Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/1047/2010

Dharmraj Mishra - Complainant(s)

Versus

The New India Ins. Co. ltd. - Opp.Party(s)

21 Oct 2020

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/1047/2010
( Date of Filing : 30 Nov 2010 )
 
1. Dharmraj Mishra
Ambedkarnagar
...........Complainant(s)
Versus
1. The New India Ins. Co. ltd.
Lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  ARVIND KUMAR PRESIDENT
  SMT SNEH TRIPATHI MEMBER
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Oct 2020
Final Order / Judgement

जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या-1047/2010                                             उपस्थित:-श्री अरविन्‍द कुमार, अध्‍यक्ष।

          श्रीमती स्‍नेह त्रिपाठी, सदस्‍य।

                                                        श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।                                          

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-30/11/2010

परिवाद के निर्णय की तारीख:-21/10/2020

धर्मराज मिश्रा आयु लगभग 55 साल पुत्र स्‍व0 रामबरन, निवासी-ग्राम श्‍यामपुर अलऊपुर, पोस्‍ट व थाना-जांहगीरगंजतहसील आलापुरजिला-अम्‍बेडकरनगर।

                                                    .........परिवादी

                           बनाम

1-दि न्‍यू इंडिया इन्‍श्‍योरेंस कं0 लि0 द्वितीय तल जीवन भवननवल किशोर रोडलखनऊ द्वारा सीनियर डिवीजनल मैनेजर।

2-श्रीमान् तहसीलदार तहसील आलापुर जिला अम्‍बेडकरनगर।

3-श्रीमान् जिलाधिकारी महोदयजनपद अम्‍बेडकरनगर।

                                                           .........विपक्षीगण।                                                                                                                     

आदेश द्वारा-श्री अरविन्‍द कुमार, अध्‍यक्ष।

                           निर्णय

परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद विपक्षी संख्‍या-01 को आदेशितकिये जाने कि उ0प्र0 शासन द्वारा जारी शासनादेश के तहत वांछित बीमा धनराशि 1,00,000/-रूपये,  विपक्षीगण से वाद व्‍यय 5,000/-रूपये,  दावे की क्षतिपूर्ति राशि पर 10% ब्‍याज की दर से आदेश तिथि से भुगतान की तिथि तक दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी स्‍व0 आनन्‍दकुमार, निवासी-ग्राम श्‍यामपुर अलऊपुर, पोस्‍ट व थाना-जांहगीरगंज,  तहसील आलापुर,  जिला-अम्‍बेडकरनगर का पिता एवं विधिक उत्‍तराधिकारी है। परिवादी का पुत्र पेशे से किसान था जिसकी दिनॉंक-26/11/2005 को हत्‍या हो जाने से आकस्मिक मृत्‍यु  हो गयी थी। उ0प्र0 सरकार द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार उ0प्र0 के समस्‍त खातेदार/किसानों (जिनकी आयु 12 वर्ष से 70 वर्ष के बीच हो) का एक वर्ष यानी दिनॉंक-16/09/2005 से 15/09/2006 तक के लिये व्‍यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजनान्‍तर्गत विपक्षी संख्‍या-01 से बीमा किया गया और सरकार द्वारा बीमे के प्रीमियम की धनराशि अदा कर दी गयी थी। परिवादी ने अपने पुत्र आनन्‍दकुमार की आकस्मिक मृत्‍यु  हो जाने पर बीमा धनराशि प्राप्‍त करने के लिये समय सीमा के अन्‍दर विपक्षी संख्‍या-02 व 03 के माध्‍यम से विपक्षी संख्‍या-01 के समक्ष आवेदन प्रेषित किया। परन्‍तु आज तक परिवादी को वांछित बीमा धनराशि का भुगतान नहीं किया गया,  जो विपक्षीगण की उपभोक्‍ता सेवाओं में घोर लापरवाही प्रदर्शित करता है।

विपक्षी संख्‍या-01 ने अपना उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए परिवाद पत्र के अधिकांश कथनों से इनकार करते हुए अतिरिक्‍त कथन किया कि परिवादी विपक्षी का उपभोक्‍ता नहीं है,  इस कारण परिवाद सव्‍यय निरस्‍त होने योग्‍य है,  क्‍योंकि विपक्षी तथा परिवादी के बीच में कोई खरीद या बिक्री नहीं हुई। मृतक की मृत्‍यु की सूचना 252 दिन बाद दी गयी है, जो कि पॉलिसी की शर्तों का उल्‍लंघन है,  एवं पॉलिसी में कवर नहीं है। विपक्षी को धमकाने व ब्‍लैकमेल करने की नियत से उक्‍त परिवाद लाया गया है। उपरोक्‍त परिवाद चार वर्ष बाद दाखिल किया गया है जोकि इसी आधार पर निरस्‍त होने योग्‍य है। परिवादी के परिवाद का उचित मंच जिला अम्‍बेडकर नगर है न कि लखनऊ,  क्‍योंकि परिवादी का निवास भी वहीं है और घटना भी लखनऊ की नहीं है। परिवाद कालबाधित है इस कारण भी निरस्‍त होने योग्‍य है।

उभयपक्षों ने अपने कथनों के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया है।

अभिलेख का अवलोकन किया,  जिससे प्रतीत होता है कि विपक्षी संख्‍या-01 ने दावा अस्‍वीकृति आदेश में यह कहा है कि उनको क्‍लेम प्रपत्र 90 दिनों के पश्‍चात् प्राप्‍त हुआ है,  जबकि 90 दिनों में वह बीमा कम्‍पनी को प्राप्‍त हो जाना चाहिए था। परिवादी का कथन है कि उन्‍होंने अपने सभी प्रपत्र जिलाधिकारी के यहॉं निर्धारित अवधि में जमा कर दिया था और यदि विलम्‍ब जिलाधिकारी के स्‍तर पर हुआ है तो उसके लिये परिवादी का दावा अस्‍वीकार नहीं किया जा सकता है।  कई नजीरों में इस तरह का मन्‍तव्‍य है कि सिर्फ तकनीकी कारणों से बीमा दावा अस्‍वीकार नहीं किया जाए। परिवादी ने जब अपने कागजात और प्रपत्र जिलाधिकारी कार्यालय में दिया था तब परिवादी का दोष कहीं स्‍पष्‍ट नहीं हो रहा है।  बीमा कम्‍पनी को सम्‍पूर्ण प्रपत्र एवं कागजात परिवादी को स्‍वयं नहीं भेजने हैं बल्कि उसे जिलाधिकारी के माध्‍यम से ही भेजने हैं। दावा अस्‍वीकृति आदेश के अतिरिक्‍त यदि उत्‍तर पत्र में विपक्षी कुछ कहता है तो उस पर विचार नहीं किया जायेगा। ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

                        आदेश

परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी संख्‍या-01 के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्‍या-01 को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादी को बीमा धनराशि मुबलिग-1,00,000/-(एक लाख रूपया मात्र) 09प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ वाद दायर करने की दिनॉंक से भुगतान की तिथि तक 45 दिनों के अन्‍दर अदा करेंगें। साथ ही साथ वाद व्‍यय के रूप में मुबलिग-5,000/-(पॉंच हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि आदेश का पालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो सम्‍पूर्ण राशि पर 12% वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा।

 

 

 

(अशोक कुमार सिंह)     (स्‍नेह त्रिपाठी)             (अरविन्‍द कुमार)

     सदस्‍य              सदस्‍य                     अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                लखनऊ।                                           

 

 

 

 
 
[ ARVIND KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[ SMT SNEH TRIPATHI]
MEMBER
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

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