Uttar Pradesh

Chanduali

CC/19/2013

MAHANAND - Complainant(s)

Versus

THE NEW INDIAN ASSURANCE COMPANY LTD - Opp.Party(s)

Rama Singh

24 Feb 2018

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Complaint Case No. CC/19/2013
 
1. MAHANAND
Vill-KAMATI PO-DHARADE DIS-CHANDUALI
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. THE NEW INDIAN ASSURANCE COMPANY LTD
RAMAKATORLHURABIR VARANSI
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 24 Feb 2018
Final Order / Judgement
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 19                               सन् 2013ई0
महानन्द पुत्र केशव निवासी कमती पो0धरदे  जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                   बनाम
1-वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक,यूनाइटेड इण्डिया इश्योरेंस कम्पनी लि0 मण्डलीय कार्यालय रामकटोरा चौराहा द्वितीय तल लहुराबीर वाराणसी।
2-शाखा प्रबन्धक उ0प्र0 सहकारी ग्राम्य विकास बैंक लि0 चकिया।
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 लक्ष्मण स्वरूप,सदस्य
                           निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी से मृतक भैस की कीमत,दवा इलाज, तथा शारीरिक,मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु कुल रू0 78340/- मय 15 प्रतिशत व्याज के साथ दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- परिवादी की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी अपने जीविकोपार्जन हेतु सामान्य डेयरी योजना के अर्न्तगत विपक्षी संख्या 2 से ऋण लेकर भैस क्रय किया। परिवादी ने भैस क्रय करने के पश्चात बबुरी के पशुचिकित्साधिकारी से स्वास्थ्य परीक्षण कराने के उपरान्त विपक्षी 1 के अधिकृत अधिकारी/एजेण्ट से भैस को दिखाने के बाद बीमा कराया। जिसका छल्ला क्रमांक न्प्प्ब्व्ध्23048है।परिवादी के उपरोक्त छल्ला क्रमांक की भैस दिनांक 10-11-2001 को बीमार पड गयी जिसका इलाज भी करवाया लेकिन इलाज के दौरान ही दिनांक 10-11-2001 को समय लगभग 9 बजे सुबह भैस की मृत्यु हो गयी जिसका शव परीक्षण बबुरी के पशु चिकित्साधिकारी ने किया। परिवादी ने भैस की मृत्यु की सूचना दिनांक 10-11-2001 को विपक्षी संख्या 2 को दिया और विपक्षी संख्या 1 द्वारा मांग किये गये सम्पूर्ण आवश्यक कागजात तथा कान मय छल्ला उपलब्ध करा दिया। विपक्षी संख्या 1 द्वारा दावे के भुगतान हेतु परिवादी को अपने कार्यालय बुलाया जाता रहा और आश्वासन दिया जाता रहा कि जल्द ही आपके दावे का भुगतान कर दिया जायेगा। परिवादी ने दिनांक 17-1-2013 को विपक्षी संख्या 1 को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस दिया किन्तु विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी को न तो दावे का भुगतान किया गया और न ही कोई सूचना दिया गया। परिवादी के दावे का वादहेतुक दिनांक 17-1-2013 को विपक्षी संख्या 1 को भेजे गये नोटिस का जबाब न देने के कारण उत्पन्न हुआ। तत्पश्चात परिवादी ने परिवाद दाखिल किया। 
3-  विपक्षी संख्या 1 ने जबाबदावा प्रस्तुत करके परिवादी के परिवाद पत्र में किये गये कथनों को अस्वीकार  करते हुए संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी ने अपने दावे के पैरा-3 में भैस का छल्ला क्रमांक UIICO/6161कहा है और भैस जिसका छल्ला क्रमांक नम्बर उपरोक्त है वह दिनांक 30-9-2011 को बीमार 
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पड गयी और दिनांक 1-11-2011 को उसकी मृत्यु हो गयी। परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ संलग्नक के रूप में जो कागजात दाखिल किये है वह विपक्षी संख्या 1 के कार्यालय से जारी नहीं हुआ है। परिवादी ने दि न्यू इण्डिया इश्योरेंस कम्पनी की बीमा पालिसी दाखिल की है जो दिनांक 5-10-2012 से 4-10-2011 तक वैध थी और बीमा कम्पनी के सहायक प्रबन्धक ने विपक्षी संख्या 2 को दिनांक 23-2-2012 को पत्र लिखते हुए सूचित किया है कि बीमा पालिसी संख्या 42070047100100000531 अवधि 5-10-2010 से 4-10-2011 कर्ण छल्ला संख्या UIICO/6161की पशु के मृत्यु तिथि 1-10-2011 के बारे में शाखा प्रबन्धक को सूचित करते हुए लिखा है कि ’’उपरोक्त संदर्भ में बीमाधारक महानन्द के दावे की जांच कराने पर ज्ञात हुआ कि पशु कर्ण छल्ला संख्या न्प्प्ब्व्ध्6161की पशु की मृत्यु नहीं हुई है’’। अतः दावे को नो-क्लेम करके पत्रावली बन्द कर दी जाय। परिवादी के बीमा कागजात व पत्र दिनांकित 23-2-2012 की छायाप्रति हलफनामा के साथ दाखिल है। परिवादी ने गलत बयानी के साथ फोरम के समक्ष दावा दाखिल किया है। ऐसी स्थिति में परिवादी पर रू0 10000/- हर्जाना लगाते हुए विपक्षी संख्या 1 को मुकदमें से बरी किया जाय।
4- विपक्षी संख्या 2 को इस फोरम द्वारा नोटिस भेजी गयी जो उनपर तामिल भी हुई किन्तु विपक्षी संख्या 2 न तो हाजिर आये एवं न ही जबाबदावा दाखिल किये अतः यह परिवाद विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से चला।
5-परिवादी की ओर से स्वयं परिवादी महानन्द  का शपथ पत्र दाखिल किया गया है इसके अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में यूनाइटेड इ0इ0कम्पनी  को भैस के मरने की सूचना देने के प्रार्थना पत्र की छायाप्रति,भैस के स्वास्थ्य परीक्षण प्रमाण पत्र की छायाप्रति,यूनाइटेड इ0इ0कम्पनी के बीमा पालिसी की छायाप्रति,मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति,मवेशियों सम्बन्धी दावे के फार्म की छायाप्रति,शव परीक्षण रिर्पोट की छायाप्रति,वेटनरी प्रमाण पत्र,रजिस्ट्री रसीद की मूल प्रति,विधिक नोटिस की कार्बन प्रति दाखिल की गयी है। 
विपक्षी संख्या 1 की ओर से सी0एम0 उपाध्याय वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी के पशु के न्यू इण्डिया इश्योरेंस कम्पनी की बीमा पालिसी की छायाप्रति,दि न्यू इण्डिया इश्योरेंस कम्पनी लि0 द्वारा शाखा प्रबन्घक उ0प्र0 सहकारी ग्राम्य विकास बैंक विपक्षी संख्या 2 को लिखे गये पत्र की छायाप्रति दाखिल की गयी है। 
6- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुना गया है, अवसर दिये जाने के बावजूद विपक्षी संख्या 1 की तरफ से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ। पत्रावली का सम्यक रूपेण परिशीलन किया गया।
7- परिवादी की ओर से तर्क दिया गया है कि परिवादी ने अपनी भैस जिसका छल्ला संख्या 23048 था, का बीमा विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से विपक्षी संख्या 1,यूनाइटेड इण्डिया इश्योरेंस कम्पनी लि0 से करवाया था। परिवादी की उपरोक्त
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 भैस बीमा अवधि में ही दिनांक 10-11-2010 को बीमार पड गयी जिसका इलाज भी कराया गया और दौरान इलाज दिनांक 10-11-2010 को ही उक्त भैस की मृत्यु हो गयी जिसका शव परीक्षण बबुरी के पशु चिकित्साधिकारी द्वारा किया गया। परिवादी ने भैस के मृत्यु की सूचना उसी दिन अर्थात दिनांक 10-11-2010 को ही विपक्षीगण को दिया और विपक्षी संख्या 1 द्वारा मांगे गये सभी आवश्यक कागजात, भैस का कान  छल्ला सहित उन्हें उपलब्ध कराया गया। विपक्षी संख्या 1 परिवादी के क्लेम के भुगतान का आश्वासन देते रहे लेकिन जब उन्होंने भुगतान नहीं किया तब परिवादी ने दिनांक 17-1-2013 को उन्हें कानूनी नोटिस भी दिया लेकिन विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी, तब परिवादी ने यह दावा दाखिल किया है। परिवादी के अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी के भैस की मृत्यु बीमा अवधि में ही हुई है इसलिए विपक्षी संख्या 1 से परिवादी भैस के बीमा की धनराशि रू0 20000/- तथा भैस के दवा इलाज के खर्च हेतु रू0 2000/- मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 1000/- तथा वाद व्यय हेतु रू0 2000/-प्राप्त करने का अधिकारी है। इसके अतिरिक्त परिवादी की भैस की मृत्यु के कारण परिवादी को 8 लीटर दूध का प्रतिदिन का नुकसान हुआ है। इस प्रकार एक वर्ष के दूध की कीमत रू0 78340/- भी परिवादी विपक्षी से प्राप्त करने का अधिकारी है।
8- इसके विपरीत विपक्षी संख्या 1 का अभिकथन है कि परिवादी ने दावा के पैरा-3 में अपने भैस का छल्ला संख्या 6161 कहा है और उसकी मृत्यु दिनांक 1-10-2011 को होना बताया है। परिवादी ने जो बीमा पालिसी दाखिल की है वह दिनांक 5-10-2010 से 4-10-2011 तक वैध थी। बीमा कम्पनी के सहायक प्रबन्घक ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक शाखा चकिया को दिनांक 23-10-2012 को पत्र लिखकर यह सूचित किया था कि भैस जिसके कान के छल्ला का क्रमांक संख्या 6161 है, के सम्बन्ध में बीमाधारक महानन्द के दावा की जांच कराने पर ज्ञात हुआ कि उक्त भैस की मृत्यु नहीं हुई है। अतः परिवादी के दावा को नो क्लेम करते हुए पत्रावली बन्द कर दी गयी। विपक्षी का अभिकथन है कि परिवादी का दावा उस पर जुर्माना लगाते हुए खारिज किये जाने योग्य है।
9- पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने अपने परिवाद में अपने भैस का छल्ला संख्या UIICO/23048 बताया है। परिवादी ने अपने दावा में कहीं भी अपने भैस का छल्ला क्रमांक 6161 नहीं बताया है। इस प्रकार विपक्षी संख्या 1 ने अपने जबाबदावा में जो अभिकथन किया है कि परिवादी की भैस का छल्ला क्रमांक 6161 था। यह अभिकथन गलत सिद्ध हो जाता है। प्रस्तुत मुकदमें में परिवादी ने जो दस्तावेजी साक्ष्य दाखिल किया है उसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी को जो प्रार्थना पत्र प्रेषित किया था जिसकी छायाप्रति कागज संख्या 4/1 है में परिवादी ने अपने भैस का छल्ला क्रमांक UIICO/23048 बताया है। भैस के हेल्थ सर्टिफिकेट की छायाप्रति भी दाखिल की गयी है उसमे कान के छल्ले का नम्बर 23048 बताया गया है। इसी प्रकार परिवादी ने भैस के बीमे का जो अभिलेख कागज संख्या 4/3 दाखिल किया है उसमे भी भैस 
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के छल्ला संख्या 23048 बताया गया है।भैस के मृत्यु प्रमाण पत्र कागज संख्या 4/4 में भी भैस का छल्ला संख्या 23048 दिखाया गया है। भैस के बीमा का जो अभिलेख कागज संख्या 4/5 दाखिल किया गया है उसमे भी भैस के कान के छल्ले की संख्या 23048 बतायी गयी है। इसी प्रकार भैस के पोस्टमार्टम रिर्पोट में भी छल्ला संख्या 23048 ही दर्ज है। इस प्रकार परिवादी ने अपनी भैस के जितने अभिलेख दाखिल किये है सब में उसकी भैस के कान के छल्ले का नम्बर 23048 ही है,6161 नहीं है और न ही परिवादी ने कही यह अभिकथन किया है कि उसकी भैस के छल्ले का संख्या 6161 थी। अतः इस सम्बन्ध में विपक्षी का अभिकथन असत्य सिद्ध हो जाता है। विपक्षी की ओर से परिवादी के भैस के छल्ला संख्या 6161 के जो अभिलेख कागज संख्या 7/1 के रूप में दाखिल है उसने यह सिद्ध नहीं होता है कि इस मुकदमें में परिवादी ने जिस भैस को मरना कहा है उसका छल्ला संख्या 6161 था क्योंकि एक व्यक्ति दूध का व्यवसाय करने के लिए कई भैसे खरीदता है। परिवादी ने अपने परिवाद में स्पष्ट रूप से यह कहा है कि उसने भैस सामान्य डेयरी योजना के अर्न्तगत ऋण लेकर लिया था और उन्हीं भैसों से उसका जीविकोपार्जन होता था। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि परिवादी ने कई भैसे डेयरी हेतु खरीदी होगी। यहॉं यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि प्रस्तुत मुकदमें में जिस भैस का छल्ला संख्या 23048 था के सम्बन्ध में दावा किया गया है उसका बीमा दिनांक 12-4-2010 से 11-4-2011 के लिए विपक्षी संख्या 1 द्वारा किया गया है जबकि विपक्षी संख्या 1 ने अपने जबाबदावा में जिस भैस के छल्ला संख्या 6161 का उल्लेख किया है उसका बीमा दिनांक 5-10-2010 से 4-10-2011 के लिए हुआ है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि भैस छल्ला क्रमांक 23048 तथा भैस छल्ला संख्या 6161 का बीमा विपक्षी संख्या 1 द्वारा अलग-अलग तिथियों में किया गया है। इससे भी यही निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी ने कई भैसे खरीदकर उनका बीमा विपक्षी संख्या 1 से करवाया है। विपक्षी संख्या 1 की ओर से ऐसा कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया है जिससे यह सिद्ध हो सके कि परिवादी ने भैस छल्ला संख्या 23048 का बीमा विपक्षी से नहीं करवाया था या फिर उक्त भैस की मृत्यु नहीं हुई थी क्योंकि परिवादी ने भैस के बीमा के कागजात भैस के मृत्यु प्रमाणपत्र,पोस्टमार्टम रिर्पोट क्लेम हेतु दिये गये प्रार्थना पत्र आदि से सम्बन्धि जो अभिलेख दाखिल किया है उससे यह बात भलीभांति सिद्ध हो जाती है कि परिवादी के भैस का छल्ला संख्या 23048 था जिसकी मृत्यु दिनांक 10-11-2010 को हुई है उक्त भैस का बीमा दिनांक 12-4-2010 से 11-4-2011 तक के लिए वैध रहा है। अतः भैस की मृत्यु बीमा अवधि में ही हुई है। अतः विपक्षी संख्या 1 परिवादी को भैस का बीमा मूल्य रू0 20000/- देने के लिए उत्तरदायी पाया जाता है। इसी प्रकार मुकदमें के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए फोरम की राय में परिवादी को शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 2000/-तथा वाद व्यय हेतु रू0 1000/- दिलाया जाना भी न्यायोचित प्रतीत होता है और इस प्रकार परिवादी का परिवाद विपक्षी संख्या 1 के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
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                                 आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी संख्या 1 के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 1 को आदेशित किया जाता है कि वह आज से 2 माह के अन्दर परिवादी को उसकी मृत भैस की बीमा धनराशि रू0 20000/-(बीस हजार) शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 2000/-(दो हजार) तथा वाद व्यय हेतु रू0 1000/-(एक हजार) अर्थात कुल रू0 23000/-(तेइस हजार)अदा करें। यदि विपक्षी उपरोक्त अवधि में उक्त धनराशि अदा नहीं करता है तो परिवादी विपक्षी से दावा दाखिल करने की तिथि अर्थात दिनांक 8-3-2013 से उक्त धनराशि पर 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से व्याज प्राप्त करने का भी अधिकारी होगा। 
  
(लक्ष्मण स्वरूप)                                      (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्य                                                अध्यक्ष
                                                  दिनांकः24-2-2018 
 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop]
MEMBER

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