जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत ।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 13.05.2014
मूल परिवाद संख्या:- 31/2014
लालू सिंह पुत्र खमाणसिंह जाति राजपूत
निवासी करड़ा,
तहसील व जिला जैसलमेर । ............परिवादी।
बनाम
दी न्यू इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लि.
मण्डल कार्यालय प्रथम 330500, अभय चेम्बर जालोरी गेट जोधपुर ।
...........अप्रार्थी ।
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री मदनसिंह सोढ़ा, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री मूरलीधर जोषी, अधिवक्ता अप्रार्थी की ओर से ।
ः- निर्णय -ः दिनांक ः 29.04.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी का वाहन ट्रक नम्बर आर जे 19 जीसी 5577 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा बीमित था जिसके पाॅलिसी नम्बर 33050031110100002486 है जो दिनांक 27.06.2011 से 26.06.2012 तक वैध था प्रार्थी का वाहन जैसलमेऱ से भाड़खा जाते वक्त रोड पर अचानक उॅट आ जाने के कारण से दिनांक 09.11.2011 को दूर्घटनाग्रस्त होकर पलटी खा गया प्रार्थी द्वारा जिसकी सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी गई अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा सम्पूर्ण औपचारिकताए पूर्ण कर प्रार्थी द्वारा उक्त दूर्घटनाग्रस्त वाहन को रिपेयरिग हैतु क्रेन से जोधपुर ले जाया गया जोधपुर मे वाहन रिपेयरिग पर कुल 298349 रू खर्च हुए प्रार्थी द्वारा वाहन का क्लैम प्राप्त करने हैतु सम्पूर्ण आॅपचारिकताए पूरी करके समस्त दस्तावेज अप्रार्थी बीमा कम्पनी को पेष किये जिस अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने मनगढत तथ्यों से क्लैम खारिज कर दिया क्लैम खारिज करने की दिनांक 28.07.2012 से 2 वर्ष की अवधि के भीतर परिवाद पेष किया गया है। प्रार्थी ने वाहन सं. आर जे 19 जीसी 5577 का परमिट लेने हेतु जोधपुर डीटीओं आॅफिस मे केष रसीद कटाई जो दिनांक 16.09.2011 रसीद सं. 0078438 जिसकी राषि 1210 रू जमा की गई थी जिसका प्रार्देषिक परिवहन अधिकारी जोधपुर द्वारा परमिट सं. 2494/11 जारी किया गया अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा स्वैच्छापूर्ण रवैये के कारण प्रार्थी को घोर मानसिक व आर्थिक क्षति हुई। इस प्रकार घोर लापरवाही व सेवा में कमी की गयी जिस पेटे अप्रार्थी से क्लेम राषि रू 298349रू, परिवाद व्यय के 5,000 रू व मानसिक व आर्थिक क्षति के 195000 रू दिलाने का निवेदन किया ।
2. अप्रार्थी सं. 01 ने अपना जबाब पेष कर वाहन के बीमित होने का कथन स्वीकार किया एवं कहा कि प्रार्थी द्वारा पुलिस थाना मे कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नही कराई तथा वाहन चालक के पास वैध डाईवरिग लाईसेंस नही था तथा ट्रक गुडर्स विहिकल के अन्तर्गत आता है काॅमरसियल वहाकल होने के कारण से कानूनी प्रावधानों एवम् बीमा पाॅलिसी के तहत् बिना परमिट उसकों नही चलाया जा सकता इस कारण पाॅलिसी की शर्तो का उलधन होने के कारण प्रार्थी का क्लैम सही रूप से खारिज किया है तथा प्रार्थी के वाहन की स्पोर्ट चैकिग भी नही करवाई गई। जो डी एल पेष किया गया वह भी हलके वाहन चालाने हेतु वेद्य था जबकि परिवादी का भारी परिवहन यान था जो बीमा शर्तो का उलंघन था अतः अप्रार्थी ने सेवाओं में कमी नहीं की। अतः परिवाद सव्यय खारीज करने की प्रार्थना की।
3. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
4. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने बाकायदा विहित प्रक्रिया अपना कर अप्रार्थी के विभाग से वाहन का बीमा करवाया जिसे अप्रार्थी द्वारा भी माना गया है इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
5. 6. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? परिवादी विद्वान अभिभाषक की दलील है कि वाहन अचानक दूर्घटनाग्रस्त हो गया ओर वाहन की रिपेयरिग मे 298349/- रू का खर्चा हुआ जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने बिना किसी कारण के क्लैम खारिज कर दिया उनकी यह भी दलील है कि वाहन सं. आरजे 19 जीसी 5577 के परमिट लेने के लिए जोधपुर डीटीओ आॅफिस मे केष रसीद कटाई जो दिनांक 16.09.2011 रसीद सं. 0078438 है जिसकी राषि 1210 रू जमा कराई गई थी उसके बाद प्रार्देषिक परिवहन अधिकारी जोधपुर द्वारा परमिट सं. 2494/2011 जारी किया गया अतः उक्त वाहन का दूर्घटनाग्रस्त होने के समय परमिट था उनकी यह भी दलील है कि ड्राईवर के दूर्घटनाग्रस्त वाहन को चलाने का वैघ एवं प्रभावी डाईवरिग लाईसेंस था लेकिन इसको भी आधार मानकर बीमा कम्पनी ने जो क्लैम खारिज किया गया है जो गलत है अतः परमिट व वैघ लाईसेंस न होने के कारण जो क्लैम खारिज किया गया है वह त्रृटिपूर्ण है विद्वान परिवादी अभिभाषक की यह भी दलील है कि मोटर विहिकल एक्ट के प्रावधानों के उल्लघनों के आधार पर उसका क्लैम खारिज नही किया जा सकता जब तक कि बीमा कम्पनी की शर्तो का उल्लघन नही हुआ हो उन्होने अपने तर्को के समर्थन मे राज्य आयोग की अपील नम्बर 1775/2014 डीटीओ जैसलमेर बनाम देसराज गैना वगैरा दिनांक 06.08.2008 का पेष किया तथा साथ ही मान्य उच्चतम न्यायालय के सिविल अपील नम्बर 4834/2013 एस अयप्पन बनाम मै. यू.ई.ई.क.लि. व अन्य का विनिष्चय पेष किया ।
6. इसका प्रबल विरोध करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अभिभाषक की दलील है कि वक्त दूर्घटना वाहन सं. आरजे 19 जीसी 5577 का वैघ परमिट नही था तथा डाईवर पदमसिंह के पास वाहन चलाने का वैघ ड्राईवर लाईसेंस नही था इस आधार पर कम्पनी ने जो क्लैम खारिज किया गया है वह सही खारिज किया गया है उनकी यह भी दलील है कि केवल परमिट के समय फीस जमा कराना पर्याप्त नही है वक्त दूर्घटना वैघ परमिट वाहन का होना चाहिए अपने तर्काे के समर्थन मे राष्ट्रीय आयोग की रिविजन पीटीषन नम्बर 1250/2004 नेषनल इष्यों.क.लि. बनाम बसवाराज मूरीगेपा हतिकल निर्णय दिनांक 18.12.2006 का पेष किया तथा मान्य उच्चतम न्यायालय के सिविल अपील नम्बर 6178/2014 निर्णय दिनांक 21.09.2014 नेषनल इष्यों.क.लि. बनाम चाला भरथमा व अन्य का विनिष्चय पेष किया ।
7. उभयपक्षों के तर्को पर मनन किया गया यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी लालूसिंह का ट्रक सं. आरजे 19 जीसी 5577 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा बीमित है जिसके पाॅलिसी सं. 33050031110100002486 है जो दिनांक 27.06.2011 से 26.06.2012 तक वैघ है तथा दूर्घटना दिनांक 09.11.2011 को कारित हुई अतः दूर्घटना बीमा अवधि के दौरान कारित होना प्रकट है अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लैम इस आधार पर खारिज किया है कि वक्त दूर्घटना उक्त वाहन का परमिट नही था इस सम्बध मे परिवादी विद्वान अभिभाषक की दलील है कि परिवादी ने उक्त वाहन आरजे 19 जीसी 5577 का परमिट लेने के लिए दिनांक 16.09.2011 के रसीद सं. 0078438 द्वारा राषि 1210 जमा करा दी थी जो दूर्घटना से पूर्व की है इसी पर परिवहन विभाग द्वारा परमिट सं. 2494/2011 जारी किया गया है अतः वैघ परमिट वक्त दूर्घटना था।
8. विद्वान अप्रार्थी अभिभाषक की दलील है कि परमिट दिनांक 14.02.2012 के जारी हुआ है जो दूर्घटना के बाद का है केवल मात्र परमिट के लिए राषि जमा कराना पर्याप्त नही है अतः वैघ परमिट दूर्घटना के समय नही था यदि कोई वाहन बिना परमिट के परिवहन कर रहा है जो मोटर विहिकल एक्ट के प्रावधानो का उल्लघन है तो बीमा कम्पनी को बचाव पक्ष उपलब्ध है। इस सम्बध मे अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रीय आयोग की रिविजन पीटीषन नम्बर 1250/2004 नेषनल इष्यों.क.लि. बनाम बसवाराज मूरीगेपा हतिकल निर्णय दिनांक 18.12.2006 ये माननीय राष्ट्रीय आयोग ने माना है कि चमतेवद ूपजीवनज चमतउपज जव चसल ं अमीपबसम बंददवज इम चसंबमक ंज ं इमजजमत चमकमेजंस जींद वदम ूीव ींे चमतउपज इनज ींे अपवसंजमक ंदल बवदकपजपवदे जीमतमव.िचसलपदह व िअमीपबसम ूपजीवनज ं चमतउपज पे पदतिंबजपवद तथा अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत विनिष्चय सिविल अपील नम्बर 6178/2014 निर्णय दिनांक 21.09.2014 नेषनल इष्यों.क.लि. बनाम चाला भरथमा व अन्य मे मान्य उच्चतम न्यायालय ने माना है कि । चमतेवद ूपजीवनज चमतउपज जव चसल ं अमीपबसम बंददवज इम चसंबमक ंज ं इमजजमत चमकमेजंस अपे.ं अपे वदम ूीव ींे चमतउपजए इनज ींे अपवसंजमक ंदल बवदकपजपवद जीमतमवदिृचसलपदह व िं अमीपबसम ूपजीवनज चमतउपज इमपदह ंद पदतिंबजपवदए कममिदबम ूंे ंअंपसंइसम जव पदेनतमत नदकमत ेमबजपवद 149 ;2द्ध अतः उक्त विनिष्चयों मे प्रतिपादित सिद्वांत के अनुसार वाहन का वैघ परमिट न होने पर बीमा कम्पनी को प्रतिरक्षा उपलब्ध है जहा तक हस्तगत प्रकरण का प्रश्न है परिवादी स्वंय यह कहकर आया है कि उसने दिनांक 16.09.2011 को परमिट की राषि जमा कराई थी तथा जो परमिट जारी किया गया था वह दिनांक 14.02.2012 को जारी किया गया है अतः हमारे मत अनुसार केवल राषि जमा कराना ही पर्याप्त नही है परमिट की वैघता जारी करने की दिनांक 14.02.2012 से ही मानी जावेगी अतः उक्त परमिट दिनांक 14.02.2012 को जारी किया गया था जो वक्त दूर्घटना के बाद का है। अतः वक्त दूर्घटना परिवादी के पास उक्त वाहन का वैघ एवं प्रभावी परमिट नही था। इस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को प्रतिरक्षा उपलब्ध थी। अतः इस आधार पर बीमा कम्पनी ने परिवादी का जो क्लैम खारिज किया है वह किसी प्रकार से त्रृटिपूर्ण नही है।
9. जहा तक विद्वान अभिभाषक अप्रार्थी बीमा कम्पनी का यह कथन की वक्त दूर्घटना डाईवर पदमसिह के पास एलटीवी वाहन को चलाने के लिए डाईवर लाईसेंस था। जबकि दूर्घटनागस्त वाहन एचटीवी भारी वाहन था भारी वाहन को चलाने का वैघ लाईसेंस ड्राईवर पदमसिह के पास नही था तथा परिवादी ने एसअयपन बनाम मै.यू.इ.इ.क व अन्य सिविल अपील नम्बर 4834/2013 मान्य उच्चतम् न्यायालय का विनिष्चय पेष किया गया है उसमे लाईट मोटर व्हीकल का मामला था जो हस्तगत प्रकरण पर चस्पा नही होता है क्योकि दूर्घटनाग्रस्त वाहन हैवी ट्रासपोर्ट व्हीकल था अतः वैघ डाईवरिग लाईसेंस नही था अप्रार्थी बीमा कम्पनी के तर्को पर मनन किया गया दूर्घटनाग्रस्त वाहन का रजिस्टेªषन नम्बर आरजे 19 जीसी 5577 का अवलोकन करे तो उसमे दूर्घटनाग्रस्त वाहन डबल एक्सल (टेªलर) है जिसका वजन 10200 किलोग्राम है जो लाईट ट्रासपोर्ट व्हीकल की श्रेणी मे नही आता है जबकि डाईवर पदमसिह के पास ड्राईविंग लाईसेंस एलटीवी का है अतः वक्त दूर्घटना पदमसिह के पास दूर्घटनाग्रस्त वाहन को चलाने का वैघ एवम् प्रभावी लाईसेंस नही था। अतः बीमा कम्पनी ने इस आधार पर भी परिवादी को जो क्लैम खारिज किया है वों त्रृटिपूर्ण नही है।
अतः बिन्दू सं. 2 अप्राथी के पक्ष मे निस्तारित किया जाता है।
10. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 अप्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है जो अस्वीकार कर खारीज किया जाता है ।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व अस्वीकार किया जाकर खारीज किया जाता है । पक्षकारान अपना -अपना खर्चा स्वयं वहन करेंगें ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेष आज दिनांक 29.05.2014 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।