Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/129/2012

Mohd. Taufeeq - Complainant(s)

Versus

The New India Insurance Company - Opp.Party(s)

30 Jun 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/129/2012
 
1. Mohd. Taufeeq
H.No-644 Asalatpura Badi Masjid Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. The New India Insurance Company
Division-I 105 Shanti Nagar Civil Lines Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षी को आदेशित किया जाये कि वह उसके चोरी गये ट्रक सं0 एच0आर0 38 एन0/ 7595 की क्‍लेम राशि 9,50,000/- (नो लाख पचासहजार रूपया) 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित परिवादी को अदा करें। मानसिक कष्‍ट और आर्थिक क्षति की मद में 1,00,000/- (एक लाख रूपया) तथा परिवाद व्‍यय की मद में 10,000/- (दस हजार रूपया) परिवादी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ट्रक सं0- एच0आर0 38 एन0/ 7595 का पंजीकृत स्‍वामी है। यह कि परिवादी का ट्रक हरियाणा से गत्‍ता लेकर दिनांक 07/05/2008 को दिन में लगभग 2 बजे गोपाल इण्‍डस्‍ट्रीज,बदायूँ आया था। ट्रक पर रियाजउद्दीन और सुरजीत सिंह ड्राईवर थे। रात में करीब 9 बजे से माल उतरा था ट्रक खाली होने से कुछ देर पहले एक व्‍यक्ति परिवादी के ट्रक के स्‍टाफ के पास आया और उसने दोनों ड्राईवरों और क्‍लीनर को लड्डू खाने को दिऐ और कहा कि यह प्रसाद है ड्राईवरों एवं क्‍लीनर ने लड्डू खा  लिये लड्डू  खाने के बाद तीनों को हल्‍का नशा होने लगा। इस पर तीनों लोगों ने ट्रक ले जाकर वजीर गंज रोड पर बदायूँ से लगभग एक कि0मी0 दूर एक होटल पर खड़ा कर दिया। वहॉं पर ट्रक को लेकर चले गये उन्‍होंने दोनों ड्राईवरों और क्‍लीनर को बरेली के पास नशे की हालत में उतार दिया। ट्रक में गाड़ी से सम्‍बन्धित समस्‍त कागजात थे। दो दिन बाद नशा उतरने पर परिवादी के ट्रक के स्‍टाफ ने परिवादी को घटना के बारे में  बताया। परिवादी ने ट्रक को काफी तलाश किया जब ट्रक नहीं मिला तो परिवादी ने बदायूँ जाकर चोरी की घटना थानाध्‍यक्ष को बतायी। थाने पर परिवादी की रिपोर्ट नहीं लिखी गयी। परिवादी को वहाना बनाकर टालते रहे और कहते रहे कि जॉंच के बाद रिपोर्ट लिखेंगें। परिवादी ने उच्‍च पुलिस अधिकारियों से सम्‍पर्क किया तब जाकर दिनांक 20/05/2008 को थाना सिविल लाइन्‍स, बदायूँ में ट्रक की चोरी की रिपोर्ट दर्ज हुई। ट्रक चोरी के सम्‍बन्‍ध में परिवादी ने दिनांक 10/05/2008 को विपक्षी के कार्यालय जाकर शाखा प्रबन्‍धक को मौखिक सूचना दी। इस पर परिवादी से उन्‍होंने कहा कि पहले एफ0आई0आर0 दर्ज कराओ उसके बाद हमारे पास आना तब क्‍लेम की कार्यवाही की जाऐगी। परिवादी के अनुसार उसका ट्रक दिनांक 19/05/2007 से 18/05/2008 तक की अवधि हेतु विपक्षी से बीमित था। परिवादी ने आवश्‍यक प्रपत्रों सहित विपक्षी के समक्ष क्‍लेम प्रस्‍तुत  किया। बार-बार आश्‍वासन के बावजूद भी परिवादी का क्‍लेम विपक्षी ने स्‍वीकार नहीं किया और दिनांक 03/08/2012 को परिवादी का क्‍लेम बीमा पालिसी की शर्तों के उल्‍लंघन के आधार पर निरस्‍त  कर दिया। परिवादी के अनुसार क्‍लेम गलत तरीके से अस्‍वीकृत किया गया है और ऐसा करके विपक्षी ने सेवा में कमी  की है। उसने परिवाद में  अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार  किऐ जाने की प्रार्थना  की।
  3.   विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-13/1  लगायत 13/4  प्रस्‍तुत  किया गया। प्रतिवाद पत्र में परिवाद में उल्लिखित परिवादी के ट्रक का  बीमा पालिसी में उल्लिखित शर्तों एवं प्रतिबन्‍धों के अधीन किऐ जाने तथा परिवादी द्वारा क्‍लेम प्रस्‍तुत किऐ जाने से तो इन्‍कार नहीं  किया  गया है,  किन्‍तु शेष  कथनों से इन्‍कार  किया गया है। विपक्षी के अनुसार अभिक‍ि‍थत चोरी की घटना दिनांक 07/05/2008 को घटित होनी बतायी गयी है जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट थाने में दिनांक 20/05/2008 को दर्ज हुई तथा विपक्षी को कथित चोरी की सूचना दिनांक 04/06/2008 को दी गयी। इस प्रकार प्रथम सूचना रिपोर्ट होने में 13  दिन और बीमा कम्‍पनी को सूचना देने में 28 दिन का विलम्‍ब  किया गया  और  ऐसा  करके परिवादी ने बीमा पालिसी की शर्त सं0-1 का उल्‍ल्‍ंघन  किया है। विपक्षी की ओर से अग्रेत्‍तर कथन कहा गया है कि बीमा पालिसी की शर्तों के उल्‍लंघन के आधार पर परिवादी का क्‍लेम अस्‍वीकृत करके विपक्षी द्वारा न तो कोई त्रुटि की गयी और न ही सेवा में कमी की गयी। विपक्षी की ओर से उपरोक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गयी।
  4.   परिवाद के साथ परिवादी ने क्‍लेम अस्‍वीकृत किऐ जाने सम्‍बन्‍धी विपक्षी के पत्र तथा रजिस्‍ट्री लिफाफे, एफ0आई0आर0 की कार्बन प्रति,  न्‍यायालय द्वारा एफ0आर0 स्‍वीकृत किऐ जाने के आदेश दिनांक 20/08/2009 की फोटो प्रति को दाखिल किया गया  है।
  5.   परिवादी ने साक्ष्‍य में अपना साक्ष्‍य  शपथ  पत्र कागज सं0-14/1  लगायत 14/3  दाखिल किया। विपक्षी की ओर से बीमा कम्‍पनी के मण्‍डलीय प्रबन्‍धक  श्री हरिओम कुमार ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-22/1  लगायत 22/4  दाखिल किया। विपक्षी के इस साक्ष्‍य  शपथ पत्र के साथ  बीमा दावा अस्‍वीकृत किऐ जाने सम्‍बन्‍धी परिवादी को भेजे गऐ पत्र, बीमा पालिसी एवं  उसकी शर्तों की नकलें, परिवादी द्वारा थाना सिविल लाइन्‍स जिला बदायूँ में लिखायी गयी चोरी की एफ0आई0आर0, विवेचना के बाद पुलिस द्वारा प्रेषित जुर्म खारिजा रिपोर्ट की फोटो प्रतियों को संलग्‍नक के रूप में दाखिल किया गया  है, यह प्रपत्र कागज सं0-22/5  लगायत 22/6  हैं।
  6.   परिवादी ने प्रत्‍युत्‍तर में रिज्‍वाइंडर शपथ  पत्र  कागज सं0-24/1  लगायत24/3 दाखिल किया। इसके साथ परिवादी ने अभिकथित रूप से मुख्‍यमंत्री सचिवालय, लखनऊ में  दिया जाना बताये  गये पत्र दिनांकित 09/05/2008, क्‍लेम  अस्‍वीकृति के पत्र की फोटो प्रतियों, न्‍यायालय  द्वारा एफ0आर0 स्‍वीकृत किऐ जाने के आदेश दिनांक 20/08/2009 एवं सी0जे0एम0,  बदायूँ द्वारा अन्तिम आख्‍या के आदेश में  पारित संशोधन आदेश दिनांक 27/08/2009 की प्रमाणित प्रतियों को दाखिल  किया  गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-24/5 लगायत 24/9 हैं।
  7.   परिवादी ने लिखित बहस दाखिल की जो कागज सं0-26/1  लगायत 26/3 हैं। विपक्षी की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
  8.   हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।  
  9.   परिवादी के अनुसार उसका ट्रक सं0-एच0आर0 38 एन0/7595  दिनांक 07/05/2008 को रात के लगभग 9 बजे चोरी हुआ था। ट्रक विपक्षी से दिनांक 19/05/2007 से 18/05/2008 तक की अवधि हेतु बीमित था। विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र  में परिवादी  के ट्रक का उक्‍त अवधि में अपनी शाखा से बीमित होना  स्‍वीकार किया है। कदाचित अभिकथित चोरी के समय परिवादी का उक्‍त ट्रक विपक्षी से बीमित था। परिवादी  के विद्वान  अधिवक्‍ता के अनुसार परिवादी ने चोरी गये ट्रक का बीमा दावा विपक्षी के समक्ष प्रस्‍तुत  किया किन्‍तु  विपक्षी ने उसे विधि विरूद्ध तरीके से अस्‍वीकृत कर दिया। क्‍लेम अस्‍वीकृत किऐ जाने सम्‍बन्‍धी विपक्षी के पत्र कागज सं0-3/5 की ओर हमारा ध्‍यान परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने आकर्षित किया कहा कि परिवादी का बीमा दावा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने में और विपक्षी को चोरी की सूचना देने में हुई कथित देरी के आधार पर अस्‍वीकृत किया गया है। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने पत्रावली में उपलब्‍ध साक्ष्‍य सामग्री का हवाला देते हुऐ तर्क दिया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने में और विपक्षी को चोरी की सूचना देने में परिवादी के स्‍तर से कोई देरी नहीं की गय। अत: बीमा दावा उक्‍त कारणों से अस्‍वीकृत करके विपक्षी ने त्रुटि की और यह सेवा में कमी का मामला है। प्रत्‍युत्‍तर  में विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने प्रथम सूचना रिपोर्ट कागज सं0-22/13 एवं परिवादी के रिज्‍वाइंडर शपथ पत्र के पैरा सं0-17 की ओर हमारा ध्‍यान  आकर्षित किया और कहा कि प्रथम सूचना रिपोर्ट स्‍वयं परिवादी ने दर्ज करायी थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 20/05/2008 को दर्ज हुई। इस प्रकार प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने में 13 दिन का विलम्‍ब है। परिवादी के रिज्‍वाइंडर शपथ पत्र के पैरा सं0-17 में परिवादी की स्‍वीकारोक्त से स्‍पष्‍ट है कि चारी की सूचना विपक्षी को कथित चोरी के 28  दिन बाद प्राप्‍त हुई। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने बीमा पालिसी की शर्त सं0-1, जो पत्रावली में अवस्थित कागज सं0-22/9 पर दृष्‍टव्‍य है, की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ तर्क दिया कि अन्‍य के अतिरिक्‍त बीमा पालिसी की एक शर्त यह है कि चोरी की एफ0आई0आर0 और विपक्षी को उसकी सूचना तत्‍काल दी जानी चाहिए किन्‍तु परिवादी ने बीमा पालिसी की इस शर्त का उल्‍लंघन किया है जिस  कारण परिवादी का बीमा दावा अस्‍वीकृत करके विपक्षी ने न तो कोई त्रुटि की और न ही विपक्षी द्वारा सेवा प्रदान करने में कमी की गयी।
  10.   अब देखना यह  है कि क्‍या थाना सिविल लाइन्‍स, बदायॅूं में चोरी की प्रथम सूचना दर्ज होने और विपक्षी को चोरी की सूचना प्राप्‍त होने में हुई देरी का उत्‍तरदायी परिवादी है ?
  11.   प्रथम सूचना  रिपोर्ट दर्ज होने  में हुऐ 13 दिन के विलम्‍ब के सन्‍दर्भ में परिवादी ने अपने परिवाद पत्र तथा साक्ष्‍य  शपथ  पत्र कागज सं0-14/1 में यह कहा है कि चोरी के 2 दिन बाद जब उसके ट्रक के स्‍टाफ को होश आया तो उन्‍होंने परिवादी को चोरी की घटना के बारे में  बताया और तब परिवादी ने बदायूँ जाकर थानाध्‍यक्ष को ट्रक की चोरी के बारे में बताया था किन्‍तु उसकी रिपोर्ट उन्‍होंने दर्ज नही की और बहाना बनाकर आजकल- आजकल कहकर टालते रहे। परिवाद  पत्र  और  अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र में उसने अग्रेत्‍तर कथन किया है कि पुलिस के उच्‍च  अधिकारियों से सम्‍पर्क करने के बाद  ही दिनांक 20/05/2008 को थाने पर उसकी ट्रक चोरी की रिपोर्ट दर्ज हुई। उल्‍लेखनीय है कि पुलिस द्वारा रिपोर्ट लिखने में कथित टालमटोल की गई और पुलिस के उच्‍च अधिकारियों के हस्‍तक्षेप पर रिपोर्ट दर्ज हुई इस बाबत परिवादी कोई स्‍वतंत्र अथवा अभिलेखीय साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने में असफल रहा है। अपने रिज्‍वांइडर शपथ पत्र कागज सं0-24 में परिवादी ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने में हुऐ विलम्‍ब के सम्‍बन्‍ध में एक नई बात कह दी, कि मा0 मुख्‍यमंत्री सचिवालय लखनऊ को पत्र भेजने के बाद उनके आदेश पर ट्रक चोरी की उसकी रिपोर्ट थाने पर दर्ज हुई। मा0 मुख्‍यमंत्री सचिवालय लखनऊ के ऐसे किसी आदेश की प्रति जिसके  आधार वह पुलिस में एफ0आई0आर0 दर्ज होने की बात कह रहा है परिवादी ने दाखिल नहीं की। मा0 मुख्‍यमंत्री सचिवालय, लखनऊ में अभिकथित पत्र कागज सं0-24/4 दिया जाना भी वह सिद्ध  करने मे असफल रहा है। इस प्रकार सचिवालय लखनऊ को पत्र प्रस्‍तुत किया जाना अथवा वहॉं से चोरी की रिपोर्ट थाने पर दर्ज होने विषयक कोई आदेश प्रसारित होना सिद्ध नहीं है। यहॉं यह भी उल्‍लेखनीय है कि परिवाद पत्र और परिवादी के साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14 में परिवादी का  यह स्‍पष्‍ट कथन है कि चोरी के 2 दिन बाद नशा उतरने पर ट्रक के स्‍टाफ ने उसे ट्रक की चोरी की घटना की बाबत बताया था। चोरी दिनांक 07/05/2008 की बतायी गयी है। इस प्रकार स्‍वयं परिवादी के अनुसार उसे चोरी की घटना के बारे में  दिनांक 09/06/2008 से पूर्व कुछ पता नहीं था तब रिज्‍वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-24 के पैरा सं0-7 में  परिवादी का यह कथन कि एफ0आई0आर0 लिखाने वह थाना सिविल लाइन्‍स, बदायूँ में दिनांक 07/05/2008 को गया था, नि:तान्‍त असत्‍य दिखायी देता है। परिवादी यह सिद्ध करने में असफल रहा है कि चोरी के तुरन्‍त  बाद उसने पुलिस में अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने  के प्रयास किऐ थे और पुलिस द्वारा रिपोर्ट लिखने में टालमटोल किया जाता रहा। एफ0आई0आर0 में  परिवादी कि यह स्‍वकारोक्ति ‘’ ...... जब तीसरे दिन नशा उतरने पर गाड़ी के स्‍टाफ ने प्रार्थी को सारी घटना बतायी तो प्रार्थी ने गाड़ी की तलाश के लिए  काफी भागदौड़ व खोजबीन की लेकिन जब पता नहीं लगा तो आज रिपोर्ट लिखाने आया हॅूं। ......’’ अपने आप में यह प्रमाणित करने के लिए पर्याप्‍त है कि पुलिस पर एफ0आई0आर0 दर्ज न करने में टालमटोल किऐ जाने का जो दोषारोपण परिवादी कर रहा है वह आधारहीन असत्‍य है। पकट है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने में 13 दिन का विलम्‍ब स्‍वयं परिवादी के स्‍तर से हुआ है।
  12.   क्‍लेम अस्‍वीकृत किये जाने सम्‍बन्‍धी विपक्षी के पत्र में एक आधार यह भी लिया गया है कि परिवादी ने चोरी की सूचना विपक्षी को दिनांक 04/06/2008  को अर्थात कथित चोरी के 28 दिन बाद दी थी। इस सन्‍दर्भ में परिवादी ने यह स्‍पष्‍टीकरण देने का प्रयास किया है कि विपक्षी को सूचना देने में देरी उसके स्‍तर से नहीं हुई बल्कि उसने तो बिना किसी विलम्‍ब के विपक्षी के शाखा प्रबन्‍धक को सूचित कर दिया था, परन्‍तु उन्‍होंने यह कहकर कि पहले एफ0आई0आर दर्ज कराओ तब आना, सूचना लेने से इन्‍कार कर दिया। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवादी के तत्‍सम्‍बन्‍धी तर्कों का प्रतिवाद किया और सूचना देने में हुई देरी परिवादी के स्‍तर से  होना कहा। अब देखना यह है कि क्‍या विपक्षी को चोरी की सूचना देने में देरी परिवादी के स्‍तर से हुई है। पत्रावली पर जो साक्ष्‍य, तथ्‍य  एवं परिस्थितियां उपलब्‍ध है उनसे यह भलीभांति प्रकट है कि विपक्षी को सूचना देने में जो देरी हुई वह परिवादी के स्‍तर से हुई है। दिनांक 04/06/2008 से पूर्व विपक्षी को चोरी की सूचना दिया जाना परिवादी प्रमाणित नहीं कर पाया है।
  13.   परिवाद के पैरा सं0-8 तथा अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14 के पैरा सं0-7 में  परिवादी ने स्‍पष्‍ट कथन किया है कि उसने दिनांक 10/05/2008 को चोरी की मौखिक सूचना विपक्षी के शाखा प्रबन्‍धक को दी थी, किन्‍तु उन्‍होंने परिवादी से कहा कि पहले एफ0आई0आर0 दर्ज कराओ उसके बाद आना। मामले की एफ0आई0आर0 थाना सिविल लाइन्‍स, बदायूँ में दिनांक 20/05/2008 को दर्ज हुई। परिवाद अथवा परिवादी के साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14 में परिवादी कहीं भी यह कहने का साहस नहीं कर पाया है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के बाद कब उसने विपक्षी को चोरी की लिखित सूचना दी थी किन्‍तु  रिज्‍वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-24 के पैरा सं0-17 में  परिवादी ने यह स्‍वीकार किया कि उसकी लिखित सूचना विपक्षी के शाखा प्रबन्‍धक ने दिनांक 04/06/2008 को प्राप्‍त  की थी। परिवादी ऐसा कोई साक्ष्‍य अथवा परिस्थित इंगित नहीं कर पाया जिससे उसके इस कथन पर विश्‍वास किया जा सके कि विपक्षी के शाखा प्रबन्‍धक ने कथित रूप से सूचना प्राप्‍त करने में टालमटोल की एवं उनके झूठे आश्‍वासन के कारण चोरी की सूचना विपक्षी को देने में विलम्‍ब हुआ। जब परिवाद पत्र में परिवादी यह कहता है कि चोरी के 2 दिन बाद होश आने पर स्‍टाफ ने उसे चोरी के बारे में बताया था तब रिज्‍वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-24  के पैरा सं0-12 में परिवादी का यह कथन कि दिनांक 07/05/2008  से लगातार विपक्षी के शाखा प्रबन्‍धक के पास वह चोरी की सूचना देने के लिए जाता रहा, नि:तान्‍त असत्‍य एवं आधारहीन दिखायी देता है क्‍योंकि  दिनांक 09/05/2008 से पूर्व जब परिवादी को चोरी की बाबत कुछ मालूम ही नहीं था तब दिनांक 07/05/2008 को चोरी की कथित सूचना लेकर विपक्षी के पास जाने का परिवादी के पास कोई अवसर ही नहीं था। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क में बल है कि शाखा प्रबन्‍धक ने सूचना प्राप्‍त न करके परिवादी को पहले एफ0आई0आर0 दर्ज कराने को कहा था तो परिवादी चोरी की सूचना डाक से विपक्षी को भेज सकता था किन्‍तु परिवादी द्वारा ऐसा नहीं किया गया। दिनांक 04/6/2008 से पूर्व विपक्षी को किसी प्रकार की कोई सूचना दिया जाना परिवादी प्रमाणित करने में असफल रहा। विपक्षी को चोरी की सूचना देने में परिवादी द्वारा 28 दिन का विलम्‍ब किया गया है और परिवादी इस विलम्‍ब का कोई कारण नहीं दर्शा पाया है।  बीमा पालिसी की शर्त सं0- 1 के अनुसार परिवादी के लिए आवश्‍यक था कि वह चोरी की पुलिस में तत्‍काल रिपोर्ट लिखवाता और विपक्षी को चोरी की सूचना तत्‍काल देता किन्‍तु वह ऐसा करने में असफल रहा है और उसने पालिसी की शर्त सं0-1 का उल्‍लंघन किया है।  
  14.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने निम्‍नलिखित रूलिग्‍स का अबलम्‍व लिया और तर्क दिया कि इन निर्णयज विधियों के अनुसार परिवादी द्वारा मांगे गये अनुतोष स्‍वीकार कर लिऐ जाने चाहिऐ।
  15. 1(2011) सीपीजे पृष्‍ठ- 341, नेशनल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी  लिमिटेड बनाम नीरज, (मा0 राज्‍य  उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली।)
  16. 2011(2) सीपीआर पृष्‍ठ-175 (एनसी), नेशनल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी  लि‍मिटेड बनाम मैसर्स ट्रैकवे सिक्‍योरिटीज फाईनेंस प्रा0 लिमिटेड, (मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली।)उपरोक्‍त निर्णयज विधियां वर्तमान मामले में  परिवादी के लिए सहायक नहीं है। IV (2012) सीपीजे पृष्‍ठ-441 (एनसी), न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 बनाम त्रिलोचन जाने के मामले में मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता  विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा यह अवधारित  किया गया है कि चोरी की पुलिस को सूचना देने में दो दिन का विलम्‍ब और बीमा कम्‍पनी को चोरी की सूचना देने में 9 दिन का विलम्‍ब बीमा पालिसी की शर्त का उल्‍लंघन है और इस आधार पर बीमा कम्‍पनी बीमा दावा अस्‍वीकृत करने की अधिकारी है। त्रिलोचन जाने की इस निर्णयज विधि में मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली ने बीमा कम्‍पनी द्वारा दावा अस्‍वीकृत किये जाने को सही माना है। त्रिलोचन जाने की यह रूलिंग मा0 राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा नीरज के उपरोक्‍त मामले में दी गयी रूलिंग पर अधिभावी है। अन्‍यथा भी नीरज के उक्‍त मामले के तथ्‍य और वर्तमान मामले के तथ्‍य  भिन्‍न हैं।   
  17. परिवादी द्वारा ट्रैकवे सिक्‍योरिटीज फाईनेंस प्रा0 लिमिटेड की जिस निर्णयज विधि का अबलम्‍व लिया गया है वह वर्तमान मामले में लागू नहीं होती। ट्रैकवे सिक्‍योरिटीज फाईनेंस प्रा0 लिमिटेड की रूलिंग में विचारणीय बिन्‍दु यह था कि वाहन चोरी होने पर क्‍लेम की देयता के सन्‍दर्भ में चोरी गऐ वाहन का प्रयोग वाणिज्यिक होना सुसंगत है अथवा नहीं जबकि वर्तमान मामले में ऐसा कोई विचारणीय बिन्‍दु विधमान नहीं है। इस प्रकार ट्रैकवे सिक्‍योरिटीज फाईनेंस प्रा0 लिमिटेड की रूलिंग इस मामले के तथ्‍यों  पर लागू नहीं होती है। 
  18. मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा त्रिलोचन जाने की  उपरोक्‍त निर्णय विधि में दी गयी व्‍यवस्‍थानुसार बीमा कम्‍पनी ने परिवादी का दावा अस्‍वीकृत कर न तो कोई त्रुटि की और नहीं सेवा में कोई कमी  की है।
  19. पत्रावली पर उपलब्‍ध  साक्ष्‍य, तथ्‍यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्‍त  विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

परिवाद खारिज किया जाता है।

 

 

(श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)     (सुश्री अजरा खान)     (पवन कुमार जैन)

      सामान्‍य सदस्‍य             सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  • 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
  •     

     हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 30.06.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

   (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)     (सुश्री अजरा खान)     (पवन कुमार जैन)

      सामान्‍य सदस्‍य             सदस्‍य               अध्‍यक्ष

  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

  1.     

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.