दिनांक- 07/10/2015
परिवादी ने यह परिवाद इस आशय से योजित किया है कि उसे बीमित गाय के मूल्य के रूप में 10 प्रतिशत ब्याज सहित रू0 40,000/- विपक्षी स01 से दिलाने के साथ ही मानसिक कष्ट तथा परिवाद व्यय के लिए रू0 5000/- विपक्षी सं01 से दिलाये जायॅ।
परिवाद पत्र के कथनों के अनुसार परिवादी ने विपक्षी सं02 के सहयोग से राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना के अन्तर्गत रू0 40,000/- मूल्य की गाय का बीमा विपक्षी सं01 से कराया था। परिवादी की गाय का स्वास्थ्य परीक्षण दिनांक 25-01-2014 को पशु चिकित्साधिकरी ने किया था और गाय को पूर्ण स्वस्थ मानते हुए उसके कान में टैग नं0 एन0आई0ए0 13236 लगाया था और गाय का फोटो लिया था । तत्पश्चात् विपक्षी सं01 ने उक्त गाय का बीमा रू0 40000/- के लिए किया था और यह बीमा दिनांक 28-02-14 से 27-02-15 तक प्रभावी था। बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार विपक्षी सं01 ने उक्त गाय की मृत्यु की सूचना पर रू0 40,000/- का भुगतान करने का दायित्व लिया था। दुर्भाग्य वश उक्त गाय दिनांक 16-03-14 को शाम लगभग 6 बजे अचानक बीमार हुई और आधा घण्टा के अन्दर ही उसकी मृत्यु हो गयी। परिवादी ने गाय के मरने की सूचना मोबाइल के माध्यम से विपक्षी सं01 को दी और पशु चिकित्सक को लिखित सूचना दिया। विपक्षी सं01 ने दि0 17-03-14 को अपना सर्वेयर भेजा जिसने कान में लगे हुए टैग को देखा तथा गॉव के लोगों से पूछ-ताछ की और मोबाइल के जरिये मृत गाय का फोटो लिया। गाय की मृत्यु के समय उसके कान में टैग नम्बर एन0आई0ए0 13236 लगा हुआ था, इसे सर्वेयर ने भी देखा था और शव परीक्षण के समय गाय के कान में यह टैग लगा हुआ पाया गया था। परिवादी ने दिनांक 21-03-14 को गाय के मरने की सूचना, पंचनामा, शव परीक्षण आख्या, मृत गाय का फोटो, कान का टैग तथा स्वास्थ्य प्रमाण पत्र आदि अभिलेखों सहित रजिस्ट्री डाक से विपक्षी को भेजी और बीमा धन की मॉग की। विपक्षी सं01 द्वारा प्रेषित पत्र दि0 23-06-14 परिवादी को प्राप्त हुआ, जिसके अनुसार प्रश्नगत गाय के पहले के फोटो तथा मृत्यु के उपरांत के फोटो में अन्तर होने के कारण बीमा धन देय नहीं कहा गया। उक्त पत्र मिलने के उपरांत परिवादी ने पत्र दि0 03-07-14 प्रेषित करके विपक्षी सं01 से अनुरोध किया कि बीमित गाय के पहले और मृत्यु के बाद के फोटो में कोई अन्तर नहीं है इसलिए बीमित धनराशि का भुगतान कर दिया जाय लेकिन विपक्षी सं01 ने कोई भुगतान नहीं किया। परिवादी ने पशु चिकित्सक गाजीपुर को भी एक शिकायती प्रार्थना पत्र दि0 10-09-14 प्रेषित किया, जिसके क्रम में विपक्षी सं01 से उन्होंने कहा कि दावा गलत आधार पर निरस्त किया गया है। परिवादी का दावा निरस्त करके विपक्षी सं01 ने सेवा में कमी की है। विपक्षी सं02 मामले में औपचारिक पक्षकार है। उससे किसी अनुतोष की मॉग नहीं की गयी है।
विपक्षी सं01 ने अपने लिखित कथन में यह स्वीकार किया है कि परिवादी की गाय की बीमा पालिसी सं0 42070047130400000287 द्वारा बीमा किया गया था और उक्त पालिसी दि0 28-02-14 से 27-02-15 तक प्रभावी थी। विपक्षी सं01 ने यह भी स्वीकार किया है कि बीमित गाय की मृत्यु पालिसी अवधि की वैधता के अन्दर हुई है। प्रश्नगत गाय का बीमा करते समय लिये गये फोटो तथा मृत्यु के उपरांत लिये गये फोटो में भिन्नता पाये जाने के कारण गाय की पहचान सुनिश्चित नहीं हो सकी थी। विपक्षी स01 द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है । प्रश्नगत गाय के फोटो तथा अन्य प्रपत्रों से यह प्रकट है कि पशु चिकित्सक को प्रभाव में लेकर असत्य कथनों के आधार पर दावा प्रस्तुत किया गया है। बीमित गाय की मृत्यु होना साबित नहीं है।
विपक्षी सं02 ने अपने लिखित कथन में यह कथन किया है कि परिवादी उसका उपभोक्ता नहीं है। विपक्षी सं02 द्वारा परिवादी की मृत गाय का शव परीक्षण किया गया है। परिवादी विपक्षी सं01 का उपभोक्ता है। अत: विपक्षी सं01 का दायित्व भुगतान करने का बनता है। मामले में उ0प्र0 राज्य को पक्षकार नहीं बनाया गया है। अत: परिवाद में आवश्यक पक्षकार असंयोजन का दोष है। विपक्षी सं02 के विरुद्ध परिवाद पोषणीय नहीं है । परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवादी ने परिवाद पत्र में किये गये कथनों के समर्थन में शपथ पत्र कागज सं0 4ग प्रस्तुत करने के साथ ही सूची कागज सं0 6ग के जरिये 9 अभिलेख पत्रावली पर उपलब्ध किये हैं। उसकी ओर से लिखित बहस कागज संख्या 23ग प्रस्तुत की गयी है।
विपक्षी सं01 की ओर से वरिष्ठ मण्डलीय प्रबंधक का शपथ पत्र कागज सं019ग, लिखित बहस 25ग प्रस्तुत की गयी है
और विपक्षी सं01 की ओर से लिखित बहस 25ग प्रस्तुत की गयी है जबकि विपक्षी सं02 की ओर से लिखित बहस प्रस्तुत नहीं की गयी है।
परिवादी तथा विपक्षी सं01 के विद्वान अधिवक्ता गण तथा विपक्षी सं02 की ओर से आत्मा यादव जिला शासकीय अधिवक्ता की बहस सुनी गयी तथा परिवाद पत्र, लिखित कथन और उपलब्ध कराये गये अभिलेखों का अवलोकन करने के साथ ही लिखित बहस का भी परिशीलन किया गया।
परिवाद पत्र तथा लिखित कथन में किये गये कथनों को देखते हुए यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने अपनी गाय का बीमा पशुधन बीमा योजना के अन्तर्गत रू0 40,000/- के लिए विपक्षी सं01 से कराया था। पक्षों के कथनों तथा बीमा पालिसी कागज सं0 7ग के परिशीलन से प्रकट है कि उक्त गाय की पालिसी सं0 42070047130400000287 थी और बीमा दिनांक 28-02-14 से 27-02-15 तक प्रभावी था।
परिवादी की ओर से कहा गया है कि उक्त बीमित गाय दिनांक 16-03-14 को लगभग 6 बजे शाम बीमार हुई थी और आधे घण्टे के अन्दर ही उसकी मृत्यु हो गयी थी और उसने गाय के मरने की सूचना तुरन्त विपक्षी सं01 को मोबाइल के जरिये दी थी और पशु चिकित्सक को भी इसकी लिखित सूचना दी थी। दिनांक 17-03-14 को विपक्षी ने अपना सर्वेयर भेजा था, जिसने गाय के शव को तथा कान में लगे हुए टैग को देखा था और उसका फोटो लिया था और इस सम्बन्ध में गॉव वालों से पूछताछ की थी। विपक्षी सं01 की ओर से दिनांक 17-03-14 को सर्वेयर भेजने और सर्वेयर द्वारा मृत गाय के शव का निरीक्षण करने और उसका फोटो लिये जाने से इनकार नहीं किया गया है।
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से प्रकट है कि परिवादी ने जिस गाय का बीमा दिनांक 25-01-14 को कराया था, उसके कान में टैग नम्बर- एन0आई0ए013236 लगा हुआ था। पत्रावली पर परिवादी की ओर से मृत गाय की शव परीक्षण आख्या 12ग उपलब्ध की गयी है, जिसके परिशीलन से प्रकट होता है कि मृत गाय का दिनांक 17-03-14 को शव परीक्षण किया गया था। शव परीक्षण के समय इस गाय के कान में टैग सं0 एन0आई0ए0 13236 लगा हुआ था। इस प्रकार पशु चिकित्साधिकारी की आख्या के अनुसार जिस मृत गाय का दिनांक 17-03-14 को शव परीक्षण किया गया था, उसके कान में टैग सं0 एन0आई0ए0 13236 लगा हुआ था। स्वीकृत रूप में विपक्षी सं01 के सर्वेयर ने दिनांक 17-03-2014 को मृत गाय के शव का निरीक्षण किया था, उसनेमृत गाय के कान में लगा हुआ टैग भी देखा था और मृत गाय का फोटो भी लिया था। विपक्षी सं01 के सर्वेयर की आख्या पत्रावली पर उपलब्ध नहीं करायी गयी है। ऐसी स्थिति में सर्वेयर द्वारा मृत गाय के कान में लगा हुआ टैग देखा जाना भी सन्देह से विश्वसनीय नहीं होता है। प्रश्नगत सर्वेयर की न तो आख्या प्रस्तुत की गयी है न ही उसका शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। ऐसी स्थिति में परिवादी का यह कथन विश्वसनीय है कि प्रश्नगत बीमित गाय के कान में मरने के समय तथा शव परीक्षण के समय टैग सं0 एन0आई0ए0 13236 लगा हुआ था। यहॉ यह भी उल्लेखनीय है कि विपक्षी सं01 द्वारा मृत गाय के कान में प्रश्नगत टैग लगे होने को स्पष्ट रूप से इनकार भी नहीं किया गया है।
विपक्षी सं01 की ओर से कहा गया है कि बीमा करते समय लिये गये गाय के फोटो तथा मृत गाय के फोटो में महत्वपूर्ण भिन्नता के कारण गाय की पहचान सुनिश्चित नहीं हो सकी थी, इसलिए दावा खारिज किया गया था। विपक्षी सं01 ने बीमित गाय के कथित दोनों फोटो फोरम के समक्ष उपलब्ध नहीं कराये हैं । ऐसी स्थिति में उक्त कथित महत्वपूर्ण साक्ष्य उपलब्ध न कराये जाने के कारण विपक्षी सं01 की ओर से किया गया यह कथन विश्वसनीय नहीं है कि बीमा करते समय प्रश्नगत गाय के लिये गये फोटो और मृत्यु के बाद लिये गये गाय के फोटो में महत्वपूर्ण भिन्नता थी। ऐसी स्थिति में, परिवादी द्वारा दिये गये इस तर्क में पर्याप्त बल है कि विपक्षी सं01 ने बिना किसी समुचित कारण के परिवादी के दावे को स्वीकार न करके सेवा में कमी की है।
उपरोक्त विवेचन तथा पत्रावली पर उपलब्ध सम्पूर्ण साक्ष्यों के परिशीलन से प्रकट है कि परिवादी की गाय का स्वास्थ्य परीक्षण करके बीमा किया गया था। विपक्षी सं01,2 द्वारा रू0 40,000/- के लिए बीमा किया गया था। बीमा प्रभावी रहने के दौरान दिनांक 16-03-14 को उक्त बीमित गाय की मृत्यु हो गयी। बिना समुचित कारण के विपक्षी सं01 ने बीमा धन हेतु परिवादी का दावा अस्वीकृत किया। इस प्रकार से उसके द्वारा सेवा में कमी की गयी है। ऐसी स्थिति में परिवादी, परिवाद पत्र प्रस्तुत करने के दिनांक 09-10-14 से बीमा धनराशि की वास्तविक अदायगी की तिथि तक की अवधि के लिए 08प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण ब्याज सहित बीमा धनराशि रू040,000/- विपक्षी सं01 से वसूल पाने का अधिकारी है।। प्रश्नगत गाय की बीमित धनराशि बिना समुचित कारण के, परिवादी को देने से इनकार की गयी है। ऐसी स्थिति में मानसिक, शारीरिक कष्ट के लिए रू0 2000/- तथा परिवाद व्यय के लिए रू0 1000/- भी विपक्षी सं01 से परिवादी वसूल पाने का अधिकारी है। मामले के तथ्यों को देखते हुए विपक्षी सं02 से परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।
आदेश
परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं01 दी न्यू इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवाद योजित करने के दिनांक 09-10-2014 से वास्तविक अदायगी की तिथि तक की अवधि के लिए 08 प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण ब्याज सहित रू0 40,000/- भुगतान करने के साथ ही मानसिक कष्ट के लिए रू0 2000/- तथा वाद व्यय के लिए रू0 1,000/- परिवादी को अदा करे।
इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्क प्रदान की जाय।
निर्णय आज खुले न्यायालय में, हस्ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।