M/s Porwal Trading Corporation Through Bhagidar Shri Gopal Kishan bidla filed a consumer case on 11 Feb 2015 against The New India Assurnce Co. Ltd. (Mandal Office ) Through Mandal Manager in the StateCommission Consumer Court. The case no is FA/811/2013 and the judgment uploaded on 12 Mar 2015.
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, सर्किट बैंच
संख्या 2, जयपुर, राजस्थान ।
ं
अपील संख्याः 811/2013
मैसर्स पोरवाल ट्रडिंग कारपोरेषन जरिए भागीदार श्री गोपाल किषन बिडला, 48 गरीब नवाज मार्केट साॅफट स्टाॅन फैक्ट्री के पास, भीलवाडा, राजस्थान।
बनाम
1. दि न्यू इंडिया एष्योरेंस कम्पनी लि.(मण्डल कार्यालय) जरिए मण्डल प्रबंधक दि न्यू इंडिया एष्योरेंस कम्पनी लि. आजाद चैक, भीलवाडा।
समक्षः- द्वारा एकल पीठ
माननीय श्री लियाकत अली, पीठासीन सदस्य।
उपस्थितः
श्री दिनेष माहेष्वरी, अधिवक्ता अपीलार्थी ।
श्री मनोज गोयल, अधिवक्ता प्रत्यर्थीगण ।
दिनंाक: 11.02.2015
राज्य आयोग, सर्किट बैंच नं0 02,जयपुर, राज.
अपीलार्थी (परिवादी) ने ये अपील जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण भीलवाडा द्वारा दिनांक 09.07.2013 को परिवाद संख्या 39/2013 के विरूद्ध सुब्द्व होकर प्रस्तुत की है।
परिवाद के संक्षिप्त तथ्य इस प्रकार है कि अपीलार्थी ने विपक्षी कम्पनी से स्टेण्डर्ड फायर एवं स्पेषल पेरिल पाॅलिसी दिनांक 15.03.2012 से 14.03.2013 की अवधि के लिए 13,725/- रूपए का प्रिमियम जमा करवा कर 45,00,000/- रूपये का बीमा करवाया था। दिनांक 20.06.2012 को सुबह 4-5 बजे गोदाम में आग लगने से सारा केमिकल जल गया। गोदाम में रखा माल को बचाने का प्रयास किया गया, किन्तु आग पर काबू नहीं पाया जा सका, और सारा माल जल गया, जिसमें सोडियम हाइड्रो सलफाइट, ब्लिचिंग पाउडर, सोडियम सेल्फेट ग्राम, वेट ब्राउन आर पाउडर, वेट ब्राउन जी पाउडर, वेट ओलिव टी पाउडर आदि जल गऐ। अपीलार्थी ने 995801/- रूपये की क्षतिपूर्ति दिलवाने के लिए क्लेम प्रस्तुत किया। जी पी सिंघल को दुर्घटना स्थल पर भेजा गया, बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने 5,53,350/- रूपये की क्षतिपूर्ति मानी, परन्तु बावजूद इसके बीमा कम्पनी ने क्लेम यह कह कर खारिज कर दिया कि आग का संभावित कारण इसके केमिकल्स में सेल्फ कोमबुषन होना रहा है, जो बीमा पाॅलिसी में कवर्ड नहीं है। जिला मंच ने अपीलार्थी के परिवाद को स्वीकार करते हुए 6,90,000/- रूपये का बीमा राषि विपक्षी को देने के आदेष दिए, परन्तु अपीलार्थी इससे संतुष्ट नहीं है उसके अनुसार बीमित को सम्पूर्ण राषि 9,95,801/-रूपये का क्लेम मिलना चाहिए, यह कहकर अपील प्रस्तुत की है।
बीमा कम्पनी की ओर से बताया गया कि परिवादी ने उपर्युक्त पाॅलिसी ली थी एवं बीमा अनुबन्ध के अनुसार डाईज व केमिकल उत्पाद की जोखिम कवर्ड की गई। स्वतः ज्वलनषील की जोखिम कवर्ड नहीं है, ना ही इससे होने वाली अनुषांगिक क्षति देने योग्य है। बीमा कम्पनी का कथन था कि ब्लिचिंग पाउडर व अन्य केमिकल व स्वतः ज्वलनषील पदार्थ तथा सभी केमिकल ढ़ेर के रूप में वक्त घटना गोदाम में रखे हुए थे, जो हवा से आॅक्सीजन को एबजोरप्षन करने के बाद उनमें आॅक्सीडेषन होता है और सेल्फ हीटिंग होती है। बीमा अनुबन्ध के अनुसार यदि आग का कारण स्वतः प्रज्वलन होता है, तो क्षतिपूर्ति राषि देनी नहीं होती है। गोदाम में सभी केमिकल्स ढ़ेर के रूप में रखे हुये थे। अन्य फायर का ब्रेक नजर नहीं आता है। स्वतः ज्वलन पदार्थ के आधार पर आग लगी है, जो फायर ब्रेक नहीं होने के कारण अनुषांगिक क्षतियां देय नहीं होती है।
बीमा के सर्वेयर द्वारा क्षति का आंकलन 5,53,350/- रूपये किया है, जो एक बीमा अनुबन्ध एवं सर्वेयर प्रतिवेदन में दर्षाए गये स्वतःज्वलन शील पदार्थ से आग लगी जिससे अन्य पदार्थ मेें आग लगी, जो क्षति देय योग्य नहीं है। अतः इस आधार पर बीमा कम्पनी ने कोई सेवादोष नहीं किया है। परिवादी का क्लेम उचित तरीके से निरस्त किया गया है।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से बहस द्वारा यह भी बताया गया कि जिला मंच के उक्त निर्णय के विरूद्ध उन्होंने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील संख्या 826/2013, दी न्यू इण्डिया एष्योरेंस कम्पनी लि. बनाम मैसर्स पोरवाल ट्रेडिंग काॅरपोरेषन प्रस्तुत कि थी, जिसका निर्णय दिनांक 18.09.2013 को करते हुए बीमा कम्पनी की अपील को अस्वीकार किया गया है, तथा जिला मंच भीलवाडा द्वारा परिवाद संख्या 39/2013 में पारित आदेष दिनांक 09.07.2013 कि पुष्टि भी की है। बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत अपील को गुणावगुणों पर माननीय राज्य आयोग ने आदेष/निर्णय पूर्व में पारित कर दिया है। अतः अपीलार्थी की यह अपील चलने योग्य भी नहीं है। हमने विपक्षी की दलील को सुना, इससे हम सहमत नहीं है क्योंकि यह अपील बीमा कम्पनी द्वारा जिला मंच द्वारा दिए गए आदेष के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिसे माननीय राज्य आयोग द्वारा अस्वीकार किया गया है, अर्थात जिला मंच ने परिवादी के पक्ष में जो निर्णय दिया है वह बहाल रखा गया है। परन्तु परिवादी को चूंकि जिला मंच द्वारा कम राषि का अवार्ड जारी किया गया है तो ऐसी स्थिति मेें उसे यह कानूनी अधिकार प्राप्त है कि वह चाहे तो जिला मंच के आदेष के विरूद्ध क्लेम राषि अधिक दिलवाने हेतु राज्य आयोग में बीमा कम्पनी के विरूद्ध अपील प्रस्तुत कर सकता है। परिवादी द्वारा इसी क्रम में यह अपील म्दींदबमउमदज के लिए प्रस्तुत की गई है जो उचित है एवं बीमा कम्पनी की यह अपील अस्वीकार योग्य है।
हमने दोनों पक्षों की बहस सूनी। पत्रावली का अवलोकन किया ।
अपीलार्थी की मुख्य बहस यह थी कि विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने परिवादी गोदाम में लगी आग की क्षति का आंकलन करते हुए 5,53,350/- रू. मानी है, जबकि परिवादी के गोदाम में 995801/-रू. का नुकसान हुआ था, जबकि जिला मंच ने 6,90,000/- रू. विपक्षी से दिलवाये है।
अपीलार्थी ने क्षति राषि कम दिलवाने के जिला मंच के आदेष के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की है। वही विपक्षी बीमा कम्पनी के अधिवक्ता ने बहस में बताया कि माननीय आयोग ने इस प्रकरण में पूर्व में ही अपील संख्या 826/13, दी न्यू इण्डिया एष्यो. कं. लि. बनाम मै. पोरवाल ट्रेडिंग काॅरपोरेषन, आदेष दिनांक 18.09.13 को आयोग ने गुणावगुण पर गहन स्तर पर अस्वीकार कर दी थी। हमने विपक्षी बीमा कम्पनी की इस दलील पर विचार किया, चूंकि उक्त अपील बीमा कम्पनी ने जिला मंच के आदेष को निरस्त करवाने के लिए की थी, जो माननीय आयोग द्वारा अस्वीकार की गई है। परन्तु दूसरी अपील बीमित ने राषि कम मिलने के कारण म्दींदबमउमदज के लिए की है जो उसका अधिकार है। पूर्व में निर्धारित निर्णय में इस बिन्दू पर विचार नहीं किया गया था। अतः अपीलार्थी की अपील जो कि जिला मंच के आदेष के विरूद्ध म्दींदबमउमदज करने के लिए इसे गुणावगुण पर निर्णित किया जा सकता है। दोनों विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सूनी। अपीलार्थी का कथन है कि उसके गोदाम में कुल 6 आईटम केमिकल्स के रखे थे जो प्रकार है-
च्ंतजपबनसंते फनंदजपजल त्ंजम ।उवनदज
1 ेवकण् भ्लकतव ेनसचीपजम 5000 107ण्82. 539100ध्.
2 ठसमंबीपदह च्वूकमत 9500 11ण्21 106495ध्.
3 ैवकण् ैनसचींजम ळतंउ 9000 10ण्93 98331ध्.
4 टंज ठतवूद त् च्वूकमत 50 1942ण्00 97100ध्.
5 टंज ठतवूद ळ च्वूकमत 50 1202ण्50 60125ध्.
6 टंज व्सपअम ज् च्वूकमत 50 463ण्00 23150ध्.
।कक. थ्वत मगचमदेमे.
ब्वदेजतनबजपवद व िहवकवूद पदबसनकपदह हंजमध् ूपदकवू
ंदक तववपिदहए सिववतपदह ़ बींददमस तमचंपतपदह मजबण् . 50000ध्.
थ्पतमे पिहीजपदह मुनपचउमदज हंे मजबण् . 3000ध्.
थ्पतम ठतपहंकम ब्ींतहमे . 11500ध्.
श्रब्ठ ब्ींतहमे . 1000ध्.
स्पजिपदह व िब्ीमउपबंस ॅंेजम इल जतंबजवत - श्रब्ठ . 3000ध्.
स्ंइवनत ब्ींतहमे . 3000ध्.
ज्वजंस ब्संपउमक सवेे . 9ए95ए801ध्.
क्रम सं. 1 की राषि का बीमा देना स्वीकार किया, परन्तु क्रम सं. 2 से 6 व अन्य राषि देने से इन्कार कर दिया है और कहा कि बीमा के अनुबन्ध के अनुसार डाईस केमिकल्स व उक्त केमिकलस स्वतः प्रज्वलित केमिकल नहीं है ना ही इससे होने वाली आपदाओं की क्षतियां देय योग्य है। कम्पनी के सर्वेयर जो कि एक चार्टेड अकाउन्टेंड है ने सर्वेयर किया है। बीमा कम्पनी ने किसी रसायन शास्त्र विषेषज्ञ की राय प्राप्त नहीं कर एक लेखा विषेषज्ञ की रिपोर्ट को मानकर यह क्लेम राषि देने से इन्कार कर दिया। परिवादी ने डाॅ. ललित कुमार अग्रवाल सीनियर मैनेजर, (लेबोट्री) हिन्दुतान जिंक की विषेषज्ञ रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें बताया गया है कि ब्लिचिंग पाउडर आॅक्सीजन की मौजूदगी में 40-42 डिग्री सेंटी ग्रेड तापमान पर आग नहीं पकड़ सकता है। ब्लिचिंग पाउडर की प्रकृति स्वतः प्रज्वलन होने की नहीं होती है। डाॅ. ललित अग्रवाल ने यह कथन सषपथ कहा है, इसके बावजूद बीमा कम्पनी ने ऐसे किसी अन्य विषेषज्ञ की राय प्रस्तुत नहीं की है।
बीमा कम्पनी का यह कथन मानने योग्य नहीं है कि बीमित को बीमा करते समय ये बाते बता दी गई है एवं बीमा अनुबन्ध, अपवर्जन के बारे में भी बताया गया है। बीमा कम्पनी ने पाॅलिसी के साथ बीमा अनुबन्ध, अपवर्जन से अपीलार्थी को स्पष्ट करवा दिया हो। सूचना के अधिकार में भी बीमित द्वारा मांगे गए दस्तावेजों में भी पाॅलिसी के साथ अनुबन्ध बीमित को नहीं दिए गये। बीमा कम्पनी के सर्वेयर के शपथपत्र के साथ अनुबन्ध जरूर जिला मंच ने प्रस्तुत किया है, परन्तु इससे पूर्व बीमित को अनुबन्ध 9 के अपवर्जन को बीमित को अवलोकन करवाया हो यह अभिप्रमाणित नहीं माना जा सकता, जिसके कारण यदि ऐसी कोई शर्त भी थी जो बीमित के विरूद्ध की हो लागू नहीं मानी जा सकती। बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने स्वयं सर्वेयर रिपोर्ट में यह माना है कि भ्ंचचमदपदह व िडपेेींचमए भ्वूमअमत वित जीम तमहपवद हपअमद जीम पितम पे ंबबपकमदजंस ंदक बवउम नदकमत जीम पितम चवसपबल इस बात में सर्वेयर ने केमिकल की प्रकृति को ंेेमेेउमदज व िसवेे में वर्णित करते हुए कहा है कि यह आग लगने का कारण हो सकती है, अर्थात निष्चित कारण नहीं माना है व इसके अतिरिक्त अन्य कई कारण सर्वेयर ने अंकित किए हंै।
अतः समस्त तथ्यों व परिस्थियों को देखते हुए अपीलार्थी की अपील स्वीकार करते हुए जिला मंच के आदेष को हम संषोधित करना उचित समझते है। अपीलार्थी बीमा कम्पनी से 9,95,801/- रू. प्राप्त करने का अधिकारी है। जिला मंच का आलौच्य आदेष को संषोधित करते हुए बीमा कम्पनी को आदेष की पालना हेतु एक माह का समय दिया जाता है एवं एक माह की अवधि में भुगतान नहीं करने पर अपीलार्थी विपक्षी से 9 प्रतिषत वार्षिक दर पर ब्याज भुगतान की तिथि तक प्राप्त करने का अधिकारी होगा। विपक्षी बीमा कम्पनी अपीलार्थी को परिवाद व्यय स्वरूप 5000/-रूपये का भुगतान भी करेगा।
(लियाकत अली)
पीठासीन सदस्य
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