(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1468/2003
(जिला आयोग, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या-356/2002 में पारित निणय/आदेश दिनांक 8.4.2003 के विरूद्ध)
धर्मेन्द्र कुमार पुत्र श्री नत्थी सिंह, निवासी ग्राम ग्वालरा, पोस्ट हरदुआगंज, जिला अलीगढ़।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी लि0, डिविजनल आफिस समद रोड, सेन्टर प्वाइंट, अलीगढ़।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : सुश्री रेहाना खान।
दिनांक: 14.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-356/2002, धमेन्द्र कुमार बनाम दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी लि0 में विद्वान जिला आयोग, अलीगढ़ द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 8.4.2003 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन करते हुए 15 माह बाद बीमा कंपनी को सूचित किया गया।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने वाहन संख्या यू.पी. 81 सी. 9134 का बीमा कराया था। यह वाहन दिनांक 3.12.2000 को परिवादी के भाई अजीत कुमार एवं दिलीप कुमार द्वारा किराये पर लिया गया था। दिनांक 11.01.2001 को अजीत कुमार तथा गाड़ी का कोई पता नहीं लग पाया। दिनांक 11.01.2001 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को डाक द्वारा सूचना दी गई, क्योंकि थाना प्रभारी द्वारा सूचना नहीं लिखी गई, इसके पश्चात दिनांक 13.3.2002 को बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, जो देरी के आधार पर निरस्त दिया गया, जिससे क्षुब्ध होकर परिवाद प्रस्तुत किया गया। विद्वान जिला आयोग ने भी परिवादी के स्तर से कारित देरी को सारवान मानते हुए परिवाद खारिज कर दिया।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्वान जिला आयोग ने विधि विरूद्ध निर्णय/आदेश पारित किया है। वाहन को खोजने का प्रयास किया जा रहा था। थाना प्रभारी द्वारा रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। बीमा पालिसी के उल्लंघन पर भी 75 प्रतिशत का क्लेम बनता है। बहस के दौरान भी यही तर्क प्रस्तुत किए गए तथा नजीर, अमलेन्दु साहू, नितिन खण्डेलवाल, मंजीत सिंह बनाम नेशनल इंश्योरंस कं0लि0 की विधि व्यवस्था प्रस्तुत की गई, परन्तु प्रस्तुत केस की स्थिति पूर्णत: भिन्न है। प्रस्तुत केस में वाहन सुपुर्दगी में दिया गया है, वाहन चोरी नहीं हुआ है। बीमा पालिसी चोरी के लिए है, जिस व्यक्ति को वाहन सुपुर्दगी के लिए दिया गया है। यदि वाहन उसके द्वारा नहीं लौटाया गया तब धारा 406 आईपीसी का मामला बनता है न कि वाहन की चोरी का। अत: इस आधार भी बीमा क्लेम देय नहीं है। यद्यपि विद्वान जिला आयोग द्वारा एक दूसरा निष्कर्ष दिया गया है, परन्तु तथ्यात्मक निष्कर्ष यह है कि वाहन अपने भाईयों को सुपुर्द किया गया है। वाहन चोरी नहीं हुआ है, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2