Chhattisgarh

Bilaspur

CC/14/83

SHRI SATYAPAL SINGH - Complainant(s)

Versus

THE ORIENTAL INSURANCE CO LTD. - Opp.Party(s)

SHRI SANTOSH YADAV

07 Feb 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/14/83
 
1. SHRI SATYAPAL SINGH
KRANTI NAGAR R4 VINOWANAGAR
BILASPUR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. THE ORIENTAL INSURANCE CO LTD.
INFRONT RAJIV PLAZA OLD BUS STAND
BILASPUR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI SANTOSH YADAV
 
For the Opp. Party:
SHRI AJAY DWIVEDI
 
ORDER

//जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर (छ0ग0)//

          प्रकरण क्रमांक:-  सी.सी./2014/83
         प्रस्तुति दिनांक:-    09/05/2014

सत्यपाल सिंह, आत्मज विजय बहादुर सिंह,
कमलेश सिंह, मकान नंबर बी-17,
क्रांतिनगर-आर-4-विनोवानगर 
जिला बिलासपुर छ.ग.                    ............आवेदक/परिवादी

                                                                                          (विरूद्ध)
 
 दी ओरियन्टल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
 मण्डल कार्यालय, रामा ट्रेड सेंटर, 
 राजीव प्लाजा के सामने 
 पुराना बस स्टैण्ड रोड  
 जिला बिलासपुर छ.ग.              ..........अनावेदक/विरोधी पक्षकार
  

                       ///आदेश्‍ा///
        (आज दिनांक 07/02/2015 को पारित)

     1. आवेदक सत्यपाल सिंह ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक बीमा कंपनी के विरूद्ध बीमा दावे को अस्वीकार कर सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदक बीमा कंपनी से बीमाकृत राशि 20,200/.रु0 को क्षतिपूर्ति एवं ब्याज के साथ   दिलाए जाने का निवेदन किया है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                       
    2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक अपने वाहन मोटर साईकिल क्रमांक सी.जी. 10 ई.ई. 1597 को दिनांक 18.02.2013 को रेल्वे परिक्षेत्र बिलासपुर स्थित चालक-परिचालक कार्यालय के सामने अन्य वाहनों के साथ खड़ा कर अपने कार्य का संपादन कर रहा था और कार्य संपादन पश्चात अपने गंतव्य जाने के लिए वह अपने वाहन के पास गया, जो वहाॅं नहीं था, जिसका उसने आस-पास खोज-बीन किया, किंतु कोई पता नहीं चला, तब उसने घटना की रिपोर्ट दिनांक 19.02.2013 को थाना तोरवा पुलिस में दर्ज कराया, जहाॅं आरोपी का पता नहीं चलने पर खात्मा चाक किया गया, जो न्यायालय द्वारा दिनांक 17.02.2014 को स्वीकृत किया गया। 
     3. यह कहा गया है कि आवेदक अपने वाहन का बीमा अनावेदक बीमा कंपनी से कराया था, फलस्वरूप उसने वाहन के मूल दस्तावेज एवं खात्मा रिपोर्ट सहित अनावेदक बीमा कंपनी के समक्ष दावा प्रस्तुत किया, किंतु अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा उसका दावा दिनांक 06.03.2014 को वापस कर दिया गया। अतः उसने यह परिवाद पेश करना बताया है। 
    4. अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से जवाबदावा पेश कर घटना दिनांक को आवेदक का मोटर साईकिल अपने यहाॅं बीमित होने का तथ्य तो स्वीकार किया गया, किंतु परिवाद का विरोध इस आधार पर किया कि आवेदक घटना दिनांक अपने वाहन को रेल्वे स्टेशन परिसर में उपलब्ध सुरक्षित पार्किंग परिसर में न रख कर असुरक्षित रूप से पार्किंग वर्जित स्थान पर चालक-परिचालक कार्यालय के सामने खड़ा किया था और इस प्रकार उसके द्वारा पाॅलिसी शर्तों का उल्लंघन किया गया, जिसके कारण उसका प्रकरण चलने योग्य नहीं है। अतः उक्त आधार पर अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदक के परिवाद को  निरस्त किए जाने का निवेदन किया गया है ।   
    5. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया।
    6. देखना यह है कि क्या अनावेदक बीमा कंपनी  द्वारा आवेदक का बीमा दावा अस्वीकार कर सेवा में कमी की गई ?  
                                                                         सकारण निष्कर्ष


    7.  घटना दिनांक आवेदक का प्रश्नाधीन वाहन मोटर साईकिल क्रमांक सी.जी. 10 ई.ई. 1597 अनावेदक बीमा कंपनी  के यहाॅं बीमित होने का तथ्य मामले में विवादित नहीं है अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा आवेदक का बीमा दावा अस्वीकार किए जाने का तथ्य भी मामले में विवादित नहीं है। 
      8. आवेदक का कथन है कि वह दिनांक 18.02.2013 को अपने प्रश्नाधीन मोटर साईकिल को रेल्वे परिक्षेत्र बिलासपुर स्थित चालक-परिचालक कार्यालय के सामने अन्य वाहनों के साथ खड़ा किया था, जो लौटने पर उसे वहाॅं नहीं मिला, किंतु उसने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह अपने वाहन को किसकी सुरक्षा में चालक-परिचालक कार्यालय के सामने खड़ा किया था, जो इस बात को प्रकट करता है कि आवेदक घटना दिनांक तथा समय अपने वाहन को असुरक्षित रूप से चालक-परिचालक कार्यालय के सामने खड़ा किया था, जबकि पाॅलिसी शर्तो के अधीन वह अपने वाहन को समुचित अभिरक्षा में रखने के लिए बाध्य था। 
    9. उपरोक्त कारणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुॅंचते हैं कि आवेदक का प्रश्नाधीन वाहन मोटर साईकिल उसके स्वयं के लापरवाही के कारण असुरक्षित स्थान पर खड़े किए जाने के कारण चोरी हुआ, जबकि उसे पाॅलिसी शर्तों के अधीन वाहन को सुरक्षित रूप से पार्किंग सुविधा में रखना था। अतः आवेदक अपनी गलती का लाभ प्राप्त करने का अधिकारी नहीं। 
    10, अतः उपरोक्तानुसार हम यह पाते हैं कि अनावेदक बीमा कंपनी  द्वारा आवेदक का बीमा दावा अस्वीकार कर सेवा में कोई कमी नहीं की गई, अतः आवेदक का परिवाद निरस्त किया जाता है। 
    11. उभय पक्ष अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे। 
आदेश पारित 


                                    (अशोक कुमार पाठक)                                                      (प्रमोद वर्मा)           
                                            अध्यक्ष                                                                     सदस्य

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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