जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ।
वाद संख्या 840/2012
हजरत अली,
निवासी-529घ/1003, शिवानी विहार,
कल्याणपुर, लखनऊ।
......... परिवादी
बनाम
1. दि ओरियन्टल इंश्योरेंस कं0 लि0,
शाखा कार्यालय-4134-135,
तृतीय तल, साहूॅं प्लाजा, स्नेह नगर,
आलमबाग, लखनऊ।
2. हीवेट पाॅलिटेक्निक,
म्हानगर, लखनऊ।
..........विपक्षीगण
उपस्थितिः-
श्री विजय वर्मा, अध्यक्ष।
श्रीमती अंजु अवस्थी, सदस्या।
श्री राजर्षि शुक्ला, सदस्य।
निर्णय
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी सं.1 से बीमित धनराशि रू.1,00,000.00 मय 18 प्रतिशत ब्याज तथा विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति हेतु रू.50,000.00 तथा वाद व्यय हेतु रू.5,500.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
संक्षेप में परिवादी का कथन है कि उसके पुत्र का विपक्षी सं0 2 की ओर से जनता व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा विपक्षी सं0 1 द्वारा किया गया था जिसकी कुल धनराशि रू.10,00,000.00 थी। परिवादी के पुत्र की सड़क दुर्घटना में मृत्यु दिनांक 17.06.2011 को हो गयी थी जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 25.06.2011 को थाना कोतवाली फैजाबाद में करायी गयी थी। उपरोक्त दुर्घटना के संबंध में परिवादी ने विपक्षीगण को सूचित किया था। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 1 को बीमित धनराशि प्राप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र भेजा गया जिसमें समस्त
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औपचारिकताएं पूर्ण की गयी थी, परंतु आज तक पाॅलिसी के तहत बीमित धनराशि का भुगतान विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी को नहीं किया गया। विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी को निरंतर फोन पर आश्वासन दिया गया कि उसका क्लेम पास हो चुका है और कुछ ही दिनांे में उसको बीमित धनराशि का भुगतान कर दिया जायेगा, परंतु एक वर्ष से भी अधिक समय व्यतीत हो जाने पर भी विपक्षी सं0 1 ने परिवादी का क्लेम यह कहकर खारिज कर दिया कि मृतक छात्र का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया है और न ही पंचनामा हुआ है, जबकि मृतक अविवाहित था। विपक्षी सं0 1 के उपरोक्त कृत्यों से परिवादी को अत्यधिक मानसिक व शारीरिक कष्ट हुआ है। अतः परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी सं.1 से बीमित धनराशि रू.1,00,000.00 मय 18 प्रतिशत ब्याज तथा विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति हेतु रू.50,000.00 तथा वाद व्यय हेतु रू.5,500.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी सं0 1 की ओर से अपना जवाबदावा दाखिल किया गया जिसमें मुख्यतः यह कथन किया गया है कि विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा जनता व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत आने वाले बीमा धारकों को मात्र रू.1,00,000.00 का बीमा आवरण प्रदान किया जाता है न कि रू.10,00,000.00 का बीमा आवरण प्रदान किया जाता है। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के पुत्र की अकस्मात् मृत्यु के संबंध में किसी भी बीमा धनराशि का भुगतान नहीं किया गया है। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को उसके मृतक पुत्र के संबंध में कभी भी कोई आश्वासन नहीं दिया गया था और न ही विपक्षी बीमा कंपनी में किसी भी उपभोक्ता को इस प्रकार का आश्वासन दिये जाने की कोई परंपरा है। विपक्षी बीमा कंपनी ने परिवादी के मृतक पुत्र का दावा निरस्त कर दिया था। विपक्षी बीमा कंपनी से कुछ भी प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता नहीं है। परिवादी का यह परिवाद विपक्षी बीमा कंपनी पर द्वेष व दुर्भावना सहित व विपक्षी बीमा कंपनी पर असम्यक दबाव बनाये जाने के उद््देश्य से दाखिल किया गया है और विपक्षी बीमा कंपनी से बीमित धनराशि प्राप्त करने का प्रयास किया गया है। विपक्षी बीमा कंपनी ने परिवादी द्वारा उसके पुत्र की मृत्यु के उपरांत दावा प्रपत्र भरकर उपलब्ध कराये जाने पर परिवादी के दावे पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया था, परंतु दावा प्रपत्र
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के निस्तारण की प्रक्रिया में विपक्षी बीमा कंपनी के समक्ष यह तथ्य आया कि व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना का निस्तारण किये जाने के लिये उस व्यक्ति की जिसकी मृत्यु हुई है उस मृतक व्यक्ति का पंचनामा रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट व मृत्यु प्रमाण पत्र का होना एक प्राथमिक आवश्यकता है और उपरोक्त प्रपत्रों के अभाव में व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के अधीन आने वाला कोई भी दावा पोषणीय नहीं होगा। व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना से संबंधित दावों का निस्तारण करने के लिये उपरोक्त विधिक आवश्यकताओं के विरूद्ध परिवादी अपने मृतक पुत्र का पंचनामा रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट व किसी नगर निगम/नगर पालिका द्वारा जारी किया गया मृत्यु प्रमाण पत्र विपक्षी बीमा कंपनी को उपलब्ध करा पाने में असफल रहा जिस पर विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा परिवादी का दावा व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना से संबंधित दावों के निस्तारण के लिये बतायी गयी नियमावली के नियमों का अनुपालन न हो पाने के कारण निरस्त कर दी गई थी जिसकी सूचना पंजीकृत डाक के माध्यम से विपक्षी सं0 2 को दिनांक 26.07.2012 को दे दी गई थी। विपक्षी बीमा कंपनी का आचरण पूर्णतया विधि पर आधारित नियमों के अधीन था, अतः परिवादी विपक्षी बीमा कंपनी से व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के अधीन अपने मृतक पुत्र से संबंधित दावे को पोषणीय न होने के कारण प्राप्त करने की योग्यता नहीं रखता था और परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया परिवाद मय वाद व्यय के निरस्त किये जाने योग्य है।
विपक्षी सं0 2 द्वारा अपना जवाब दाखिल किया गया है जिसमें मुख्यतः यह कथन किया गया है कि उबेदुर्हमान वर्ष 2008-09 में प्रथम वर्ष सिविल इंजीनियरिंग में संस्था में प्रवेश लिया था। उक्त छात्र का स्थानांतरण निदेशक, प्राविधिक शिक्षा उ0प्र0 कानपुर के पत्र दिनांक 17.03.2009 द्वारा राजकीय पालीटेक्निक, गाजियाबाद किया गया था। संस्था हीवेट पालीटेक्निक में छात्र ने रू.96.00 रसीद सं0 4421 दिनांक 04.07.2008 द्वारा जनता दुर्घटना बीमा की धनराशि जमा की थी जिसे ओरियंटन इंश्योरेंस कं0 लि0, लखनऊ को दिनांक 22.07.2008 को भुगतान कर दिया गया था। दुर्घटना के पूर्व मृतक छात्र उबेदुर्हमान राजकीय पालीटेक्निक गाजियाबाद में अध्ययनरत था। उपर्युक्त इंश्योरेंस कंपनी द्वारा यदि भुगतान किया जाता है तो विपक्षी सं0 2 को कोई आपत्ति नहीं होगी।
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परिवादी की ओर से अपना शपथ पत्र मय संलग्नक 4 दाखिल किया गया। विपक्षी सं0 1 की ओर से श्रीमती शबीना तबस्सुम, मंडलीय प्रभारी, ओरियंटल इंश्योरेंस कं0 लि0 का शपथ पत्र मय संलग्नक 1 दाखिल किया गया।
उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
इस प्रकरण में यह निर्विवादित है कि परिवादी के पुत्र का जनता व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा विपक्षी सं0 1 द्वारा किया गया था जिसकी बीमित धनराशि रू.1.00 लाख थी। विवादित बिंदु मात्र यह है कि क्या परिवादी के पुत्र की मृत्यु होने पर परिवादी द्वारा जो मृत्यु दावा विपक्षी सं0 1 के समक्ष प्रस्तुत किया गया उसे विपक्षी सं0 1 द्वारा निरस्त करके सेवा में कमी की गयी है अथवा नहीं तथा उसके प्रभाव।
विपक्षी सं0 1 के अनुसार परिवादी के दावे का निस्तारण करने पर यह तथ्य सामने आया था कि व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना का निस्तारण किये जाने के लिए जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है उसकी पंचनामा रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट व मृत्यु प्रमाण पत्र होना आवश्यक होता है और चूंकि उपरोक्त प्रपत्र परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं किये गये थे इन कारणों से परिवादी द्वारा प्रस्तुत दावे को निरस्त किया गया था। यहां पर यह उल्लेखनीय है कि परिवादी के पुत्र की मृत्यु एक दुर्घटना में हुई थी जैसा कि उसके द्वारा थाने में लिखायी गयी रिपोर्ट की फोटोप्रति जो कि शपथ पत्र के साथ दाखिल किये गये कागज सं.5 है से स्पष्ट होता है। प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार दिनांक 17-18 जून 2011 की रात 11.30 बजे प्रार्थी का पुत्र उबेदुर्हमान, पत्नी वजीदुन निसा एवं पुत्र उबेदुल्लाह जब किराये पर बुक पिकअप गाड़ी से लखनऊ फैजाबाद मार्ग पर जा रहे थे तो चालक की लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण गाड़ी डिवाइडर से टकरा गयी जिसमें उबेदुर्हमान व अतिउल्लाह को गंभीर चोटें आयी जिन्हें फैजाबाद अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से उबेदुर्हमान को मेडिकल कालेज लखनऊ में रिफेर कर दिया गया किन्तु रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गयी। परिवादी द्वारा जिला अस्पताल फैजाबाद में उबेदुर्हमान मृतक को भर्ती कराने संबंधी डिस्चार्ज कार्ड की फोटोप्रति दाखिल की गयी है जिससे स्पष्ट होता है कि दिनांक 18.06.2010 को रात 12.30 बजे उसे जिला चिकित्सालय फैजाबाद में भर्ती कराया गया था जहां से उसे
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मेडिकल कालेज लखनऊ के लिए रिफर किया गया था। तदोपरान्त रास्ते में ही उबेदुर्हमान की मृत्यु हो गई थी जैसा कि मृत्यु प्रमाण पत्र जो परिवादी द्वारा दाखिल किया गया है जिसमें मृत्यु की दिनांक 18.06.2010 और मृत्यु का स्थान फैजाबाद के पास मार्ग दुर्घटना दर्शाया गया है। इस प्रकार परिवादी द्वारा न केवल प्रथम सूचना रिपोर्ट की फोटोप्रति दाखिल की गयी जिसमें दुर्घटना की तिथि एवं तथ्य अंकित है तथा परिवादी द्वारा जिला चिकित्सालय फैजाबाद में मृतक को भर्ती कराने के तथ्य के संबंध में डिस्चार्ज कार्ड दाखिल किया गया है जिससे स्पष्ट है कि उसे दुर्घटना के तुरंत बाद फैजाबाद जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, किंतु परिवादी के अनुसार उसकी मृत्यु मेडिकल कालेज लखनऊ ले जाते समय ही हो गयी थी जिसके बाद उसे दफना दिया गया था और जिसके संबंध में उसके द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र की फोटोप्रति भी दाखिल की गयी है। परिवादी द्वारा संलग्नक सं.3 के रूप में विपक्षी सं0 1 को दुर्घटना बीमा की राशि को दिलाने हेतु लिखे गये पत्र की फोटोप्रति दाखिल की गयी है जिससे यह स्पष्ट होता है कि परिवादी द्वारा उपरोक्त के संबंध में एक पत्र विपक्षी को लिखा गया था। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 2 को भी व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा दावे के संबंध में लिखे गये पत्र की फोटोप्रति दाखिल की गयी है जिससे स्पष्ट है कि उसने विपक्षी सं0 2 को भी बीमा राशि के भुगतान हेतु पत्र लिखा था। परिवादी द्वारा दुर्घटना बीमा के फार्म की पर्ची भी दाखिल की गयी है। इन परिस्थितियों में यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा लगभग सभी आवश्यक प्रपत्र दाखिल किये गये हैं मात्र पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं दाखिल की गयी है क्योंकि रास्ते में ही परिवादी के पुत्र की मृत्यु हो गयी तो उसे सीधे दफना दिया गया था, किंतु जो अभिलेखीय साक्ष्य परिवादी द्वारा दाखिल किये गये है उनसे स्पष्ट हो जाता है कि परिवादी के पुत्र की मृत्यु दुर्घटना के कारण ही हुई थी। जब सभी आवश्यक अभिलेख परिवादी द्वारा फोरम में दाखिल किये गये हैं तो इस बात का कोई औचित्य नहीं है कि परिवादी द्वारा ये अभिलेख विपक्षी सं0 1 के यहां न दाखिल किये जाये। विपक्षी सं0 2 द्वारा अपने परिवाद पत्र में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि उबेदुर्हमान उनकी संस्था में प्रथम वर्ष इंजीनियरिंग का छात्र था और छात्र ने रू.96.00 दिनांक 04.07.2008 को जनता दुर्घटना बीमा की राशि के रूप में जमा किये थे जिसे ओरियंटल इंश्योरेंस
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कंपनी लि0 को दिनांक 22.07.2008 को भुगतान कर दिया गया था। विपक्षी सं0 2 द्वारा यह भी कहा गया है कि यदि इंश्योरेंस कंपनी द्वारा परिवादी को बीमा राशि का भुगतान कर दिया जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। स्पष्ट है कि विपक्षी सं0 1 द्वारा मृतक का जनता व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा करने के उपरांत भी, मृतक की दुर्घटना होने पर आवश्यक अभिलेख प्रस्तुत किये जाने पर भी परिवादी के मृत्यु दावे को स्वीकार नहीं किया गया है जो स्पष्टतया उनके द्वारा सेवा में कमी का द्योतक है। परिणामस्वरूप, परिवादी बीमा की राशि विपक्षी सं0 1 से प्राप्त करने का अधिकारी है। यहां पर यह उल्लेखनीय है कि परिवादी ने बीमा की धनराशि को रू.10.00 लाख दर्शाया है जबकि वह मात्र रू.1.00 लाख ही था जैसा कि परिवादी द्वारा दाखिल किये गये बीमे की रसीद दिनांक 04.07.2008 से स्पष्ट होता है जिसमें बीमित धनराशि रू.1.00 लाख दर्शाया गया है स्पष्टतया लिपिकीय त्रुटि से रू.10.00 लाख की धनराशि अंकित कर दी गयी है जबकि बीमित धनराशि मात्र रू.1.00 लाख ही है। परिणामस्वरूप, परिवादी रू.1.00 लाख की धनराशि मय ब्याज विपक्षी सं0 1 से प्राप्त करने का अधिकारी है। साथ ही परिवादी को इस संबंध में जो मानसिक एवं शारीरिक कष्ट पहुंचा है उसके लिए वह क्षतिपूर्ति और साथ ही वाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है।
आदेश
परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 1 को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को बीमित धनराशि रू.1,00,000.00 (रूपये एक लाख मात्र) मय 9 प्रतिशत ब्याज परिवाद दाखिल करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक अदा करें।
साथ ही विपक्षी सं0 1 को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को आर्थिक क्षति एवं मानसिक कष्ट के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में रू.3,000.00 (रूपये तीन हजार मात्र) एवं वाद व्यय के रूप में रू.3,000.00 (रूपये तीन हजार मात्र) अदा करें।
विपक्षी सं0 1 उपरोक्त आदेश का अनुपालन एक माह में करें।
(राजर्षि शुक्ला) (अंजु अवस्थी) (विजय वर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
दिनांकः 7 सितम्बर, 2015