प्रस्तुत परिवाद पत्र परिवादनी प्रभावती देवी द्वारा विपक्षीगण वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक दि ओरियन्टल इंष्योरेंस कं0 लि0 तथा जिलाधिकारी महोदय, बहराइच के विरूद्ध विपक्षी सं01 से दुर्घटना बीमा की धनराषि मय ब्याज दिलाये जाने हेतु दायर किया गया हैं।
परिवाद पत्र में परिवादनी का कथन संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति स्व0 कन्हैया बक्ष सिंह एक कृषक थे। जिनकी मृत्यु आकस्मिक दुर्घटना से दिनांक 29.06.10 को जिला चिकित्यालय बहराइच में हुई थी। परिवादनी ने उ0 प्र0 सरकार द्वारा संचालित योजना कृषक दुर्घटना योजना बीमा के लिये विपक्षी सं02 के यहां आवेदन किया जिसमें सरकार द्वारा कृषकों की आकस्मिक मृत्यु पर मु0 एक लाख रू0 देय था। परिवादनी ने विपक्षी सं02 के द्वारा मांगे गये समस्त औपचारिकताओं को पूरा किया और वो लगातार विपक्षी सं02 से सम्पर्क करती रही। परिवादनी द्वारा अपने बीमा क्लेम के संबध में विपक्षी सं0 2 से सम्पर्क करने पर उसे जानकारी प्राप्त हुई कि कम्प्यूट्ीकृत खतौनी के अभाव में दावा निरस्त कर दिया गया हैं। परिवादनी के गांव में चकबन्दी प्रक्रिया चल रही हैं। चकबन्दी द्वारा प्राप्त खतौनी उसमें संलग्न की गई थी। जब तक चकबन्दी प्रक्रिया चलती रहीं तब तक कम्प्यूट्ीकृत खतौनी नहीं मिल सकती हैं। परिवादनी के पति एक कृषक थे और उनकी मृत्यु दुर्घटना से हुई थी इसलिये परिवादनी इस योजना का लाभ पाने का अधिकारिणी हैं।
विपक्षी सं01 ने अपने वादोत्तर में परिवादनी के कथनों से इन्कार करते हुये कहा हैं कि परिवादनी द्वारा बीमे से सम्बन्धित कोई भी विवरण उसने दाखिल नहीं किया हैं और न ही उसका उल्लेख अपने परिवाद पत्र में किया है। बीमा कंपनी को विपक्षी सं0 दि0 27.08.10 के पत्र के माध्यम से परिवादनी द्वारा दाखिल अपने पति की मृत्यु के संबध में प्रपत्र प्राप्त हुये थे। बीमा कंपनी को परिवादी द्वारा भेजे गये प्रपत्र की निष्पक्ष रूप से जांच करने के उपरान्त यह पाया गया कि दावे के साथ कम्प्यूट्ीराइज्ड खतौनी दाखिल किया जाना आवष्यक हैं। कम्प्यूट्ीराइज्ड खतौनी एक आवष्यक प्रपत्र हैं। जिसका दावे के अन्य प्रपत्रों के साथ होना अतिआवष्यक हैं। दावा निरस्त करने की सूचना दि0 04.02.11 को समयानुसार विपक्षी सं01 को भेज दी गई । बीमा कंपनी किसी प्रकार की बीमा धनराषि निर्वहन करने की उत्तरदायी नहीं हैं ‘‘क्योंकि कि परिवादी तथा विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा राज्य सरकार एवं ओरियन्टल इंन्षोरेन्स कंपनी लि0 के मध्य हुई संविदा की धारा 19 की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है ‘‘ परिवादनी का परिवाद समय सीमा के बाहर हैं तथा दोषपूर्ण हैं। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा परिवादनी का दावा नियमानुसार निरस्त किया जाना चाहिये।
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विपक्षी सं02 ने अपने वादोत्तर में परिवादनी के कथनों से इन्कार करते हुये कहा हैं कि परिवादनी के पति की मृत्यु मोटर साइकिल दुर्घटना में दिनांक 29.08.10 को हुई थी। परिवादनी को उ0 प्र0 सरकार द्वारा संचालित खातेदार/सह खातेदार कृषक
दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत लाभ दिलाये जाने हेतु पत्रावली आवष्यक प्रप्रत्रों के साथ बीमा कंपनी केा प्रेषित की गई थी। उक्त दावे में प्रतिलिपि खतौनी ग्राम के चकबन्दी प्रक्रिया में होने के कारण हस्तलिखित संलग्न की गई थी। चकबन्दी/अभिलेख प्रक्रिया के अन्तर्गत राजस्व ग्रामों की सूचना प्रेषित किये जाने के बावजूद किसी भी दावे को स्वीकृत नहीं किया गया हैं,वरन् बीमा कंपनी पत्र के माध्यम से दावे को यह उल्लिखित करते हुये कि अनुबन्ध के अनुसार दस्तावेज/कम्प्यूटरीकृत खतौनी की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई हैं अतः दावा निरस्त किया जाता हैं। जिसके सम्बन्ध में पुनः बीमा कंपनी से पत्राचार किया गया जिसका उत्तर अप्राप्त हैं। उपरोक्तानुसार दावे के निस्तारण में किसी प्रकार की षिथिलता नहीं बरती गई हैं बल्कि बीमा कंपनी द्वारा दावे को निरस्त करते हुये दावा की धनराषि भुगतान नहीं की गई हैं।
परिवादनी द्वारा अपने कथन के समर्थन में अपना स्वयं का षपथ पत्र तथा कुछ अभिलेखों की छाया प्रतियां दाखिल की गई ।
विपक्षी सं0 1 के ओर से श्री वी0के0श्रीवास्तव का षपथ पत्र एवं कुछ अभिलेख दाखिल किये गये हैं। इन अभिलेखों का यथा स्थान वर्णन किया जायेगा।
हमने उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्ता के तर्क सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवादनी के कथनानुसार उसके पति स्व0 कन्हैया बक्ष सिंह एक कृषक थे, और उनकी दुर्घटना में दिनांक 29.06.10 को मृत्यु हो गई थी। परिवादी द्वारा विपक्षी सं02 के माध्यम से कृषकांे की आकस्मिक मृत्यु पर एक लाख रूपये बीमे हेतु आवेदन किया गया जिसे बीमा कंपनी द्वारा नकार दिया गया। जहां तक परिवादनी के पति स्व0 कन्हैया बक्ष सिंह के कृषक होने एवं दुर्घटना में उनकी मृत्यु होने का तथ्य हैं इस तथ्य को विपक्षीगण द्वारा अस्वीकार नहीं किया गया विपक्षी बीमा कंपनी ने मुख्य रूप से दो ही आपत्तियां अपने वादोत्तर में लगाई है। वादोत्तर की धारा 15 में विपक्षी बीमा कंपनी का कथन है कि परिवादी द्वारा संविदा की धारा 19 का पालन नहीं किया गया संविदा की धारा 19 का अवलोकन करने पर ज्ञात होता हैं कि इसमें विवाद की स्थिति में जिला मजिस्ट्ेट, ओ0इं0कं0लि0 तथा मुख्य चिकित्साधिकारी की कमेटी सुलझायेगी और उस कमेटी का निर्णय बीमा कंपनी पर बाध्यकारी प्रभाव रखेगा। परन्तु यदि परिवादनी ने ऐसी किसी भी विवाद हेतु जिलाधिकारी को नहीं लिखा ओर ऐसी कमेटी का गठन नहीं हुआ तो भी उससे यह नहीं कहा जा सकता कि परिवादनी उपभोक्ता संरक्षण विधि के प्राविधानों का आश्रय नहीं प्राप्त कर सकती हेैं । परिवादनी को यह पूर्ण अधिकार है कि यदि उसके पति की मृत्यु दुर्घटना में हुई है और उसके पति मृत्यु के समय कृषक थे तो उस धनराषि को प्राप्त कर सके। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा अपने वादोत्तर में यह भी आपत्ति की गई हैं कि परिवादनी ने दावे के साथ कम्प्यूट्ीराइज्ड खतौनी संलग्न नहीं किया हैं। इस संबध में परिवादनी द्वारा अपने परिवाद पत्र की धारा 6 में स्पष्ट रूप से कहा गया कि गांव में चकबन्दी प्रक्रिया चलने के कारण खतौनी उपलब्ध नहीं हो रही थी यह सत्य हैं कि जब किसी गांव में चकबन्दी प्रक्रिया चलती हैं उस समय खतौनी विभाग द्वारा जारी नहीं की जाती हैं। परिवादनी द्वारा खतौनी इस मंच में दाखिल की गई है। जिससे स्व कन्हैया सिंह का कृषक होना सिद्ध होता हेै, विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा परिवादनी का दावा केवल खतौनी
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न होने के कारण निरस्त कर दिया जाना निष्चित रूप से सेवाओं में कमी हैं। परिवादनी का परिवाद पत्र स्वीकार किये जाने योग्य हैं।
आदेश
परिवादनी का परिवाद विपक्षी सं01 वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक दि ओरियन्टल इंष्योरेंस के विरूद्ध स्वीकार किया जाता हैं तथा विपक्षी सं01 को निर्देष दिया जाता हैं कि वह निर्णय के 45 दिवस के अन्दर परिवादनी को बीमे की धनराषि एक लाख रूपये तथा उस पर परिवाद दायर करने की तिथि से 9ः साधारण ब्याज के साथ अदा करे। परिवादी 10000/रू0 मानसिक एवं षारीरिक कष्ट तथा 1000/रू0 वाद-व्यय भी पाने की अधिकारी होगी। परिवादनी का परिवाद विपक्षी सं02 के विरूद्ध खारिज किया जाता है।