RABINDRA SINGH filed a consumer case on 05 Jan 2021 against THE NEW INDIA INSURANCE CO.LTD. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/03A/2012 and the judgment uploaded on 12 Jan 2021.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 03 सन् 2012
प्रस्तुति दिनांक 27.02.2013
निर्णय दिनांक 05.01.2021
....................................................................................परिवादीगण।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादीगण ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उन्होंने 13.02.2008 को महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा ट्रैक्टर जिनका रजिस्ट्रेशन नं. यू.पी.50 क्यू 2248 है, खरीदा जिसका लोन यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया सरायमीर आजमगढ़ से लिया गया व ट्रैक्टर का बीमा दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड से इन्श्योरेन्स करवाया तथा सारी शर्तों व नियमों का पालन किया। परिवादी उक्त ट्रैक्टर अपने रिश्तेदार अरविन्द कुमार सिंह ग्राम लोहरा थाना अतरौलिया जिला आजमगढ़ के यहां कृषि कार्य हेतु गया था, जो उनके दरवाजे से रात में दिनांक 10.12.2008 को चोरी हो गया, जिसकी सूचना स्थानीय थाने पर दिया गया। किन्तु कोई कार्यवाही न हुई तब जाकर उक्त घटना की सूचना एस.एस.पी. को दिया, लेकिन उसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हुयी तो फिर परिवादी ने 156 (3) जाब्ता फौजदारी के तहत माo सी.जी.एम. कोर्ट आजमगढ़ में प्रार्थना पत्र दिया तो सी.जे.एम. महोदय ने एफ.आई.आर. दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया। न्यायालय के आदेश
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के पश्चात् थाने में रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना करना प्रारंभ किया। विवेचना में ट्रैक्टर चोरी होने की घटना सत्य पायी गयी। परिवादीगण द्वारा उक्त घटना से सम्बन्धित पुलिस की विवेचना की अन्तिम रिपोर्ट से सम्बन्धित सूचना बैंक व बीमा कम्पनी को दिया एवं बीमा क्लेम का भुगतान करने हेतु कहा किन्तु काफी समय बीत जाने के बाद भी बीमा कम्पनी द्वारा कोई भुगतान नहीं किया गया। परिवादीगण ने माo उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश याचिका संख्या 59615/10 के माध्यम से हुआ कि एक माह के अन्दर इन्श्योरेन्स कम्पनी बैंक से सेटिल्ड करके पैसा जमा करने का आदेश पारित किया गया था। लेकिन दिनांक 25.05.2011 को मेरा क्लेम यह कहते हुए बीमा कम्पनी ने निरस्त कर दिया कि घटना संदिग्ध है। अतः दादरसी में परिवादीगण ने यह कहा है कि इस बात का हुक्म फरमाया जाए कि विपक्षी संख्या 01 व 02 परिवादीगण को ट्रैक्टर महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा यू.पी.50 क्यू. 2248 के चोरी हो जाने के कारण उसकी बीमित राशि व मानसिक आर्थिक क्षति 437950/- परिवादीगण को विपक्षी संख्या 01 व 02 से दिलवाया जाए। विपक्षी संख्या 03 को इस बात का भी आदेश दिया जाए कि जब तक उपभोक्तागण को क्लेम की धनराशि न मिल जाए तब तक के लिए कोई भी वसूली न की जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादीगण ने कागज संख्या 7/2 माननीय उच्च न्यायलय का आदेश के सत्य प्रतिलिपि की छायाप्रति, कागज संख्या 7/3 ब्रान्च मैनेजर इन्श्योरेन्स कम्पनी आजमगढ़ को दिए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/5 सिविल मिसलीनियस रिट पिटीशन नं. 59615/2010 की छायाप्रति, कागज संख्या 7/6 इन्श्योरेन्स की छायाप्रति, कागज संख्या 7/11 प्रथम सूचना की रिपोर्ट की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 13/1ता 13/2 जवाबदावा द्वारा विपक्षी संख्या 03 यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा सरायमीर प्रस्तुत किया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि परिवादी का दावा पोषणीय नहीं है। परिवादी संख्या 02 ने परिवाद पत्र की धारा 7 के अनुसार 25/05/2011 में क्लेम निरस्त कर दिया गया है। परिवादी का दावा पोषणीय नहीं है। अतः खारिज किया जाए।
विपक्षी संख्या 03 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 01 व 02 द्वारा कागज संख्या 18/1ता18/4 जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है। जिसमें परिवाद पत्र के कथनों को अस्वीकार किया गया है
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और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादीगण द्वारा परिवाद पत्र में किया गया कथन वास्तविक तथ्यों को छिपाकर एवं न्यायालय के समक्ष तोड़-मड़ोर कर प्रस्तुत किया गया है। परिवाद पत्र में उल्लिखित ट्रैक्टर पंजीयन संख्या यू.पी.50क्यू.2248 के दिनांक 10.12.2008 को बीमाधारक रविन्द्र सिंह के रिश्तेदार अरविन्द कुमार सिंह पुत्र स्वo बलदेव सिंह ग्राम लोहरा थाना अतरौलिया जिला आजमगढ़ के दरवाजे से चोरी हो जाना कहा गया है, परन्तु उक्त चोरी होने की सूचना बीमाधारक रविन्द्र सिंह द्वारा शाखा प्रबन्धक दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड को अत्यधिक बिलम्ब से दिनांक 09.03.2009 को दिया गया। साथ ही ट्रैक्टर क्रय हेतु ऋण प्रदानकर्ता यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा सरायमीर जनपद आजमगढ़ को भी काफी बिलम्ब से ऋणी बीमाधारक द्वारा सूचित किया गया। बीमाधारक के रिश्तेदार अरविन्द कुमार सिंह ने दिनांक 10.12.2008 को अपने दरवाजे से ट्रैक्टर चोरी हो जाने की सूचना थाना अतरौलिया जनपद आजमगढ़ में दिया गया। थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं होना कहते हुए दिनांक 12.12.2008 को जरिए रजिस्ट्री वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ को सूचित किया एवं दिनांक 16.12.2008 को दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत न्यायालय में प्रथम सूचना दर्ज कराया जिसमें सी.जे.एम. आजमगढ़ ने दिनांक 24.01.2009 को थाना अतरौलिया जनपद आजमगढ़ को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करके विवेचना करने का आदेश पारित किया उक्त आदेश दिनांक 17.02.2009 को थाना अतरौलिया को प्राप्त हुआ एवं न्यायालय के आदेशानुसार प्रथम सूचना रिपोर्ट मुoअoसं. 114/2009 धारा 379 भाoदंoविo के अन्तर्गत अज्ञात चोरों के विरूद्ध वाहन ट्रैक्टर सं. यू.पी. 50 क्यू 2248 के चोरी होने के बाबत उक्त तिथि दिनांक 17.02.2009 को प्रातः 8.30 बजे दर्ज किया गया। विवेचक एस.आई. महन्त राय ने घटनास्थल का निरीक्षण करते हुए अन्तिम रिपोर्ट न्यायालय में प्रेषित किया है, लेकिन उक्त फाइनल रिपोर्ट में विवेचक ने अपनी ही जुर्म खारिजा रिपोर्ट के विपरीत चोरी होने का तथ्य मानते हुए अभियुक्तगण एवं ट्रैक्टर का पता नहीं चल पाने के तथ्य का उल्लेख किया। उक्त दोनों ही रिपोर्ट दिनांक 17.02.2009 की ही तिथि में विवेचक महन्त राय द्वारा तैयार करते हुए न्यायालय में प्रेषित किया गया। विवेचक महन्त राय द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट एवं विवेचन में संदिग्ध होने की स्थिति में दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा श्री नीरज राय, श्री देवप्रयाग तिवारी एवं श्री करूणेशपति त्रिपाठी से घटना के तथ्यों एवं पुलिस कार्यवाही के सम्बन्ध में जाँच किए जाने हेतु अन्वेषण कार्य सौंपा गया। तीनों इन्वेस्टीगेटर्स ने
अपनी अगल रिपोर्ट में ट्रैक्टर सं. यू.पी. 50 क्यू. 2248 की चोरी होने का घटना
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सत्य नहीं पाया गया। दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड के सक्षम अधिकारी द्वारा कम्पनी के तीनों जांचकर्ताओं के रिपोर्ट के आधार पर घटना को संदिग्ध मानते हुए दिनांक 10.05.2011 को दावा निरस्त कर दिया गया। वाहन ट्रैक्टर संख्या यू.पी. 50 क्यू 2248 के पंजीकृत स्वामी रविन्द्र सिंह ने कम्पनी के जांचकर्ता देवप्रयाग तिवाही को दिए गए लिखित बयान में ट्रैक्टर को भाड़े पर दिया गया था। कहा है साथ ही ट्रैक्टर का चालक आदित्य सिंह का चालक लाइसेन्स ऋणदाता बैंक के माध्यम से प्रेषित किया। जबकि ट्रैक्टर चोरी की घटना को दर्ज कराने वाले अरविन्द सिंह द्वारा खुद को ट्रैक्टर चलाना कह गया, परिवादी द्वारा अरविन्द सिंह का चालक लाइसेन्स हम विपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध ही नहीं कराया गया। ट्रैक्टर के पंजीयन प्रमाण पत्र के अवलोकन से स्पष्ट है कि ट्रैक्टर कर मुक्त एवं केवल कृषि कार्य के लिए ही पंजीकृत था। ट्रैक्टर को भाड़े प देकर एवं अरविन्द सिंह का चालक लाइसेन्स उपलब्ध नहीं कराकर परिवादी ने बीमा पॉलिसी की आवश्यक शर्तों का भी उल्लंघन किया है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी संख्या 01 व 02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 01 व 02 द्वारा प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 25/1 दावा निरस्त करने के सम्बन्ध में परिवादीगण को दी गयी सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 25/2 निरस्तीकरण आदेश, कागज संख्या 25/3 कोरियर की रिपोर्ट, कागज संख्या 25/5 बैंक द्वारा दी गयी सूचना, कागज संख्या 25/6 ओoडीoक्लेम ट्रैक्टर के चोरी के बाबत है, प्रस्तुत किया गया है।
याचीगण ने प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 7/1 माननीय उच्च न्यायालय का आदेश प्रस्तुत किया है, कागज संख्या 7/3 ब्रांच मैनेजर न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/6 ता 7/10 दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा बीमा कराए जाने की छायाप्रति, कागज संख्या 7/11 प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति प्रस्तुत किया है। विपक्षी द्वारा कागज संख्या 25/1 बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को इस आशय की दी गयी सूचना की छायाप्रति कि उसका दावा खण्डित कर दिया गया है। कागज संख्या 25/2 खण्डन के आदेश की छायाप्रति, कागज संख्या 25/3 कोरियर की रसीद, कागज संख्या 25/4 रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 25/5 डिवीजनल मैनेजर की रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 25/6 ओ.डी.पी. क्लेम ट्रैक्टर के चोरी के बाबत के.डी. एडवोकेट द्वारा प्रस्तुत किया गया आदेश जिसके पैरा 3 में यह कहा गया है कि याची ने दिनांक 21.11.2009 को पत्र व
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उसके साथ संलग्नक भेजा था। उसने चालक आदित्य कुमार सिंह को ड्राइविंग लाइसेंस की फोटोप्रति दिया गया था। पैरा 12 में यह लिखा गया था कि ट्रैक्टर परिवादी स्वयं चलाता था। रात में लाकर अपने दरवाजे पर खड़ा किया किन्तु ड्राइविंग लाइसेंस आदित्य कुमार सिंह का उसके द्वारा दिया गया है। इस प्रकार पत्रावली पर मौजूद अरविन्द कुमार सिंह के बयान को देखते हुए इनका ड्राइविंग लाइसेन्स बीमा कम्पनी को उपलब्ध नहीं कराया गया है। कागज संख्या 25/11 ता 25/22 मण्डलीय प्रबन्धक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है। कागज संख्या 25/23 प्रकाश जायसवाल द्वारा इस सन्दर्भ की छायाप्रति दाखिल की गयी है कि अरविन्द कुमार सिंह उसके गांव के हैं। इनके दरवाजे से कोई ट्रैक्टर गायब हुआ ही नहीं। इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। कागज संख्या 25/24 विचित्र सिंह द्वारा लिए गए पत्र की छायाप्रति है जिसमें इन्होंने भी लिखा है कि ट्रैक्टर चोरी हुई या नहीं उसने नहीं मालूम है। कागज संख्या 25/25 रविन्द्र कुमार सिंह द्वारा पुलिस अधीक्षक को लिखे गए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति है, जिसमें रविन्द्र कुमार सिंह ने यह लिखा है कि ट्रैक्टर वह जुताई व गन्ना ढुलाई के लिए लाया था। सबकी भांति दिनांक 10.12.2008 को पक्की सड़क पर खड़ा किया था जो कि चोरी हो गया। कागज संख्या 25/26 ता 25/31 देव प्रयाग तिवारी जाँच कर्ता की रिपोर्ट, कागज संख्या 25/32 शाखा प्रबन्धक को नीरज राय द्वारा लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 25/35 अन्तिम रिपोर्ट, कागज संख्या 25/36 प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा- 156 (3) की छायाप्रति, कागज संख्या 25/40 नक्शा नजरी, कागज संख्या 25/41 चार्ज शीट, कागज संख्या 25/42 ता 25/45 जांच रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया है।
सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने एक ट्रैक्टर महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा रजिस्ट्रेशन नम्बर यू.पी. 50 क्यू. 2248 क्रय किया था। लोन यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया सराय मीर आजमगढ़ से लिया था। ट्रैक्टर का बीमा विपक्षी संख्या 01 से करवाया था। ट्रैक्टर का उसके रिस्तेदार श्री अरविन्द सिंह कृषि कार्य हेतु ले गए जो कि उनके दरवाजे से रात में 10.12.2008 को चोरी हो गया, जिसकी सूचना थाने पर दिया। बीमा कम्पनी ने अपने जवाबदावा में यह स्वीकार किया है कि चोरी के समय परिवादी का बीमा वैध था। चूंकि चोरी के समय बीमा परिवादी का वैध था। परिवादी ने चोरी का प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज करवाया था, जो कि शामिल पत्रावली है। इसकी विवेचना भी हुई थी। जो पत्रावली में संलग्न है और इस प्रकार एफ.आर. भी लग गया था। एफ.आर. दिनांक 17.11.2009 को स्वीकार कर लिया गया। चूंकि
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चोरी के समय वाहन का बीमा बैध था। परिवादीगण ने उसकी सूचना थाने पर दिया था। जिसकी विवेचन भी हुई और एफ.आर. भी प्रस्तुत हुआ। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार करने योग्य पाया जाता है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या 01 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को अन्दर 30 दिन बीमित धनराशि अदा करे, जिसपर वाद दाखिला के दिन से अन्तिम भुगतान तक 09% वार्षिक ब्याज पाने का हकदार परिवादीगण होंगे। साथ ही विपक्षी संख्या 01 को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को आर्थिक व मानसिक क्षति हेतु 5,000/- रुपया (रुपया पांच हजार मात्र) भी अदा करे।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 05.01.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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