृषक दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत 1,00,000/- रूपया का बीमा था। दिनांक 02/09/2010 को स़ड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई जिसकी एफ0आई0आर0 थाना मूढ़ापाण्डे में दर्ज कराई गई। परिवादीगण ने समस्त औपचारिकताऐं पूरी करके विपक्षी सं0-2 के यहॉं बीमा दावा योजित किया जिसे स्वीकार करके चैक निर्गत करने हेतु विपक्षी सं0-1 को दिनांक 02/11/2010 को विपक्षी सं0-2 द्वारा प्रेषित कर दिया गया। बीमा दावे के साथ परिवादीगण ने चकबन्दी लेखपाल द्वारा तैयार हस्तलिखित खतौनी प्रस्तुत की क्योंकि परिवादीगण के गॉंव में चकबन्दी प्रक्रिया चल रही है और चकबन्दी के दौरान हस्तलिखित खतौनी ही मान्य है ऐसे राजस्व परिषद के आदेश हैं। विपक्षी सं0-1 ने परिवादीगण का दावा इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया कि दावे के साथ कम्प्यूटराइज्ड खतौनी नहीं लगाई गई है। परिवादीगण के अनुसार चकबन्दी कार्यवाही के दौरान कम्प्यूटराइज्ड खतौनी जारी नहीं हो सकती थी केवल हस्तलिखित खतौनी ही मान्य थी। विपक्षी सं0-1 ने परिवादीगण का दावा अस्वीकृत करके अनुचित कार्य किया और सेवा में कमी की। उक्त कथनों के आधार पर परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी सं0-1 ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/3 लगायत 3/4 प्रस्तुत किया। परिवाद के साथ परिवादीगण की ओर से विपक्षी सं0-2 को भिजवाऐ गऐ कानूनी नोटिस,सहायक भूलेख अधिकारी, मुरादाबाद की ओर से प्राप्त जबाव, अपर जिलाधिकारी, (प्रशासन) द्वारा विपक्षी सं0-1 के वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक को बीमा दावे का चैक निर्गत करने हेतु भेजे गऐ पत्र दिनांक 28/1/2015 तथा परिवादी सं0-1 के वोटर आई0डी0 कार्ड की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/5 लगायत 3/10 हैं।
- विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/3 दाखिल हुआ जिसमें परिवादीगण के पिता स्वर्गीय बेनाराम की मोटर दुर्घटना में मृत्यु होने, उसकी एफ0आई0आर0 दर्ज होने और तत्सम्बन्धी सूचना प्राप्त होना तो स्वीकार किया गया है, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया और कहा गया कि बीमा दावा सही आधार पर निरस्त किया गया। विशेष कथनों में कहा गया है कि परिवाद में मृतक बेनीराम के सभी उत्तराधिकारियों को पक्षकार नहीं बनाया गया है अत: परिवाद दूषित है, बीमा दावे के साथ परिवादीगण ने खतौनी की कम्प्यूटरीकृत कापी उपल्ब्ध नहीं कराई जबकि एम0ओ0यू0 के आधार पर खतौनी की कम्प्यूटरीकृत कापी बीमा दावे के साथ उपलब्ध करानी अनिवार्य थी। कम्प्यूटरीकृत खतौनी न होने के कारण परिवादीगण का बीमा दावा अस्वीकृत कर उसकी सूचना रजिस्टर्ड पत्र दिनांक 11/02/2011 द्वारा भेज दी गई थी। अग्रेत्तर यह भी कथन किया गया कि दुर्घटना जिसमें परिवादीगण के पिता की मृत्यु होना बताया गया है, वर्ष 2010 की है जबकि क्लेम 2015 में दायर किया गया। अत: यह टाइमवार्ड है, उक्त कथनों के आधार पर और यह अभिकथित करते हुऐ कि उत्तरदाता बीमा कम्पनी ने सेवा प्रदान करने में कोई त्रुटि नहीं की, परिवाद सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- विपक्षी सं0-2 की ओर से तहसीलदार श्री राजेश चन्द्र के शपथ पत्र से समर्थित प्रतिवाद पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/3 दाखिल हुआ जिसमें बेनीराम कृषक की मृत्यु होने, दुर्घटना की एफ0आई0आर0 दर्ज होने, मृतक के गांव रौण्डा में चकबन्दी प्रक्रिया जारी रहने तथा कम्प्यूटराइज्ड खतौनी बीमा दावे के साथ न लगी होने की वजह से बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावा अस्वीकृत कर किऐ जाने के तथ्य स्वीकार करते हुऐ विशेष कथनों में कहा गया है कि उत्तरदाता विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध परिवादीगण को कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ। विशेष कथनों में कहा गया है कि मृतक बेनीराम का कृषक बीमा दावा दिनांक 02/11/2010 को तैयार करके विपक्षी सं0-1 के वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक को भेजा गया था और परिवादीगण को चैक निर्गत करने का भी अनुरोध किया गया था, किन्तु विपक्षी सं0-1 ने दावे के साथ कम्प्यूटराइज्ड खतौनी न होने के आधार पर बीमा दावा अस्वीकृत कर दिया। विपक्षी सं0-2 की ओर से अग्रेत्तर कथन किया गया कि ग्राम रौण्डा में चॅूंकि चकबन्दी प्रक्रिया चल रही है अत: कम्प्यूटराइज्ड खतौनी जारी नहीं की जा सकती थी। विपक्षी सं0-2 की ओर से अग्रेत्तर यह कहते हुऐ कि विपक्षी सं0-1 ने परिवादी का दावा अस्वीकृत करके त्रुटि की है, परिवाद अपने विरूद्ध सव्यय निरस्त करने की प्रार्थना की।
- परिवादीगण की ओर से परिवादी सं0-1 तारा चन्द्र ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/2 प्रस्तुत किया।
- बीमा कम्पनी की ओर से कम्पनी के मण्डलीय प्रबन्धक श्री सुखवीर सिंह ने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-15/1 लगायत 15/3 दाखिल किया जिसके साथ उन्होंने विपक्षी सं0-2 को पंजीकृत डाक से दिनांक 11/02/2011 को प्रेषित क्लेम अस्वीकृति पत्र की फोटो प्रति को बतौर संलग्नक दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली का कागज सं0-15/4 है।
- विपक्षी सं0-2 की ओर से पृथक से साक्ष्य शपथ पत्र दाखिल नहीं हुआ उसकी ओर से प्रतिवाद पत्र में जो अभिकथन किऐ गऐ हैं वे तहसीलदार, मुरादाबाद के शपथ पत्र से समर्थित हैं।
- परिवादीगण तथा विपक्षी सं0-1 की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई। विपक्षी सं0-2 की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं की गई।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- इस बिन्दु पर पक्षकारों के मध्य कोई विवाद नहीं है कि परिवादीगण के पिता स्वर्गीय बेनीराम कृषक थे और कृषक दुघर्टना बीमा योजना में उनका 1,00,000/- रूपया का बीमा था। बीमा राशि का भुगतान विपक्षी सं0-1 द्वारा किया जाना था। बीमा दावा परिवादी सं0-1 ताराचन्द्र द्वारा प्रस्तुत किया गया। औपचारिकताऐं पूरी हो जाने के बाद विपक्षी सं0-2 की ओर से परिवादी सं0-1 के नाम बीमा राशि का चैक निर्गत किऐ जाने हेतु विपक्षी सं0-2 को पत्र दिनांक 2/11/2010 को प्रेषित कर दिया गया, किन्तु विपक्षी सं0-1 ने पत्र दिनांकित 11/2/2011 (पत्रावली का कागज सं0-15/4 ) द्वारा बीमा दावा अस्वीकृत कर दिया। आधार यह लिया गया कि बीमा दावे के साथ कम्प्यूटरीकृत खतौनी नहीं लगाई गई थी।
- विवाद मात्र इतना है कि क्या बीमा दावे के साथ कम्प्यूटरीकृत खतौनी न लगी होने के आधार पर विपक्षी द्वारा बीमा दावा अस्वीकृत किया जाना सही था अथवा नहीं। इस सन्दर्भ में जिलाधिकारी, मुरादाबाद की ओर से विपक्षी सं0-1 के मण्डलीय प्रबन्धक को लिखे गऐ पत्र दिनांकित 29/1/2015 (पत्रावली का कागज सं0-3/6) का अवलोकन किया जाना महत्वपूर्ण है। इस पत्र के माध्यम से बीमा कम्पनी के मण्डलीय प्रबन्धक को अवगत कराया गया कि गांव चॅूंकि चकबन्दी प्रक्रिया के अन्तर्गत है अत: कम्प्यूटरीकृत खतौनी उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। इस पत्र के माध्यम से वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक को यह भी सूचित किया गया कि वे मृतक श्री बेनीराम के कृषक दुर्घटना दावे का चैक परिवादी सं0-1 के नाम निर्गत कर दे। परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि पत्र के बावजूद बीमा कम्पनी ने बीमा दावे का भुगतान परिवादीगण को नहीं किया और ऐसा करके उन्होंने सेवा प्रदान करने में कमी की है।
- बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता ने बहस के दौरान कहा कि यदि आज भी परिवादीगण कम्प्यूटरीकृत खतौनी बीमा कम्पनी को उपलब्ध करा दें तो बीमा कम्पनी बीमा दावे का भुगतान कर देगी। प्रत्युत्तर में परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि अभी भी गांव में चकबन्दी प्रक्रिया चल रही है और राजस्व परिषद, उ0प्र0 के आदेश संख्या ई 4905/4’03ई/2010 दिनांक 26.08.2010 के अनुसार चकबन्दी क्रियाओं में चल रहे ग्रामों की हस्तलिखित खतौनी ही मान्य होगी, इनका कम्प्यूटरीकृत खतौनी जारी नहीं हो सकती ऐसी दशा में परिवादी पक्ष द्वारा बीमा दावे के साथ कम्प्यूटरीकृत खतौनी उपलब्ध कराया जाना सम्भव नहीं था और यह आज भी सम्भव नहीं है। मृतक श्री बेनीराम का गांव चॅूंकि चकबन्दी प्रक्रिया के अधीन है अत: इन परिस्थितियों में परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत बीमा दावा अस्वीकृत करके बीमा कम्पनी ने त्रुटि की और सेवा प्रदान करने में कमी की। बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवकता ने यह भी तर्क दिया कि परिवादीगण ने मृतक बेनीराम के सभी उत्तराधिकारियों को परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया अत: परिवाद आवश्यक पक्षकार न बनाऐ जाने के दोष से दूषित है। प्रत्युत्तर में परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि यह परिवाद सभी उत्ताधिकारियों ने दायर किया है अत: विपक्षी सं0-1 की ओर से आवश्यक पक्षकारों को पक्षकार न बनाऐ जाने विषयक उठााई गई आपत्ति निरर्थक है। बीमा कम्पनी यह इंगित करने में असमर्थ रही। मृतक बेनीराम के कौन से उत्ताधिकारी को परिवादीगण ने पक्षकार नहीं बनाया है। ऐसी दशा में विपक्षी सं0-1 की ओर से उठाया गया यह तर्क कि परिवाद आवश्यक पक्षकारों के असंयोजन से दूषित है, आधारहीन है।
- विपक्षी सं0-1 की ओर से अग्रेत्तर यह भी तर्क दिया गया कि परिवाद टाइमवार्ड है। इस सन्दर्भ में बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि बीमा दावा पत्र दिनांक 11/2/2011 द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया था जबकि यह परिवाद वर्ष 2015 में योजित हुआ, इस प्रकार परिवाद टाइमवार्ड है। परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता ने प्रतिवाद किया।
- परिवादीगण ने परिवाद के पैरा सं0-6 और पैरा सं0-7 में यह कथन किया है कि विपक्षी सं0-2 ने परिवादीगण को किसी कार्यवाही से अवगत नहीं कराया था जब परिवादीगण ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भेजा तो उसके उत्तर में विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 29/1/2015 को परिवादीगण को बताया कि उनका दावा बीमा कम्पनी ने कम्प्यूटराइज्ड खतौनी न लगी होने के कारण निरस्त कर दिया है। परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता ने उक्त तथ्यों को दोहराते हुऐ और विपक्षी सं0-2 की ओर से प्राप्त जबाब नोटिस कागज सं0-3/5 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ तर्क दिया कि जब परिवादीगण को दावा अस्वीकृत होने की सर्वप्रथम जानकारी विपक्षी सं0-2 के पत्र कागज सं0-3/5 के माध्यम से दिनांक 29/1/2015 को हुई थी और इससे पूर्व उन्हें बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावा अस्वीकृत किऐ जाने की कोई जानकारी नहीं हुई तब परिवाद टाइमवार्ड नहीं कहा जा सकता। परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क में बल है।
- बीमा दावा अस्वीकृत किऐ जाने विषयक बीमा कम्पनी के पत्र दिनांकित 11/2/2011 की नकल पत्रावली का कागज सं0-15/4 है। यह पत्र विपक्षी सं0-2 को सम्बाधित है। इसकी कोई प्रति परिवादीगण को भेजा जाना प्रकट नहीं है। ऐसी दशा में यह माने जाने का कारण है कि बीमा दावा अस्वीकृत हो जाने की सर्वप्रथम जानकारी परिवादी को विपक्षी सं0-2 की ओर से परिवादीगण के अधिवक्ता को प्रेषित जबाव नोटिस दिनांकित 29/1/2015 के माध्यम से हुई थी। उक्त परिस्थितियों में परिवाद कालबाधित नहीं है।
- उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि विपक्षी सं0-1 ने मृतक बेनीराम को कृषक दुर्घटना बीमा दावा अस्वीकृत करके त्रुटि की। परिवादीगण को बीमा दावे की राशि 1,00,000/- (एक लाख रूपया) परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित विपक्षी सं0-1 से दिलाई जानी चाहिऐ। परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) तथा क्षतिपूर्ति की मद में एकमुश्त 5000/- (पाँच हजार रूपया) परिवादीगण को विपक्षी सं0-1 से अतिरिक्त दिलाया जाना भी हमारे मत में न्यायोचित होगा। तदानुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित मृतक बेनीराम की कृषक दुर्घटना बीमा दावे की राशि 1,00,000/- (एक लाख रूपया)) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादीगण के पक्ष में, विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। परिवादीगण विपक्षी सं0-1 से क्षतिपूर्ति की मद में एकमुश्त 5000/- (पांच हजार रूपया) और परिवाद व्यय की में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्त पाने के अधिकारी होगें। समस्त धनराशि की अदायगी इस आदेश की तिथि से दो माह के भीतर की जाये। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
19.09.2016 19.09.2016 19.09.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 19.09.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
19.09.2016 19.09.2016 19.09.2016 | |