View 15990 Cases Against The Oriental Insurance
View 26856 Cases Against Oriental Insurance
View 7937 Cases Against Oriental Insurance Company
Budhiprakash meena filed a consumer case on 06 Jan 2016 against The Oriental Insurance company ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/165/2008 and the judgment uploaded on 08 Jan 2016.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।
प्रकरण संख्या-165/2008
1 बुद्धिप्रकाष पुत्र श्री हीरालाल मीणा,
2 केदार पुत्र श्री हीरा लाल मीणा,
3 रामकरण पुत्र श्री हीरा लाल मीणा,निवासीगण-ग्राम लुहावद तहसील पीपल्दा जिला (राज0)।
-परिवादीगण।
बनाम
प्रबन्धक, दी ओरिएण्टल इंष्योरेंस कम्पनी लि0 ब्ठव्ण्स्प्ब् बिल्डिंग,छावनी चैराहा, कोटा (राज0)।
-विपक्षी।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री मंगलेष त्रिपाठी,अधिवक्ता ओर से परिवादीगण।
2 श्री सुरेष माथुर,अधिवक्ता ओर से विपक्षी।
निर्णय दिनांक 06.01.2016
यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच झालावाड केम्प कोटा को प्राप्त हुई है।
प्रस्तुत परिवाद ब्च् ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 26-09-2007 को परिवादीगण ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि उन्होंने संयुक्त रूप से एक महिन्द्रा बोलेरो क्प् जीप जिसका रजिस्टेªषन नंबर त्श्र20ध्न्।ध्0370 है, के पंजीकृत स्वामी हैं। परिवादीगण ने विपक्षी से बीमा करवाया था जिसका पाॅलिसी नंबर 378531 है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने प्रीमियम राषि प्राप्त करके दिनांक 16-02-2006 से 15-02-2007 तक की अवधि के लिए प्रथम श्रेणी बीमा किया था। परिवादीगण की बीमित जीप दिनांक 12-05-2006 को दुर्घटनाग्रस्त हो गई
2
जिसकी सूचना विपक्षी को दी गई। उसके बाद भी विपक्षी ने वाहन का सर्वेयर से मुआयना नहीं करवाया। परिवादीगण ने दिनांक 06-10-2006 को संपर्क किया तथा विपक्षी ने दावा फार्म व अन्य कागजात परिवादीगण से प्राप्त कर लिये। परिवादीगण ने वाहन की मरम्मत एवरग्रीन मोटर्स से करवायी जिसमें दो लाख रूपये का खर्चा आया। विपक्षी बीमा कम्पनी ने दावा राषि देने से इन्कार कर दिया। तत्पष्चात् परिवादीगण ने विपक्षी को जरिये अधिवक्ता विधिक नोटिस दिनांक 16-07-2007 को दिलाया और नोटिस का जवाब भेजकर दावा राषि देने से इन्कार कर दिया है। विपक्षी का यह कृत्य सेवामें कमी की श्रेणी में आता है। परिवादीगण ने विपक्षी बीमा कम्पनी से दो लाख रूपये मरम्मत का खर्चा तथा एक लाख रूपये मानसिक संताप के पेटे मय ब्याज दिलाये जाने का अनुतोश चाहा है।
विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवाद का यह जवाब दिया है कि क्षतिग्रस्त वाहन की जानकारी दिनांक 05-10-2006 को प्राप्त हुई है। जवाब के विषेश कथनों में यह उल्लेख किया है कि बीमित वाहन दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ बल्कि जीप द्वारा रंजिषवष एक व्यक्ति गोबरी लाल मीणा की हत्या की गई थी तथा जाँच के पष्चात् बुद्धिप्रकाष तथा रामकरण पुत्र ही हीरा लाल मीणा को न्यायालय अपर जिला एवं सेषन न्यायाधीष (फास्ट टेªक) बारां द्वारा प्रकरण नं0 65/2005 धारा 302,323,34 प्च्ब् में आरोप सुनाया तथा धारा 439 जाब्ता फौजदारी में जमानत से इंकार कर हिरासत में रखा हुआ है। इस प्रकार वाहन का उपयोग हत्या कारित करने में किया गया है। ऐसे में क्षतिग्रस्त वाहन दुर्घटना की परिधि में नहीं आता है। परिवादीगण बारां के निवासी होने से परिवाद श्रवणाधिकार में नहीं आता है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने कोई सेवामें कमी नहीं की है। परिवादीगण कोई अनुतोष प्राप्त करने के अधिकारी नहीं हंै। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है।
परिवाद के समर्थन में परिवादीगण ने स्वयं का षपथपत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.9 दस्तावेज तथा विपक्षी की ओर से जवाब के समर्थन में
3
श्री संजय जैन,षाखा प्रबन्धक का षपथपत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्गक.1 लगायत म्गक.7 दस्तावेजात प्रस्तुत किये हैं।
उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
4 क्या परिवादीगण विपक्षी के उपभोक्ता हैं ?
परिवादीगण का परिवाद,विपक्षी का जवाब,दस्तावेजात की फोटो काॅपी आदि के आधार पर परिवादीगण विपक्षी का उपभोक्ता प्रमाणित पाया जाता है।
5 क्या विपक्षी ने सेवामें कमी की है ?
उभयपक्षों को सुना गया, पत्रावली का अवलोकन किया तो स्पश्ट हुआ कि विवादित बोलेरो संख्या त्श्र20ध्न्।ध्0370 के परिवादीगण पंजीकृत स्वामी हैं। उसका बीमा दिनंाक 16-02-2006 से 15-02-2007 तक किया जाना तथा इस जीप का दिनंाक 12-05-2006 को दुर्घटनाग्रस्त होना उभयपक्षों द्वारा स्वीकृत तथ्य है। इससे आगे उभयपक्षों में विवाद है, जहाँ परिवादीगण कहते हैं कि वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने के तुरन्त बाद थ्प्त् दर्ज करा दी थी और विपक्षी को सूचना दे दी गई थी, वहीं विपक्षी थ्प्त् दर्ज करने के तथ्य को तो स्वीकार करता है परन्तु स्वयं को सूचना देने से इन्कार करता है और कहता है कि हमें दिनंाक 16-07-2007 को नोटिस देने पर दुर्घटना का पता चला इसलिए सूचना विलम्ब से दिया जाना माना है।
जहाँ परिवादीगण क्षतिग्रस्त जीप की क्षपितूर्ति दो लाख रूपये चाहते हैं तथा मानसिक, षारीरिक क्षति व परिवाद व्यय भी चाहते हैं ओर उनका तर्क है कि विपक्षी ने पाॅलिसी के अनुसार क्लेम नहीं देकर सेवादोश किया है। अपने तर्कों की पुश्टि के लिए प्ट ;2005द्ध ब्च्श्र.543 ळण् च्।क्ड।ट।ज्प् टध्ै ।छक्भ्त्। ठ।छज्ञ - ।छत्ण् पेष किया है। प्रस्तुत प्रकरण में मृतक की बाॅडी नहीं मिलने तथा हत्या का एक्सिडेण्ट मानने के आधार पर क्लेम खारिज करने को हैदराबाद ब्क्त्ब् ने सेवादोश माना था परन्तु प्रस्तुत प्रकरण में जो वाहन क्षतिग्रस्त हुआ है उसके क्लेम के सन्दर्भ में है, लाष के सन्दर्भ में नहीं है। परिणामस्वरूप प्रस्तुत न्यायिक दृश्टान्त के तथ्य और परिस्थिति एवं हस्तगत प्रकरण के तथ्य एवं
4
परिस्थितियों में अन्तर होने से न्यायिक दृश्टान्त से इस बिन्दु पर कोई प्रकाष प्राप्त नहंीं होता है।
जहाँ तक विपक्षी द्वारा क्लेम खारिज करने का आधार है उसमें क्षतिग्रस्त वाहन को अपराध में लिप्त माना है तथा विपक्षी को सूचना तीन माह बाद विलम्ब से भेजना माना है। परिवादीगण ने ऐसी कोई साक्ष्य पेष नहीं की है जिससे यह प्रमाणित हो सके कि क्षतिग्रस्त वाहन की दुर्घटना दिनंाक 12-05-2006 को हो गई और लिखित में या टेलीफोन से सूचना तुरन्त दे दी हो बल्कि दिनंाक 16-07-2007 को लीगल नोटिस दिया उसकी प्रति पत्रावली में संलग्न है, इससे प्रमाणित होता है कि परिवादीगण ने तुरन्त लिखित में सूचना नहीं देकर लीगल नोटिस दिनंाक 16-07-2007 को दिया, वही सूचना है। इस प्रकार विपक्षी को सूचना दो महीने बाद विलम्ब से दी गई, इस सन्दर्भ में विपक्षी द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृश्टान्त प्प्.;2001द्ध ब्च्श्र.453 ैभ्प्ट ज्ञन्ड।त् डम्भ्त्व्ज्त्। टध्ै न्छप्ज्म्क् प्छक्प्। प्छैन्त्।छब्म् ब्व्डच्।छल् स्ज्क्ण् तथा प्प्प्.;2006द्ध ब्च्श्र.240 ;छब्द्ध छम्ॅ प्छक्प्। ।ैैन्त्।छब्म् ब्व्ण्स्ज्क् टध्ै क्भ्।त्।ड ैप्छळभ् - ।छत्ण् से प्रकाष प्राप्त है।
जहाँ तक परिवादीगण का यह तर्क है कि वह इस वाकये की थ्प्त् दर्ज करायी, 302 प्च्ब् में आरोप लगे लेकिन उस आरोप से ।क्श्र ब्वनतज बारां द्वारा दिनंाक 07-09-2006 को मुलजिमान बरी हो गये इसलिए 302 प्च्ब् के आरोप से बरी होने के कारण परिवादीगण को क्लेम लेने से इन्कार नहीं किया जा सकता है परन्तु विपक्षी का तर्क है कि परिवादीगण चाहें प्च्ब् की धारा 302 के आरोप से बरी हो गये हों लेकिन बीमित वाहन द्वारा दुर्घटना कारित करना और अपराध में संलिप्त होना पाॅलिसी की षर्तों का उल्लंघन है इसलिए क्लेम खारिज करने में कोई सेवादोश नहीं है। परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृश्टान्त में मर्डर और एक्सिडेण्ट के भेद को नहीं माना परन्तु उसमें मृतक को बीमा लेना था और मृतक अपराध में संलिप्त नहीं था। प्रस्तुत प्रकरण में वाहन मालिक को बीमा लेना है क्योंकि वाहन क्षतिग्रस्त हुआ है लेकिन वाहन अपराध में संलिप्त था, चाहे मुलजिमान बरी हो गये हों लेकिन वाहन का अपराध में संलिप्त होना खण्डित नहीं हुआ है क्योंकि
5
न्यायालय का यह आॅब्जर्वेषन नहीं है कि यह वाहन तथाकथित एक्सिडेंट या हत्या में मौके पर नहीं हो। अतः इस बिन्दु पर भी परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृश्टान्त से कोई प्रकाष प्राप्त नहीं होता है। म्गक.1 में दावा खारिज करने का आधार वाहन अवैधानिक कार्य में संलिप्त होने के कारण पाॅलिसी प्रावधानों के अनुसार स्वीकार नहीं किया गया है और वाहन अवैधानिक कार्य में संलिप्त नहीं हो, न तो जांच एजेंसी ने माना और न ही न्यायालय ने माना। न्यायालय ने तो दिनंाक 22-06-2010 के आदेष में सन्देह का लाभ देते हुए बरी किया हैक् लेकिन वाहन का मौके पर नहीं होना कहीं भी किसी भी जगह अभिकथित नहीं किया है। परिणामस्वरूप क्षतिग्रस्त वाहन का आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होना,क्षतिग्रस्त वाहन की सूचना दो महीने विलम्ब से देना आदि तथ्यों के आधार पर क्लेम खारिज करने में विपक्षी का कोई सेवादोश प्रमाणित नहीं पाया जाता है।
3 अनुतोश ?
परिवादीगण का परिवाद खिलाफ विपक्षी स्वीकार किये जाने योग्य नहीं पाये जाने सेे खारिज योग्य पाया जाता है।
आदेष
परिणामतः परिवाद परिवादीगण खारिज किया जाता है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए पक्षकारान अपना अपना खर्चा वहन करेंगे।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
झालावाड केम्प,कोटा (राज0) झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
निर्णय आज दिनंाक 06.01.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
झालावाड केम्प,कोटा (राज0) झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.