जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 592/13
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
सतवीर पुत्र लक्ष्मीनारायण यादव जाति अहीर निवासी पिलोद तहसील चिडावा जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादी
बनाम
1. दी न्यू इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लि0 जरिये मण्डलीय प्रबंधक, मण्डलीय कार्यालय 313 माडल टाउन, दिल्ली रोड़ रोहतक जिला रोहतक (हरियाणा)
2. दी न्यू इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लि0 जरिये शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय, गहलोत मोटर्स के सामने, रोड़ नम्बर 3 झुंझुनू जिला झुंझुनू (राज0)
- विपक्षीगण
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री द्वारका प्रसाद वर्मा, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से।
2. श्री अनवार हसन, अधिवक्ता - विपक्षीगण की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 01.04.2016
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 21.10.2013 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के पास एक वाहन नम्बर RJ-18 U.A.- 1483 था, जो विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 23.05.2011 से 22.05.2012 तक की अवधि के लिए बीमित था। विपक्षी संख्या 1 का शाखा कार्यालय विपक्षी संख्या 2 है। इस प्रकार परिवादी, विपक्षीगण का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 09/10.10.2011 रात्रि को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना तुंरत विपक्षीगण बीमा कम्पनी को दी गई। विपक्षीगण द्वारा परिवादी के वाहन का स्पोट सर्वे करवाया गया तथा परिवादी को अपने वाहन की मरम्मत करवाकर सूचना देने व बिल पेष करने की बात कही। परिवादी ने वाहन की मरम्मत करवाई, जिस पर 4,00,000/-रूपये खर्च हो गये। परिवादी ने वाहन मरम्मत के समस्त बिल विपक्षी नम्बर 1 को दे दिये तथा विपक्षी द्वारा चाही गई समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करदी। विपक्षीगण ने दिनांक 19.04.2013 को परिवादी को एक पत्र लिखा कि वक्त दुर्घटना ड्राईवर पुरूषोतम शर्मा था जबकि मेडिकल इलाज के दस्तावेजात में सुनील शर्मा नाम है, इसलिये अलग-अलग नाम होने से परिवादी का दावा खारिज (रेपुडियेट) कर दिया गया। परिवादी का ड्राईवर पुरूषोतम दुर्घटना में बेहोष हो गया जिसको गावं में सुनील भी कहते है,ं इसलिये गांव के पड़ौसी लड़के अनूप जो पुरूषोतम के साथ था, उसने गावं में उसको सुनील के नाम से ही जानने के कारण पुरूषोतम की जगह सुनील बता दिया। पुरूषोतम ने पुलिस को बाद में अपने नाम पते की सही जानकारी दे दी थी। इस संबंध में ग्राम पंचायत का प्रमाण पत्र पेष कर दिया। परिवादी ने विपक्षीगण द्वारा चाहे गये समस्त दस्तावेज विपक्षीगण बीमा कम्पनी को उपलब्ध करवा दिये परन्तु आज तक विपक्षीगण ने परिवादी को क्लेम राषि अदा नहीं की है। इस प्रकार विपक्षीगण का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षीगण से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 4,00,000/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान वाहन नम्बर RJ-18 U.A.- 1483 का रजिस्टर्ड मालिक परिवादी होना तथा उक्त वाहन विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां वक्त दुर्घटना बीमित होना स्वीकार करते हुये यह कथन किया है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना देरी से दी गई तथा सूचना मिलने पर विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से दिनांक 22.12.2011 को सर्वेयर नियुक्त किया गया। सर्वेयर द्वारा वाहन का सर्वे कर अपनी रिपोर्ट में 1,02,625/-रूपये का नुकसान होना माना। परिवादी ने जो दस्तावेज पेष किये हैं उनके अनुसार वर वक्त दुर्घटना उक्त वाहन का चालक सुनीलकुमार था, जिसके पास वक्त दुर्घटना वाहन चलाने का वैध एवं प्रभावी लाइसेंस समस्त पृष्ठांकनों सहित नहीं था। वक्त दुर्घटना वाहन चालक सुनील कुमार के चोटें आई है जबकि परिवादी ने वर वक्त दुर्घटना चालक पुरूषोतम का होना बताया है, जो एक साक्ष्य का विषय है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी वाहन नम्बर RJ-18 U.A.- 1483 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन दिनांक 23.05.2011 से 22.05.2012 की अवधि तक विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अविध में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी का यह तर्क होना कि वक्त घटना वाहन चालक सुनील कुमार था, पुरूषोतम शर्मा नहीं था। सुनील कुमार के ही चोटें आई हैं। मेडिकल भी सुनील कुमार का ही हुआ है। चार्जषीट में पुरूषोतम उर्फ सुषील कुमार अंकित है। वाहन चालक सुनील कुमार के पास वक्त घटना वैध एवं प्रभावी ड्राईविंग लाईसेंस नहीं था। इसलिये बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने पर बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी नहीं है।
हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण के उक्त कथन से सहमत नहीं हैं। क्योंकि परिवादी ने पत्रावली में सरपंच ग्राम पंचायत पिलोद जिला झुंझुनू का प्रमाण पत्र पेष किया है, जिसमें यह अंकित किया है कि पुरूषोतम व सुनील दोनो एक ही व्यक्ति के नाम हैं, जिसके पिता का नाम शंकरलाल है । परिवादी ने पुरूषोतम उर्फ सुनील पुत्र शंकरलाल का दस रूपये के स्टाम्प पर नोटेरी पब्लिक से तसदीकषुदा शपथ पत्र भी पेष किया है। जहां तक पुरूषोतम उर्फ सुषील का नाम चार्जषीट में अंकित होने का प्रष्न है, पत्रावली में उपलब्ध सरपंच के प्रमाण पत्र व नोटेरी पब्लिक द्वारा दस रूपये के स्टाम्प पर तसदीकषुदा शपथपत्र एवं चोट प्रतिवेदन प्रपत्र से यह स्पष्ट होता है कि पुरूषोतम उर्फ सुनील एक ही व्यक्ति का नाम है, जिसके पिता का नाम शंकरलाल है। अनुसंधान के दौरान पुलिस स्वंय गवाहान के बयान लेती है। यदि अनुसंधान अधिकारी अपनी लापरवाही से चालक का नाम पुरूषोतम उर्फ सुनील के स्थान पर पुरूषोतम उर्फ सुषील अंकित कर देता है तो इसके लिये परिवादी को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। वक्त घटना पुरूषोतम शर्मा उर्फ सुनीलकुमार ही वाहन चालक था जिसके पास वक्त घटना वैध एवं प्रभावी ड्राईविंग लाईसेंस था, जिसकी फोटो प्रति पत्रावली में संलग्न है। इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति के उत्तरदायित्व से किसी भी सूरत में विमुख नहीं हो सकती।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन दिनंाक 10.10.2011 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षीगण बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। विपक्षीगण बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त सर्वेयर ने क्षतिग्रस्त वाहन का सर्वेक्षण किया तथा 1,02,625/-रूपये Net Loss Payble मानते हुये अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात की पूर्ती किये जाने के बावजूद विपक्षीगण बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को उक्त राषि का भुगतान क्यों नहीं किया गया इसका कोई युक्तियुक्ति स्पष्टीकरण विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है।
हमारे द्वारा सर्वे रिपोर्ट के संबंध में निम्न न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया:-
I (2013) CPJ 440 (NC)- ANKUR SURANA VS. UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. & ORS, II (2014) CPJ 593 (NC)- MURLI COLD STORAGE LIMITED VS ORIENTAL INSURANCE CO. LTD & ANR., I (2013) CPJ 40B (NC) (CN)- MANJULA DAS VS ASHOK LEYLAND FINANCE LTD & ANR.
उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै, उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को ही महत्व दिया है। अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षीगण बीमा कम्पनी परिवादी को 1,02,625/-रूपये रूपये वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षीगण बीमा कम्पनी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षीगण बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी विपक्षीगण बीमा कम्पनी से 1,02,625/-रूपये रूपये (अक्षरे रूपये एक लाख दो हजार छः सौ पच्चीस) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति संयुक्त व पृथक-पृथक रूप से प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षीगण से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 21.10.2013 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 01.04.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।