दायरे का दिनांक: 08.04.2013
दर्ज किये जाने का दिनांक: 10.04.2013
निर्णय का दिनांक: 21.04.2017
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-।।, मुरादाबाद।
उपस्थित:-
- श्री पवन कुमार जैन .............. अध्यक्ष।
- श्रीमती मंजू श्रीवास्तव ...... सामान्य सदस्य।
परिवाद संख्या- 56/ 2013
सुरेश कुमार सिंह सैनी आयु 48 वर्ष पुत्र स्व0 मनोहर सिंह सैनी नि0 हरथला सोनकपुर कांठ रोड थाना सिविल लाइन्स, मुरादाबाद....परिवादी।
बनाम
दि ओरियन्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड मण्डलीय कार्यालय मुरादाबाद द्वारा इसके वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक। ........विपक्षी।
निर्णय
द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष
- इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षी से उसे चोरी गई मोटर साईकिल की कीमत अंकन 57283/- रूपया 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलाई जाऐं। क्षतिपूर्ति की मद में 20000/-रूपया और परिवाद व्यय परिवादी ने अतिरिक्त मांगा है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी मोटर साईकिल सं0-यू0पी0 21 ए0ए0-9330 का पंजीकृत स्वामी है। दिनांक 18/6/2009 से 17/6/2010 तक की अवधि हेतु यह मोटर साईकिल विपक्षी से बीमित थी। दिनांक 26/5/2010 की रात 9.00 बजे परिवादी की यह मोटर साईकिल थाना कोतवाली, मुरादाबाद के क्षेत्र में चोरी हो गई जिसकी परिवादी ने थाना कोतवाली में एफ0आई0आर0 दर्ज कराई। पुलिस ने विवेचना के बाद फाइनल रिपोर्ट लगा दी कि मोटर साईकिल अथवा अभियुक्त का पता नहीं चला। मोटर साईकिल का क्लेम पाने हेतु विपक्षी के समक्ष परिवादी ने क्लेम प्रस्तुत किया और समस्त औपचारिकताऐं पूरी की, किन्तु अनेकों चक्कर लगाने के बाद भी विपक्षी ने परिवादी का क्लेम स्वीकृत नहीं किया और न ही परिवादी को संतोषजनक उत्तर दिया जा रहा है। विपक्षी के यह कृत्य सेवा में कमी हैं। उक्त कथनों के आधार पर परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/5 दाखिल किया। सूची कागज सं0-3/6 के माध्यम से परिवादी ने मोटर साईकिल की टेम्प्रेरी आर0 सी0, बीमा कवरनोट, एफ0 आई0
- , परिवादी द्वारा विपक्षी को सम्बोधित पत्र दिनांक 11/5/2011, विपक्षी को दी गई चोरी की सूचना, क्लेम फार्म, न्यायालय से फाइनल रिपोर्ट स्वीकृत किऐ जाने के आदेश तथा फाइनल रिपोर्ट की नकल को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/7 लगायत 3/18 हैं।
- विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/4 दाखिल हुआ जिसमें परिवाद में उल्लिखित मोटर साईकिल का बीमा विपक्षी द्वारा किया जाना तथा कथित चोरी की सूचना विपक्षी को दिऐ जाने से इन्कार किया गया और साथ ही साथ यह भी कहा गया कि परिवादी ने कोई बीमा दावा विपक्षी के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया। विशेष कथनों में कहा गया कि परिवादी द्वारा दाखिल कवरनोट फर्जी है और परिवादी ने अभिकथित रूप से दिनांक 11/5/2011 को बीमा से सम्बन्धित कोई प्रपत्र बीमा कम्पनी में उपलब्ध नहीं कराऐ, परिवादी ने बीमा कम्पनी को अभिकथित चोरी की सूचना घटना के एक सप्ताह से अधिक समय के बाद दी और इस प्रकार बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया। परिवादी ने मोटर साईकिल को सड़क पर असुरक्षित छोड़ा और ऐसा करके भी परिवादी ने बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया। अतिरिक्त यह कहते हुऐ कि परिवाद टाइमवार्ड है, परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- प्रत्युत्तर में परिवादी ने रप्लीकेशन कागज सं0-9/1 लगायत 9/5 दाखिल किया जिसमें उसने विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र में किऐ गऐ कथनों का प्रतिवाद करते हुऐ अपने परिवाद कथनों को दोहराया और अग्रेत्तर कथन किया कि विपक्षी के यह कथन मिथ्या हैं कि परिवादी ने क्लेम फार्म तथा अन्य सम्बन्धित प्रपत्र बीमा कम्पनी में प्रस्तुत न किऐ हों और प्राप्ति रसीद फर्जी हो। परिवादी का यह भी कथन है कि परिवाद टाइमवार्ड नहीं है उसने विपक्षी के अभिकर्ता श्री सुनील मिश्र को चोरी के 48 घण्टे के भीतर टेलीफोन पर सूचना दे दी थी उसके बाद परिवादी आवश्यक कार्य से बाहर चला गया और लौटने के बाद उसने दिनांक 3/6/2010 को लिखित सूचना विपक्षी के कार्यालय में दे दी थी। इस प्रकार परिवादी ने बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के सन्दर्भ में परिवादी ने कहा कि उसने चोरी की लिखित सूचना घटना के तत्काल बाद थाने में दे दी थी, किन्तु पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने में स्वयं देरी की और प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 29/5/2010 को दर्ज की इस देरी के लिए परिवादी को उत्तरदाई नहीं ठहराया जा सकता। परिवादी ने उक्त कथनों के आधार पर परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवादी ने सूची कागज सं0-10 के माध्यम से प्रश्नगत मोटर साईकिल का स्थाई रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट,बीमा कवरनोट, रिप्यूडिऐशन लेटर तथा विपक्षी को क्लेम स्वीकार करने हेतु सम्बोधित पत्र तथा डाकखाने की रसीद को मूल रूप में दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-11 लगायत 15 है।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-16/1 लगायत 16/6 दाखिल किया। विपक्षी की ओर से बीमा कम्पनी के डिप्टी मैनेजर श्री सुखवीर सिंह का साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-17/1 लगायत 17/4 दाखिल हुआ।
- बीमा कम्पनी ने सूची कागज सं0-20 के माध्यम से बीमा पालिसी की प्रमाणित प्रति कागज सं0-20/2 लगायत 20/6 दाखिल की।
- परिवादी ने प्रश्नगत मोटर साईकिल की आर0सी0 और बीमा पालिसी में नाम संशोधन सम्बन्धी एन्डोर्समेंट शिडयूल दिनांक 20/7/2010 की कापी दाखिल की।
- किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य सामग्री को इंगित किया और तर्क दिया कि समस्त औपचारिकताऐं पूरी करने के बाद भी विपक्षी ने दुर्भावनावश मोटर साईकिल का दावा खारिज किया है। उनका यह भी कथन है कि चोरी की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने और बीमा कम्पनी को सूचना देने में परिवादी ने कोई विलम्ब नहीं किया उसने क्लेम फार्म भरकर और अपेक्षित औपचारिकताऐं पूरी की, किन्तु क्लेम विपक्षी ने अस्वीकार किया, जो त्रुटिपूण है। परिवादी की ओर से परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की गई। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी द्वारा दाखिल बीमा कवरनोट कागज सं0-12 फर्जी है। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने में और बीमा कम्पनी को सूचना देने में परिवादी ने विलम्ब किया। उनका यह भी कथन है कि कथित चोरी की दिनांक अर्थात् 26/5/2010 को परिवादी प्रश्नगत मोटर साईकिल का पंजीकृत स्वामी नहीं था। इन परिस्थितियों में परिवादी का क्लेम रिप्यूडिऐशन दिनांक 3/6/2010 द्वारा खारिज करके विपक्षीगण ने कोई त्रुटि नहीं की।
- बीमा कवरनोट फर्जी होने का आधार विपक्षी की ओर से यह लिया गया है कि कवरनोट कागज सं0-12 के आधार पर जो बीमा पालिसी कागज सं0-20/2 लगायत 20/6 विपक्षी ने जारी थी वह किसी अन्य व्यक्ति के नाम थी। विपक्षी की ओर से किया गया यह कथन कि परिवादी ने फर्जी कवरनोट दाखिल किया है, प्रमाणित नहीं होता। यह सही है कि बीमा कवरनोट कागज सं0-12 परिवादी के नाम काटा गया है और इसके आधार पर जारी बीमा पालिसी में बीमित का नाम रामचन्दर अंकित है, किन्तु एन्डोर्समेंट शिडयूल की नकल कागज सं0- 21/5 के अवलोकन से प्रकट है कि बीमा पालिसी में बीमित का नाम और पता दर्ज करने में जो गलती हुई थी वह स्वयं बीमा कम्पनी के स्तर से हुई और इसी कारण एन्डोर्समेंट शिडयूल कागज सं0-21/5 के माध्यम से बीमा कम्पनी द्वारा बीमा पालिसी में बीमित का नाम संशोधित कर परिवादी का नाम और उसका पता दर्ज किया है।
- परिवादी के अनुसार उसकी मोटर साईकिल दिनांक 26/5/2010 को चोरी हुई थी एफ0आई0आर0 की नकल पत्रावली का कागज सं0-3/10 है। यह एफ0आई0आर0 थाने पर दिनांक 29/5/2010 को दर्ज हुई एफ0आई0आर0 की इबारत पढ़ने से स्पष्ट है कि परिवादी ने चोरी की लिखित रिपोर्ट थाने पर दिनांक 28/5/2010 को अर्थात् कथित चोरी के 48 घण्टे के भीतर दे दी थी। रिपोर्ट दर्ज करने में जो विलम्ब है वह पुलिस के स्तर से है इस देरी के लिए परिवादी को उत्तरदाई नहीं ठहराया जा सकता।
- पत्रावली में अवस्थित कागज सं0-3/12 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी द्वारा मोटर साईकिल चोरी की लिखित सूचना विपक्षी को दिनांक 3/6/2010 को दी गई। इस प्रकार लिखित सूचना कथित चोरी के 8 वें दिन बीमा कम्पनी को दिया जाना प्रकट है। परिवादी ने यधपि अपने रेप्लीकेशन के पैरा सं0-13 में यह कहा है कि चोरी की सूचना उसने बीमा कम्पनी के अभिकर्ता श्री सुनील मिश्र को चोरी के 48 घण्टे के भीतर दे दी थी, किन्तु इस कथन का उसने कोई प्रमाण दाखिल नहीं किया। परिवादी ने यह तो कहा है कि श्री सुनील मिश्रा को टेलीफोन पर चोरी की सूचना देने के बाद वह आवश्यक काम से बाहर चला गया था जिस कारण वह बीमा कम्पनी को वह बीमा कम्पनी को लिखित सूचना नहीं दे सका और बाहर से लौटने के बाद उसने बीमा कम्पनी को लिखित सूचना दी, किन्तु परिवादी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उसे कौन सा आवश्यक कार्य था और वह शहर से बाहर कब गया और कब लौटा। इन तथ्यों को परिवादी द्वारा स्पष्ट न किऐ जाने की वजह से यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि बीमा कम्पनी को सूचना देने में हुई लगभग 8 दिन की देरी क्या परिस्थितिजन्य थी और इस देरी में परिवादी का कोई दोष नहीं था। बीमा कम्पनी की शर्ते जो पत्रावली के कागज सं0-20/3 पर दृष्टव्य हैं, के अनुसार परिवादी से अपेक्षित था कि वह चोरी के 48 घण्टे के भीतर बीमा कम्पनी को चोरी की सूचना देता किन्तु ऐसा नहीं किया गया।
- विपक्षी की ओर से यधपि यह कहा गया कि अभिकथित चोरी की तिथि पर परिवादी मोटर साईकिल का पंजीकृत नहीं स्वामी था, किन्तु विपक्षी का उक्त तर्क आधारहीन है। परिवादी द्वारा दाखिल मोटर साईकिल की आर0सी0 की नकल कागज सं0-21/4 के अवलोकन से प्रकट है कि यह मोटर साईकिल परिवादी के नाम दिनांक 18 जुलाई, 2009 से पंजीकृत थी। कहने का आशय यह है कि चोरी की तिथि को परिवादी मोटर साईकिल का पंजीकृत स्वामी था।
- उपरोक्त विवेचना से प्रमाणित है कि बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार परिवादी को मोटर साईकिल चोरी की लिखित सूचना बीमा कम्पनी को यधपि चोरी के 48 घण्टे के भीतर दे देनी चाहिए थी, किन्तु लिखित सूचना उसने कथित चोरी के 8 वें दिन बीमा कम्पनी को दी और ऐसा करके पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया, इस आधार पर बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लेम अस्वीकृत करके कोई त्रुटि नहीं की। तदानुसार परिवाद खारिज होने योग्य है।
-
परिवाद खारिज किया जाता है।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव ) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
21.04.2017 21.04.2017
हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 21.04.2017 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
21.04.2017 21.04.2017
न्यायालय जिला उपभोक्ता फोर-।।, मुरादाबाद।
सुरेश कुमार सिंह बनाम ओरियन्टल इंश्योरेंस कं0 लि0
परिवाद संख्या- 56/2013
21-04 -2017 निर्णय घोषित किया गया। आदेश हुआ कि ‘’ परिवाद खारिज किया जाता है। ‘’
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव ) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
21.04.2017 21.04.2017