ORDER | परिवाद 1 संख्या 400/14 जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान) परिवाद संख्या - 400/14 समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष। 2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या। 3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य। विनय कुमार टीबडा पुत्र प्रमोद कुमार टीबड़ा ग्राम एवं पोस्ट बाकरा तहसील व जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादी बनाम दि न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, स्टेषन रोड झुंझुनू जरिये शाखा प्रबंधक। - विपक्षी परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 उपस्थित:- 1. श्री मनोहरलाल, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से। 2. श्री अनवर हसन खाऩ, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से। - निर्णय - दिनांक: 27.10.2015 परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 01.08.2014 को संस्थित किया गया। विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी विनय कुमार टिबड़ा वाहन संख्या RJ-18 TA-1682 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 16.11.2012 से 15.11.2013 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है। विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 08.08.2013 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा तुंरत विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई । उक्त सूचना के क्रम में विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने वाहन का निरीक्षण कर लिया तथा विपक्षी के कहने पर परिवादी ने अपने वाहन को GEHLOT MOTORS (P) Ltd. JAIPUR ROAD, SIKAR पर लाकर खडा कर दिया व विपक्षी को सूचना करदी गई। विपक्षी द्वारा पुनः सर्वेयर भेजकर वाहन का वर्कषाप पर सर्वे करवा लिया जिस पर परिवादी ने वाहन को ठीक करवा लिया । वाहन रिपेयर होने के बाद विपक्षी का सर्वेयर आया तथा कहा कि आप वर्कषाप में भुगतान करदो तथा असल बिल लेकर आफिस में आजाना आपको सम्पूर्ण खर्चे का भुगतान कर देगें। परिवादी के उक्त वाहन पर कुल 5,58,690.96/- रूपये खर्च हुआ, जिसका भुगतान परिवादी ने वर्कषाप मालिक को कर दिया । परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन मय मरम्मत बिल एवं आवष्यक सभी कागजात के प्रस्तुत किया तो विपक्षी ने परिवादी से कहा सब दस्तावेज हैड आफिस भेजेगें तथा आपकी गाडी की क्षतिपूर्ति का चैक आ जावेगा। परिवादी ने विपक्षी ने सम्पर्क किया तो दिनांक 27.05.2014 को विपक्षी द्वारा पत्र भिजवाया गया कि परिवादी के वाहन का परमिट 13.08.2013 से 12.08.2018 तक समस्त राजस्थान के लिये प्रभावी है, जबकि वाहन की दुर्घटना तिथि 08.08.2013 है जो परमिट जारी होने से पूर्व की है। इसलिये परिवादी की पत्रावली नो क्लेम कर बंद करदी गई जबकि उक्त वाहन का परमिट दिनांक 12.12.2012 से दिनांक 11.12.2017 तक के लिये वैध था, जिसकी फोटो प्रति संलग्न है। क्लेम देने से विपक्षी ने इन्कार किया। इस प्रकार विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है। अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 5,58,690.96/- रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया। विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी वाहन संख्या RJ-18 TA-1682 का रजिस्टर्ड मालिक होना तथा वक्त दुर्घटना उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित होना स्वीकार करते हुये यह कथन किया है कि परिवादी द्वारा क्लेम पेष किये जाने पर सर्वेयर नियुक्त किया गया तथा वाहन में हुये नुकसान के मुताबिक सर्वेयर द्वारा आंकलन किया गया। परिवादी के पास वक्त घटना वाहन का वैध एवं प्रभावी परमिट नहीं था। इसलिये परिवादी का क्लेम रेपुडियेट किया गया है। इसलिये बीमा शर्तों का उल्लंघन होने पर परिवादी विपक्षी से कोई क्षतिपूर्ति क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया। प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी वाहन RJ-18 TA-1682 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 16.11.2012 से 15.11.2013 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अविध में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। विद्धान अधिवक्ता विपक्षी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि परिवादी ने उक्त वाहन का जो परमिट पेष किया है वह दिनांक 13.08.2013 से 12.08.2018 तक प्रभावी है। वक्त दुर्घटना परिवादी के नाम का परमिट नहीं है। इस प्रकार दुर्घटना दिनांक 08.08.2013 को वाहन मालिक के पास वैध एवं प्रभावी परमिट नहीं था। इसलिये बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने पर बीमा कम्पनी क्लेम राषि अदायगी के लिये उत्तरदायी नहीं है। हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी के उक्त तर्क से सहमत नहीं हैं। परिवादी की ओर से उक्त वाहन के परमिट की जो फोटो प्रति पेष की गई है, उसके अनुसार उक्त वाहन का परमिट 12.12.2012 से 11.12.2017 तक जारी किया हुआ है, जो घनष्याम टिबडेवाल के नाम से जारी है । बाद मेे दिनांक 13.08.2013 से 12.08.2018 तक जो परमिट जारी किया गया है, वह परिवादी विनय टीबडा के नाम से जारी किया हुआ है। परमिट किसी व्यक्ति का न होकर वाहन का होता है। उक्त वाहन का परमिट संख्या 1811 जो वर्ष, 2012 में जारी किया गया है, वह दिनांक 12.12.2012 से 11.12.2017 तक प्रभावी था। वक्त दुर्घटना वाहन का परमिट वैध एवं प्रभावी था। परिवाद पत्र के संलग्न ट्रांसफर पोलिसी डोकूमेंट जो विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जारी किया गया है, उसमें विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा यह अंकित किया गया है कि। AT THE REQUEST OF INSURED VEHICLE OWNERSHIP TRANSFER IN THE NAME OF SH VINAY TIBARA S/O SH PARMOD KUMAR TIBARA IN THE AFORESAID POLICY WEF 14.06.2013 ALL OTHER TERMS AND CONDITION SHALL REMAIN UNCHANGED इस प्रकार विपक्षी बीमा कम्पनी किस आधार पर कहती है कि परिवादी के पास वैध एवं प्रभावी परमिट नहीं था। पत्रावली के अवलोकन से यह भी स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन दिनंाक 08.08.2013 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वक्त दुर्घटना उक्त वाहन बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त सर्वेयर ने क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर कुल 3,95,456/-रूपये सवेे loss Assessed on Repairing Basis मानते हुये अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस प्रकार परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात की पूर्ती किए जाने के बावजूद भी विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार भुगतान क्यों नहीं किया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा पेष नहीं किया गया है । इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति की अदायगी से विमुख नहीं हो सकती है। हमारे द्वारा सर्वे रिपोर्ट के संबंध में निम्न न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया:- I (2013) CPJ 440 (NC)- ANKUR SURANA VS. UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. & ORS, II (2014) CPJ 593 (NC)- MURLI COLD STORAGE LIMITED VS ORIENTAL INSURANCE CO. LTD & ANR., I (2013) CPJ 40B (NC) (CN)- MANJULA DAS VS ASHOK LEYLAND FINANCE LTD & ANR. उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै, उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को ही महत्व दिया है। अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है। परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ GEHLOT MOTORS (P) Ltd. JAIPUR ROAD, SIKAR के बिलों की फोटो प्रति पेष की हैं । परिवादी की ओर से प्रस्तुत उक्त बिलों में अंकित राषि बढ़ा-चढ़ा कर बताई गई है, जिस पर विष्वास नहीं किया जा सकता। अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी बीमा कम्पनी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षी बीमा कम्पनी से 3,95,456/-रूपये (अक्षरे रूपये तीन लाख पिच्यानवें हजार चार सौ छप्पन मात्र) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षी से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 01.08.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। निर्णय आज दिनांक 27.10.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। | |