जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 608/13
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
किशोर कुमार मीणा पुत्र श्री मुरारी लाल मीणा जाति मीणा निवासी वार्ड नं0 11 पिलानी तहसील चिड़ावा जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादी
बनाम0
1. दि न्यू इण्डिया एष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जालान भवन, कलेक्ट्रेट के सामने, सीकर जिला सीकर (राज.) जरिये शाखा प्रबंधक, दि न्यू इण्डिया एष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जालान भवन, कलेक्ट्रेट के सामने, सीकर जिला सीकर (राज.)
2. दि न्यू इण्डिया एष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, स्टेषन रोड़ झुंझुनू (राज.)
- विपक्षीगण।
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री प्रमोद पूनिया एवं श्री गौरव पूनिया, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2. श्री लाल बहादुर जैऩ, अधिवक्ता - विपक्षीगण की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 24.02.2016
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 07.11.2013 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी किशोर कुमार मीणा वाहन संख्या RJ-18 TA-1636 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 19.09.2012 से 18.09.2013 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षीगण का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन 24.10.2012 दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा तुंरत विपक्षीगण बीमा कम्पनी को दी गई । उक्त सूचना के क्रम में विपक्षीगण बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने वाहन का निरीक्षण किया। परिवादी ने सर्वेयर के निर्देषानुसार वाहन को कम्पनी के अधिकृत डीलर के वर्कषाप में भेज दिया, जहां पर विपक्षी कम्पनी के अधिकृत सर्वेयर द्वारा क्षतिग्रस्त वाहन का पुनः मुआयना किया गया। परिवादी ने वाहन का रिपेयरिंग कार्य करवाया, जिस पर परिवादी के कुल 1,37,031/-रूपये खर्चा हुआ। परिवादी ने विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन के साथ विपक्षीगण द्वारा वांछित समस्त दस्तावेज प्रस्तुत कर दिये। वक्त दुर्घटना परिवादी का वाहन विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां बीमित था तथा विपक्षीगण बीमा कम्पनी के सर्वेयर के निर्देषानुसार परिवादी ने वाहन की मरम्मत करवाई है, इसके बावजूद भी विपक्षीगण द्वारा परिवादी को क्लेम क्षतिपूर्ति राषि अदा नहीं की है। इस प्रकार विपक्षीगण का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार कर विपक्षीगण से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 1,37,031 /-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया है।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान कथन किया है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण को वाहन दुर्घटना के संबंध में सूचना दिये जाने पर विपक्षीगण बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया। विपक्षीगण बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने वाहन के नुकसान का आंकलन कर अपनी रिर्पोट विपक्षीगण केा दी है। परमिट दिनांक 20.11.2012 से 19.11.2017 तक की अवधि के लिये जारी किया गया हैै। तथाकथित दुर्घटना दिनांक 24.10.2012 को होनी बताई गई है। इस प्रकार वक्त दुर्घटना वाहन मालिक के पास वैध एवं प्रभावी परमिट नहीं था। अतः पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने के कारण बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का क्लेम निरस्त कर परिवादी को दिनांक 18.03.2013 को पंजीकृत डाक द्वारा सूचित कर दिया गया। पालिसी की शर्तो के अनुसार वक्त दुर्घटना वाहन मालिक के पास वैध एवं प्रभावी परमिट नहीं था, इसलिये तथाकथित दुर्घटना के संबंध में विपक्षीगण बीमा कम्पनी का क्षतिपूर्ति राषि अदायगी के संबंध में कोई दायित्व आयद नहीं होता।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि वाहन संख्या RJ-18 TA-1636 टेक्सी के रूप में पंजीकृत है, जिससे परिवादी लाभ कमाता है, जो वणिज्यक की श्रेणी में आता है । इसलिये यह परिवाद पत्र जिला मंच को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। इसलिये बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने से परिवादी कोई क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण के विवरण से यह स्पष्ट है कि परिवादी वाहन RJ-18 TA-1636 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 19.09.2012 से 18.09.2013 की अवधि तक विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन दिनांक 24.10.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
हस्तगत प्रकरण में विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी का मुख्य तर्क यह रहा है कि पालिसी की शर्तो के अनुसार वक्त दुर्घटना वाहन मालिक के पास वैध एवं प्रभावी परमिट नहीं था। इसलिये तथाकथित दुर्घटना के संबंध में क्षतिपूर्ति अदायगी हेतु विपक्षीगण बीमा कम्पनी का कोई दायित्व आयद नहीं होता। विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने अपने तर्को के समर्थन में निम्न न्यायदृष्टांत -
IV (20005) CPJ- 115 (NC)- UNITED INDIA INSURANCE CO. LTD. VS DHARAM RAJ,
I (2015) CPJ- 760 (NC) - UNITED INDIA INSURANCE CO. LTD. VS KISHORE SHARMA . पेष किये।
उपरोक्त न्यायदृष्टान्तों मे माननीय राष्ट्रीय आयोग द्धारा जो सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है, उनसे हम पूर्ण रुप से सहमत हैं। उपरोक्त न्यायदृष्टांत हस्तगत प्रकरण पर पूर्णतया चस्पा होते हंै।
प्रकरण में प्रस्तुत विवरण से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी की ओर से वाहन का जो परमिट पेष किया गया है, वह दिनांक 20.11.2012 को जारी हुआ है, जो परमिट दिनांक 20.11.2012 से 19.11.2017 तक की अवधि के लिये जारी किया गया हैै। तथाकथित दुर्घटना दिनांक 24.10.2012 को घटित होनी बताई गई है। परमिट की फोटो प्रति पत्रावली में संलग्न है। इस प्रकार यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि वक्त दुर्घटना वाहन मालिक के पास जो परमिट था, वह वैध एवं प्रभावी नहीं था। इस प्रकार उपरोक्त न्यायदृष्टांतों की रोषनी में बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने से विपक्षीगण बीमा कम्पनी का क्षतिपूर्ति राषि अदायगी के लिये किसी भी तरह से उत्तरदायित्व आयद नहीं होता है।
अतः उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप परिवादी की ओर से प्रस्तुत यह परिवाद पत्र खारिज किए जाने योग्य है, जो एतद्द्वारा खारिज किया जाता है।
पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
निर्णय आज दिनांक 24.02.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।