Rajasthan

Churu

720/2011

MS. GANPATI INDUSTREES - Complainant(s)

Versus

THE NEW INDIA INS. CO. - Opp.Party(s)

PANKAJ SINGH

26 Mar 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
परिवाद संख्या-  720/2011  
मै0 गणपति इन्डस्ट्रीज प्लाट नं. एच-1-41, 42, 43 रीको इण्डस्ट्रीयल एरिया, सालासर रोड़, सुजानगढ तहसील व जिला चूरू जरिये पार्टनर श्री प्रदीप तोदी पुत्र श्री भगवती प्रसाद निवासी वार्ड संख्या 26, सुजानगढ जिला चूरू (राजस्थान)
......परिवादी
बनाम
1.    दी न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड जरिये शाखा प्रबन्धक शाखा कार्यालय दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड. जालान भवन कलेक्ट्रेट के सामने, सीकर (राजस्थान)                                
......अप्रार्थी
दिनांक-   22.04.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1.    श्री पंकज सिंह एडवोकेट    - परिवादी की ओर से
2.    श्री महिमन जोशी एडवोकेट व
श्री राकेश बहादुर एडवोकेट - अप्रार्थी की ओर से
 
 
1.    परिवादी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि परिवादी मैसर्स गणपति इण्डस्ट्रीज फर्म का बीमा उतरवादी संख्या 2 दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी से करवाया गया था। इस बीमा कवरनोट के अन्तर्गत बिल्डिंग, प्लाॅट, मशीनरी, एसेसरीज ैजवबा व िळतवनदनजे ंदक वत ंसपाम दंजनतम को सम्मिलित किया गया। उक्त सभी मदात के लिए परिवादी फर्म द्वारा वेल्युवेशन के आधार पर अलग अलग बीमा प्रिमियम का भुगतान किया गया। उक्त बीमा संविदा की अवधि दिनांक 22.02.2009 से 21.02.2010 तक थी। इस अवधि के अन्तर्गत परिवादी फर्म को किसी भी आकस्मिक आपदा के कारण होने वाले नुकसान की क्षतिपमर्ति बीमा करार अनुसार देय है। दिनांक 25.05.2009 व 29.05.2009 की मध्य रात्रि को सुजानगढ क्षेत्र में काफी तेज तुफान आया था जिसमे तेज हवा के साथ बारिश हुई व ओले गिरे जिससे परिवादी फर्म की बिल्डिंग, प्लॅट व मशीनरी तथा इण्डस्ट्रीज में रखे स्टाॅक को काफी मात्रा में नुकसान हुआ। परिवादी फर्म द्वारा उक्त नुकसान बाबत पुलिस थाना सुजानगढ में रिपोर्ट दर्ज करवाई जिसे पुलिस द्वारा दिनांक 30.05.2009 को रोजनामचा मे दर्ज किया गया।
2.    परिवादी ने आगे बताया कि परिवादी फर्म को कारित होने वाली क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु परिवादी फर्म द्वारा सभी औपचारिकता पूर्ण करके क्लेम फार्म भरकर अपने बैंक पंजाब नेशनल बैंक शाखा सुजानगढ की मार्फत उतरवादी बीमा कम्पनी को भिजवा दिया गया। उतरवादी बीमा कम्पनी को नुकसान का एस्टीमेट बनाकर दे दिया गया। उतरवादी बीमा कम्पनी द्वारा चाहे गये समस्त दस्तावेज भी उतरवादी बीमा कम्पनी को भिजवा दिये गये। परिवादी फर्म की बिल्डिंग को 60072.6/-रूपये का, प्लाॅट व मशीनरी को 39500/-रू का एवं माल के स्टाॅक का 1,12,400/-रू का नुकसान हुआ। इस प्रकार से परिवादी फर्म को कुल 2,11,612/-रू का नुकसान हुआ। परिवादी फर्म द्वारा मुंगफली व मूंगफली से जुडी सभी चीजो के स्टाॅक का बीमा करवाया गया था जो तथ्य बीमा कवरनोट से भी साबित है। तुफान के कारण आया बरसाती पानी तेल मे चला गया जिससे लगभग 850 किलो तेल खराब हो गया, 400 किलो मूंगफली, खल आदि पानी के कारण खराब हो गई व 3000 किलो मूंगफली गाद का भी नुकसान हो गया। इस प्रकार से परिवादी फर्म को कुल 1,12,400 रूपये का नुकसान बाबत उतरदायी बीमा कम्पनी के अधिकारियो व बैंक के अधिकारियो द्वारा यथास्थिति बाबत निर्देश देने पर परिवादी फर्म उक्त स्टाॅक बाबत यथास्थिति बनायी रखी। परिवादी फर्म द्वारा उतरवादी बीमा कम्पनी को समस्त दस्तावेज, ऐस्टीमेट व बिल आदि भिजवा दिये गये जिसके पश्चात उतरवादी बीमा कम्पनी द्वारा अपनी मनमर्जी से बिना किसी उचित आधार के नुकसान का आंकलन करते हुए मात्र 40,478 रू का आंकलन किया गया। इस प्रकार से बीमा कम्पनी द्वारा उकतरफा प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त के विरूद्ध कार्य करते हुए वास्तविक क्षति से काफी कम मात्र 40,478 रू का आंकलन किया है। जबकि परिवादी बीमा करार के अनुसार सम्पूर्ण हानि प्राप्त करने का अधिकारी है। इस प्रकार से उतरवादी बीमा कम्पनी का कृत्य सेवादोष की तारीफ मे आता है। परिवादी ने अप्रार्थी को विधिक नोटिस भेजकर वर्कशीट व सर्वे रिपोर्ट की प्रति की मांग की परन्तु अप्रार्थी ने परिवादी को वर्कशीट व सर्वे रिपोर्ट की प्रति नहीं भिजवायी। जिस कारण परिवादी बीमा कम्पनी के सर्वेयर की रिपोर्ट का आंकलन नहीं कर सका। परिवादी को 2,11,612 रूपये का नुकसान हुआ था। परन्तु अप्रार्थी ने एक तरफा कार्यवाही करते हुए परिवादी का उक्त क्लेम अस्वीकार कर दिया इसलिए परिवादी ने वास्तविक नुकसान 2,11,612 रूपये, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है।
3.    अप्रार्थी ने परिवादी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश कर बताया कि परिवादी ने भवन का मूल्यांकन मई, 2005 की बी.एस.आर. के आधार पर किया है, मगर आपदा के कारण जो नुकसान मई 2009 में हुआ है, इसलिए मूल्यांकन मई, 2009 के आधार पर किया जाना चाहिए था तथा परिवादी ने एक बिल दिनांक 07.04.2009 को प्रस्तुत किया है जो कि 24,457 रूपये का है, वह तूफान से पहले की तारीख का है, जो जाहिर करता है कि परिवादी बढ़ा-चढ़ा नुकसान का एस्टीमेंट प्रस्तुत कर रहा है। मशीनरी के नुकसान का अनुमान रूपये 39,500 बिना किसी दस्तावेज व बिल के प्रस्तुत किया है, जिसके बारे में तकनिकी विशेषज्ञ की राय भी संलग्न नहीं है। इसलिए इस खर्चे का अदा करने के लिए भी कम्पनी का कोई दायित्व नहीं है। इसी तरह स्टाॅक का नुकसान रूपये 1,12,400 बताया गया है, मगर तेल व पानी का आपस में विलय सम्भव नहीं है, इस कारण बीमा कम्पनी का दायित्व फिल्टर अथवा पृथककरण की लागत तक ही सीमित है। परिवादी फर्म द्वारा जब दावे की सूचना बीमा कम्पनी को दी गई थी उस वक्त नुकसान मात्र 1,00,000 रूपये का बताया गया था जबकि बाद में एस्टीमेंट व खर्चे के विवरण पेश किये गये वे 2,15,000 रूपये के पेश किये गये, जिन दोनों राशियों में काफी अन्तर है। जिससे यह जाहिर होता है कि परिवादी फर्म बढ़ा-चढ़ा कर नुकसान का एस्टीमेंट प्रस्तुत कर क्लेम प्राप्त करना चाहता है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
4.    परिवादी ने परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, बीमा कवर नोट, पत्र दिनांक 02.4.10, विधिक नोटिस, मय ए.डी., पत्र जी.के. महेश्वरी, बिल व वाउचर, गुड्स के नुकसान का एस्टीमेंट व सर्टिफिकेट, बैलेन्सशीट, रोजनामचा रिपोर्ट दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थी ने सर्वेयर रिपोर्ट दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है।
5.    पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
6.    परिवादी अधिवक्ता ने परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि परिवादी फर्म के द्वारा अप्रार्थी से बिल्डिंग, प्लांट, मशीनरी व एक्सेसरीज को सम्मिलित करते हुए बीमा करवाया था। जिस हेतु परिवादी ने अलग-अलग बीमा प्रीमियम का भुगतान किया था। परिवादी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि दिनांक 25.05.2009 व 29.05.2009 को मध्य रात्री को काफी तेज तुफान के साथ बारिश हुई, ओले गिरे जिसमें परिवादी फर्म की बिल्डिंग, प्लांट व मशीनरी तथा इण्डस्ट्रीज में रखे स्टाॅक को काफी मात्रा में नुकसान हुआ जिस हेतु परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी व पुलिस थाना सुजानगढ़ में सूचना दी। परिवादी फर्म ने नुकसान होने पर क्षतिपूर्ति हेतु सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर क्लेम फार्म जरिये पी.एन.बी. बैंक के माध्यम से अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भिजवा दिया। परिवादी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि परिवादी को आंधी तुफान की वजह से बिल्डिंग पेटे 60,072 रूपये, प्लांट व मशीनरी का कुल 39,500 रूपये व माल के स्टाॅक का 1,12,400 रूपये का नुकसान हुआ। परिवादी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि तुफान के कारण आया बरसाती पानी तेल में चला गया जिससे लगभग 850 किलो तेल खराब हो गया, 400 किलो मूंगफली, खल आदि पानी के कारण खराब हो गयी व 3,000 किलो मूंगफली गाद का भी नुकसान हो गया। परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को समस्त दस्तावेज एस्टीमेट, बिल आदि भिजवा कर क्लेम की मांग की। परन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने बिना किसी आधार के परिवादी के यहां हुये नुकसान की कीम्मत केवल 40,000 रूपये आंकी। परिवादी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने 40,478 रूपये का आंकलन बिना किसी आधार के किया है। जबकि परिवादी को 2,11,612 रूपये का नुकसान हुआ था। अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी को न तो सर्वेयर रिपोर्ट उपलब्ध करवायी और ना ही वर्कशीट केवल परिवादी को सर्वेयर के अनुसार आंकी गयी राशि 40,478 रूपये बनाते हुए परिवादी को उक्त राशि भुगतान हेतु वाउचर भिजवाये गये। परन्तु परिवादी को अप्रार्थी के सर्वेयर द्वारा आंकी गयी राशि के सम्बंध में आपत्ति थी इसलिए परिवादी ने वाउचर पर हस्ताक्षर नहीं किये। अप्रार्थी द्वारा बिना किसी आधार के परिवादी को हुये नुकसान की गणना मात्र 40,478 रूपये करना अप्रार्थी का सेवादोष बताया है। इसलिए परिवादी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया।
7.    अप्रार्थी अधिवक्ता ने लिखित बहस प्रस्तुत की है जिसमें यह बताया है कि सर्वेयर ने अपने दिनांक 18.08.2009 के पत्र में पैरा संख्या 2 के जरिये परिवादी फर्म को यह भी पूछा कि भवन के नुकसान का अनुमान रूपये 61,728 के लिए प्रस्तुत किया गया है, जबकि इसके समर्थन में प्रस्तुत बिल 24,457 रूपये का है जो दिनांक 07.04.2009 अर्थात् तूफान से पहले की तारिख का है। इस बाबत भी परिवादी फर्म ने कम्पनी या सर्वेयर को कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। इसके अलावा सर्वेयर ने अपने पत्र के पैरा संख्या 3 के जरिये परिवादी फर्म से यह भी पुछा कि मशीनरी के नुकसान का अनुमान 39,500 रूपये दिया है, जबकि इसके समर्थन में आवश्यक बिल व दस्तावेज प्रस्तुत नहीं है तथा रिपेरिंग चार्ज जो परिवादी फर्म द्वारा मांगा गया है वह तुफान से सम्बंधित नहीं हो करके मशीनरी के रख-रखाव से सम्बंधित है। इस बाबत भी परिवादी फर्म ने कोई तथ्य या दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये। सर्वेयर ने अपने पत्र के पैरा संख्या 4 के द्वारा मशीनरी खाता दिनांक 05.05.2008 से दिनांक 5.08.2009 तक का मांगा वह भी परिवादी फर्म ने प्रस्तुत नहीं किया जबकि निष्पक्ष सर्वे या आंकलन के लिए ये आवश्यक दस्तावेज था।
8.    आगे अप्रार्थी ने लिखित बहस में बताया कि सर्वेयर ने परिवादी फर्म को अपने पत्र के पैरा संख्या 5 के जरिये यह स्पष्ट किया कि परिवादी फर्म ने स्टाॅक का नुकसान 1,12,400 रूपये बताया है जिसमें तेल का नुकसान 57,800 रूपये बताया है तथा तेल में पानी मिल जाने पर जरिये फिल्टर प्रथकीकरण करके नुकसान को फिल्टर किये जाने की लागत तक सिमित किया जा सकता है मगर इस सम्बंध में परिवादी फर्म ने कोई तथ्य या दस्तावेज पेश नहीं किये। बीमा कम्पनी ने स्वतंत्र व निष्पक्ष सर्वेयर से प्राप्त रिपोर्ट व सर्वेयर द्वारा परिवादी फर्म को नुकसान के आंकलन बाबत पुष्ट दस्तावेज प्रस्तुत करने का पूरा अवसर देकर, उसके पश्चात नुकसान का आंकलन किया है। उक्त आधारों पर परिवाद खारिज करने की मांग की है।
9.    हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में परिवादी फर्म का अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बिल्डिंग, प्लांट, मशीनरी व एसेसरी का बीमा किया जाना व बीमित अवधि में ही दिनांक 25.05.2009 व 29.05.2009 की मध्य रात्रि को तुफान व तेज हवा के साथ बारिश होना स्वीकृत तथ्य है। वर्तमान प्रकरण में विवादक बिन्दु केवल यह है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर जे.के. महेश्वरी की रिपोर्ट सही व उचित है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2012 सी.पी.आर. 1 पेज 124 नेशनल इन्श्योरेन्स क.लि. बनाम चक्रवर्ति इन्टरप्राईजेज में यह मत दिया कि बीमा कम्पनी के सर्वेयर की रिपोर्ट साक्ष्य में एक महत्वूपर्ण दस्तावेज है जब तक कि उसे अन्यथा साबित नहीं कर दिया जाता। परिवादी अधिवक्ता ने अपनी बहस में तर्क दिया कि सर्वेयर की रिपोर्ट अंतिम रिपोर्ट नहीं होती। ऐसा ही मत माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 3 सी.पी.जे. 2014 पेज 108 एन.सी. यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लि. बनाम एन्टीबाबु में दिया है। अपनी बहस के समर्थन में परिवादी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान विधिक नोटिस दिनांक 23.05.2011 अपने द्वारा प्रस्तुत पत्र श्री जे.के. महेश्वरी को लिखे गये, कि ओर ध्यान दिलाया। जिनका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। विधिक नोटिस जो कि परिवादी अधिवक्ता ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सर्वेयर द्वारा निर्धारित की गयी क्षतिपूर्ति राशि 40,478 रूपये के लिए वर्कशीट व सर्वेयर रिपोर्ट की प्रति की मांग की है। इसी प्रकार जे.के. महेश्वरी को लिख्ेा गये पत्र में परिवादी अधिवक्ता ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर के पत्र का जवाब देते हुए अपने नुकसान के सम्बंध में विस्तृत स्पष्टीकरण दिया है। परिवादी अधिवक्ता ने अपनी बहस में तर्क दिया कि सर्वेयर ने परिवादी के फेक्ट्री में हुये नुकसान का आंकलन उसके द्वारा प्रस्तुत बिल व वाउचर के विपरित बहुत कम किया है।
10. इस सम्बंध में हम अप्रार्थी के सर्वेयर जे.के. महेश्वरी की रिपोर्ट का अवलोकन कर रहे है। अप्रार्थी के सर्वेयर ने दिनांक 01.10.2009 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। जिसमें परिवादी को कुल लोस 57,169 रूपये एक्सेस करते हुए परिवादी को पेयबल राशि 41,030 रूपये मानी है। सर्वेयर ने परिवादी के फर्म को बिल्डिंग की हानि के रूप में 37,204 रू. क्षति आंकी है जबकि परिवादी फर्म ने बिल्डिंग की क्षति के रूप में 60,072 रूपये की मांग की है। परिवादी अधिवक्ता ने बहस के दौरान बिल्डिंग को हुये नुकसान के सम्बंध में बिलों की ओर ध्यान दिलाया उक्त बिलों को सर्वेयर ने भी अपनी रिपोर्ट में प्राप्त होना अंकित किया है। परन्तु सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में यह अंकित किया कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत बिल दिनांक 07.04.2009 राशि 24,457 रू. का प्रस्तुत किया वह तुफान से पहले की तारीख का है। इसलिए उक्त बिल के सम्बंध में स्पष्टीकरण हेतु लिखा गया था। हम अप्रार्थी के सर्वेयर के उक्त तथ्य से सहमत है क्योंकि यदि बिल घटना से पूर्व का है तो यह नहीं माना जा सकता कि वह बिल घटना में हुये नुकसान से सम्बंधित हो। सर्वेयर के द्वारा बिल्डिंग के सम्बंध में जो नुकसान 37,204 रू. माना है मंच की राय मंे वह उचित प्रतीत होता है क्योंकि परिवादी ने अपनी बिल्डिंग में हुये दोष के सम्बंध में किसी भी इंजिनियर की कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की। इसलिए बिल्डिंग की क्षति के रूप में अप्रार्थी के सर्वेयर के द्वारा किये गये आंकलन को गलत ठहराना उचित व न्यायोचित नहीं है।
11. इसी प्रकार परिवादी अधिवक्ता के प्लांट व मशीनरी के रूप में कुल नुकसान 39,500 रूपये माना है। जबकि सर्वेयर ने मात्र 4315 रूपये सर्वेयर के द्वारा क्रम संख्या 3 पर मशीनरी, चेम्बरपति 18 दर्जन, वासर के सम्बंध में 8,000 के स्थान पर मात्र 1,000 रूपये हानि एक्सेस किया है। लेकिन उक्त सम्बंध में सर्वेयर ने कोई विश्लेषण या तथ्य नहीं दिया कि 8,000 रूपये के स्थान पर नुकसान मात्र 1,000 रूपये ही हुआ है। इसलिए हम मशीनरी चैम्बरपति हेतु परिवादी को नुकसान 1,000 रूपये के स्थान पर लमसम में 3,000 रूपये किया जाना उचित व न्यायोचित पाते है। इसी प्रकार क्रम संख्या 5 में मशीनरी की रिपेयरिंग हेतु लेबर सर्वेयर ने 20,000 रूपये के स्थान पर मात्र 1,000 रूपये अंकित किया है। मंच की राय में उक्त राशि भी उचित प्रतीत नहीं होती है क्योंकि जब स्वंय सर्वेयर ने आंधी व तुफान का आना स्वीकृत किया है तो इतनी बड़ी फेक्ट्री में केवल मात्रा मशीनरी की रिपेयरिंग हेतु 1,000 खर्चा आना विश्वसनीय नहीं है क्येांकि बड़ी फेक्ट्री में ज्यादा बारिश आने से काफी मात्रा में रिपेयरिंग का कार्य होता है। इसलिए हम मशीनरी की रिपेयरिंग की राशि 1,000 रू. के स्थान पर 5,000 रूपये किया जाना उचित समझते है।
12. परिवादी अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य विवादक बिन्दु यही बताया कि अप्रार्थी के सर्वेयर ने माल व स्टाॅक की हानि मात्र 15,650 रूपये आंकी है। जबकि परिवादी फर्म को माल व स्टाॅक का नुकसान 1,12,400 रूपये हुआ है। हमने अप्रार्थी के सर्वेयर की रिपोर्ट उक्त तथ्य के सम्बंध में अवलोकन की। परिवादी ने तुफान के कारण आया बरसाती पानी तेल में जाने के कारण 850 किलो तेल 57,000 रूपये का खराब होना अंकित किया है। जबकि अप्रार्थी के सर्वेयर ने परिवादी का उक्त सम्बंध में नुकसान मात्र 14,450 रूपये माना है जिसके सम्बंध में सर्वेयर का यह तर्क रहा कि पानी व तेल आपस में विलय नहीं होते है जिसका आसानी से प्रथक्करण किया जा सकता है इसलिए अप्रार्थी बीमा कम्पनी केवल प्रथक्करण की राशि ही परिवादी को भुगतान योग्य मानती है। परिवादी अधिवक्ता ने उक्त सम्बंध में यह तर्क दिया था कि चूंकि सुजानगढ़ एक छोटा शहर है जिसमें तेल व पानी के प्रथक्करण की कोई व्यवस्था नहीं है। यह भी अंकित किया कि यदि बीमा कम्पनी स्वंय उक्त कार्य करवाती है तो परिवादी सहयोग हेतु तत्पर है। हम परिवादी के तर्कों से सहमत है क्योंकि बारिश ज्यादा हो तो पानी के साथ-साथ मिट्टी व कचरा भी तेल में सम्मिलित हुआ है जिसका नुकसान स्वंय अप्रार्थी ने माना है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को उक्त सम्बंध में सुझावा देना मंच की राय में किसी भी प्रकार से विधि सम्वत नहीं है क्योंकि यह कार्य अप्रार्थी का था। यदि तेल व पानी का प्रथक्करण आसानी से हो सकता था तो अप्रार्थी बीमा कम्पनी स्वंय अपने स्तर पर यह कार्य करते हुए परिवादी को बकाया राशि का भुगतान कर सकती थी। परिवादी को तुफान में नुकसान होना स्वीकृत तथ्य है। परिवादी का नुकसान होने पर बीमित सामान हेतु क्लेम देने की बजाय अप्रार्थी बीमा कम्पनी के द्वारा परिवादी को राय देना मचं की राय में विधि सम्वत नहीं है क्योंकि जब सुजानगढ़ में तेल व पानी के प्रथक्करण की कोई व्यवस्था नहीं थी तो मिश्रित तेल को किसी अन्य स्थान पर ले जाकर प्रथक्करण करना लागत और मूल्य में ज्यादा होगा। फिर परिवादी के द्वारा अपने स्टाॅक का बीमा इसलिए नहीं करवाया गया था कि वह नुकसान को कम करने हेतु मिश्रित तेल को प्रथक्करण हेतु जगह-जगह भटकता रहे। इसलिए अप्रार्थी सर्वेयर के तेल के सम्बंध में दी गयी रिपोर्ट व तथ्य को उचित नहीं मानते हुए परिवादी को मिश्रित तेल हेतु 14,450 रूपये के स्थान पर 57,000 का 50 प्रतिशत 28,500 रूपये दिया जाना उचित समझते है। इसी प्रकार अप्रार्थी के सर्वेयर की लोस आॅफ स्टाॅक के क्रम संख्या 4 पर तेल के गाद हेतु परिवादी को 38,400 रूपये के स्थान पर किसी प्रकार की कोई राशि नहीं दी जाना उचित नहीं है। परिवादी को गाद हेतु 5,000 रूपये दिया जाना उचित समझते है। इस प्रकार परिवादी को अप्रार्थी के सर्वेयर जे.के. महेश्वरी द्वारा किये गये तुफान में हुये नुकसान की राशि 40,478 रूपये के स्थान पर बिल्डिंग के पेट्टे 37,204 रूपये, प्लांट व मशीनरी के पेट्टे 10,335 रूपये, स्टाॅक के रूप में 33,700 रूपये कुल 81,239 रूपये परिवादी फर्म को दिलाना उचित समझते है।
13. चूंकि सर्वेयर की रिपोर्ट उपरेाक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी के दृष्टिगत अंतिम व निश्चायक के रूप में नहीं है जब तक कि उसे अन्यथा साबित न कर दिया जावे। परन्तु वर्तमान प्रकरण में अप्रार्थी के सर्वेयर की रिपोर्ट को इस लिए भी विश्वसनीय नहीं माना जा सकता क्येांकि अप्रार्थी ने अपने जवाब व सर्वेयर की रिपोर्ट के सम्बंध में किसी भी अधिकारी का कोई शपथ-पत्र भी पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं किया। इसलिए हम अप्रार्थी के द्वारा परिवादी फर्म को तुफान में हुये नुकसान की राशि तथ्यों के विपरित बिल्कुल कम आंकना व परिवादी को बिना वजह नुकसान को कम करने हेतु सुझाव देना अप्रार्थी बीमा कम्पनी का सेवादोष है। इसलिए परिवादी का परिवाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
        अतः परिवादी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाकर उसे मंच द्वारा निम्न अनुतोष दिया जा रहा है।
(क.) अप्रार्थी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को उसकी फर्म में बारिश व तुफान की वजह से बिल्डिंग, प्लांट-मशीनरी व स्टाॅक के रूप में 40,478 के स्थान पर कुल 81,239 रूपये अदा करेगा व उक्त राशि पर सर्वेयर की रिपोर्ट दिनांक 01.10.2009 के ठीक 3 माह बाद से 31.12.2009 से 9 प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण ब्याज भी ताअदायगी तक अदा करेगा।
(ख.) अप्रार्थी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को 5,000 रूपये परिवाद व्यय के रूप में भी अदा करेगा।
            अप्रार्थी को आदेष दिया जाता है कि वह उक्त आदेष की पालना आदेष कि दिनांक से 2 माह के अन्दर-अन्दर करेंगे।
 
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
  सदस्य                 सदस्या                     अध्यक्ष                         
    निर्णय आज दिनांक  22.04.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
    
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
     सदस्य                सदस्या                     अध्यक्ष     
 
 

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