View 15684 Cases Against The Oriental Insurance
View 26403 Cases Against Oriental Insurance
View 7785 Cases Against Oriental Insurance Company
J.R.Sharma filed a consumer case on 07 Dec 2015 against The Oriental Insurance Company Ltd., Divisional manager, Ishwar Daryani in the Kota Consumer Court. The case no is CC/335/2010 and the judgment uploaded on 09 Dec 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
प्रकरण संख्या-335/10
जी0आर0 शर्मा एडवोकेट पुत्र बी0एल0 शर्मा आयु 66 साल यियनवासी 2-ठ-5, विज्ञान नगर,कोटा। -परिवादी।
बनाम
01. ईश्वर दर्यानी,डिविजनल मैनेजर, दी ओरियण्टल इंश्योरेन्स कंपनी लि0, एल0आई0सी0 बिल्डिंग, सेकेण्ड फ्लोर, छावनी चैराहा, कोटा।
म्.उंपस रू पेीूंतकंतलंदप/वतपमदजंसपदेनतंदबमण्बवण्पद
02. उमांशकर, विपुल मेडकोर्प टी0पी0ए0 प्राईवेट लि0,515, उद्योग विहार,फेज-5, गुडगांव, हरियाणा
म्.उंपस रू ढहनतहवद/अपचनसउमकबवतचण्बवउझ
03. संजय जैन, शाखा प्रबंधंक, दी ओरियण्टल इंश्योरेन्स कंपनी लि0, एल0आई0सी0 बिल्डिंग, सेकेण्ड फ्लोर, छावनी चैराहा, कोटा।
म्.उंपस रू बीव1ाज/तमकपििउंपसण्बवउद्व
ेंदरंलरंपद/वतपमदजंसपदेनतंदबमण्बवण्पदय -विपक्षीगण
समक्ष :
अध्यक्ष : भगवान दास
सदस्य : हेमलता भार्गव
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री दीपक बबलानी, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2 श्री के0एस0 जादौन, अधिवक्ता विपक्षीसं. 1 व 3 की ओर से।
3. विपक्षी सं. 2 के खिलाफ एक पक्षीय कार्यवाही ।
निर्णय दिनांक 07.12.15
परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर उनका संक्षेप में यह सेवा-दोष बताया है कि विपक्षी बीमा कंपनी से मेडिक्लेम पालिसी सं. 242601/48/2009/288, 31.05.08 से 31.05.09 की अवधि में ली गई थी, इस अवधि में 15.07.08 से 18.07.08 तक अचानक बैचेनी व पेट में तकलीफ होने के कारण ईलाज हेतु मुम्बई हास्पीटल मे भर्ती रहा। उसने विशेषज्ञ चिकित्सक एन0एच0 बंका को चेक-अप करवाया तथा ईलाज मे कुल 32,684/- रूपये खर्च हुये। जिसका क्लेम सेट औपचारिकताऐं पूरी करते हुये दिनांक 21.07.08 को विपक्षी बीमा कंपनी को प्रस्तुत किया गया। विपक्षी से बार-बार सम्पर्क करने व पत्र प्रेषित करने पर भी क्लेम सेटल नहीं किया गया। कोई सूचना भी नहीं दी गई। इसके पश्चात पुनः परिवादी ने अपना ईलाज करवाया उसमें काफी खर्च हुआ। विपक्षीगण को दिनांक 12.06.10 को कानूनी नोटिस प्रेषित किया जो प्राप्त हो गया, उसके बावजूद क्लेम की अदायगी नहीं की गई, इससे परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप भी हुआ।
विपक्षी बीमा कंपनी के जवाब का सार है कि टी.पी.ए. (विपक्षी सं. 2) ने पालिसी के अनुसार क्लेम देय नहीं होने के कारण परिवादी को इसकी सूचना पत्र दिनांक 21.10.08 को दे दी, इसके बावजूद गलत परिवाद प्रस्तुत किया गया है। परिवादी केवल चैक-अप के लिये भर्ती हुआ उस दौरान उसने कोई ऐक्टिव ट्रीटमेन्ट नहीं लिया। पालिसी के अन्तर्गत कोई क्लेम देय नही था। सेवामें कोई कमी नहीं की गई।
विपक्षी सं. 2 पर मंच से प्रेषित नोटिस की विधिवत तामील हो गई, इसके बावजूद उपस्थिति नहीं दी गई, जवाब भी प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिये उसके विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही के आदेश दिये गये।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा पालिसी, विपक्षी को मेल प्रेषित पत्र, कानूनी नोटिस, यू0पी0सी0, पोस्टल रसीद व ए/डी आदि की प्रतिया प्रस्तुत की हैं ।
विपक्षी बीमा कंपनी ने साक्ष्य में के0पी0 शर्मा मंडलीय प्रबंधंक का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है। एवं विपक्षी सं. 2 के पत्र दिनांक 21.10.08, पालिसी शड्यूल व शर्तो आदि की प्रति प्रस्तुत की है।
हमने दोनों पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
विपक्षी बीमा कंपनी यह केस लेकर आई है कि परिवादी के क्लेम का निस्तारण टी.पी.ए. (विपक्षी सं. 2) द्वारा करके, परिवादी को सूचना दे दी थी, लेकिन परिवादी को सूचना देने का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है। विपक्षी सं. 2 बावजूद तामील उपस्थित नहीं हुआ। परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत करने से पूर्व विपक्षी बीमा कंपनी को कानूनी नोटिस भेजा, जो उन्हे प्राप्त हो गया तब भी विपक्षी बीमा कंपनी ने ऐसा कोई जवाब नहीं दिया परिवादी के क्लेम का निस्तारण पूर्व में ही टी.पी.ए. द्वारा किया जा चुका है व परिवादी को सूचना दी जा चुकी है। इसलिये परिवादी को सूचना देने की कहानी बनाई गई है तथा टी.पी.ए. का तथाकथित पत्र दिनांक 21.10.08 परिवादी को प्रेषित किये जाने का कोई प्रमाण ही नहीं है। इस प्रकार स्पष्ट है कि परिवाद प्रस्तुत होने तक भी परिवादी को उसके क्लेम सेटल होने की कोई सूचना नहीं दी गई, जो सेवादोष है। इसके अतिरिक्त विपक्षी बीमा कंपनी ने इस आधार पर परिवादी का क्लेम देय नही होना माना है कि परिवादी केवल चैक-अप के लिये भर्ती हुआ। उसने कोई ऐक्टिव ट्रीटमेन्ट नहीं लिया तथा चैक-अप हेतु क्लेम, पालिसी की अन्तर्गत देय नहीं है, लेकिन परिवादी ने क्लेम के साथ ईलाज हेतु भर्ती होने के जो दस्तावेज खर्चे के बिल सहित प्रेषित किये, उनकी कोई प्रति विपक्षी बीमा कंपनी ने प्रस्तुत नहीं की है, जिनसे यह प्रकट होता कि वास्तव में परिवादी केवल चैक-अप के लिये भर्ती हुआ या उसने ईलाज भी लिया। आवश्यक एवं सुसंगत दस्तावेजों को प्रस्तुत नहीं करने से विपक्षी बीमा कंपनी के विरूद्ध यह उपधारणा कानूनी रूप से की जाती कि वास्तव में वे दस्तावेज विपक्षी बीमा कंपनी की कहानी का समर्थन नहीं करते थे, इसीलिये उन्हे प्रस्तुत नहीं किये गये। इसलिये हम पाते है कि विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को पालिसी के अन्र्तगत देय क्लेम का भुगतान नहीं करके सेवा में कमी की गई है।
अतः परिवादी का परिवाद विपक्षी सं. 1 व 3 के विरूद्ध स्वीकार किये जाने योग्य है। विपक्षी सं. 2 के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी सं 1व 3 के खिलाफ स्वीकार किया जाकर निर्देश दिये जाते है कि परिवादी को एक माह के अंदर उसकी मेडिक्लेम पालिसी सं. 242601/48/2009/288 के अन्तर्गत क्लेम राशि 32,684/- रूपये व इस पर परिवाद प्रस्तुत होने की तिथि दिनांक 09.11.10 से अदायगी करने तक 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज, मानसिक संताप की भरपाई हेतु 3,000/- रूपये व परिवाद व्यय के पेटे 2,000/- रूपये साहित भुगतान किया जावे। विपक्षी सं. 2 के विरूद्ध परिवाद खारिज किया जाता है।
(हेमलता भार्गव) ( भगवान दास)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
निर्णय आज दिनंाक 07.12.15 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.