जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 314/14
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
अमित कुमार धतरवाल पुत्र प्रीतम सिंह निवासी बनगोठड़ी कला तहसील चिड़ावा जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादी
बनाम
प्रबंधक मण्डल कार्यालय, दि न्यू इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जालान भवन कलेक्ट्रेट के सामने, सीकर। - विपक्षी
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री अषोक मांजू व श्री हेमराज, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से।
2. श्री अनवर हसन खाऩ, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 04.11.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 10.06.2014 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी अमित कुमार धतरवाल वाहन बोलेरेा जीप संख्या RJ-18 U.A. 6060 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 08.04.2013 से 07.04.2014 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 29.06.2013 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा तुंरत विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई । उक्त सूचना के क्रम में विपक्षी ने परिवादी से कहा कि वाहन का क्लेम मिलने में 30-40 दिन का समय लगेगा इसलिये परिवादी अपनी गाडी की मरम्मत अथोराईज्ड सर्विस सेण्टर से करवाकर बिल पेष कर देवे, जिससे जल्दी ही वाहन का क्लेम मिल जावेगा। विपक्षी के कहने पर परिवादी ने अपने वाहन को GEHLOT MOTORS (P) Ltd. Riico Jhunjhunu पर अपना वाहन ठीक करवा लिया । परिवादी के उक्त वाहन पर कुल 4,24,215/- रूपये खर्च हुआ। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन मय मरम्मत बिल एवं आवष्यक सभी कागजात के प्रस्तुत किये तो विपक्षी ने परिवादी से कहा 20-25 दिन में आपकी गाडी की क्षतिपूर्ति राषि मिल जावेगी। परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क किया तो दिनांक 10.04.2014 को विपक्षी द्वारा पत्र भिजवाया गया कि परिवादी के वाहन का क्लेम नहीं दिया जावेगा क्योंकि परिवादी का उक्त वर्णित दावा वाहन में हुई क्षति का मुख्य कारण दिनांक 29.06.2013 को हुई दुर्घटना नहीं है बल्कि दुर्घटना के बाद वाहन को घटनास्थल से भगाकर ले जाते समय गांव वालों द्वारा तोडफोड कर क्षतिग्रिस्त किया जाना है। इस प्रकार विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 4,24,215/- रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी वाहन बोलेरेा जीप संख्या RJ-18 U.A. 6060 का रजिस्टर्ड मालिक होना तथा वक्त दुर्घटना उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित होना स्वीकार करते हुये यह कथन किया है कि दिनांक 29.06.2013 को परिवादी का वाहन दौरासर पेट्रोल पम्प के पास मोटरसाईकिल से टकराने के कारण क्षतिग्रस्त न होकर दुर्घटना के बाद वाहन चालक द्वारा वाहन को घटनास्थल से भगाकर ले जाते समय पेंचर हो जाने पर गावं वालों द्वारा तोडफोड कर क्षतिग्रस्त किया गया है। परिवादी का यह कृत्य पालिसी नियमानुसार दुर्भावनाजन्य है। इस संबंध में वाहन स्वामी द्वारा वाहन को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध सबंधित थाना में मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है तथा न ही इस प्रकार का कोई प्रमाण विपक्षी बीमा कम्पनी के समक्ष पेष किया है। इसलिये परिवादी का क्लेम रेपुडियेट किया गया है। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी के पास जो दावा पेष किया है उसमें विरोधाभाषी कथन किया है, जो पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने के कारण खारिज किये जाने योग्य है। इसलिये बीमा शर्तों का उल्लंघन होने पर परिवादी विपक्षी से कोई क्षतिपूर्ति क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी बोलेरेा जीप संख्या RJ-18 U.A. 6060 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 08.04.2013 से 07.04.2014 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अविध में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि दिनांक 29.06.2013 को परिवादी का वाहन दौरासर पेट्रोल पम्प के पास मोटरसाईकिल से टकराने के कारण क्षतिग्रस्त न होकर दुर्घटना के बाद वाहन चालक द्वारा वाहन को घटनास्थल से भगाकर ले जाते समय पेंचर हो जाने पर गावं वालों द्वारा तोडफोड कर क्षतिग्रस्त किया गया है। सही समय पर बीमा कम्पनी को सूचना नहीं दी गई है। इसलिये बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने पर बीमा कम्पनी क्लेम राषि अदायगी के लिये उत्तरदायी नहीं है।
हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी के उक्त तर्क से सहमत नहीं हैं। क्योंकि विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से उक्त कथन महज अंदाज व कैयास के आधार पर किया गया है कि परिवादी के वाहन को दुर्घटनास्थल से भगाकर ले जाने के बाद वाहन पंचर हो जाने पर गांव के व्यक्तियों द्वारा वाहन में तोडफोड़ की गई हो, इसका केाई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से परिवाद पत्र में पेष नहीं किया गया है।
पत्रावली के अवलोकन से यह भी स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन दिनंाक 29.06.2013 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वक्त दुर्घटना उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त सर्वेयर ने क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर कुल 3,20,000/-रूपये छमज च्ंलंइसम ।उवनदज मानते हुये अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस प्रकार परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात की पूर्ती किए जाने के बावजूद भी विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार भुगतान क्यों नहीं किया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा पेष नहीं किया गया है । इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति की अदायगी से विमुख नहीं हो सकती है।
हमारे द्वारा सर्वे रिपोर्ट के संबंध में निम्न न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया:-
I (2013) CPJ 440 (NC)- ANKUR SURANA VS. UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. & ORS, II (2014) CPJ 593 (NC)- MURLI COLD STORAGE LIMITED VS ORIENTAL INSURANCE CO. LTD & ANR., I (2013) CPJ 40B (NC) (CN)- MANJULA DAS VS ASHOK LEYLAND FINANCE LTD & ANR.
उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै, उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को ही महत्व दिया है। अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है।
परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ GEHLOT MOTORS (P) Ltd. Riico Jhunjhunu के बिलों की फोटो प्रति पेष की हैं । परिवादी की ओर से प्रस्तुत उक्त बिलों में अंकित राषि बढ़ा-चढ़ा कर बताई गई है, जिस पर विष्वास नहीं किया जा सकता।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी बीमा कम्पनी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षी बीमा कम्पनी से 3,20,000/-रूपये (अक्षरे रूपये तीन लाख बीस हजार मात्र) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षी से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 10.06.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 04.11.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।