Uttarakhand

Rudraprayag

14/2014

Jagatram Ghoshwami S/o Lat. Jaanki Prashad ghoshwami - Complainant(s)

Versus

The new india insurance ldt - Opp.Party(s)

Gangadhar nautyal

23 Sep 2016

ORDER

District Consumer Form, Rudra Prayag, Uttrakhand
Near District Hospital, Rudra Prayag, Uttrakhand
 
Complaint Case No. 14/2014
 
1. Jagatram Ghoshwami S/o Lat. Jaanki Prashad ghoshwami
Gauri kund Rudra Prayag uttrakhand
...........Complainant(s)
Versus
1. The new india insurance ldt
Dehradun road rishikesh uttrakhand 249201
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ashis Naithani PRESIDENT
 HON'BLE MR. Jeet pal singh kathait MEMBER
 HON'BLE MRS. Geeta Rana MEMBER
 
For the Complainant:Gangadhar nautyal, Advocate
For the Opp. Party: Vijay pal Rawat , Advocate
Dated : 23 Sep 2016
Final Order / Judgement

न्यायालय जिला फोरम, उपभोक्ता संरक्षण, रूद्रप्रयाग।
उपस्थित: आशीष नैथानी, अध्यक्ष,
                    श्री जीतपाल सिंह कठैत, सदस्य,
                    श्रीमती गीता राणा, सदस्या।
उपभोक्ता वाद संख्याः  14/2014
जगतराम गोस्वामी पुत्र स्व0 जानकी प्रसाद गोस्वामी, ग्राम गौरीकुण्ड, पो0आॅ0 गौरीकुण्ड, तहसील ऊखीमठ जनपद रूद्रप्रयाग            ............................     प्रार्थी।
बनाम
वरिश्ठ मण्डलीय प्रबन्धक, दि न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी, लिमिटेड 29 देहरादून रोड़ ऋशिकेष, उत्तराखण्ड, 249201       ...............               प्रतिवादी।

1- प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता   ः     श्री गंगाधर नौटियाल, एडवोकेट ।
2- प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता ः     श्री विजयपाल सिंह रावत, एडवोकेट। 

श्रनकहउमदज चतमचंतमक इल. ।ेीपेी छंपजींदपए ब्ींपतउंदण्

निर्णय
            प्रार्थी ने यह प्रार्थना पत्र उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12, के अन्तर्गत विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध बीमाकृत होटल जगतराज के दिनांक 16-17 जून, 2013 दैवीय आपदा में हुये नुकसान की भरपाई की धनराषि ृ 1,48000/- तथा प्रार्थी द्वारा इस सम्बन्ध में नक्षा इत्यादि में आये खर्च ृ 30000/- तथा बार-बार कार्यालय बुलाने व अनावष्यक दौड धूप में खर्चा ृ 5000/- कुल मिलाकर ृ 1,83000/- बतौर क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
 2ः-         संक्षेप में प्रार्थी का कथन है कि, प्रार्थी का सीतापुर में होटल जगतराम नाम से प्रतिश्ठान है, जो कि दि न्यू इण्डिया इन्ष्योेरेन्स कम्पनी लिमिटेड 92 देहरादून रोड ऋशिकेष से दिनांक 16/01/2013 से 15/01/2014 तक के लिए ृ 1,50,00000/-(एक करोड़ पचास लाख रूपये) के लिए बीमाकृत था। दिनांक 16-17 जून/2013 को केदारनाथ में आयी भयानक दैवीय आपदा से प्रार्थी के होटल के कमरों पर दरारें पड़ने से होटल क्षतिग्रत हो गया और इस सम्बन्ध में प्रार्थी द्वारा प्रतिवादी बीमा कम्पनी तथा षाखा प्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक फाटा को सूचना दी गयी। प्रार्थी की सूचना पर प्रतिवादी कम्पनी के सर्वेयर ने होटल का निरीक्षण किया तथा प्रार्थी से होटल का नक्षा व क्षति का आंकलन करवाया। जिस पर प्रार्थी का क्रमषः ृ 25000/-रूपये, ृ 5000/-रूपये कुल मिलाकर ृ 30,000/-रूपये का खर्चा आया। इसके अलावा प्रतिवादी कम्पनी के कार्यालय में आने-जाने में व उक्त दस्तावेज तैयार करने में प्रार्थी का ृ 5000/-रूपये का खर्चा आया। समस्त दस्तावेज प्रतिवादी कम्पनी को दिये जाने के बाद 20-12-2013 को बिना किसी आधार पर अपनी जिम्मेदारियों से भागते हुए प्रतिवादी बीमा कम्पनी द्वारा ‘नो-क्लेम’ का पत्र भेज दिया, जो पूरी तरह गलत है। जबकि इस संबध में प्रार्थी द्वारा उप-जिला अधिकारी ऊखीमठ को भी पत्र दिया गया था जिन्होंने लोक निर्माण विभाग द्वारा उक्त होटल की क्षति का आंकलन कराया और लोक निर्माण विभाग के इन्जीनियरों द्वारा ृ1,48000/-रूपये के नुकसान का आंकलन किया गया है। प्रतिवादी बीमा कम्पनी अपने दायित्वों से बचने का प्रयास कर रही है और बीमाकृत होटल के नुकसान की भरपाई करने में आना-कानी कर रही है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी से ृ 35000/-रूपये का खर्चा करवाकर प्रार्थी का आर्थिक नुकसान किया है। इस सम्बन्ध में प्रार्थी के अधिवक्ता द्वारा दिनांक 05-03-2014 को प्रतिवादी को नोटिस दिया गया किन्तु प्रतिवादी द्वारा क्षतिपूर्ति की धनराषि प्रार्थी को अदा नहीं की गयी। उक्त होटल का निर्माण 2008-09 में हुआ है तथा वर्श 2009 से प्रतिवर्श भारतीय स्टेट बैंक फाटा के माध्य से होटल का बराबर बीमा हुआ है। वर्श 2012-13 में भी प्रतिवादी बीमा कम्पनी द्वारा ही होटल का बीमा किया गया था यहां तक कि इस वर्श भी प्रतिवादी बीमा कम्पनी द्वारा होटल का आंकलन ृ 3,30,00000/- (तीन करोड़ तीस लाख रूपये) किया गया। अतः प्रार्थी की ओर से निवेदन किया गया कि विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमाकृत होटल जगतराज के दिनांक 16-17 जून, 2013 दैवीय आपदा में हुये नुकसान की भरपाई की धनराषि ृ 1,48000/- तथा विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी से कराये गये ृ 35000/-खर्चा तथा प्रतिवादी के कार्यालय आने-जाने का खर्चा ृ 5000/-कुल मिलाकर ृ 1,83000/- बतौर क्षतिपूर्ति दिलाया जाय। 
3ः-          प्रार्थी केे प्रार्थना पत्र पर विपक्षी बीमा कम्पनी को नोटिस जारी किया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जबावदावा 10-ख प्रस्तुत करते हुये अधिकतर कथनों को अस्वीकार किया गया और अतिरिक्त कथन में कहा गया है कि बीमा कम्पनी को परिवादी द्वारा सूचना देने पर बीमा कम्पनी द्वारा मौके की जांच हेतु सर्वेयर नियुक्त किया गया जिसके द्वारा दौराने जांच पाया गया कि, आरोपित क्षति आपदा के कारण नहीं हुयी बल्कि होटल कन्सट्रक्षन डिफेक्ट (निर्माण में कमी) के कारण क्षति हुई जो पाॅलिसी के अन्तर्गत कवर नहीं करता है। परिवादी का वाद उपभोक्ता अधिनियम की धारा 2(घ) के अन्तर्गत पोशणीय नहीं है तथा साक्ष्य अधिनियम की धारा 17 के अनुसार साक्ष्यों का सिद्ध करना आवष्यक है। परिवादी को अपना वाद दीवानी न्यायालय में प्रस्तुत करना चाहिए था किन्तु परिवादी दीवानी मालियत से बचने हेतु जानबूझ कर दीवानी न्यायालय में अपना वाद प्रस्तुत नहीं कर रहा है जबकि परिवादी का वाद दीवानी प्रकृति का है। इस आधार पर प्रार्थी का प्रार्थना पत्र खारिज होने योग्य है।
4ः-          प्रार्थी ने अपने प्रार्थना पत्र के समर्थन में स्वयं का षपथ पत्र कागज संख्या-13क व सुमन देव भट्ट का षपथ पत्र 17-क पेष करते हुए सूची 4-क से दि, न्यू इण्डिया इन्ष्योरेन्स कम्पनी के पत्र की फोटो प्रति, बीमा पाॅलिसी की फोटो प्रति 4-क/3, विपक्षी को प्रेशित नोटिस की प्रति कागज संख्या 4-क/5, विपक्षी द्वारा प्रार्थी के नोटिस का प्रति-उत्तर कागज संख्या 4-क/7, राजस्व उप निरीक्षक फाटा द्वारा जारी प्रमाण पत्र कागज संख्या 4-क/9, उपजिलाधिकारी द्वारा अधिषासी अभियन्ता अस्थाई खण्ड लोक निर्माण विभाग गुप्तकाषी को प्रेशित पंत्राक 655/एस0टी0-विविध/2013, दिनांकित 23-12-2013 की फोटो प्रति कागज संख्या-4क/10, उपजिलाधिकारी को प्रेशित रिपोर्ट की प्रति कागज संख्या 4-क/11, मौका नक्षा नजरी 4-क/12, अधिषासी अभियंता अस्थाई खण्ड लो0नि0वि0 गुप्तकाषी की रिपोर्ट 4-क/13 लगायत 4-क/17, सर्वेयर का पत्र मय डाक लिफाफा कागज संख्या 16-क/1 लगायत 16-क/2 एवं सर्वेयर एस0डी0 भट्ट द्वारा जारी बिल 16-क/3 की प्रति को दाखिल किया है।
5ः-          विपक्षी की ओर से अपनी आपत्ति के समर्थन में राजीव कुमार गुप्ता को बतौर डी0डब्ल्यू-1 प्रस्तुत किया गया जबकि दस्तावेजी साक्ष्य में सर्वेयर द्वारा तैयार रिपोर्ट कागज संख्या 23-ख/1 लगायत 23-ख/6 तथा होटल जगतराज की आपदा के बाद के छायाचित्र की प्रति 27-ख/7 लगायत 27-ख/8 को मूल रूप से दाखिल किया गया है।
5ः-          हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण को सुना एवं पत्रावली पर मौखिक एवं दस्तावेजी साक्ष्य का अवलोकन किया।
6ः-          विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से कहा गया कि, प्रस्तुत प्रार्थना पत्र  फर्जी तथ्यों पर उपभोक्ता फोरम के समक्ष याचीकर्ता द्वारा योजित किया गया है। पत्रावली पर विवादित सम्पत्ति से सम्बन्धित छायाचित्र दस्तावेज कागज संख्या 23-ख/7 लगायत 23-ख/8 का सन्दर्भ देते हुए कहा गया कि, यदि फोरम संलग्न छायाचित्रों पर गौर फरमाये तो यह स्पश्ट होगा कि विवादित होटल ज्यों का त्यों है, उस पर किसी भी रूप में बाढ अथवा किसी दैवीय आपदा का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, इसमें मात्र बरसात में जमी काईयों के निषानात हैं, बस इससे ज्यादा कुछ नहीं। अतः कहा गया कि जो भी साक्ष्य इस सम्बन्ध में याचीकर्ता की ओर से दाखिल किये गये हैं उसमें कोई दम नहीं है और मात्र नजायज मुआवजा ऐंठने की गरज से झूठा दावा पेष किया गया है।  
7ः-          विपक्षी बीमा कम्पनी की आपत्ति के जबाब में याचीकर्ता की ओर से कहा गया कि, प्रथमतः जो भी दलीलें विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से याचीकर्ता का दावा खारिज करने की गरज से दी गयी हैं, वे बे-बुनियाद और गलत है। चूंकि स्वयं विपक्षी बीमा कम्पनी यह मानकर चली है कि वर्श 2013 दैवीय आपदा में याचीकर्ता की विवादित सम्पत्ति को जो क्षति पहुंची थी उससे सम्बन्धित धनराषि मुआवजे के रूप में पाने हेतु जब बीमा कम्पनी को कई बार मुतालबा करने पर भी वांछित रकम बीमा कम्पनी द्वारा याचीकर्ता को अदा नहीं की गयी तब याचीकर्ता की ओर से बीमा कम्पनी को जरिये वकील नोटिस जारी किया गया। नोटिस के जबाब विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत कागज संख्या 4-क/7 लगायत 4-क/8 में जांच सर्वेयर के द्वारा पाया गया कि आरोपित क्षति आपदा के कारण नहीं हुई है बल्कि ‘‘कन्सट्रक्षन डिफेक्ट (निर्माण में कमी) के कारण क्षति हुई जो पाॅलिसी के अन्तर्गत कवर नहीं करता है।’’ इस तरह विपक्षी बीमा कम्पनी ने यह माना है कि विवादित सम्पत्ति को क्षति पहुंची है।
8ः-          याचीकर्ता की ओर से कहा गया कि विवादित सम्पत्ति पर आपदा के दौरान क्षति के सम्बन्ध में सम्बन्धित पटवारी द्वारा प्रमाण पत्र दिया गया है जिससे यह स्पश्ट होता है कि, 16-17 जून 2013 पर याचीकर्ता की सीतापुर स्थित जगतराज होटल पर दैवीय आपदा के कारण क्षति पहुंची है। इस सम्बन्ध में उप-जिलाधिकारी ऊखीमठ के द्वारा अधिषासी अभियंता गुप्तकाषी को एक पत्र संख्या 655/एस0टी0-विविध/2013, दिनांकित 23 दिसम्बर, 2013 कागज संख्या 4-क/10 इस आषय का लिखा कि विवादित सम्पत्ति की क्षति का आंकलन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। तहसीलदार ऊखीमठ के द्वारा विवादित सम्पत्ति जगतराज होटल के विशय में दिनांकित 16-17 जून 2013 को दैवीय आपदा से आंषिक क्षति होना सर्वेक्षण में पाते हुए आख्या दी गयी है। अधिषासी अभियंता लोक निर्माण विभाग गुप्तकाषी ने अपनी रिपोर्ट इस सम्बन्ध में जरिये पत्र 234/1सी0, दिनांकित 20-02-2014 कागज संख्या 4-क/13 लगायत 4-क/16 पेष की है जिसके अनुसार विवादित सम्पत्ति को आंषिक क्षति पहुंची है जिसका आंकलन रूपये-पैंसों में 1 लाख 48 हजार रूपये आंका गया। इस तरह कहा गया कि सरकार की ओर से जिस क्षति का आंकलन स्पश्ट रूप से ृ 1,48000/- आंका गया है उसके विरूद्ध कोई भी स्पश्ट साक्ष्य विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है और जो बीमा कम्पनी की ओर से यह कहते हुए प्रष्न उठाया गया है कि जो क्षति अंकित की गयी है वह बेवजह आंकी गयी है; इस सम्बन्ध में कोई भी प्रतिपक्ष साक्ष्य पेष करने का समय याचीकर्ता को प्रदान नहीं किया गया है। अतः कहा गया कि याचीकर्ता की ओर से प्रस्तुत याचिका स्वीकार करते हुए विपक्षी से याची को क्षतिपूर्ति की वांछित धनराषि ृ 1,48000/- तथा प्रार्थी से कराये गये ृ 35000/-खर्चा कुल ृ 1,83000/- बतौर क्षतिपूर्ति दिलाया जाय।
9ः-          दोनों पक्षों को सुने जाने तथा पत्रावली के अवलोकन करने से फोरम की राय में याचीकर्ता की याचिका विपक्षी दि न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड देहरादून रोड़ ऋशिकेष के विरूद्ध स्वीकार किये जाने के पर्याप्त आधार हैं। चूंकि विपक्षी बीमा कम्पनी की सर्वेयर रिपोर्ट कागज संख्या 23-ख/1 लगायत 23-ख/6 में यह पाया गया कि याचीकर्ता के विवादित सम्पत्ति को क्षति पहुंची है। याची के द्वारा इस तथ्य को बखूबी साबित किया गया है कि, दिनांक 16-17 जून 2013 को आयी दैवीय आपदा में याचीकर्ता की सम्पत्ति स्थित सीतापुर जगतराज होटल को दैवीय आपदा के कारण क्षति पहुंची है। इस सम्बन्ध में याचीकर्ता की ओर से दस्तावेजी साक्ष्य में उप-जिलाधिकारी ऊखीमठ के द्वारा अधिषासी अभियंता गुप्तकाषी को एक पत्र संख्या 655/एस0टी0-विविध/2013, दिनांकित 23 दिसम्बर, 2013 कागज संख्या 4-क/10 प्रेशित किया गया, जिसके अनुपालन में अधिषासी अभियंता लोक निर्माण विभाग गुप्तकाषी ने अपनी रिपोर्ट जरिये पत्र 234/1सी0, दिनांकित 20-02-2014 कागज संख्या 4-क/13 लगायत 4-क/16 पेष की है जिसके अनुसार विवादित सम्पत्ति को आंषिक क्षति पहुंची है जिसका आंकलन ृ 1,48000/- किया गया। याचीकर्ता के द्वारा उपरोक्त साक्ष्य के समर्थन में स्वयं का षपथ पत्र 13-क प्रस्तुत करते हुए साबित किया है।
जहां तक याचीकर्ता के इस प्रष्न का कि उसका क्षतिग्रस्त होटल के सर्वेयर एवं नक्षा इत्यादि तैयार करने में ृ 30000/- एवं प्रतिवादी के कार्यालय आने-जाने आदि में ृ 5000/- खर्चा आया है; तो इस सम्बन्ध में याचीकर्ता द्वारा कागज संख्या 16-क/2 लगायत 16-क/3 प्रस्तुत करते हुए किया गया जिसकी सम्पुश्टि स्वरूप याचीकर्ता की ओर से प्रस्तुत साक्षी पी0डब्ल्यू-2 सुमन देव भट्ट ने अपनी साक्ष्य के जरिये स्पश्ट किया है कि, ‘‘जून 2013 में केदारनाथ में आयी आपदा के बाद जब सीतापुर स्थित होटल जे0पी0जी0 पैलेस से दि, न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी द्वारा आपदा में क्षतिग्रस्त होटल का नक्षा व मूल्यांकन मांगा गया तो साक्षी द्वारा मौके पर जाकर उक्त होटल का भौतिक निरीक्षण कर नक्षा व मूल्यांकन जो ृ 2,28,000/- (दो लाख अठ्ठाईस हजार रूपये) तैयार कर दिया था जिसकी फीस ृ 30,000/- होटल मालिक से प्राप्त की गयी।’’
जबकि विपक्षी की ओर से तथा-कथित छायाचित्र 23-ख/7 लगायत 23-ख/8 के सम्बन्ध में कोई स्पश्ट साक्ष्य पत्रावली पर नहीं है जिससे यह माना जाय कि याचीकर्ता द्वारा जो क्षति आंकलित की गयी है वह बेवजह आंकी गयी है और वर्श 2013 में आयी दैवीय आपदा में याची का कोई नुकसान नहीं हुआ। इस प्रकार उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह पाया जाता है कि दिनांक 16-17 जून 2013 को आयी दैवीय आपदा में याचीकर्ता की सम्पत्ति स्थित सीतापुर जगतराज होटल को दैवीय आपदा के कारण क्षति पहुंची है जिसमें याची का ृ 1,48,000/- ( एक लाख अड्तालीस हजार रूपये) का नुकसान हुआ और याचीकर्ता द्वारा विवादित क्षतिग्रस्त होटल का नक्षा व मूल्यांकन हेतु फीस ृ 30,000/- (तीस हजार रूपये) सर्वेयर को बतौर फीस अदा की है जिसको याची विपक्षी बीमा कम्पनी से प्राप्त करने का अधिकारी है। चूंकि याचीकर्ता का होटल निर्धारित समयावधि में विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमित था और बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति देने के दायित्व से बच नहीं सकती है।  
अतः उक्त परिस्थितियों में प्रार्थी का प्रार्थना पत्र वांछित क्षतिपूर्ति प्राप्त करने हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेष
            प्रार्थी जगतराम गोस्वामी का प्रार्थना पत्र विपक्षी मण्डलीय प्रबन्धक, दि, न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, 29 देहरादून रोड़ ऋशिकेष के विरूद्ध ृ 1,78000/- (एक लाख अठ्ठत्तर हजार रूपये) की क्षतिपूर्ति की धनराषि प्राप्त करने हेतु स्वीकार किया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रार्थी ृ 5000/- विपक्षी द्वारा उसको अनावष्यक रूप से बार-बार उसके कार्यालय तक आने-जाने में हुये खर्चा को भी प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेषित किया जाता है कि वह उपरोक्त समस्त धनराषि कुल ृ 1,83,000/- (एक लाख तिरासी हजार रूपये) एक माह के अन्दर इस फोरम में जमा कर दें अन्यथा उस पर निर्णय के दिनांक से 6 प्रतिषत वार्शिक ब्याज देय होगा।

(श्रीमती गीता)         (जीत पाल सिंह कठैत)     (आशीष नैथानी)
   सदस्या,                      सदस्य,                   अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता फोरम,        जिला उपभोक्त फोरम,        जिला उपभोक्ता फोरम,
  रूद्रप्रयाग।                        रूद्रप्रयाग।                    रूद्रप्रयाग।
 29-09-2016ः                           29-09-2016ः            29-09-2016ः

निर्णय दिनाॅकित एवं हस्ताक्षरित कर खुले फोरम में उद्घोषित किया गया।

(श्रीमती गीता)         (जीत पाल सिंह कठैत)     (आशीष नैथानी)
   सदस्या,                      सदस्य,                   अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता फोरम,        जिला उपभोक्त फोरम,        जिला उपभोक्ता फोरम,
  रूद्रप्रयाग।                        रूद्रप्रयाग।                    रूद्रप्रयाग।
 29-09-2016ः                           29-09-2016ः            29-09-2016ः
 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ashis Naithani]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Jeet pal singh kathait]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Geeta Rana]
MEMBER

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