UTTAM SINGH filed a consumer case on 29 Mar 2022 against THE NEW INDIA INSURANCE CO. LTD. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/71/2020 and the judgment uploaded on 01 Apr 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 71 सन् 2020
प्रस्तुति दिनांक 29.12.2020
निर्णय दिनांक 29.03.2022
उत्तम सिंह पत्नी श्री अरविन्द कुमार सिंह उम्र लगभग 55 वर्ष निवासी साकिन बिजौरा, पोस्ट- भँवरनाथ, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।
.................................परिवादिनी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह शिक्षित बेरोजगार महिला है। कुछ परिचित व बुद्धिजीवी व्यक्तियों की सलाह पर जीविकोपार्जन हेतु यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा एलवर आजमगढ़ से मुo 4,75,000/- रुपए का ऋण प्राप्त करके व अपने पास से मुo 25,000/- रुपए कुल 5,00,000/- रुपए की लागत से पीoएमoईoजीoपीo योजनान्तर्गत उद्योग विभाग से फाइल स्वीकृत कराकर नमकीन बनाने व सप्लाई करने का व्यवसाय सन् 2015 में अपने मकान भंवरनाथ में प्रारम्भ किया। बैंक द्वारा अपने ऋण की सुरक्षा हेतु परिवादिनी के ऋण को सुरक्षित करने हेतु दि न्यू इण्डिया इश्योरेन्स कम्पनी द्वारा बीमा कराया गया जो सन् 2015/2016 के अवधि के लिए था। पुनः व्यवसाय सूचारू रूप से चलता देख व किस्त व स्टाक रजिस्टर देखकर व्यवसाय का रिनवल दिनांक 20.06.2016 से 16.06.2017 तक के लिए इन्श्योरेन्स कराया। परिवादिनी द्वारा बैंक का किस्त व व्यवसाय सम्बन्धी बैंक का टर्न ओवर सुचारू रूप से किया जाता रहा। परिवादिनी के दुकान में दिनांक 03.06.2017 को रात्रि में अज्ञात चोरों द्वारा नमकीन बनाने की सामाग्री जिसमें 40 टिन सरसों का तैल, 40 टिन रिफाइन, दो बोरा मूंगफली दाना, 04 बोरा चना दाल, 20 किलोo काजू, 04 बोरा चना बेसन, 04 बोरा मटर बेसन, 01 तौल मशीन कीमत 10,000/- रुपया चार बोरा मूंगफली दो बोरा उड़द दाल सब सामान की कीमत लगभग 3,76,000/- रुपए व कैश बॉक्स में रखा 3,500/- रुपया नकद व सामानों की खरीद फरोख्त सम्बन्धित बिल बाउचर चोरी हो गया। परिवादिनी द्वारा बहुत प्रयास के बाद भी चोरी गए सामानों का पता नहीं चला, तो उसने घटना की लिखित सूचना थाना- कन्धरापुर, आजमगढ़ को दिनांक 04.06.2017 को दिया। थाना द्वारा गया कि घटनास्थल का निरीक्षण करने के उपरान्त रिपोर्ट दर्ज की जाएगी। पुलिस घटना पर आयी और निरीक्षण व अगल-बगल पूछ-ताछ भी किया। परन्तु घटना की रिपोर्ट दर्ज नहीं किए। परिवादिनी को एक सप्ताह तक दौड़ाते रहे, परन्तु रिपोर्ट दर्ज नहीं किए। तब घटना की सूचना जरिए रजिस्टर्ड डॉक द्वारा परिवादिनी के पति द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दी गयी, जिस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तो उनको द्वारा न्यायालय ए.सी.जे.एम. आजमगढ़ जरिए 156 (3) की दरखास्त दी गयी, जिस पर दिनांक 28.11.2017 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गयी। उक्त घटना की सूचना बैंक को लिखित उसी दिन दी गयी तब बैंक मैनेजर ने यह कहा कि घटना की एफ.आई.आर. विवेचना रिपोर्ट न्यायालय द्वारा स्वीकृत कराकर दीजिए। न्यायालय द्वारा एफ.आर. स्वीकृत होने पर परिवादिनी ने दिनांक 17.05.2018 को बैंक को सूचित किया। बैंक व बीमा कम्पनी द्वारा घटना की जाँच करायी गयी तथा घटना को सत्य पाया गया। परन्तु बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी को पूरा साल हैरान व परेशान किया गया। फिर बीमा कम्पनी द्वारा कहा गया कि सर्वेयर द्वारा लॉस असेसमेन्ट किया जाएगा तब पेमेन्ट होगा। सर्वेयर द्वारा लगभग 15 माह बाद घर बैठकर बिना किसी जाँच पड़ताल के बयान व बिल बाउचर मांगे बिना सर्वे किए रिपोर्ट लगा दिया गया कि ‘मौके पर कोई दुकान नहीं पायी गयी और न बुक व रिकार्ड पाया गया’ यह कहते हुए बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी के क्लेम दिनांक 23.11.2019 को नो क्लेम कर दिया और फिर पंजीकृत डॉक से सूचित किया गया। बीमा कम्पनी व बैंक द्वारा परिवादिनी को तीन साल अन्धेरे में रखा गया और बीमा कम्पनी व बैंक द्वारा सेवा में की गयी कमी व उपेक्षापूर्ण रवैया को प्रदर्शित करता है। सर्वेयर द्वारा 15 माह तक सर्वे रिपोर्ट दबाए रखा गया। परिवादिनी से रिपोर्ट लगाने का नाजायज रकम मुo 20,000/- रुपया की मांग किया जाता रहा। परिवादिनी द्वारा इन्कार करने पर सर्वेयर द्वारा फर्जी सर्वे रिपोर्ट तैयार करके उसके बीमा क्लेम को नो क्लेम कर दिया गया। विपक्षीगण के उक्त कृत्य चोरी होने के बाद से लगभग 03 वर्ष तक उसके क्लेम का भुगतान लटकाए रखा गया, जिससे परिवादिनी को अपूर्णनीय क्षति हुई व व्यवसाय चौपट हो गया तथा बैंक का ब्याज बढ़ता चला गया। अतः विपक्षीगण से बीमित धनराशि मुo 3,76,000/- व चोरी के दिनांक से 12% ब्याज के साथ दिलाया जाए। साथ ही विपक्षीगण से व्यवसाय में हुई हानि मुo 1,00,000/- रुपया व वाद व्यय मुo 20,000/- रुपया दिलाया जाए।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी ने कागज संख्या 7/1ता7/5 प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 7/5 एफ.आर. सम्बन्धी न्यायालय के आदेश की छायाप्रति, कागज संख्या 7/7ता7/9 फाइनल रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 7/10 क्लेम निरस्त करने सम्बन्धी सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 7/11व12 पॉलिसी सेड्यूल फॉर बर्गलेरी इन्श्योरेन्स की छायाप्रति, कागज संख्या 7/13 शाखा प्रबन्धक यू.बी.आई. एलवल आजमगढ़ को दिनांक 17.05.2018 को दी गयी सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 7/14 आधार कार्ड की छायाप्रति तथा कागज संख्या 15 शाखा प्रबन्धक यू.बी.आई. एलवल आजमगढ़ को दिए गए सूचना की प्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 8क² विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादिनी का बीमा मेसर्स उत्तम नमकीन उद्योग के नाम से दिनांक 20.06.2016 से 19.06.2017 के लिए 4,75,000/- रुपए का करार हुआ था, जिसमें 2,85,000/- स्टाक व स्टाक प्रोसेस के लिए था। परिवादिनी द्वारा विपक्षी से बीमित धनराशि 3,76,000/- रुपए का मांग किया गया, जो बिल्कुल निराधार है। परिवादिनी के दुकान में दिनांक 03.06.2017 को चोरी हुई ऐसा कथन किया गया है जबकि प्रथम सूचना रिपोर्ट 28.11.2017 को दर्ज की गयी जो घटना के लगभग 18 माह बाद दर्ज करायी गयी। परिवादिनी द्वारा विपक्षी को समय से सूचना नहीं दिया गया, बल्कि यूनियन बैंक द्वारा दिनांक 11.06.2018 को चोरी के सम्बन्ध में सूचित किया। विपक्षी द्वारा मान्यता प्राप्त सर्वेयर से सर्वे कराया गया तो उसने अपनी रिपोर्ट में यह कहा कि वह मौके पर जाकर जाँच किया, लेकिन परिवादिनी द्वारा उसके दुकान में सामान से सम्बन्धित बिल बाउचर स्टाक रजिस्टर व अन्य प्रपत्र उपलब्ध नहीं कराया गया और मौके पर कोई दुकान का होना नहीं पाया गया। इस आधार पर परिवादिनी का क्लेम निरस्त कर दिया गया। विपक्षी द्वारा किसी भी प्रकार की सेवा में कमी नहीं की गयी है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी संख्या 01 द्वारा कागज संख्या 12/2 सर्वे रिपोर्ट की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। याची के अनुसार उसके दुकान में चोरी दिनांक 03.06.2017 को हुई और दिनांक 04.06.2017 को घटना की रिपोर्ट थाना कन्धरापुर, आजमगढ़ में दिया, लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई। तब उसने न्यायालय ए.सी.जे.एम. आजमगढ़ जरिए 156(3) की एक प्रार्थना पत्र दिया तब उनका एफ.आई.आर. दर्ज कराया गया। विपक्षी द्वारा परिवादिनी का क्लेम निरस्त कर दिया गया। विपक्षी ने अपने जवाबदावा में यह कहा है कि याची ने उसको कोई सूचना नहीं दिया, बल्कि उसने सूचना बैंक को दिया था। आजतक याची ने बीमा कम्पनी को कोई सूचना नहीं दिया है। विपक्षी संख्या 02 पर्याप्त अवसर मिलने पर भी अपना जवाबदावा प्रस्तुत करने में असफल रहे। ऐसी स्थिति में परिवाद दिनांक 08.12.2021 को विपक्षी संख्या 02 के विरुद्ध एक पक्षीय कार्यवाही अग्रसारित कर दी गयी। याची ने बीमा कम्पनी को कोई सूचना नहीं दिया, इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “ओमप्रकाश बनाम रिलायन्स जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी IV(2017) सी.पी.जे.(10)सुप्रीम कोर्ट” का अवलोकन करें तो इन न्याय निर्णय में माo उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि यदि बीमा कम्पनी को 35 दिन बाद सूचना दी जाती है तो और उसका स्पष्टीकरण दिया जाता है तो क्लेम निरस्त नहीं किया जा सकता है। यहाँ इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है कि माo उच्चतम न्यायालय द्वारा उपरोक्त न्याय निर्णय इस परिवाद के तथ्यों एवं परिस्थितियों में ग्राह्य नहीं है। आजतक याची ने बीमा कम्पनी को सूचित ही नहीं किया। जहाँ तक प्रश्न सर्वेयर रिपोर्ट की है तो इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “पन्सुरी पुरूभाई, गुलाभाई एवं अन्य बनाम ब्रान्च मैनेजर ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड 2015(2) सी.पी.आर. 501(एन.सी.)” का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माo राष्ट्रीय आयोग ने यह अभिधारित किया है कि सर्वेयर की रिपोर्ट को इन्कार नहीं किया जा सकता है और वह एक क्रेडिबल साक्ष्य होता है।
चूंकि याची ने बीमा कम्पनी को सूचित नहीं किया और सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में यह अभिधारित किया है कि ‘मौके पर कोई दुकान नहीं पायी गयी और न बुक व रिकार्ड पाया गया’। इसलिए बीमा कम्पनी ने याची का क्लेम निरस्त कर दिया। उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 29.03.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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