Shri Sachin Kumar Sharma filed a consumer case on 13 Apr 2018 against The Oriental Insurance Company Ltd. in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/41/2012 and the judgment uploaded on 01 May 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/41/2012
Shri Sachin Kumar Sharma - Complainant(s)
Versus
The Oriental Insurance Company Ltd. - Opp.Party(s)
13 Apr 2018
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या- 41/2012
सचिन कुमार शर्मा पुत्र श्री जी.पी. शर्मा निवासी चन्द्र नगर प्रिंस कालोनी सिंह मंडप के सामने मुरादाबाद। परिवादी
बनाम
दि ओरियन्टल इंश्योरेंस कंपनी लि. द्वारा मण्डलीय प्रबन्धक, मण्डलीय कार्यालय पं. शंकर दत्त शर्मा मार्ग सिविल लाइन्स मुरादाबाद। विपक्षी
वाद दायरा तिथि: 22-02-2012 निर्णय तिथि: 13.04.2018
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षी से उसे चोरी गई मोटर साईकिल की बीमा राशि अंकन-32000/-रूपये 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलायी जाये। परिवाद व्यय की मद में अंकन-25,000/-रूपये परिवादी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी मोटर साईंकिल पंजीयन सं.-यूपी-21एक्स-0059 का स्वामी था। यह मोटर साईकिल दिनांक 14-6-2010 से 13-6-2011 तक की अवधि हेतु विपक्षी से बीमित थी, बीमा राशि अंकन-32000/-रूपये थी। बीमा अवधि में दिनांक 04-8-2010 को परिवादी की उक्त मोटर साईकिल चोरी हो गई, चोरी की रिपोर्ट परिवादी ने थाना गलशहीद मुरादाबाद में दर्ज करायी और दिनांक 17-8-2010 को चोरी की सूचना विपक्षी को दी। दिनांक 18-8-2010 को विपक्षी ने परिवादी का बीमा दावा इस आधार पर खारिज कर दिया कि चोरी की सूचना विपक्षी को देर से दी गई। परिवादी के अनुसार चोरी के इस मामले में पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगा दी, जो न्यायालय से दिनांक 20-5-2011 को स्वीकार हो चुकी है। परिवादी ने यह कहते हुए कि उसका बीमा दावा गलत तरीके से खारिज किया गया है, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथपत्र कागज सं.-3/4 दाखिल किया, उसने सूची कागज सं.-3/7 के माध्यम से बीमा सर्टिफिकेट, मोटर साईकिल की आर.सी., रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 25-12-2011, थाना गलशहीद में चोरी के संबंध में दी गई तहरीरी रिपोर्ट की नकल, बीमा कंपनी को चोरी की सूचना दिये जाने संबंधी प्रार्थना पत्र, परिवादी का क्लेम अस्वीकृत किये जाने संबंधी विपक्षी बीमा कंपनी का पत्र दिनांकित 18-8-2010, सूचना में हुई देरी का स्पष्टीकरण देते हुए परिवादी द्वारा बीमा कंपनी के मण्डलीय अधिकारियों को भेजे गये पत्र दिनांकित 30-11-2010, एफ.आई.आर., न्यायालय द्वारा फाईनल रिपोर्ट स्वीकार किये जाने संबंधी आदेश तथा पुलिस द्वारा प्रेषित की गई फाईनल रिपोर्ट की नकलों को दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/8 लगायत 3/18 हैं।
विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-14/1 लगायत 14/3 दाखिल हुआ, जिसमें पालिसी की शर्तों व प्रतिबन्धों के अधीन परिवाद में उल्लिखित परिवादी की मोटर साईकिल का दिनांक 14-6-2010 से 13-6-2011 की अवधि हेतु बीमा किया जाना तो स्वीकार किया गया है किन्तु शेष परिवाद कथनों से इंकार किया गया है। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्तर कथन किया गया है कि परिवादी ने उत्तरदाता विपक्षी को मोटर साईकिल चोरी की सूचना 13 दिन बाद प्रेषित की और इस प्रकार पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया। उक्त कारणों से परिवादी का दावा उत्तरदाता विपक्षी ने अस्वीकार किया और ऐसा करके उसने कोई त्रुटि नहीं की। उक्त कथनों के आधार पर परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-26/1 लगायत 26/3 दाखिल किया, जिसके साथ परिवादी की ओर से मोटर साईकिल चोरी की सूचना प्राप्त होने संबंधी पत्र दिनांकित 17-8-2010, रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 25-12-2011 तथा बीमा सर्टिफिकेट की नकलों को बतौर संलग्नक दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-26/4 लगायत 26/8 हैं।
किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
दिनांक 10-4-2018 बहस हेतु नियत थी। उस दिन पक्षकारों की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ। हमने पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों तथा साक्ष्य सामग्री का अवलोकन किया।
परिवादी ने अपनी मोटर साईकिल दिनांक 04-8-2010 को चोरी होना बताया है। चोरी की घटना की पुष्टि प्रथम सूचना रिपोर्ट की नकल कागज सं.-3/16 से होती है। इस चोरी की सूचना परिवादी ने घटना के अगले दिन थाना गलशहीद पर दे दी थी। जैसा कि तहरीरी रिपोर्ट की प्राप्ति की नकल कागज सं.-3/12 से प्रकट है। एफआईआर की नकल पत्रावली का कागज सं.-3/16 है। रेपुडिएशन लेटर की नकल कागज सं.-3/11 के अनुसार बीमा कंपनी ने परिवादी का बीमा दावा इस आधार पर खारिज किया है कि उसने चोरी की सूचना बीमा कंपनी को घटना के 13 दिन बाद दी।
IV(2017) सीपीजे पृष्ठ-10(एससी), ओम प्रकाश बनाम रिलायन्स जनरल इंश्योरेंस कंपनी की निर्णयज विधि में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई व्यवस्था के अनुसार यदि चोरी अन्यथा प्रमाणित है तो देरी के आधार पर परिवादी का क्लेम अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय के पैरा-11 में यह संवीक्षण किया है कि वाहन चोरी के मामले में वाहन स्वामी से यह अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए कि वह अपने चोरी गये वाहन को तलाश करने के बजाय पहले सीधा जाकर बीमा कंपनी को सूचना दे, स्वाभाविक रूप से पहले वह अपने वाहन को तलाश करेगा। ओम प्रकाश की उक्त रूलिंग में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह व्यवस्था दी गई है कि-
“The condition regarding the delay shall not be a shelter to repudiate the insurance claims which have been otherwise proved to be genuine. It needs no emphasis that the Consumer Protection Act aims at providing better protection of the interest of consumers. It is a beneficial legislation that deserves liberal construction. This laudable object should not be forgotten while considering the claims made under the Act”.
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य सामग्री से यह भली-भॉति प्रमाणित है कि परिवादी की मोटर साईकिल दिनांक 04-8-2010 को चोरी हुई थी। बीमा कंपनी के रेपुडिएशन लेटर में भी इस बिन्दु पर ऐसा कोई विवाद नहीं उठाया गया है कि परिवादी की मोटर साईकिल चोरी नहीं हुई थी। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ओमप्रकाश की उपरोक्त निर्णयज विधि में दी गई व्यवस्था के अनुसार जब यह प्रमाणित है कि परिवादी की मोटर साईकिल चोरी हुई थी और चोरी के तत्काल बाद परिवादी ने मोटर साईकिल चोरी की सूचना थाने पर दर्ज करा दी थी तो मात्र इस आधार पर कि बीमा कंपनी को चोरी की सूचना देने में लगभग 13 दिन का विलम्ब हुआ है, परिवादी का दावा खारिज नहीं किया जाना चाहिए था।
उपरोक्त विवेचन के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि परिवादी का बीमा दावा अस्वीकृत करके विपक्षी बीमा कंपनी ने त्रुटि की है। विपक्षी से परिवादी को मोटर साईकिल की बीमा राशि अंकन-32,000/-रूपये परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक वसूली तक की तिथि की अवधि के लिए 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलायी जानी चाहिए। परिवाद व्यय की मद में परिवादी को अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त दिलाये जाने चाहिए। तद्नुसार परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
परिवाद सं.-41/2012
परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक वसूली तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अंकन-32,000(बत्तीस हजार) रूपये की वसूलीहेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में विपक्षी के विरूद्ध निर्णीत किया जाता है। विपक्षी से परिवादी परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त पाने का भी अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार धनराशि का भुगतान विपक्षी द्वारा परिवादी को दो माह में किया जाये।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
दिनांक: 13-04-2018
परिवाद संख्या-41/2012
निर्णय घोषित। आदेश हुआ कि परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक वसूली तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अंकन-32,000(बत्तीस हजार) रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में विपक्षी के विरूद्ध निर्णीत किया जाता है। विपक्षी से परिवादी परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त पाने का भी अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार धनराशि का भुगतान विपक्षी द्वारा परिवादी को दो माह में किया जाये।
, अध्यक्ष,
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