Madhya Pradesh

Seoni

CC/31/2014

MITHLESH KUMAR - Complainant(s)

Versus

THE NEW INDIA INSURANCE COMPANY LTD - Opp.Party(s)

YOGENDRA THAKUR

16 Jun 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)

 

 प्रकरण क्रमांक- 31.2014                              प्रस्तुति दिनांक-07.04.2014


समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

मिथलेष कुमार, पिता मंगल, निवासी-
आदेगांव, तहसील लखनादौन, जिला
सिवनी (म0प्र0)।..............................................आवेदकपरिवादी।


                :-विरूद्ध-: 

दी न्यू इणिडया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड,
मंडल कार्यालय-(450500), नेपियर टाउन
जबलपुर-482001 जिला जबलपुर
(म0प्र0)।........................................................अनावेदकविपक्षी।  

 
                 :-आदेश-:
     (आज दिनांक-  16.06.2014 को पारित)

द्वारा-अध्यक्ष:-
(1)        परिवादी ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक द्वारा, बीमित परिवादी का वाहन-बुलेरो रजिस्ट्रेषन क्रमांक-एम0पी0 22-टी0-0429 के दिनांक-07.07.2012 को दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो जाने के आधार पर, पेष परिवादी के बीमा क्लेम को अनावेदक द्वारा, दिनांक-26.11.2012 के पत्र के द्वारा निरस्त कर दिये जाने को अनुचित व सेवा में कमी बताते हुये, क्लेम राषि व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है। 
(2)        यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी उक्त वाहन का रजिस्टर्ड स्वामी है और परिवादी का उक्त वाहन, अनावेदक बीमा कम्पनी की बीमा पालिसी क्रमांक-45050031110100011070 के माध्यम से दिनांक-31.12.2011 से 30.12.2012 तक की अवधि के लिए बीमित रहा है। यह भी विवादित नहीं कि-परिवादी दिनांक-07.07.2012 को जब वह वाहन चलाकर लखनादौन से अपने घर आदेगांव जा रहा था, तो वाहन-ट्रक क्रमांक-यू0पी0-78-बी0 पी0-4497 से टक्कर हो जाने के कारण, वाहन का अगला वाला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाने बाबद, पुलिस थाना, लखनादौन को रिपोर्ट लेख कराया था और अनावेदक के कार्यालय में दुर्घटना की सूचना देकर क्लेम पेष किया था, बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर से निरीक्षण आदि कराया गया और फिर पत्र क्रमांक-42912, दिनांक-26.11.2012 के माध्यम से परिवादी को सूचित किया गया कि-उसका वाहन, टेक्सी परमिट है, जिसे परिवादी चला रहा था और परिवादी के पास मात्र हल्का मोटरयान चलाने का ड्रायविंग लायसेंस है, जो यात्रीट्रांसपोर्टयान चलाने के लिए अधिकृत नहीं, इसलिए बीमा षर्तों का उल्लघंन पाते हुये क्लेम भुगतान से इंकार कर दिया गया।
(3)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि-परिवादी के द्वारा दुर्घटना के बाद बीमा क्लेम पेष करने पर, अनावेदक के अधिकारियों ने वाहन सुधरवाकर बिल पेष करने व दिनांक-08.10.2012 के पत्र के द्वारा, ड्रायविंग लायसेंस पेष करने कहा था, परिवादी ने वाहन सुधरवाने के बाद बाम्बे मोटर स्टोर्स का 83,240-रूपये का बिल भी पेष किया था और पत्र दिनांक-26.11.2012 के द्वारा पैसेन्जर वाहन चलाने के लिए परिवादी का ड्रायविंग लायसेंस न रहे होने के आधार पर, क्लेम निरस्त किया गया, तो दिनांक-13.09.2013 को परिवादी द्वारा, जरिये अधिवक्ता नोटिस भी दिया गया था, जिसका दिनांक-30.09.3013 को जवाब अनावेदक के द्वारा देते हुये, क्लेम निरस्ती को सही करवाया गया, जबकि-दुर्घटना के समय परिवादी स्वयं अपने वाहन को चलाते हुये अपने घर जा रहा था, वाहन में कोर्इ खराबी नहीं थी और वाहन का उपयोग व्यकितगत रूप से कर रहा था, तो ड्रायविंग लायसेंस वैध न होना कहकर, अनावेदक क्लेम भुगतान के दायित्व से नहीं बच सकता था, इसलिए क्लेम निरस्ती को अनुचित कहते हुये, गाड़ी सुधरवाने में खर्च हुर्इ राषि व हर्जाने की मांग की गर्इ है।
(4)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-परिवादी उक्त टेक्सी बुलेरो का पंजीकृत स्वामी है, उक्त टेक्सी बुलेरो का बीमा, अनावेदक बीमा कम्पनी से पैसेन्जर केरीइंग के रूप में प्राप्त किया था और परिवादी के द्वारा लिखार्इ गर्इ प्रथम सूचना रिपोर्ट में परिवादी ही उक्त वाहन का चालक होना और कथित दुर्घटना दिनांक को उसके द्वारा ही वाहन चलाया जाना दर्षाया गया है, जो कि-दुर्घटना की सूचना प्राप्त होने पर, अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, स्वतंत्र सर्वेयर व लास असेसर, अमित कुमार षर्मा से स्पाट सर्वे करवाया गया था, इसके पष्चात परिवादी ने मोटर दावा क्लेम प्रपत्र पेष किया, तो बीमा कम्पनी ने प्रक्रिया अनुसार, रवि खैत्रपाल, स्वतंत्र सर्वेयर से क्षति का आंकलन कराया और फिर परिवादी द्वारा दिये दस्तावेज व पुलिस रिपोर्ट के अवलोकन के बाद, दिनांक-19.09.2012 के पत्र के माध्यम से परिवादी को सूचित किया था कि-वह अपना ड्रायविंग लायसेंस पेष करे, अन्यथा दावा निरस्त कर दिया जायेगा, फिर भी परिवादी ने ड्रायविंग लायसेंस पेष नहीं किया, तब पुन: दिनांक-08.10.2012 को परिवादी को सूचना-पत्र दिया गया, तब परिवादी ने ड्रायविंग लायसेंस पेष किया, जिसके अवलोकन के पष्चात, यह पाते हुये कि-परिवादी का वाहन टेक्सी के रूप में पंजीकृत है और टेक्सी वाहन के लिए ही पैसेन्जर केरीइंग के रूप में बीमा पालिसी प्राप्त की गर्इ थी, दुर्घटना के समय परिवादी ही वाहन चला रहा था और उसका ड्रायविंग लायसेंस, मात्र हल्का मोटरयान चलाने के लिए रहा है, जो कि-परिवादी के पास बीमित यात्री वाहन चलाने हेतु ड्रायविंग लायसेंस में आवष्यक पृश्ठाकंन नहीं रहा है और वाहन को बिना परमिट का चलाया जा रहा था। इस तरह वैध व प्रभावी अनुज्ञपित के बिना वाहन चलाने और बिना परमिट के वाहन चलाकर, बीमा पालिसी की षर्तों और निंबघनों को भंग किया गया था, इसलिए अनावेदक, परिवादी को कोर्इ प्रतिकर आदि संदाय करने के लिए दायी नहीं है। पेष परिवाद पोशणीय नहीं, जो सव्यय निरस्त किया जाये।  
(5)        मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-    
        (अ)    क्या अनावेदक के द्वारा, परिवादी के बीमा क्लेम को
            अस्वीकार कर दिया जाना, अनुचित होकर, परिवादी
            के प्रति की गर्इ सेवा में कमी है?
        (ब)    सहायता एवं व्यय?

                -:सकारण निष्कर्ष:-
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-

(6)        अनावेदक-पक्ष की ओर से परिवादी को जारी की गर्इ व्यवसायिक वाहन के लिए पैकेज बीमा पालिसी की प्रति प्रदर्ष आर-1, पुलिस को दी गर्इ प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति प्रदर्ष आर-2, ड्रायविंग लायसेंस की मांग बाबद सूचना-पत्र की प्रति प्रदर्ष आर-5 व आर-6 और क्लेम निरस्ती के पत्र दिनांक-26.11.2012 की प्रति प्रदर्ष आर-7 पेष की गर्इ है। परिवादी की ओर से भी प्रदर्ष सी-2 से सी-5 के रूप में उक्त दस्तावेज पेष किये गये। परिवादी की ओर से पेष प्रदर्ष सी-7 के ड्रायविंग लायसेंस की प्रति से स्पश्ट है कि-उक्त ड्रायविंग लायसेंस मोटरसायकिल व हल्का मोटरयान चलाने के लिए जारी हुआ था और ट्रांसपोर्टयान चलाने के लिए उक्त लायसेंस में परिवादी अधिकृत नहीं रहा है।
(7)        तो क्लेम निरस्ती की सूचना प्राप्त होने के लगभग 9 माह बाद परिवादी की ओर से जरिये अधिवक्ता अनावेदक को भेजे नोटिस की प्रति प्रदर्ष सी-1 व डाक से भेजने की पोस्टल रसीद प्रदर्ष सी-8 पेष की गर्इ है, जिससे यह दर्षित है कि-दुर्घटना दिनांक को वाहन को परिवादी व्यकितगत उपयोग के लिए चला रहे होने और उसमें कोर्इ सवारी न रहे होने का आधार लेकर क्लेम भुगतान हेतु परिवादी ने अनावेदक को नोटिस भेजा था और उक्त आधार पर ही यह परिवाद पेष कर दिया गया।  
(8)        न्यायदृश्टांत-यूनार्इटेड इंडिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड विरूद्ध अरविन्द कुमार रजक 2008 (भाग-3) सी0पी0जे0 191 (एन0सी0) के मामले में माननीय राश्ट्रीय आयोग द्वारा पुन: यह पुश्ट किया गया है कि-हल्के मोटरयान चलाने का ड्रायविंग लायसेंस रखने वाला ड्रायवर किसी ट्रांसपोर्टयान को चलाने हेतु पृश्ठाकंन के बिना ट्रांसपोर्टयान चलाने के लिए अधिकृत नहीं। जो कि-ट्रांसपोर्टयान चलाने के लिए पृश्ठाकंन के बिना ट्रांसपोर्टयान चलाना बीमा षर्तों का उल्लघंन है। और इसलिए बीमा कम्पनी द्वारा, क्लेम के भुगतान के लिए आदेष नहीं दिया जा सकता। और न्यायदृश्टांत-2011 (भाग-1) सी0पी0जे0 125 (एन0सी0) न्यू इंडिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम बी0 सत्यजीत रेडडी व अन्य के मामले में माननीय राश्ट्रीय आयोग द्वारा, यह प्रतिपादना भी दी गर्इ है कि-ऐसे मामले में टेक्सी यान के स्वामी को कथित दुर्घटना के समय यान टेक्सी के रूप में न चलाया जाकर, व्यकितगत उपयोग के लिए चलाये जाने का कोर्इ बचाव व आधार उपलब्ध नहीं है, जो कि-टेक्सी के रूप में पंजीकृत वाहन को ट्रांसपोर्ट यान चलाने के लिए अधिकृत लायसेंसधारी के द्वारा ही चलाया जा सकता है। 
(9)        तो स्पश्ट है कि-दुर्घटना क्लेम की राषि प्राप्त करने के लिए परिवादी-पक्ष को अपना टेक्सी यान दुर्घटना के समय व्यकितगत प्रयोजन हेतु चलाया जा रहे होने की कोर्इ कहानी या वृतांत दर्षाने मात्र के कारण किये गये उल्लघंन का कोर्इ बचाव या छूट प्राप्त हो जाना संभव नहीं है, इसलिए अनावेदक बीमा कम्पनी के द्वारा, परिवादी के वाहन क्षति बीमा क्लेम के भुगतान से इंकार किया जाना बीमा षर्तों का उल्लघंन उचित आधारों पर है और अनावेदक के द्वारा, परिवादी के क्लेम को अस्वीकार किया जाना किसी भी तरह अनुचित या सेवा में कमी होना नहीं पाया जाता है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है। 
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(9)        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर, प्रस्तुत परिवाद स्वीकार योग्य न होने से निरस्त किया जाता है। और यह परिवाद अनुचित आधारों पर अनावेदक को मात्र परेषान करने के लिए पेष किया गया है, इसलिए परिवादी स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेगा और अनावेदक को कार्यवाही-व्यय के रूप में 2,000-रूपये (दो हजार रूपये) आदेष दिनांक से चार माह की अवधि के अंदर अदा करेगा।
            
   मैं सहमत हूँ।                              मेरे द्वारा लिखवाया गया।  

      

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
      सदस्य                                                    अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         प्रतितोषण फोरम,सिवनी          

                (म0प्र0)                                        (म0प्र0)

                        

 

 

 

        
            

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.