जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 399/13
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
मुकेश कुमार पुत्र दयानंद आयु 30 साल जाति जाट निवासी बारी का बास तहसील चिड़ावा जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादी
बनाम0
1. दि न्यू इण्डिया एष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जरिये मुख्य प्रबंधक, दि न्यू इण्डिया एष्योरेंस कम्पनी लि. न्यू इण्डिया एष्योरेंस बिल्डिंग, 87 एम जी रोड़, फोर्ट मुम्बई 40000।
2. दि न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड,जरिये शाखा प्रबंधक, दि न्यू इण्डिया एष्योरेंस कम्पनी लि. जालान भवन,सीकर।
3. दि न्यू इण्डिया एष्योरेंस कम्पनी लि. जरिये शाखा प्रबंधक, रोड़ नम्बर 3, सनसाईन रेस्टोरेंट के सामने, झुंझुनू (राज.) - विपक्षीगण
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री राजेष पूनिया एवं श्री राजेन्द्र चैधरी, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2. श्री लाल बहादुर जैऩ, अधिवक्ता - विपक्षीगण की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 04.02.2016
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 25.07.2013 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी मुकेष कुमार वाहन संख्या त्श्र.18 ळ।.5665 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 07.07.2012 से 06.07.2013 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षीगण का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन 17.07.2012 दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा तुंरत विपक्षीगण बीमा कम्पनी को दी गई । उक्त सूचना के क्रम में विपक्षीगण बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने वाहन का निरीक्षण किया तथा परिवादी को जल्दी ही क्लेम दिलवाने का आष्वासन दिया। परिवादी ने विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन के साथ विपक्षीगण द्वारा मांगे गये समस्त दस्तावेज प्रस्तुत कर दिये । परिवादी ने विपक्षीगण से सम्पर्क किया तो कहा क्लेम फाईल हैड आफिस मुम्बई भिजवाई हुई है। दिनांक 29.11.2012 को विपक्षीगण के यहां से परिवादी के पास पंजिकृत डाक आई जिसमें सूचित किया गया कि परिवादी के वाहन की उक्त पालिसी में बीमित वाहन की फिटनेष दुर्घटना तिथि को प्रभावी नहीं थी, इसलिये नियमानुसार पालिसी दावा देय नहीं है। वक्त दुर्घटना परिवादी का वाहन विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। इसलिये विपक्षीगण द्वारा क्लेम देने में वाहन फिटनेष प्रभावी नहीं होने की आपति लिये जाने का कोई औचित्य नहीं है। परिवादी को स्वंय ही वाहन की रिपेयर करवानी पड़ी। इस प्रकार विपक्षीगण का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार कर विपक्षीगण से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 1,11,732/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया है।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान कथन किया है कि परिवादी द्वारा तथाकथित दुर्घटना के संबंध में कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण को दुर्घटना की सूचना दिये जाने के बाद नियमानुसार सर्वेयर नियुक्त किया गया। सर्वेयर ने दिनांक 01.08.2012 को रिपोर्ट प्रस्तुत की। परिवादी के वाहन का फिटनेष दिनांक 31.08.2012 से 30.08.2014 तक प्रभावी था। परिवादी का वाहन दिनांक 17.07.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हुआ, उस वक्त वाहन का फिटनेष प्रभावी नहीं था। इसलिये विपक्षीगण द्वारा परिवादी का क्लेम दिनांक 29.11.2012 को खारिज कर दिया गया। पालिसी की शर्तो के अनुसार वक्त दुर्घटना वाहन मालिक के पास वैध एवं प्रभावी परमिट व फिटनेष नहीं था। इसलिये तथाकथित दुर्घटना के संबंध में विपक्षीगण बीमा कम्पनी का कोई दायित्व आयद नहीं होता । बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने से परिवादी, विपक्षीगण से कोई क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने अपने तर्को के समर्थन में न्यायदृष्टांत I(2015)CPJ- 760 (NC) UNITED INDIA INSURANCE CO. LTD. VS KISHORE SHARMA पेष किया।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य स्पष्ट हुआ है कि परिवादी वाहन संख्या RJ-18 GA-5665 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन 07.07.2012 से 06.07.2013 की अवधि तक विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अविध में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
हस्तगत प्रकरण में विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी का मुख्य तर्क यह रहा है कि पालिसी की शर्तो के अनुसार वक्त दुर्घटना वाहन मलिक के पास वैध एवं प्रभावी फिटनेष नहीं था। इसलिये तथाकथित दुर्घटना के संबंध में क्षतिपूर्ति अदायगी हेतु विपक्षीगण बीमा कम्पनी का कोई दायित्व आयद नहीं होता। विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी के तर्को का समर्थन उपरोक्त न्यायदृष्टांत से भी हो जाता है।
प्रकरण में प्रस्तुत विवरण से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी की ओर से वाहन का जो फिटनेष पेष किया गया है, वह दिनांक 31.08.2012 जारी हुआ है, जो दिनांक 31.08.2012 से 30.08.2014 तक प्रभावी था जबकि तथाकथित दुर्घटना दिनांक 17.07.2012 को घटित होनी बताई गई है। फिटनेष की फोटो प्रति परिवाद पत्र के साथ संलग्न है। इस प्रकार यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि वक्त दुर्घटना वाहन मालिक के पास जो वाहन का फिटनेष था, वह वैध एवं प्रभावी नहीं था। इसलिये उपरोक्त न्यायदृष्टांत I (2015) CPJ- 760 (NC) UNITED INDIA INSURANCE CO. LTD. VS KISHORE SHARMA की रोषनी में बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने से विपक्षीगण बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है।
अतः उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप परिवादी की ओर से प्रस्तुत यह परिवाद पत्र खारिज किए जाने योग्य है, जो एतद्द्वारा खारिज किया जाता है।
पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
निर्णय आज दिनांक 04.02.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।