जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 213/13
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
रामकुमार सैनी पुत्र माडुराम सैनी जाति माली निवासी इस्लामपुर तहसील व जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादी
बनाम
दि न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, रोड़ नम्बर 3 झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू जरिये शाखा प्रबंधक - विपक्षी
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री फुलचन्द सैनी, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से।
2. श्री लालबहादुर जैऩ, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 16.10.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 18.04.2013 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी रामकुमार सैनी वाहन पिकअप संख्या त्श्र.13 ळ।.3596 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 04.01.2012 से 03.01.2013 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन माह अगस्त,2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा तुंरत विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई । उक्त सूचना के क्रम में विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने वाहन का निरीक्षण किया। परिवादी ने दिनांक 27.09.2012 को कुमावत डेन्टिंग व पेन्टिगं वर्कषाप बगड रोड, झुंझुनू में कार्य करवाया जिस पर 43200/-रूपये व 13989/-रूपये तथा मिर्जा आटोमोबाईल्स रोड नम्बर 2 पर दिनांक 27.09.2012 को कार्य करवाया जिस पर 10,396/-रूपये व 7325/-रूपये इस प्रकार कुल 74910/-रूपये का कार्य करवाया। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन के साथ विपक्षी द्वारा मांगी गई समस्त दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करदी परन्तु माह मार्च,2013 में परिवादी को विपक्षी ने क्लेम राषि देने से इन्कार कर दिया। इस प्रकार विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार कर विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 74910/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया है।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान कथन किया है कि परिवादी ने बीमा क्लेम फार्म के साथ तथाकथित दुर्घटना की कोई रोजनामचा रिपोर्ट, प्रथम सूचना रिपोर्ट, परमिट, फिटनेष, डी.एल. आदि की फोटो प्रति प्रस्तुत नहीं की जिसके अभाव में क्लेम का निस्तारण नहीं किया जा सकता। पालिसी की शर्तो के अनुसार वक्त दुर्घटना वाहन चालक के पास वैध एवं प्रभावी लाईसेंस नहीं था, इसलिये तथाकथित दुर्घटना के संबंध में विपक्षी बीमा कम्पनी का कोई दायित्व आयद नहीं होता। वाहन संख्या त्श्र.13 ळ।.3596 का बीमा 04.01.2012 से 03.01.2013 तक जरिये पालिसी संख्या 33120331110100007619 कार्यालय सीकर द्वारा बीमित की गई है, इसलिये परिवाद अपूर्ण है। परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में दुर्घटना की दिनांक अंकित नहीं की है तथा न ही तथाकथित दुर्घटना के संबंध में कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट रोजनामचा रिपोर्ट आदि विपक्षी को दी है । परिवादी ने अपने परिवादपत्र मे स्पष्ट रूप से वाहन में क्या-क्या नुकसान हुआ यह अंकित नही किया है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा पवनकुमार शर्मा को स्पोट सर्वेयर नियुक्त किया गया जिसने अपनी रिपोर्ट दिनांक 18.08.2012 को प्रस्तुत की, जिसमें दुर्घटना का कारण अचानक सामने मोटरसाईकिल आ जाना बताया है जबकि परिवाद में परिवादी ने दुर्घटना अचानक नील गाय आने से होना बताई है, जो परस्पर विरोधाभाषी है। परिवादी द्वारा बढ़ा-चढ़ा कर गलत बिल प्रस्तुत किये गये हैं।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी द्वारा वाहन संख्या त्श्र.13 ळ।.3596 का पंजीयन गु्ड्स व्हिकल के रूप में करवाया जाने के कारण वाणिज्य की श्रेणी में आता है, इसलिये यह परिवाद पत्र जिला मंच को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र के साथ जो डी.एल. की फोटो प्रति प्रस्तुत की है, वह इम्फाल मनीपुर से जारी किया हुआ है, जिसका सत्यापन होना बाकी है। परिवादी द्वारा वाहन संख्या त्श्र.13 ळ।.3596 श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाईनेन्स कम्पनी लि0 से फाईनेन्स पर खरीदा हुआ है जो आवष्यक पक्षकार है, जिसे पक्षकार नहीं बनाया गया है। इसलिये परिवादी का क्लेम आवष्यक पक्षकार के अभाव में खारिज किये जाने योग्य है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी ने अपने तर्को के समर्थन में II (2015)CPJ 656 (NG)- AMAN RANA Vs NATIONAL INSURANCE CO.LTD., I (2015)CPJ 177 (NC) - MRH ASSOCIATES Vs NATIONAL INSURANCE CO.LTD & ANR. पेश किये।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी वाहन RJ-13 CA-3596 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 04.01.2012 से 03.01.2013 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अविध में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
हस्तगत प्रकरण में विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी का मुख्य तर्क यह रहा है कि पालिसी की शर्तो के अनुसार वक्त दुर्घटना वाहन चालक के पास वैध एवं प्रभावी लाईसेंस नहीं था बल्कि फर्जी था। इसलिये तथाकथित दुर्घटना के संबंध में क्षतिपूर्ति अदायगी हेतु विपक्षी बीमा कम्पनी का कोई दायित्व आयद नहीं होता। विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी के तर्को का समर्थन उपरोक्त न्यायदृष्टांतों से भी हो जाता है।
प्रकरण में प्रस्तुत विवरण से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी की ओर से वाहन चालक का जो ड्राईविंग लाईसेंस नम्बर 86918/SPt पेष किया गया है, वह मणीपुर इम्फाल से जारी हुआ है। विपक्षी बीमा कम्नी की ओर से मणीपुर इम्फाल से जारी उक्त ड्राईविंग लाईसेंस के संबंध में सत्यापन रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। जिसमें यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि उक्त नम्बर का ड्राईविंग लाईसेंस रामकुमार सैनी पुत्र माडूराम सैनी के नाम से जारी नहीं हुआ है। जिसकी फोटो प्रति परिवाद पत्र के साथ संलग्न है। इस प्रकार उक्त रिर्पोट से यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि वक्त दुर्घटना वाहन चालक के पास जो ड्राईविंग लाईसेंस था वह वैध एवं प्रभावी नहीं था बल्कि फर्जी था। बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने से विपक्षी बीमा कम्पनी का क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये किसी भी तरह से उत्तरदायित्व नहीं है।
अतः उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप परिवादी की ओर से प्रस्तुत यह परिवाद पत्र खारिज किए जाने योग्य है, जो एतद्द्वारा खारिज किया जाता है।
पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
निर्णय आज दिनांक 16.10.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।