Rajasthan

Ajmer

CC/18/2016

SURENDRA SINGH - Complainant(s)

Versus

THE OIC LTD. - Opp.Party(s)

ADV. SP GANDHI

22 Sep 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/18/2016
 
1. SURENDRA SINGH
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. THE OIC LTD.
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 22 Sep 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री सुरेन्द्र सिंह गुर्जर पुत्र श्री हरिसिंह गुर्जर, निवासी- हर्षविहार काॅलोनी, मायामंदिर सिनेमा के पास,जयपुर रोड, अजमेर-305001
                                                -         प्रार्थी


                            बनाम

दी ओरियण्टल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए षाखा प्रबन्धक, षाखा कार्यालय, अजमेरी गेट के अन्दर, ब्यावर, जिला-अजमेर -305901
                                                -       अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या  18 /2016  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री संजय मंत्री,अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 29.09.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसके द्वारा  दिनांक 26.3.2014 को  अंजिता एण्टरप्राईजेज प्राईवेट लिमिटेड, अजमेर से क्रय की गई बजाज पल्सर मोटरसाईकिल का बीमा   क्रय किए जाते समय ही उक्त विक्रेता द्वारा  परिवाद की चरण संख्या  2 में वर्णित अनुसार बीमा पाॅलिसी व कवर नोट के कर दिया गया ।  किन्तु उसे बीमा पाॅलिसी आज दिनंाक तक प्राप्त नहीं हुई ।  उक्त वाहन दिनंाक 20.5.2014 को चोरी हो जाने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट  उसी दिन पुलिस थाना सिविल लाईन्स में दर्ज करवा दी गई  जिसमें एफआर भी पेष कर दी गई । तत्पष्चात् उसने समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम पेष किया ।  अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  जरिए पत्र दिनंाक 22.5.2014, 27.8.2014,  25.9.2014  के द्वारा चाहे गए वांछित दस्तावेजात यथा  वाहन की चाबी, बिल, डीटीओ तथा एनसीआरबी व पुलिस को लिखे पत्र,  उसने प्रेषित कर दिए  । इसके बावजूद भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  पत्र दिनंाक 16.3.2015 के द्वारा वाहन के रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र की मांग की जिसे  देने में प्रार्थी ने  इस आधार पर असमर्थता व्यक्त की कि  उसने रजिस्ट्रेषन करवाने हेतु समस्त दस्तावेजात बजाज  कम्पनी को भिजवा दिए है ।  किन्तु उसे वाहन का रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हुआ है । फिर भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  पत्र दिनंाक 7.5.2015 के द्वारा उसका  क्लेम  चोरी के समय रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र नहीं होने  तथा एमवी एक्ट की धारा 39 का उल्लंघन किए जाने के आधार पर खारिज कर दिया ।  प्रार्थी ने अप्रार्थी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रष्नगत वाहन  का बीमा जवाब परिवाद की चरण संख्या 2  में वर्णित  इंजन नं व चैसिस नम्बर के आधार पर  किया जाना स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि  प्रष्नगत वाहन का दिनांक 29.5.2014 को रोड टैक्स  जमा किया  था और वाहन दिनंाक 20.5.2014 को चोरी हो गया  । इस प्रकार चोरी की दिनांक को  वाहन  पंजीयन कार्यालय में पंजीकृत नही ंथा,  जो एमवीएक्ट की धारा 29 का उल्लंघन है ।  प्रार्थी ने बावजूद स्मरण पत्र दिनंाक 8.10.2014, 17.109.2014, 27.11.23012, 14.1.2015  के वाहन की मूल चाबियां, इन्वाईस, डीटीओ, एनसीआरबी व पुलिस को निर्धारित प्रारूप में लिखे गए पंजीकृत पत्रों की प्रतियों व  वाहन का पंजीकरण प्रमाणपत्र  की मांग की थी  । प्रार्थी  को पंजीकरण प्रमाण पत्र के अलावा समस्त दस्तावेजात उपलब्ध करा दिए । अन्त में दिनांक 14.1.2015 के पत्र द्वारा 15 दिवस में  वाहन पंजीयन प्रमाण पत्र मांगा गया और उपलब्ध नहीं कराने पर  क्लेम दावा फाईल बन्द कर दिए जाने के बाबत् अवगत भी कराया ।  किन्तु प्रार्थी ने वांछित दस्तावेज उपलब्ध नही ंकराया  । इसलिए प्रार्थी का क्लेम खारिज करते हुए जरिए पत्र दिनंाक  7.5.2015 के सूचित कर दिया गया । इसमें उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई  । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में  प्रेमसुख माहेष्वरी, मण्डल प्रबन्धक  का ष्षपथप. पेष हुआ है ।  
3.    प्रार्थी का तर्क है कि वाहन के इंजन व चैसिस नं के आधार पर बीमा कवर के मार्फत बीमित होने व चोरी की सूचना पुलिस थाना व बीमा कम्पनी  को समय पर करने, बीमा कम्पनी द्वारा समय समय पर मांगी सूचनाओं को भिजवाने के बावजूद जिस प्रकार उन्होने क्लेम को वाहन रजिस्ट्रेषन नहीं होने के आधार पर खारिज किया है, वह उचित नहीं है  ।  ऐसा कर उन्होने सेवा में कमी की हे । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।  माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने विनिष्चय  प्प्;2012द्धब्च्श्रण्512;छब्द्ध प्थ्थ्ब्व् ज्व्ज्ञप्व्  ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे च्तंजपउं श्रीं में स्थिति स्पष्ट करते हुए प्रतिपादित कर दिया है कि बीमा कम्पनी मात्र  वाहन के रजिस्टर्ड नहीं होने के आधार पर क्लेम को खारिज नहीं कर सकती । 
4.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रष्नगत वाहन का बीमा कवर नोट के आधार पर होना पाया  । किन्तु उनका प्रमुख तर्क  यही रहा है कि वाहन वक्त दुर्घटना के बिना रजिस्ट्रेषन के चलाया जा रहा था । अतः एमवीएक्ट की धारा 39 के उल्लंघन व बीमा पाॅलिसी की षर्तो के उल्लंघन में क्लेम देय  नहीं है  व किया गया रेपुडिएषन उचित है । अपने तर्को के समथर्न में उन्होनें विनिष्चय  प्ट;2014द्धब्च्श्रण्11;ैब्द्ध छंतमदकतं ैपदही टे छमू प्दकपं  प्देनतंदबम ब्व स्जक  ए 2011 छब्श्रण्314;छब्द्ध  छपतंदरंद ज्ञनउंत ल्ंकंअ टे  छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक पर अवलम्ब लिया है ।
5.     हमने परस्पर तर्क सुन लिए है एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चयों में प्रतिपादित सिद्वान्तों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    प्रार्थी का वाहन का स्वामी होना, उसका बीमा कम्पनी द्वारा  दिनंाक 26.3.2014 से  25.3.2015 तक  बीमित होना व दिनंाक 20.5.2014 को वाहन का चोरी होना व इसी तिथि को पुलिस थाने में रिपोर्ट होना, बीमा कम्पनी को दिनंाक 21.5.2014 को सूचित किया जाना विवाद के बिन्दु नहीं है ।  विवाद का बिन्दु एक मात्र वाहन  का चोरी की दिनंाक को पंजीकृत नहीं होना है । जो विनिष्चय च्तंजपउं श्रीं वाला प्रार्थी की ओर से प्रस्तुत हुआ है, में  हालांकि माननीय राष्ट्रीय आयेाग द्वारा यह प्रतिपादित किया गया है कि बीमा कम्पनी मात्र इस आधार पर क्लेम को खारिज नहीं कर सकती कि वाहन घटना के दिन पंजीकृत नहीं था जबकि बीमा कम्पनी की ओर से जो विनिष्चय  नरेन्द्र सिंह वाला प्रस्तुत हुआ है , वह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2.014  में पारित दिषा निर्देष  है जिसके अन्तर्गत  वाहन के प्रष्नगत तिथि को पंजीयन नहीं होने,  वाहन स्वामी द्वारा एमवी एकट की धारा 39 के अन्तर्गत स्थायी रजिस्ट्रेषन  के लिए आवेदन नहीं करना अथवा अस्थाई रजिस्ट्रेषन को बढाने के लिए आवेदन नहीं किए जाने की स्थिति में यदि ऐसा वाहन बिना रजिस्ट्रेषन के लोक मार्ग पर चलाया जाता है तो न केवल  अपराध धारा 92 एमवी एक्ट के अन्तर्गत दण्डनीय ही है अपितु बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तो के उल्लंघन में भी कवर होता है । माननीय सर्वोच्च न्यायालय  ने  बीमा कम्पनी द्वारा किए गए रेपुडिएषन को न्यायोचित पाया । इसी प्रकार निरंजन वाले मामले में माननीचय राष्ट्रीय आयोग ने  पाया है कि यदि रजिस्ट्रेषन आथिरिटी के समक्ष वाहन के रजिस्ट्रेेषन हेतु प्रार्थना पत्र लम्बित है तो ऐसी अवस्था में बीमा कम्पनी के द्वारा  नो क्लेम पारित किया  जा सकेगा ।   
7.    हस्तगत प्रकरण में स्वीकृत रूप से  प्रष्नगत वाहन का रजिस्ट्रेषन नहीं था । वाहन चोरी की घटना दिनंाक 20.5.2014 को हुई है । प्रार्थी ने रजिस्ट्रेषन हेतु फीस जमा  नहीं कराई है । इन हालात में  प्रार्थीश् द्वारा प्रस्तुत नजीर उसे कोई सहायता नहीं पहुंचाती,  अपितु अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत नजीरों के प्रकाष में जो कि वर्ष 2012 के मुकाबले वर्ष 2014  में माननीय सर्वोच्च न्यायालय  द्वारा पारित किए गए  दृष्टान्तों  के क्रम में यदि बीमा कम्पनी ने रजिस्ट्रेषन के अभाव में क्लेम खारिज किया है तो उसमें कोई सेवा में कमी का परिचय नहीं दिया है । क्लेम सहीं रूप से  खारिज किया है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि  
                        -ःः आदेष:ः-
8.            प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 29.09.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           
.

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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