Khurshid Ahmad filed a consumer case on 10 Aug 2018 against The New India Insurance CO.LTD. in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/90/2017 and the judgment uploaded on 31 Aug 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/90/2017
Khurshid Ahmad - Complainant(s)
Versus
The New India Insurance CO.LTD. - Opp.Party(s)
10 Aug 2018
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या-90/2017
खुर्शीद अहमद पुत्र श्री नवाब जान निवासी ग्राम असलत नगर वगा तहसील बिलारी जिला मुरादाबाद। …....परिवादी
बनाम
द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. मण्डलीय कार्यालय 105 शांतिनगर सिविल लाइन्स मुरादाबाद द्वारा मण्डलीय प्रबन्धक। ….......विपक्षी
वाद दायरा तिथि: 31-08-2017 निर्णय तिथि: 10.08.2018
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षी से उसे दुर्घटनाग्रस्त कार सं.-यूपी-21बीए-0303 को ठीक कराने में व्यय की गई धनराशि अंकन-6,80,500/-रूपये 12 प्रतिशत ब्याज सहित दिलायी जाये।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी पैजरो कार सं.-यूपी-21बीए-0303 का पंजीकृत स्वामी है। यह कार दिनांक 21-7-2016 से 20-7-2017 तक की अवधि हेतु विपक्षी से बीमित थी। बीमा पालिसी का नं.-3405003116030004416 है। पालिसी के अधीन अंकन-17,50,000/-रूपये का ऑन डैमेज कवर था। दिनांक 22-8-2016 को संभल से दिल्ली जाते समय प्रात: 7.20 बजे ग्राम कुरकावली के पास उक्त कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई। दुर्घटना इस कार के आगे जा रही ट्रक्टर-ट्राली के चालक द्वारा अचानक ब्रेक लगा देने की वजह से हुई। कार ट्रक्टर-ट्राली से टकरा गई। दुर्घटना में कार काफी क्षतिग्रस्त हो गई। परिवादी ने तत्काल दुर्घटना की सूचना पुलिस और विपक्षी को दी। सूचना मिलने पर विपक्षी की ओर से परिवादी से कहा गया कि वह दुर्घटनाग्रस्त कार को क्लेम हब, दिल्ली ले जाये, वहीं पर कार का सर्वे कर लिया जायेगा। क्रेन से उठवाकर परिवादी दुर्घटनाग्रस्त कार को विपक्षी के बताये अनुसार दिल्ली ले गया, जहां कार का सर्वे हुआ। दिल्ली में एशियन मोटर्स द्वारा कार का अस्टिमेट बनाया गया, जो 6 लाख रूपये से अधिक का था। परिवादी ने वहीं कार की मरम्मत करायी। कार के ठीक होने में अंकन-6,80,000/-रूपये खर्च हुए। परिवादी ने समस्त प्रपत्र विपक्षी को उपलब्ध कराये और क्लेम दिये जाने का अनुरोध किया किन्तु बार-बार आश्वासन दिये जाने के बावजूद विपक्षी ने क्लेम का भुगतान नहीं किया। अभी तक क्लेम विपक्षी के समक्ष लंबित है। परिवादी ने यह कहते हुए कि विपक्षी द्वारा अनावश्यक रूप से क्लेम को लंबित करके सेवा में कमी की गई है, उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद के साथ परिवादी द्वारा दुर्घटनाग्रस्त कार की आर.सी., बीमा पालिसी, थानाध्यक्ष, थाना नखासा जिला संभल को दुर्घटना की सूचना दिये जाने विषयक तहरीरी रिपोर्ट दिनांकित 22-08-2016, एशियन ऑटो मोबाइल नई दिल्ली के मरम्मत के बिल तथा इस बिल के सापेक्ष परिवादी द्वारा किये गये अंकन-6,80,800/-रूपये के भुगतान की रसीद की नकलों को दाखिल किया गया है, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-9/4 लगायत 9/11 हैं।
विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-12/1 लगायत 12/5 दाखिल हुआ, जिसमें यह तो स्वीकार किया गया कि परिवादी के बीमा प्रस्ताव के आधार पर पालिसी में वर्णित शर्तों, अनुबन्धनों एवं अपवादों के अनुक्रम में प्रश्नगत बीमा पालिसी विपक्षी द्वारा जारी की गई थी किन्तु शेष परिवाद कथनों से इंकार किया गया। विशेष कथनों में कहा गया कि परिवादी ने प्रश्नगत पालिसी मिथ्या कथनों के आधार पर प्राप्त की, जो स्वत: निष्प्रभावी है। अग्रेत्तर कथन किया कि परिवाद कथनों के अनुसार अभिकथित दुर्घटना दिनांक 22-08-2016 को प्रात: 7.20 बजे हुई थी किन्तु इसकी सूचना बीमा कंपनी को 7 दिन बाद दिनांक 29-8-2016 को दी गई, परिवादी का यह कथन असत्य है कि दुर्घटना वाले दिन ही उसने बीमा कंपनी के कार्यालय को सूचना दी थी। विपक्षी ने यह भी कथन किया कि अभिकथित दुर्घटना जिस प्रकार परिवादी ने वर्णित की है, उसमें कार चालक एवं उसमें बैठी सवारियों को चोटें आयी होंगी किन्तु परिवाद में उक्त आशय का कोई उल्लेख नहीं है और यह भी परिवादी ने स्पष्ट नहीं किया है कि किन-किन व्यक्तियों को चोटें आयी थीं। परिवादी का यह दायित्व था कि वह कथित दुर्घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराता और संबंधित थाने की जीडी की नकल दाखिल करता किन्तु परिवादी द्वारा ऐसा नहीं किया गया। विपक्षी ने अग्रेत्तर कथन किया कि विपक्षी उत्तरदाता ने पत्र दिनांक 28-3-2017, 20-4-2017 एवं 29-6-2017 के माध्यम से इस आशय का परिवादी से स्पष्टीकरण मांगा था कि दुर्घटना की सूचना देने में उसने 7 दिन का विलम्ब क्यों किया किन्तु परिवादी ने उक्त संबंध में जांचकर्ता को कोई सहयोग प्रदान नहीं किया। जांचकर्ता ने जांच में यह भी पाया कि दुर्घटना में अभिकथित रूप से अन्तर्ग्रस्त पैजरो कार सं.-यूपी-21बीए-0303 दुर्घटना से पहले परिवादी वसीम नाम के व्यक्ति को बेच चुका था। इस तथ्य को परिवादी ने छिपाया। यह भी कहा गया कि गाड़ी का बीमा मौहम्मद अनस नाम के व्यक्ति ने कराया था और बीमा से पूर्व इस कार का इन्सपेक्शन भी नहीं कराया गया। विकल्प में यह कहते हुए कि सर्वेयर द्वारा प्रश्नगत कार में हुई क्षति का आंकलन अंकन-5,62,000/-रूपये किया गया है, परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-9/12 लगायत 9/14 दाखिल किया। परिवादी द्वारा अतिरिक्त साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-13/1 लगायत 13/3 भी दाखिल किया गया, जिसके साथ बतौर संलग्नक उसने थानाध्यक्ष, नखासा को संबोधित दुर्घटना की तहरीरी रिपोर्ट की नकल कागज सं.-13/4 दाखिल की।
विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से उनके मण्डलीय प्रबन्धक श्री भूपेन्द्र कुमार का साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-14/1 लगायत 14/6 दाखिल हुआ, जिसके साथ परिवादी को बीमा कंपनी द्वारा भेजे गये पत्र दिनांकित 28-3-2017, 29-6-2017, 24-3-2017, बीमा कंपनी के इनवेस्टीगेटर श्री सुनील कुमार शर्मा की जांच रिपोर्ट दिनांकित 28-9-2017 तथा रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 03-10-2017 को बतौर संलग्नक दाखिल किया गया, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-14/7 लगायत 14/33 हैं। विपक्षी की ओर से उनके इनवेस्टीगेटर श्री सुनील कुमार शर्मा ने भी अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-15/1 लगायत 15/2 दाखिल किया, जिसके साथ बतौर संलग्नक उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट दिनांकित 28-9-2017 को संलग्नकों सहित दाखिल किया, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-15/3 लगायत 15/19 हैं।
दोनों पक्षों की ओर से अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की गई।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 03-10-2017 द्वारा परिवादी का बीमा दावा खारिज करके विपक्षी ने त्रुटि की, उसकी ओर से यह भी कहा गया कि परिवादी ने दुर्घटना वाले दिन ही दुघर्टना की तहरीरी रिपोर्ट थाना नखासा जिला संभल पर दे दी थी, जिसकी प्रविष्टि पुलिस ने थाने के रोजनामचा आम में भी की थी। परिवादी पक्ष का यह भी कथन है कि तत्काल सूचना विपक्षी को उसके टोल फ्री नम्बर पर परिवादी ने दी थी और विपक्षी के ही कहने पर वह अपने दुर्घटनाग्रस्त वाहन को क्रेन से खींचवाकर विपक्षी के क्लेम हब ऐशियन ऑटोमोबाइल, नई दिल्ली ले गया था, जहां उसकी दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी दिनांक 24-8-2016 को पहुंच गई थी, जैसा कि ऐशियन ऑटोमोबाइल के रिपेयर बिल कागज सं.-15/11 में उल्लेख है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार इस प्रकार परिवादी ने दुर्घटना की सूचना विपक्षी को देने में कोई देरी नहीं की। उन्होंने यह भी कहा कि यदि तर्क के तौर पर यह मान भी लिया जाये कि दुर्घटना की सूचना बीमा कंपनी को देने में 7 दिन का विलम्ब हुआ था तो इस कथित विलम्ब के बावजूद परिवादी का क्लेम अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए था। उन्होंने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किये जाने की प्रार्थना की।
विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने रेपुडिएशन लेटर का सही बताते हुए तर्क दिया कि परिवादी ने प्रश्नगत गाड़ी दुर्घटना से पहले ही वसीम नाम के व्यक्ति को बेच दी थी और उसी ने गाड़ी का बीमा कराया। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार प्रश्नगत गाड़ी का बीमा कराते समय इस तथ्य को विपक्षी से छिपाया कि गाड़ी वसीम को बेची जा चुकी है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी कहा कि दुर्घटना की सूचना विपक्षी को दुर्घटना के 7 दिन बाद दिनांक 29-8-2016 को दी गई थी। उनका यह भी कथन है कि परिवाद में जिस प्रकार दुर्घटना का उल्लेख किया गया है, उसके हिसाब से प्रश्नगत कार में बैठी सवारियों को चोटें आयी होंगी किन्तु परिवादी ने इस बात का कोई उल्लेख परिवाद में नहीं किया, दुर्घटना की एफआईआर अथवा थाने की जीडी की नकल भी दाखिल नहीं की। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का अग्रेत्तर कथन है कि विपक्षी के सर्वेयर ने देरी से सूचना देने का स्पष्टीकरण देने हेतु और दुर्घटना से संबंधित अन्य सूचना उपलब्ध कराने हेतु परिवादी को पत्र लिखे किन्तु परिवादी ने सहयोग नहीं किया, बीमा की संविदा बीमा कंपनी एवं बीमित के आपसी सदभाव पर आधारित है किन्तु परिवादी ने उसका अनुसरण नहीं किया, मामले में पेचीदे प्रश्न निहित हैं, जिस कारण प्रश्नगत मामला फोरम के समक्ष नहीं चलना चाहिए अपितु इसकी सुनवाई का क्षेत्राधिकार दीवानी न्यायालय को है। अग्रेत्तर उन्होंने यह भी कथन किया कि दुर्घटना में हुई क्षति के आंकलन हेतु विपक्षी बीमा कंपनी के सर्वेयर अनिल एण्ड कंपनी ने परिवादी की कार में हुई क्षति का आंकलन अंकन-5,62,000/-रूपये किया है। यदि फोरम इस नतीजे पर पहुंचती है कि परिवादी को क्लेम दिलाया जाना चाहिए तो परिवादी को अंकन-5,62,000/-रूपये से अधिक नहीं दिलाये जा सकते। उपरोक्त कथनों के आधार पर विपक्षी की ओर से परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत तर्कों के समर्थन में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, नई दिल्ली द्वारा निर्णीत निम्नलिखित रूलिंग्स का अवलम्ब लिया गया:-
1-2016(1) सीपीआर पृष्ठ-422 (एनसी), मैं. ग्रीनेचर इन्डस्ट्रीज बनाम मै. यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि.।
2-2015(1) सीपीआर पृष्ठ-280 (एनसी), श्रीमती लखवीर कौर बनाम एलआईसी।
-II(2017) सीपीजे पृष्ठ-345 (एनसी), यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. बनाम भुन्दूराम द्वारा विधिक प्रतिनिधिगण के मामले में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, नई दिल्ली द्वारा यह व्यवस्था दी गई है कि बीमा संबंधी मामलों में बीमा कंपनी को रेपुडिएशन लेटर में उल्लिखित कारणों से इतर अन्य आधार पर क्लेम का प्रतिवाद करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इस रूलिंग के दृष्टिगत विपक्षी के रेपुडिएशन लेटर में उल्लिखित आधारों पर ही बीमा कंपनी को बचाव का अवसर दिया जाना चाहिए किन्तु न्यायिक अनुशासन के दृष्टिगत विपक्षी की ओर से जो भी बिन्दु प्रतिवाद पत्र में उठाये गये हैं, उन सभी पर हम विचार कर रहे हैं।
–यद्यपि अपने सर्वेयर श्री सुनील कुमार शर्मा की रिपोर्ट का अवलम्ब लेकर विपक्षी की ओर से यह कहा गया है कि परिवादी ने प्रश्नगत दुर्घटना से पूर्व गाड़ी वसीम पुत्र ताहिर को बेच दी थी और वसीम ने ही गाड़ी का बीमा कराया तथा परिवादी ने पत्र भेजे जाने के बावजूद भी कंपनी के सर्वेयर को समुचित उत्तर नहीं दिया और उनके साथ सहयोग नहीं किया किन्तु विपक्षी के उक्त तर्क स्थिर रहने योग्य नहीं हैं। विपक्षी की ओर से ऐसा कोई प्रपत्र दाखिल नहीं किया गया है, जिससे प्रकट हो कि यह गाड़ी परिवादी ने वसीम पुत्र ताहिर को बेच दी थी। पत्रावली में अवस्थित आर.सी. में परिवादी का ही नाम दर्ज है। किसी अभिलेखीय साक्ष्य के अभाव में यह स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है कि गाड़ी परिवादी ने वसीम पुत्र ताहिर को बेच दी थी। पत्रावली में ऐसा भी कोई साक्ष्य संकेत नहीं है, जिसके आधार पर यह माना जा सके कि गाड़ी का बीमा वसीम पुत्र ताहिर ने कराया था। बीमा कंपनी के सर्वेयर श्री सुनील कुमार शर्मा द्वारा परिवादी को भेजे गये पत्र कागज सं.-14/7, 14/8 एवं 14/9 में सर्वेयर ने परिवादी से जिन बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण/जानकारी चाही थी, वे जानकारियां परिवादी ने अपने पत्र दिनांकित 22-5-2017 द्वारा सर्वेयर को बिन्दुवार उपलब्ध करायी थीं। परिवादी द्वारा सर्वेयर को भेजा गया यह पत्र पत्रावली का कागज सं.-14/21 लगायत 14/22 है। परिवादी के इस पत्र के अवलोकन से स्पष्ट है कि उसने पूछे गये सभी प्रश्नों का समुचित उत्तर/स्पष्टीकरण सर्वेयर श्री सुनील कुमार शर्मा को उनके द्वारा सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने से पूर्व उपलब्ध करा दिया था। सर्वेयर द्वारा अपनी रिपोर्ट में यह उल्लेख करना कि परिवादी ने उनसे सहयोग नहीं किया, स्वीकार किये जाने योग्य दिखायी नहीं देता। सर्वेयर श्री शर्मा ने अपनी रिपोर्ट के पृष्ठ-2 पर परिवादी का उक्त पत्र दिनांकित 22-5-2017 प्राप्त होना स्वयं भी स्वीकार किया है। मामले के तथ्यों के सभी पहलुओं पर विचार करने के उपरान्त हम संतुष्ट हैं कि परिवादी ने विपक्षी से बीमा पालिसी लेते समय न तो किसी तथ्य को विपक्षी से छिपाया और न ही बीमित एवं बीमा कंपनी के मध्य आपसी विश्वास को तोड़ा। विपक्षी की ओर से प्रस्तुत उपरोक्त पैरा-11 में क्रमांक-2 पर उल्लिखित लखवीर कौर तथा क्रमांक-4 पर उल्लिखित नीता भारद्वाज की रूलिंग्स विपक्षी की इस मामले में सहायता नहीं करतीं।
–परिवादी के अनुसार उसने दुर्घटना की लिखित रिपोर्ट दुर्घटना वाले दिन ही थाना नखासा पर दे दी थी, उक्त लिखित रिपोर्ट की रिसीविंग पत्रावली का कागज सं.-13/4 है, यह रिपोर्ट थाने पर दिये जाने और घटना की एन्ट्री थाने की जीडी में कर लिये जाने के तथ्य को परिवादी ने अपने अतिरिक्त साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-13/1 द्वारा प्रमाणित किया है। परिवादी द्वारा दिये गये इस प्रार्थना पत्र के आधार पर पुलिस ने यदि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो इस व्यतिक्रम के लिए परिवादी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। हमारे इस मत की पुष्टि माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, नई दिल्ली द्वारा III(2015) सीपीजे पृष्ठ-411 (एनसी), भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. बनाम सर्वजीत ढांडा में दी गई विधि व्यवस्था से होती है। प्रार्थना पत्र की थाने पर रिसीविंग की नकल कागज सं.-13/4 के अवलोकन से यह भी प्रकट है कि इस दुर्घटना की प्रविष्टी थाना नखासा के रोजनामचा आम में क्रमांक-52 पर दुर्घटना वाले दिन ही हो गई थी। दुर्घटना की एफआईआर दर्ज न होना परिवादी के लिए घातक नहीं है। दुघर्टना की रिपोर्ट की रिसीविंग कागज सं.-13/4 में परिवादी ने यह उल्लेख कर दिया था कि इस दुर्घटना में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ किन्तु प्रार्थी का वाहन पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गया है। परिवादी ने अपने अतिरिक्त साक्ष्य शपथपत्र के पैरा-7 में यह स्पष्ट कथन किया है कि इस दुर्घटना में किसी को कोई चोट नहीं आयी। जब परिवादी स्वयं यह कह रहा है कि किसी को दुर्घटना में चोट नहीं आयी थी और पत्रावली पर भी ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जिसके आधार पर यह माना जाये कि दुर्घटना में कार में बैठी सवारियों को चोटें आयी थीं, ऐसी दशा में विपक्षी की इस परिकल्पना का कोई औचित्य नहीं रह जाता है कि प्रश्नगत दुर्घटना में कार में बैठी सवारियों को चोटें आयी होंगी। विपक्षी की ओर से उक्त संदर्भ में किये गये तर्क निरर्थक दिखायी देते हैं।
–वर्तमान प्रकरण में हमे कोई गूढ प्रश्न सन्निहित होना दिखायी नहीं देता, जिसके विनिश्चय हेतु दोनों पक्षों के गवाहों की विस्तार से परीक्षा/ प्रति परीक्षा किये जाने की आवश्यकता हो। मामले में विद्यमान विवाद समरी तरीके से निर्णीत किया जा सकता है। अतएव प्रकरण को निर्णय हेतु सिविल कोई भेजने के निर्देश पक्षकारों को देने का कोई औचित्य हमें दिखायी नहीं देता। विपक्षी की ओर से उक्त संदर्भ में प्रस्तुत रूलिंग जिसका उल्लेख हमने इस निर्णय के पैरा-11 के क्रमांक-3 पर किया है, इस मामले में विपक्षी की कोई सहायता नहीं करती।
-परिवादी के अनुसार दुर्घटना वाले दिन ही उसने बीमा कंपनी को दुर्घटना की सूचना उसके टोल फ्री नंबर पर दे दी थी, इस तथ्य का उल्लेख परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के पैरा-4 तथा साक्ष्य शपथपत्र के पैरा-5 में स्पष्ट रूप से किया है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवाद कथनों और साक्ष्य शपथपत्र में परिवादी द्वारा सशपथ किये गये कथनों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुए तर्क दिया कि परिवादी ने दुर्घटना की सूचना टोल फ्री नंबर पर बीमा कंपनी को दी तथा उससे कहा गया कि वह अपने दुर्घटनाग्रस्त वाहन को बीमा कंपनी के नई दिल्ली स्थित क्लेम हब ऐशियन ऑटोमोबाइल पर ले जाये, वहीं पर वाहन का सर्वे कर लिया जायेगा। क्लेम हब ऐशियन ऑटोमोबाइल के रिपेयर बिल की नकल कागज सं.-14/18 लगायत 14/19 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी ने यह गाड़ी दिनांक 24-8-2016 को विपक्षी के क्लेम हब पर पहुंचा दी थी। विपक्षी की ओर से यह कहने का साहस नहीं किया गया कि ऐशियन ऑटोमोबाइल उनका क्लेम हब नहीं है। ऐसी दशा में यह माने जाने का कारण है कि परिवादी ने दुर्घटना वाले दिन ही विपक्षी को उसके टोल फ्री नंबर पर दुर्घटना की सूचना दे दी थी। यदि तर्क के तौर पर यह मान भी लिया जाये कि दुर्घटना की सूचना बीमा कंपनी को दुर्घटना के 7 दिन बाद दिनांक 29-8-2016 को दी गई थी तो उस दशा में भी सूचना में हुई कथित देरी के आधार पर परिवादी का क्लेम जो अन्यथा प्रमाणित है, अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहए था। इस संदर्भ में IV(2014) सीपीजे पृष्ठ-62 (एनसी), नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि. बनाम कुलवन्त सिंह की रूलिंग की निर्णयज विधि में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, नई दिल्ली द्वारा दी गई विधि व्यवस्था सुसंगत है। कुलवन्त सिंह की इस रूलिंग में आईआरडीए के सर्कुलर दिनांकित 20-9-2011 को उद्धरित करते हुए माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह व्यवस्था दी गई कि बीमा कंपनी को मशीनीकृत तरीके से तकनीकी आधार पर बीमा दावों को अस्वीकृत नहीं करना चाहिए और यदि बीमा दावा अन्यथा स्वीकार किया जा सकता है तो मात्र इस आधार पर कि बीमा कंपनी को सूचना देर से दी गई है, दावे को अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए। आईआरडीए का उपरोक्त सर्कुलर दिनांकित 20-9-2011 निम्नवत है:-
To: All life Insurers and non-life Insurers
Re: Delay in claim intimation/ documents submission with respect to
1 All life insurance contracts and
2 All non-lifeIndividual and group Insurance contracte
The Authority has been receiving several complainte that claims are being rejected on the group of deleyed submission of intimation and documents.
The current contractual obligation imposing the condition that the claims shall be intimated to the insurer with prescribed documents within a specified number of days is necessary for insurers for effecting varius post claim activities like investigation loss assessment, provisioning, claim settlement etc. However, this condition should not prevent settlement of genuine, particularly when there is deley in Intimation or in submission of documents due to unavildable circumstanes.
The insurers decision to reject a claim shall be basef on sound logic and valid grounds. It may be noted that such limitation clause dies not work in isolation and is not absolute, One needs to see the merits and good-spirit of the clause, without compromising on bad claims rejection of claims on purely technical grounds in a mechanical fashion will result in policy holders losing confidence in the insurance industry giving rise to excessive litigation.
Therefore, it is advised that all insurers need to develop a sound mechanism of theid own to handle such claims with utmost care and cauton. If is also advised that the insurers must not repudiate such claims unless and until the reasons of deley are specically ascertained recorded and the insurers should satisfy thamselyes that deayed claims would have otherwise been rejected even if reported in time.
The insurers are advised to incorporate additional wording in the policy documents, suitably enunclating insurers’ stand to condone delay on merit for delayed claims where the delay is proved to be for reasons beyond the control of the insured.”
–माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा IV(2017) सीपीजे पृष्ठ-10 (एससी), ओम प्रकाश बनाम रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. की निर्णयज विधि में बीमा कंपनी को सूचना देने में हुई देरी के संदर्भ में निम्न व्यवस्था दी गई है:-
“The condition regarding the delay shall not be a shelter to repudiate the insurance claims which have been otherwise proved to be genuine. It needs no emphasis that the Consumer Protection Act aims at providing better protection of the interest of consumers. It is a beneficial legislation that deserves liberal construction. This laudable object should not be forgotten while considering the claims made under the Act”.
–बीमा कंपनी को सूचना देने में हुई कथित देरी से संबंधित उपरोक्त रूलिंग्स में दी गई विधि व्यवस्था के दृष्टिगत परिवादी का बीमा दावा सूचना में कथित देरी के आधार पर अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए था, बीमा दावे को अस्वीकृत करके बीमा कंपनी ने त्रुटि की है।
–विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने अपने सर्वेयर अनिल एण्ड कंपनी की सर्वे रिपोर्ट कागज सं.-14/27 लगायत 14/30 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुए तर्क दिया कि सर्वेयर ने परिवादी की गाड़ी में हुई क्षति का आंकलन अंकन-5,62,000/-रूपये किया है। उन्होंने इस निर्णय के पैरा-11 में क्रमांक-1 पर उल्लिखित मै.ग्रीनेचर इन्डस्ट्रीज की रूलिंग का अवलम्ब लेते हुए तर्क दिया कि जांचकर्ता की यह रिपोर्ट मानी जानी चाहिए और यह अधिभावी प्रभाव रखती है। परिवादी द्वारा दाखिल क्लेम हब ऐशियन ऑटोमोबाइल के रिपेयर बिल कागज सं.-15/11 लगायत 15/12 के अनुसार परिवादी की गाड़ी ठीक होने में अंकन-6,80,821/-रूपये खर्च हुए थे। इसके सापेक्ष परिवादी ने ऐशियन ऑटोमोबाइल को अंकन-6,80,800/-रूपये का भुगतान किया था, जैसा कि नकल रसीद कागज सं.-15/10 से प्रकट है। बीमा पालिसी की नकल पत्रावली का कागज सं.-9/5 लगायत 9/7 है, यह बीमा पालिसी ‘’NIL DEPRECIATION‘’ पालिसी है। इसके अनुसार टायर व ट्यूब के अतिरिक्त बीमित अन्य किसी नुकसान पर कोई डेप्रेसिएशन नहीं काटा जायेगा। अनिल एण्ड कंपनी की रिपोर्ट में अनेक ऐसे मद हैं, जिसमें वास्तविक व्यय के सापेक्ष देय राशि कम आंकी गई हैं। पालिसी की शर्तों के अनुसार वास्तविक व्यय के सापेक्ष कम देयता अनुमन्य करना सही नहीं ठहराया जा सकता। परिवादी ने अंकन-6,80,800/-रूपये का भुगतान ऐशियन ऑटोमोबाइल को किया है, जो विपक्षी से उसे ब्याज सहित दिलाया जाना चाहिए। निर्णय के पैरा-11 में क्रमांक-1 पर उल्लिखित मैं. ग्रीनेचर इन्डस्ट्रीज की रूलिंग इस मामले में विपक्षी के लिए सहायक नहीं है।
–उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे है कि परिवादी का बीमा दावा अस्वीकृत करके विपक्षी ने त्रुटि और सेवा में कमी की है। परिवादी को अंकन-6,80,800/-रूपये की धनराशि 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित विपक्षी से दिलायी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त भी परिवादी, विपक्षी से पाने का अधिकारी होगा। परिवाद तद्नुसार स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 6,80,800(छ: लाख अस्सी हजार आठ सौ) रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में विपक्षी के विरूद्ध स्वीकृत किया जाता है। विपक्षी से परिवादी परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त पाने का भी अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार समस्त धनराशि का भुगतान परिवादी को एक माह में किया जाये।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांक: 10-08-2018
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