Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/83/2012

Shri Kamer Ali Khan - Complainant(s)

Versus

The Oriental Insurance Company Ltd. - Opp.Party(s)

09 Nov 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/83/2012
 
1. Shri Kamer Ali Khan
R/o Ward No 39 Moh. Barahdari Thana- Naagfani, Tehsil & District Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. The Oriental Insurance Company Ltd.
Divisional Manager Pandit Shankar Dutt Marg Civil line Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह अनुरोध किया है कि विपक्षीगण से उसे मोटर साईकिल की बीमा राशि 40,600/- रूपया 18  प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलाई जाये। क्षतिपूर्ति की मद में एक मुश्‍त 50,000/- रू0 तथा 10,000/- प्रतिमास और परिवाद वाद व्‍यय परिवादी ने अतिरिक्‍त मांगा है।
  2.  संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी मोटर साईकिल सं-यू0पी0 21 वी /6873 का पंजीकृत स्‍वामी है। परिवादी की यह मोटर साईकिल विपक्षीगण से दिनांक 07/3/2011 से 06/3/2012 की अवधि हेतु बीमित थी,पोलिसी नं0- 253500 /31/ 2011/ 12735 तथा बीमित राशि 40,600/- रूपया थी। दिनांक 14/9/2011 को सायंकाल लगभग साढ़े चार बजे परिवादी की यह मोटर साईकिल सिटी न्‍यूज चैनल, लाल मस्जिद स्थित आफिस से चोरी हो गई। चोरी की सूचना परिवादी ने तुरन्‍त पुलिस हेल्‍प लाइन नम्‍बर- 100 को दी। अगले दिन उसने विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में भी चोरी की लिखित सूचना दे दी। विपक्षी सं0-1 के कर्मचारी ने परिवादी से कहा कि चोरी की एफ0आई0आर0 और मोटर साईकिल के कागजात लेकर आना तब क्‍लेम की कार्यवाही की आगे बढ़ाई जायेगी। परिवादी ने चोरी की उक्‍त घटना की लिखित सूचना पंजीकृत डाक से दिनांक 13/10/2011 को विपक्षी सं0-1 को भेज  दी। परिवादी का अग्रेत्‍तर कथन है कि थाने पर चोरी की रिपोर्ट दिनांक 04/10/2011 को  दर्ज हुई। रिपोर्ट दर्ज होने के उपरान्‍त दिनांक 07/10/2011 को एफ0आई0आर0 की कापी और मोटर साईकिल के कागजात की प्रति परिवादी ने विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में प्राप्‍त करा दिये। परिवादी को आश्‍वस्‍त किया गया कि कार्यवाही पूरी करके क्‍लेम राशि का चैक उसके पते  पर भेज दिया जायेगा। क्‍लेम का चैक न मिलने पर परिवादी ने कई बार विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में सम्‍पर्क किया उसे यह बताया जाता रहा कि कार्यवाही चल रही है। दिनांक 23/12/2011 को परिवादी पुन: विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में गया तो परिवादी को एक पत्र दे दिया गया और कहा कि चोरी की सूचना देने में तुमने देर की थी इस बजह से तुम्‍हारा क्‍लेम अस्‍वीकृत कर दिया गया  है। परिवादी के अनुसार विपक्षी सं0-1 का यह कृत्‍य विधि विरूद्ध और मनमाना है। परिवादी ने आई0आर0डी0ए0 में भी शिकायत की, किन्‍तु उसे क्‍लेम बार-बार चक्‍कर काटने के बाद भी नहीं मिला। परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विपक्षीगण को नोटिस भिजवाया जो उन पर तामील हो गया। इसके बावजूद परिवादी को क्‍लेम की राशि नहीं दी गई। मजबूरन परिवादी ने यह परिवाद योजित किया उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार किेऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   परिवाद के साथ परिवादी ने विपक्षीगण को भेजे गऐ कानूनी नोटिस दिनांकित 29/3/2012, नोटिस भेजे जाने की डाकखाने की असल रसीदें, विपक्षी सं0-2 से प्राप्‍त ए0डी0, चोरी की एफ0आई0आर0, मोटर साईकिल की आर0सी0 बीमा कवरनोट, अपने ड्राईविंग लाईसेंस, बीमा अस्‍वीकृत किऐ जाने सम्‍बन्‍धी विपक्षी सं0-1 के पत्र दिनांक 23/12/2011, आई0आर0डी0ए0 को परिवादी द्वारा भेजी गई शिकायत दिनांक 09/1/2012 तथा विपक्षी सं0-1 के शाखाप्रबन्‍धक को प्रेषित पत्र दिनांक 30/1/2012 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया है, यह प्रपत्र कागज सं0-3/10 लगायत 3/17 हैं
  4.   विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-6/1 लगायत 6/3  दाखिल हुआ। प्रतिवाद पत्र में यह तो स्‍वीकार किया गया कि अभिकथित  चोरी की तिथि पर परिवादी की मोटर साईकिल सं0-यू0पी0 21 वी /6873 40,600/- रूपया हेतु विपक्षीगण से बीमित थी,  किन्‍तु  परिवाद के शेष कथनों से इन्‍कार किया गया। अतिरिक्‍त कथनों में कहा गया कि परिवादी ने अभिकथित चोरी की सूचना विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में दिनांक 13/10/2011 को दी। पुलिस में चोरी की रिपोर्ट लिखाऐ जाने में भी विलम्‍ब किया गया। परिवादी ने चॅूंकि पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया था अत: दिनांक 23/12/2011 के पत्र द्वारा परिवादी का  बीमा दावा विपक्षीगण ने अस्‍वीकृत कर दिया और ऐसा करके विपक्षीगण ने न तो सेवा में कमी की और न ही  कोई विधि विरूद्ध कार्य किया।
  5.   परिवादीने दिनांक 04/3/2014 को प्रार्थना पत्र कागज सं0-13 के माध्‍यम से मूल बीमा पालिसी (दो पृष्‍ठ) कागज सं0-14/1 व 14/2 दाखिल की। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपने प्रार्थना पत्र कागज सं0-17/1 के माध्‍यम से यह कहते हुऐ कि परिवादी द्वारा दिनांक04/3/2014 को अधूरी पालिसी दाखिल की, सूची सं0-18/1 के माध्‍यम से बीमा पालिसी की प्रति (तीन पृष्‍ठ) कागज सं0-18/2, 18/3 व 18/4  को दाखिल किया।
  6.   किसी भी पक्ष की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं की गई।
  7.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।  
  8.   इस बिन्‍दु पर कोई  विवाद नहीं हैं  कि मोटर साईकिल विपक्षी सं0-1  से 40,600/- रूपया हेतु दिनांक 07/03/2011 से 06/3/2012 तक की अवधि हेतु बीमित थी। मोटर साईकिल चोरी दिनांक 14/09/2011 को सायंकाल 4.30 बजे की बताई गई है। बीमा दवा  अस्‍वीकृत किऐ  जाने के पत्र की  फोटो प्रति पत्रावली का  कागज सं0-3/15 है, यह पत्र दिनांक 23/12/2011 का है। रिप्‍यूडिऐशन के इस पत्र के अवलोकन से  प्रकट है  कि परिवादी का  दावा इस आधार पर  अस्‍वीकृत किया गया  कि उसने चोरी की सूचना विपक्षी-बीमा कम्‍पनी  को  देने में लगभग एक  माह  का  विलम्‍ब  किया जबकि बीमा पालिसी की  शर्तों के  अनुसार बीमा कम्‍पनी  को चोरी की घटना के 48  घण्‍टे  के भीतर चोरी की सूचना दिया  जाना आवश्‍यक  था।
  9.   पत्रावली में अवस्थित प्रथम  सूचना रिपोर्ट  की नकल  कागज  सं0-3/10  के अवलोकन  से प्रकट  है  कि थाना कोतवाली  जिला मुरादाबाद   में  मोटर  साईकिल की रिपोर्ट  दिनांक 04/10/2011  को  दर्ज हुई।  प्रकट है  कि  प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने  में लगभग 20 दिन  का  विलम्‍ब  है। परिवादी के अनुसार उसने चोरी की  तुरन्‍त  सूचना 100  नम्‍बर  पर पुलिस को दे  दी  थी।  उसने अपने साक्ष्‍य  शपथ पत्र के  पैरा सं0-21  में यधपि यह  कथन  किया है  कि  दिनांक 14/9/2011 को  उसने थाना कोतवाली, मुरादाबाद जाकर अपनी मोटर साईकिल चोरी होने की  एफ0आई0आर0 दर्ज करने की गुहार लगाई थी तब जाकर दिनांक 04/10/2011 को  उसकी एफ0आई0आर0 पुलिस ने  दर्ज की,  किन्‍तु  पत्रावली पर  ऐसा  कोई  प्रमाण  उपलब्‍ध  नहीं है  जिससे प्रकट हो  कि चोरी होने की तिथि से  एफ0आई0आर0 दर्ज होने तक परिवादी लगातार पुलिस से  एफ0आई0आर0 दर्ज करने की गुहार लगाता रहा। उल्‍लेखनीय है  कि  यदि  परिवादी ने 100  नम्‍बर  पर चोरी की सूचना दे दी थी  और उसके अनुरोध पर  पुलिस वाले एफ0आई0आर0 दर्ज नहीं कर रहे थे तो अन्‍य  किसी संचार माध्‍यम  यथा  रजिस्‍टर्ड पत्र, ई-मेल आदि  द्वारा वह घटना की सूचना पुलिस के वरिष्‍ठ  अधिकारियों को भेज  सकता था,  किन्‍तु  परिवादी द्वारा ऐसा  किया  जाना प्रकट नहीं है।  ऐसी  दशा में  परिवादी का  यह कथन  स्‍वीकार किऐ  जाने योग्‍य  नहीं है  कि  प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने में  उसने विलम्‍ब  नहीं किया बल्कि विलम्‍ब  पुलिस के स्‍तर  से  हुआ। प्रकट  है  कि  परिवादी ने  पुलिस में  एफ0आई0आर0 दर्ज कराने में  लगभग 20  दिन  की देरी की।
  10.   विपक्षीगण के अनुसार चोरी की सर्वप्रथम सूचना विपक्षीगण को  परिवादी की ओर से  दिनांक  13/10/2011 को  प्राप्‍त  हुई। बीमा पालिसी की शर्तें जो  पत्रावली के कागज सं0-18/4  पर दृष्‍टव्‍य हैं, की ओर  हमारा ध्‍यान  आकर्षित करते हुऐ  विपक्षीगण के  विद्वान अधिवक्‍ता  ने  कहा  कि  परिवादी के  लिए  आवश्‍यक  था  कि  वह  चोरी के 48  घण्‍टे  के भीतर बीमा कम्‍पनी  को  चोरी  की  सूचना देता,  किन्‍तु  बीमा कम्‍पनी  को  सूचित करने  में  उसने लगभग एक  माह  का  विलम्‍ब  किया और  इस  विलम्‍ब  के आधार पर  विपक्षीगण ने  पत्र दिनांक 23/12/2011 के माध्‍यम  से  परिवादी का  बीमा दावा अस्‍वीकृत  कर  कोई  त्रुटि नहीं की।
  11.   प्रत्‍युत्‍तर   में  परिवादी के विद्वान  अधिवक्‍ता  द्वारा परिवादी के  साक्ष्‍य  शपथ  पत्र के पैरा सं0-5  और  पैरा सं0-6 की  ओर  हमारा ध्‍यान आकर्षित करते  हुऐ  कथन  किया  कि  चोरी  की  लिखित  सूचना  परिवादी  ने  चोरी  के अगले  दिन  अर्थात् 15/9/2011  को  विपक्षी  सं0-1 के कार्यालय में दे दी थी। परिवादी ने पुन: दिनांक 07/10/2011 को  एफ0आई0आर0 की प्रति  विपक्षी  सं0-1  के कार्यालय में  उपलब्‍ध  कराई  तथा  13/10/2011  को  पंजीकृत डाक  से  उसने पुन: विपक्षी सं0-1  को चोरी की  घटना की  लिखित सूचना दी  थी।  इन  तथ्‍यों  के आधार पर  परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता  ने  कहा  कि परिवादी ने  बीमा कम्‍पनी  को  चोरी की  सूचना देने  में  कोई  विलम्‍ब  नहीं किया। विपक्षीगण ने  परिवादी का  दावा विधि  विरूद्ध तरीके से  अस्‍वीकृत किया।
  12.   विपक्षीगण को  चोरी  की  सूचना  देने  में  हुए  कथित विलम्‍ब  के सन्‍दर्भ  में  परिवादी की ओर  से  प्रस्‍तुत  उपरोक्‍त तर्क से  हम  स‍हमत  नहीं हैं। परिवाद पत्र  के पैरा सं0-4  एवं  अपने साक्ष्‍य  शपथ  पत्र के  पैरा सं0-5  में  यधपि परिवादी ने  विशिष्‍ट  रूप  से  यह  कहा  है  कि  उसने  विपक्षी सं0-1 को  चोरी की  सूचना लिखित रूप से  चोरी  की  घटना के अगले दिन दे दी थी,  किन्‍तु  अपने इस कथन  के समर्थन में  परिवादी ने  कोई  अभिलेखीय प्रमाण प्रस्‍तुत  नहीं किया। दिनांक 07/10/2011 को  प्रथम सूचना रिपोर्ट की  प्रति विपक्षी सं0-1  के  कार्यालय  में  उपलब्‍ध  कराऐ जाने सम्‍बन्‍धी  अपने कथन  को  प्रमाणित करने के लिए भी  परिवादी ने  कोई  प्रमाण प्रस्‍तुत  नहीं किया। इन परिस्थितियों में  यह  माने जाने का कारण है  कि चोरी की घटना से अगले दिन  अथवा 07/10/2011 को  परिवादी ने  विपक्षी सं0-1  के कार्यालय में  चोरी की  सूचना नहीं दी।  पत्रावली पर  उपलब्‍ध  साक्ष्‍य  से यह  प्रकट हुआ  है  कि  परिवादी  की ओर से विपक्षीगण को चोरी की  सूचना सर्व प्रथम दिनांक 13/10/2011 को प्राप्‍त  हुई। इस  प्रकार विपक्षीगण को  सूचना देने  में  परिवादी के स्‍तर  से  लगभग एक  माह  का विलम्‍ब हुआ  है  जबकि बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार उसे  चोरी के 48  घण्‍टे  के भीतर विपक्षीगण को  सूचना दे दी जानी चाहिऐ। इस  प्रकार परिवादी ने  बीमा पालिसी की  शर्तों का उल्‍लंधन किया है।
  13.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता  ने  यह भी  तर्क दिया कि  पालिसी जारी करते समय  उसे  बीमा पालिसी की शर्तें उपलब्‍ध  नहीं कराई गई  थी।  उसने प्रार्थना पत्र कागज सं0-13  के माध्‍यम  से मूल  पालिसी के 2 पृष्‍ठ क्रमश: कागज सं0-14/1 व 14/2 पत्रावली में  दाखिल किऐ। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता  के  अनुसार परिवादी को  पालिसी जारी करते समय  केवल ये 2 पृष्‍ठ ही  बीमा कम्‍पनी  की ओर  से  उपलब्‍ध  कराऐ गऐ थे। बीमा कम्‍पनी  के  विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता  के  उक्‍त  कथनों का  प्रतिवाद किया, उन्‍होंने सूची कागज सं0-18/1  के माध्‍यम  से  दाखिल  बीमा पालिसी के  उन तीनों पृष्‍ठों  को  इंगित किया जो  बीमा कम्‍पनी की  ओर  से परिवादी  को  पालिसी जारी करते समय  उपलब्‍ध  कराऐ गऐ थे।  बीमा कम्‍पनी  के विद्वान अधिवक्‍ता  ने  जोर  देकर कहा  कि  बीमा पालिसी का पृष्‍ठ सं0-3 (पत्रावली का कागज सं018/14) भी परिवादी को  उपलब्‍ध  कराया गया  था,  किन्‍तु  परिवादी ने  जानबूझकर उस पृष्‍ठ को दाखिल नहीं किया।
  14.   परिवादी ने  अपने परिवाद कथनों  में  यह  कहीं नहीं कहा कि उसे पालिसी जारी करते समय बीमा पालिसी की शर्तें उपलब्‍ध  नहीं कराई गई  थी।  अपने साक्ष्‍य  शपथ  पत्र में  भी  परिवादी ने यह नहीं कहा  कि  बीमा पालिसी जारी करते समय  उसे  बीमा पालिसी की  शर्तें उपलब्‍ध  नहीं कराई गई  थी ऐसी दशा  में परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता परिवाद कथनों से इतर यह आपत्ति विधानत: नहीं उठा  सकते कि परिवादी को  बीमा पालिसी की  शर्तें बीमा पालिसी जारी करते समय  उपलब्‍ध  नहीं कराई गई  थी।
  15.   पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य,  तथ्‍यों  एवं  परिस्थितियों के समग्र विषलेषण के आधार पर  हम  इस निष्‍कर्ष पर  पहुँचे हैं  कि मोटर साईकिल चोरी की  सूचना पुलिस को  देने में परिवादी द्वारा लगभग 20  दिन  का और विपक्षी को  सूचना देने में  लगभग एक  माह  का विलम्‍ब  किया गया। इस  प्रकार परिवादी ने  बीमा पालिसी  की शर्तों का उल्‍लंघन किया, जिस कारण उसका बीमा दावा अस्‍वीकृत करके विपक्षीगण ने  कोई  त्रुटि नहीं की। परिवादी का परिवाद अस्‍वीकार होने योग्‍य  है।

परिवाद खारिज किया जाता है।

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य            अध्‍यक्ष

  •    0उ0फो0-।। मुरादाबाद   जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     09.11.2015              09.11.2015     09.11.2015

 

 

   हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 09.11.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

 

   (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य            अध्‍यक्ष

  •    0उ0फो0-।। मुरादाबाद   जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     09.11.2015              09.11.2015     09.11.2015

 

 

 

 

 

 

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