Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/131/2014

Shri Piyush Bansal (Advo.) - Complainant(s)

Versus

The Oriental Bank Of Commerce - Opp.Party(s)

27 May 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/131/2014
 
1. Shri Piyush Bansal (Advo.)
R/o Homeguard Office Wali Gali, 26 Civil Lines, Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. The Oriental Bank Of Commerce
Add:- Divisional Office Budha Bazar, Station Road, Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि पालिसी लाभ के नुकसान तथा क्षतिपूर्ति की मद में उसे विपक्षीगण से 1,25,000/- रूपया दिलाऐ जाऐ। परिवाद व्‍यय की मद में परिवादी ने 2000/- रूपया अतिरिक्‍त मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार है कि विपक्षी सं0-1 के माध्‍यम से दिनांक 11/6/2012 को परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से एक इंश्‍योरेंस पालिसी संख्‍या 224600/48 कराई थी। परिवादी ने पालिसी का प्रीमियम 6,830/- रूपया अदा किया। इस पालिसी का अगला प्रीमियम दिनांक 28/6/2013 को देय था। देय तिथि से पूर्व दिनांक 24/6/2013 को ही परिवादी ने चैक संख्‍या 437655 द्वारा प्रीमियम की राशि 6,830/- रूपया विपक्षी संख्‍या-1 के माध्‍यम से विपक्षी संख्‍या-2 को अदा कर दी। अगले वर्ष  अर्थात् 2014-15 के प्रीमियम की देय राशि भी परिवादी ने विपक्षी सं0-2 को  विपक्षी संख्‍या-1 की मार्फत चैक सं0-437658 द्वारा दिनांक  18/6/2014 को भुगतान कर दी। विपक्षी सं0-2 ने परिवादी की उक्‍त  पालिसी को वर्ष 2013-14 के लिए दिनांक 4/10/2013 से और वर्ष 2014-15 के  लिए  दिनांक 4/9/2014 से नवीनीकृत किया। परिवादी के अनुसार रिन्‍यूवल प्रीमियम का भुगतान उसने विपक्षी सं0-1 के माध्‍यम से विपक्षी सं0-2 को  देय तिथि से पूर्व कर दिया था इसके बावजूद विपक्षी सं0-2 ने परिवादी की पालिसी का नवीनीकरण देय तिथि से नहीं किया। विपक्षीगण आपस में हमसाज है। पालिसी का समय से नवीनीकरण न करके विपक्षीगण ने परिवादी को  पालिसी से प्राप्‍त होने वाले अन्‍य लाभों से वंचित कर दिया और इस प्रकार उन्‍होंने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कमी की। परिवादी के अनुसार पालिसी में मिलने वाले लाभ का करीब 1,00,000/- रूपये का उसे नुकसान हुआ है।  परिवादी और उसके परिवार के सदस्‍यों को मानसिक और शारीरिक क्षति भी  हुई है। परिवादी ने उक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   परिवाद के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/4  लगायत 3/5 दाखिल किया। शपथ पत्र के साथ उसने पालिसी संख्‍या 224600/48/2013/1010 के पालिसी शिडयूल, पालिसी संख्‍या 224600/48/2014/1101 के एन्‍डोर्समेन्‍ट शिडयूल, पालिसी संख्‍या 224600/48/2015/1083 के एन्‍डोर्समेंट शिडयूल, पालिसी संख्‍या 224600/48/2015/1083 के पालिसी शिडयूल तथा अपने खाता संख्‍या 02792191010422 की पासबुक की फोटो प्रतियों को दाखिल किया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/6 लगायत 3/17 हैं।
  4.   विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-7/1 लगायत 7/2  दाखिल हुआ जिसमें परिवाद कथनों को असत्‍य बताते हुऐ कहा गया कि  परिवादी की पालिसी का नवीनीकरण कर दिया गया है और विपक्षीगण से परिवादी को कोई हानि नहीं हुई है, यह भी कहा गया कि विपक्षीगण ने  परिवादी को सेवा देने में कोई कमी नहीं की और परिवादी को कोई शारीरिक अथवा मानसिक क्षति भी नहीं हुई। विशेष कथनों में कहा गया है परिवादी को उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध कोई वाद हेतुक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ उसकी  पालिसी का नवीनीकरण हो चुका है, उसे सेवा प्रदान करने में किसी प्रकार की  कोई कमी नहीं की गई। परिवादी ने किसी बीमारी के इलाज अथवा किसी दुर्घटना में चोट का कोई क्‍लेम विपक्षीगण के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया जिस  कारण परिवादी को मिलने वाले किसी मेडिक्‍लेम से उसे वंचित नहीं किया गया है और परिवादी को किसी प्रकार की कोई क्षति भी नहीं हुई है। उपरोक्‍त  कथनों के आधार पर विपक्षी सं0-1 ने परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  5.   विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-16/1 लगायत 16/3  दाखिल हुआ जिसमें बीमा शर्तों एवं प्रतिबन्‍धों के अधीन दिनांक 29/6/2012 से 28/6/2013 की अवधि हेतु परिवादी को उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-2 द्वारा मेडिक्‍लेम बीमा पालिसी संख्‍या 224600/48/2013/1080 जारी किया जाना तो स्‍वीकार किया गया है, किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया। प्रतिवाद पत्र में  विपक्षी संख्‍या-2 ने अग्रेत्‍तर कथन किया कि उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-2 को बीमा प्रीमियम की धनराशि दिनांक 8/7/2013 को प्राप्‍त   हुई तदानुसार दिनांक 8/7/2013 को ही मेडिक्‍लेम बीमा पालिसी संख्‍या  224600/48/2014/1101 दिनांक 8/7/2013 से 07/7/2014 तक की अवधि हेतु जारी कर दी गई। अगले प्रीमियम की राशि उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-2 को  दिनांक 28/7/2014 को प्राप्‍त हुई। तदानुसार परिवादी को उसी दिन बीमा पालिसी संख्‍या 224600/48/2015/1083 दिनांक 28/7/2014 से 27/7/2015 तक की अवधि हेतु जारी कर दी गई। इस प्रकार उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-2 ने बिना किसी त्रुटि के बीमा पालिसी जारी की है। अतिरिक्‍त कथनों में कहा  गया है कि परिवादी को उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध परिवाद योजित करने का वाद हेतुक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ। परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई  कमी अथवा त्रुटि नहीं की गई। यह भी कथन किया गया कि परिवादी द्वारा अनुरोधित अनुतोष का कोई सम्‍बन्‍ध प्रश्‍नगत मेडिक्‍लेम बीमा पालिसी के  कवरेज से नहीं है। उत्‍तरदाता का दायित्‍व केवल सम्‍बन्धित मेडिक्‍लेम बीमा पालिसी में बीमा कवरेज और बीमा शर्तों के अधीन उत्‍पन्‍न होने वाली क्‍लेम  राशि के भुगतान का है। परिवादी को बीमा पालिसियॉं जारी करने में कोई  त्रुटि नहीं की गई जिस दिन उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-2 को प्रीमियम राशि  प्राप्‍त  हुई उसी दिन परिवादी की मेडिक्‍लेम बीमा पालिसी नियमानुसार जारी कर दी गई। उत्‍तरदाता विपक्षी ने यह कहते हुऐ कि परिवादी कोई भी अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है, परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
  6.   प्रतिवाद पत्र के साथ उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-2 ने बीमा पालिसी संख्‍या  224600/48/2013/1010, पालिसी संख्‍या 224600/48/2014/1101, पालिसी संख्‍या 224600/48/2015/1083  तथा बीमा  पालिसी संख्‍या  224600/48/2016/1055 के पालिसी शिडयूल की फोटो प्रतियों एवं पालिसी संख्‍या  224600/48/2015/1083/001 के एन्‍डोर्समेंट शिडयूल की फोटो प्रति दाखिल की, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज संख्‍या 16/4 लगायत 16/17 हैं।
  7.    परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/3  दाखिल किया उसने अतिरिक्‍त साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-18/1 लगायत 18/2 भी दाखिल किया जिसमें उसने अन्‍य के अतिरिक्‍त पूर्व में दाखिल अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/3 में उल्लिखित कथनों को  पुष्‍ट किया।
  8.    विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से बैंक के सीनियर ब्रांच मैनेजर श्री के0सी0 पाण्‍डे ने  अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-23 दाखिल किया।                                                                                            
  9.   विपक्षी सं0-2 की ओर से बीमा कम्‍पनी के मण्‍डलीय प्रबन्‍धक श्री सुखवीर सिंह का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-20/1 लगायत 20/3 दाखिल हुआ। इस साक्ष्‍य शपथ पत्र के साथ उन चारों पालिसियों की फोटो प्रतियां बतौर संलग्‍नक-1 लगायत संलग्‍नक-4 दाखिल की गई जिनकी नकलें विपक्षी सं0-2 ने अपने प्रतिवाद पत्र के साथ दाखिल की थीं। विपक्षी सं0-2 के साक्ष्‍य  शपथ पत्र के साथ दाखिल यह संलग्‍नक पत्रावली के कागज सं0-20/4 लगायत  20/17 हैं।
  10.    परिवादी, विपक्षी संख्‍या-1 और विपक्षी संख्‍या-2 ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।
  11.    हमने पक्षकारों के विद्वानअधिवक्‍तागण के तर्कों को  सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।
  12.   पक्षकारों के अभिवचनों में कुल 4 मेडिक्‍लेम पालिसियों का जिक्र है जो  विपक्षी सं0-2 ने परिवादी के पक्ष में जारी की थीं। इन पालिसियों के नम्‍बर, तथा पालिसी की अवधि का उल्‍लेख सुविधा की दृष्टि से नीचे बनी सारिणीं में  किया जा रहा है।

 

  •  

पालिसी संख्‍या

पालिसी की अवधि

  1.  
  1.  

29.06.2012 से 28.06.2013

  1.  
  1.  

08/07/2013 से 07-07-2014

  1.  
  1.  

28-07-2014 से 27-07-2015

  1.  
  1.  

28-07-2015 से 27-07-2016

 

13-  उपरोक्‍त पैरा सं0-12 में दी गई सारिणीं में क्रमांक-1 व क्रमांक-4 पर उल्लिखित बीमा पालिसियों के सम्‍बन्‍ध में पक्षकारों के मध्‍य कोई विवाद नहीं है। विवाद केवल पालिसी क्रमांक-2 एवं पालिसी क्रमांक-3 के सम्‍बन्‍ध में है।

14-  परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि सारिणीं के क्रमांक-1  में उल्लिखित बीमा पालिसी का नवीनीकरण दिनांक 28/6/2013 को ड्यू था किन्‍तु इस पालिसी के नवीनीकरण का प्रीमियम अंकन 6830/- रूपया परिवादी द्वारा नवीनीकरण की तारीख से पूर्व दिनांक 24/6/2013 को चैक द्वारा अदा  कर दिऐ जाने के बावजूद विपक्षी सं0-2 ने पालिसी का नवीनीकरण दिनांक 28/6/2013 से नहीं किया बल्कि दिनांक 08/7/2013 से 07/7/2014 तक  की अवधि हेतु क्रमांक-2 पर उल्लिखित दूसरी पालिसी परिवादी के नाम जारी कर दी। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का अग्रेत्‍तर कथन है कि पालिसी क्रमांक-2 जारी होने में 9 दिन का विलम्‍ब विपक्षीगण की वजह से हुआ।

15-   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने सारिणीं में क्रमांक-3 पर उल्लिखित पालिसी के सन्‍दर्भ में कथन किया कि सारिणीं के क्रमांक-2 में उल्लिखित पालिसी की अवधि दिनांक 07/7/2014 तक थी विपक्षी सं0-2 ने अगली पालिसी को नवीनीकरण की तारीख के 20 दिन बाद दिनांक 28/7/2014 को जारी किया। इस पालिसी की अवधि दिनांक 28/7/2014 से 27/7/2015 तक थी। यधपि परिवादी ने चैक के माध्‍यम से प्रीमियम की धनराशि अंकन 6830/- रूपया दिनांक 18/6/2014 को अदा कर दी थी जैसा कि उसकी पासबुक की  फोटो प्रति कागज सं0-3/17 से प्रकट है। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का  तर्क है कि सारिणीं में उल्लिखित पालिसी सं0-3 जारी करने में हुऐ 20 दिन  के विलम्‍ब का उत्‍तरदायित्‍व भी विपक्षीगण का है। उनका यह भी तर्क है कि  पालिसी क्रमांक-2 व क्रमांक-3 जारी करने में हुऐ विलम्‍ब के कारण परिवादी  पालिसी के अधीन मिलने वाले लाभों यथा एन0सी0बी0 इत्‍यादि से वंचित हो गया। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी कथन है कि विपक्षी सं0-1 एवं विपक्षी सं0-2 एक-दूसरे की सहयोगी संस्‍था के रूप में कार्य कर रहे हैं और  यही कारण है कि विपक्षी सं0-2 पालिसी के नवीनीकरण का प्रीमियम  विपक्षी सं0-1 के  माध्‍यम से स्‍वीकार करते हैं।

16-  विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि पालिसी विपक्षी सं0-2 द्वारा जारी की गई थी, पालिसी जारी करने का उत्‍तरदायित्‍व भी   विपक्षी सं0-2 का ही है। विपक्षी सं0-1 के अनुसार उसने पालिसी के नवीनीकरण की धनराशि समय से विपक्षी सं0-2 को समयान्‍तर्गत उपलब्‍ध करा दी थी ऐसी दशा में पालिसी के  नवीनीकरण में हुऐ कथित विलम्‍ब का उत्‍तरदाई विपक्षी सं0-1 नहीं है। उनका यह भी कथन है कि परिवादी ने प्रश्‍नगत पालिसी के अन्‍तर्गत कोई मेडिक्‍लेम  विपक्षीगण के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया और विपक्षीगण ने परिवादी को किसी मेडिक्‍लेम से वंचित भी नहीं किया ऐसी दशा में परिवादी को कोई वाद  हेतुक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ अत: उसका परिवाद सव्‍यय खारिज किया जाना चाहिए।

17-   विपक्षी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता ने बीमा पालिसी क्रमांक-2 के पालिसी शिडयूल की नकल कागज सं0-16/7 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ  तर्क दिया कि सारिणीं में उल्लिखित पालिसी क्रमांक-1 के नवीनीकरण का  प्रीमियम विपक्षी सं0-2 को दिनांक 08/7/2013 को प्राप्‍त हुआ था और उसी  दिन उन्‍होंने परिवादी के नाम पालिसी क्रमांक-2 जारी कर दी थी।

18- विपक्षी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता ने इसी प्रकार पालिसी क्रमांक-3 के सन्‍दर्भ में हमारा ध्‍यान पालिसी क्रमांक-3 के शिडयूल की नकल कागज सं0-16/10 की ओर आकर्षित किया और कहा कि पालिसी क्रमांक-2 के  नवीनीकरण का प्रीमियम विपक्षी सं0-2 को दिनांक 28/7/2014 को प्राप्‍त  हुआ था और उसी दिन विपक्षी सं0-2 ने परिवादी के नाम पालिसी क्रमांक-3  जारी कर दी थी। उक्‍त कथनों के आधार पर विपक्षी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि बीमा पालिसी जारी करने में विपक्षी सं0-2 की ओर  से एक दिन का भी विलम्‍ब नहीं किया गया उन्‍हें जिस दिन नवीनीकरण के  प्रीमियम प्राप्‍त हुऐ उसी दिन उन्‍होंने पालिसी क्रमांक-2 एवं पालिसी क्रमांक-3 जारी कर दी थी। विपक्षी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता ने यह भी कहा कि  बीमा कम्‍पनी का दायित्‍व सम्‍बन्धित मेडिक्‍लेम पालिसी के अधीन बीमा कवरेज और वाजिव क्‍लेम राशि के भुगतान करने का है। परिवाद में मांगे  गऐ अनुतोष प्रश्‍नगत मेडिक्‍लेम बीमा पालिसी के अधीन नहीं आते ऐसी दशा   में बीमा कम्‍पनी के विरूद्ध परिवादी को कोई अनुतोष नहीं दिलाया जा सकता। विपक्षी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवादी के इस कथन का भी खण्‍डन किया कि विपक्षी सं0-1 बीमा कम्‍पनी - विपक्षी सं0-2 की सहयोगी संस्‍था है  अथवा विपक्षी सं0-1 बीमा कम्‍पनी –विपक्षी सं0-2 का प्रतिनिधित्‍व करती है।  विपक्षी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता ने  बीमा पालिसी क्रमांक-2 से  सम्‍बन्धित एन्‍डोर्समेंट शिडयूल की नकल कागज सं0-3/8 तथा बीमा पालिसी क्रमांक-3 से सम्‍बन्धित एन्‍डोर्समेंट शिडयूल की नकल कागज सं0-3/10  की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित किया और कहा कि पालिसी क्रमांक-2 व पालिसी क्रमांक-3 जारी होने में हुऐ क्रमश: 9 दिन और 20 दिन के विलम्‍ब को बीमा कम्‍पनी  ने परिवादी की ओर से प्राप्‍त अनुरोध पत्रों के आधार पर डिले कन्‍डोन कर दिया है  ऐसी स्थिति में पालिसी जारी होने में हुऐ कथित विलम्‍ब सम्‍बन्धित विवाद को विराम दे दिया जाना चाहिऐ।

19-  प्रत्‍युत्‍तर में परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवादी की बैंक पासबुक की फोटो कापी कागज सं0-3/15 लगायत 3/17 की ओर हमारा ध्‍यान  आकर्षित किया और कहा कि परिवादी की बैंक पासबुक के अवलोकन से प्रकट है कि पालिसी क्रमांक-2 का प्रीमियम यधपि दिनांक 28/6/2013 को ड्यू था किन्‍तु परिवादी ने ड्यू डेट से पूर्व ही चैक सं0-437655 द्वारा प्रीमियम राशि का भुगतान विपक्षी सं0-1 को कर दिया था जैसा कि डेविट एन्‍ट्री दिनांकित 24/6/2013 से प्रकट है। इसी प्रकार पालिसी क्रमांक-3 हेतु नवीनीकरण का प्रीमियम परिवादी ने चैक सं0-437658 द्वारा विपक्षी सं0-1 को दे दिया था  जैसा कि बैंक पासबुक की डेविट एन्‍ट्री दिनांकित 18/6/2014 से प्रकट है।  परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि पालिसी क्रमांक सं0-1 के नवीनीकरण की तिथि 28/6/2013 थी इस तिथि के हिसाब से अग्रेत्‍तर वर्षों की ड्यू डेट प्रत्‍येक वर्ष की क्रमश: 28 जून थी और इस दृष्टि से परिवादी ने  पालिसी के नवीनीकरण का प्रीमियम प्रत्‍येक वर्ष समय से अदा किया। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार यदि विपक्षी सं0-1 से पालिसी क्रमांक संख्‍या-2 एवं पालिसी क्रमांक सं0-3 के नवीनीकरण हेतु प्रीमियम की राशि विपक्षी सं0-2 को क्रमश: दिनांक 08/7/2013 एवं  28/7/2014 को प्राप्‍त हुई थी जैसा कि विपक्षी सं0-2 की ओर से कहा गया है तो ऐसी स्थिति में प्रीमियम अदायगी में हुई देरी का उत्‍तरदाई विपक्षी सं0-1 को माना जाना चाहिए। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने विपक्षी सं0-1 की ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र और विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से दाखिल साक्ष्‍य शपथ पत्र की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित  करते हुऐ कथन किया कि विपक्षी सं0-1 किसी भी स्‍टेज पर परिवादी के इस कथन का खण्‍डन अथवा प्रतिवाद करने का साहस नहीं कर पाये कि विपक्षी  सं0-2 की ओर से पालिसी का प्रीमियम प्राप्‍त करने हेतु विपक्षी सं0-1 अधिकृत थे और दोनों विपक्षीगण इस हेतु एक दूसरी की सहयोगी संस्‍था के रूप में कार्य कर रहे थे। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के इन कथनों में भी बल  है कि यदि तर्क के तौर पर यह मान लिया जाऐ कि पालिसी का प्रीमियम प्राप्‍त करने हेतु विपक्षी सं0-1 विपक्षी सं0-2 की ओर से अधिकृत नहीं थे तो  परिवादी को क्‍या आवश्‍यकता थी कि वह पालिसी के नवीनीकरण प्रीमियम की अदायगी के  चैक विपक्षी सं0-1 को देते और उक्‍त धनराशि को विपक्षी सं0-1 विपक्षी सं0-2 को उपलब्‍ध कराते। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के  अनुसार विपक्षी सं0-2 की ओर से विपक्षी सं0-1 द्वारा पालिसी के नवीनीकरण की प्रीमियम के चैक परिवादी से प्राप्‍त करना, चैक की धनराशि परिवादी के खाते से डेविट करना और फिर उक्‍त धनराशि के डिमांड ड्राफ्ट बनाकर उसे विपक्षी सं0-2 को प्राप्‍त कराना दर्शाता है कि कदाचित पालिसी के नवीनीकरण हेतु प्रीमियम प्राप्‍त करने के लिए विपक्षी सं0-1 विपक्षी संख्‍या-2 के अधिकृत प्रतिनिधि थे और इस हेतु यह दोनों विपक्षीगण एक दूसरे की सहयोगी संस्‍था के रूप में कार्य कर रहे थे। निष्‍कर्षत: पालिसी क्र्मांक सं0-2 एवं  पालिसी क्रमांक सं0-3 के नवीनीकरण में हुई देरी के लिए दोनों विपक्षीगण समान रूप से उत्‍तरदाई हैं। पालिसी क्रमांक सं0-2 के पालिसी शिडयूल कागज सं0-16/7 और पालिसी क्रमांक सं0-3 के पालिसी शिडयूल कागज सं0-16/10 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी के खाते से दिनांक 24/6/2013 को डेविट हुई धनराशि विपक्षी सं0-1 ने विपक्षी सं0-2 को डिमांड  ड्राफ्ट के माध्‍यम से दिनांक 08/7/2013 को और पालिसी क्रमांक सं0-3 हेतु परिवादी के खाते से दिनांक 18/6/2014 को डेविट की गई धनराशि विपक्षी सं0-1 ने विपक्षी सं0-2 को डिमांड ड्राफ्ट के माध्‍यम से दिनांक 28/7/2014 को उपलब्‍ध कराई। विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता ने यधपि अपने स्‍प्‍ष्‍टीकरण कागज सं0-30/1 में यह कहा है कि उपरोक्‍त दोनों पालिसियों के  नवीनीकरण की धनराशि विपक्षी सं0-1 को समयान्‍तर्गत विपक्षी सं0-2 के  एजेन्‍ट को प्रा्प्‍त करा दी थी किन्‍तु विपक्षी सं0-1 यह बताने का साहस नहीं कर पाऐ कि विपक्षी सं0-2 का वह कौन एजेन्‍ट था जिसे कथ्ति रूप से उन्‍होंने यह धनराशि प्राप्‍त कराई थी। कदाचित अपने उत्‍तरदायित्‍व से बचने के लिए विपक्षी सं0-1 उक्‍त असत्‍य कथन कर रहे हैं। एक तथ्‍य और उल्‍लेखनीय है और वह यह है कि अपने स्‍पष्‍टीकरण कागज सं0-30/1 में विपक्षी सं0-1 की ओर से यह कहा गया है कि दिनांक 24/6/2013 को परिवादी के खाते से डेविट धनराशि विपक्षी सं0-1 की ओर से विपक्षी सं0-2 को पे आर्डर द्वारा भुगतान की गई थी किन्‍तु पे आर्डर द्वारा कथित रूप से भुगतान किऐ जाने का विपक्षी सं0-1 का कथन सारिणीं के क्रमांक सं0-2 पर उल्लिखित पालिसी शिडयूल की नकल  कागज सं0-16/7 से पुष्‍ट नहीं होता। कागज सं0-16/7 में प्रीमियम धनराशि का भुगतान विपक्षी सं0-1 द्वारा विपक्षी सं0-2 को पे आर्डर द्वारा नहीं बल्कि डिमांड ड्राफ्ट द्वारा किऐ जाने का उल्‍लेख है।

20-  उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर यह सिद्ध है कि पालिसी क्रमांक सं0-2 और पालिसी क्रमांक सं0-3 के नवीनीकरण हेतु विपक्षी सं0-1 ने प्रीमियम की धनराशि विपक्षी सं0-2 को डिमांड ड्राफ्ट द्वारा प्राप्‍त कराई और दोनों ही  डी0डी0 विपक्षी सं0-2 को पालिसी के नवीनकरण की तिथि निकल जाने के  बाद प्राप्‍त कराये गऐ। विपक्षी सं0-1 चॅूंकि विपक्षी सं0-2 के अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में और एक दूसरे की सहयोगी संस्‍था के रूप में कार्य कर रहे थे अत: इस देरी के लिए जैसा कि हमने ऊपर कहा है कि दोनों ही विपक्षीगण समान रूप से उत्‍तरदाई हैं।

21- जहॉं तक पालिसी क्रमांक सं0-2 एवं पालिसी क्रमांक सं0-3 में इस  उल्‍लेख का प्रश्‍न है कि परिवादी के आवेदन पर विपक्षी सं0-2 ने डिले कन्‍डोन  कर दिया है, इस सन्‍दर्भ में परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता  ने जोर देकर कहा कि परिवादी ने पालिसी के नवीनीकरण में हुई देरी को माफ किऐ जाने हेतु विपक्षी सं0-1 अथवा विपक्षी सं0-2 को कभी कोई  पत्र नहीं लिखा। उनका यह भी कहाना है कि प्रत्‍येक बार परिवादी ने जब ड्यू डेट से पूर्व पालिसी के नवीनीकरण का पैसा चैक द्वारा दे दिया था तो डिले कन्‍डोनेशन हेतु आवेदन करने का परिवादी को न तो कोई अवसर था और न आवश्‍यकता थी। परिवादी के इन कथनों में बल है। परिवादी की ओर से डिले कन्‍डोनेशन हेतु कथित रूप से दिऐ गऐ किसी पत्र की नकल प्रस्‍तुत न किया जाना भी परिवादी के इस तर्क को स्‍वीकार्य बनाता है कि परिवादी ने डिले कन्‍डोनेशन हेतु किसी प्रकार का कोई पत्र विपक्षी सं0-1 अथवा विपक्षी सं0-2 को नहीं दिया था। कदाचित विपक्षी सं0-2 ने स्‍व: स्‍तर से नवीनीकरण में हुई देरी को कन्‍डोन किया।

22-  उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि  पालिसी क्रमांक सं0-2 एवं पालिसी क्रमांक सं0-3 के नवीनीकरण में जो देरी  हुई है उसके लिए दोनों विपक्षीगण समान रूप से उत्‍तरदाई हैं। चूँकि पालिसियों के नवीनीकरण में देरी हुई अत: पालिसी क्रमांक सं0-1 की निरन्‍तरता टूट गई  और इस कारण परिवादी को नो-क्‍लेम बोनस से वंचित होना पड़ा और उसमें परिवादी का कोई दोष नहीं है। विपक्षीगण के कृत्‍यों से प्रमाणित है कि उन्‍होंने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कमी की और इस हेतु परिवादी को अनावश्‍यक रूप  से मानसिक कष्‍ट तो हुआ ही है साथ ही साथ पालिसी की निरन्‍तरता भंग  होने के कारण वह पालिसी की निरन्‍तरता से उदभूत होने वाले लाभों से भी  वंचित हुआ है। हमारे विनम्र अभिमत में परिवादी को क्षतिपूर्ति की मद में  विपक्षीगण से एकमुश्‍त 25000/- (पच्‍चीस हजार रूपया्) और परिवाद व्‍यय  की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) दिलाया जाना और पालिसी क्रमांक सं0-1 को अग्रेत्‍तर वर्षों हेतु लगातार एवं समयान्‍तर्गत नवीनीकृत मानते हुऐ तदानुसार परिवादी को अनुमन्‍य पालिसी लाभों को विपक्षीगण से दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा। तदानुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

आदेश

इस निर्णय के पैरा संख्‍या-12 में दी गई सारिणीं में उल्लिखित पालिसी क्रमांक सं0-1 को अग्रेत्‍तर वर्षों हेतु समयान्‍तर्गत नवीनीकृत मानते हेतु परिवादी को उक्‍त पालिसियों से उदभूत लाभों को पाने का अधिकारी घोषित किया जाता है। क्षतिपूर्ति की मद में परिवादी एकमुश्‍त 25000/-(पच्‍चीस  हजार रूपया) और परिवाद व्‍यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) विपक्षीगण से पाने का अधिकारी है। दोनों विपक्षीगण का उत्‍तरदायित्‍व संयुक्‍त एवं पृथक-पृथक दोनों प्रकार होगा। क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्‍यय की धनराशि परिवादी को एक माह में अदा की जाय। क्षतिपूर्ति की धनराशि यदि एक माह में अदा नहीं की जाती है तो परिवादी क्षतिपूर्ति की धनराशि पर विपक्षीगण से 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज भी पाने का अधिकारी होगा।

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)    (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     27.05.2016           27.05.2016        27.05.2016

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 27.05.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

      27.05.2016          27.05.2016        े 27.05.2016

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.