Uttar Pradesh

Chanduali

MA/03/2014

KAMESHWAR - Complainant(s)

Versus

The New India Assurance Co.ltd - Opp.Party(s)

Dhirender Pratap Singh

11 Aug 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Miscellaneous Application No. MA/03/2014
In
 
1. KAMESHWAR
VILL&PO-SHIKARGANJ DSTI-CHANDAULI
Chandauli
UP
...........Appellant(s)
Versus
1. The New India Assurance Co.ltd
Hriant Kompleks Sigra Varanasi
Varanasi
UP
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Shashi Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 11 Aug 2016
Final Order / Judgement


न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
प्रकीर्ण वाद सं03                                                   सन् 2014ई0
कामेश्वर त्रिपाठी                बनाम  दि न्यू इण्डिया इश्योरेंस कम्पनी लि0 आदि
11-8-2016
    प्रिवादी द्वारा दिये गये प्रार्थना पत्र अन्र्तगत धारा 24 क(।।)उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पर उभय पक्ष के अधिवक्तागण के तर्को को सुना गया है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
    प्रिवादी का अभिकथन है कि उसने भैस के मरने की सूचना दिनांक 8-1-2012 को विपक्षी संख्या 1 व 2 को दे दिया था और इसके बाद विपक्षी संख्या 1 के अधिकृत अधिकारी/कर्मचारी द्वारा क्लेम फार्म दिनांक 13-2-2012 को भरवाया गया। लेकिन अभीतक दावा का भुगतान नहीं किया गया है। मुकदमें में बार-बार भागदौड के उपरान्त कोई कार्यवाही न होने पर परिवादी की मानसिक व आर्थिक स्थिति कमजोर हो गयी और बीच में उसकी तबियत भी खराब हो गयी। दवा इलाज में व्यस्त होने के कारण समय से मुकदमा दाखिल नहीं कर सका। अतः विलम्ब को क्षमा करते हुए उसका परिवाद स्वीकार किया जाय। इस प्रार्थना पत्र के समर्थन में परिवादी का शपथ पत्र भी दाखिल है।
    उपरोक्त प्रार्थना पत्र के विरूद्ध विपक्षी संख्या 1 दि न्यू इण्डिया इश्योरेंस कम्पनी लि0 की ओर से आपत्ति दाखिल की गयी है जिसमे मुख्य रूप से यह कहा गया है कि परिवादी के भैस की मृत्यु दिनांक 8-1-2012 को होना बताया गया है। कम्पनी द्वारा सम्बन्धित को सूचना प्राप्त होने तथा मामले की जांच कम्पनी के अधिवक्ता द्वारा कराने के पश्चात दिनांक 29-2-2012 को परिवादी का दावा निरस्त कर दिया गया जिसकी सूचना विपक्षी संख्या 2 व प्रतिलिपी प्रतिवादी को प्रेषित की गयी। विपक्षी द्वारा दिनांक 29-2-2012 को परिवादी का क्लेम निरस्त होने के 2 वर्ष पश्चात बिना किसी आधार के परिवाद दाखिल किया गया है जो निरस्त किये जाने योग्य है। परिवादी ने कम्पनी के अन्वेषक को स्वयं दावा वापसी का पत्र देकर अपना दावा नो क्लेम कराया था। इस तथ्य को छिपाते हुए विलम्ब से दावा दाखिल किया गया है और विलम्ब का सम्यक आधार नहीं दिया गया है और न ही कोई प्रार्थना पत्र दिया गया है। अतः परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
    उभय पक्ष को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत मामले में परिवादी के भैस की मृत्यु दिनांक 8-1-2012 को हुई है और परिवादी द्वारायह परिवाद दिनांक 15-5-2014 को दाखिल किया गया है।
    विपक्षी के अधिवक्ता का तर्क है कि प्रस्तुत मामले में परिवाद दाखिल करने की मियाद 2 वर्ष है और यह परिवाद मियाद से लगभग 4 माह बाद दाखिल किया गया है इसके जबाब में परिवादी के अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया कि वाद का कारण जिस दिन भैस की मृत्यु हुई उस दिन से नहीं उत्पन्न होगा बल्कि जब परिवादी को उसके क्लेम के तहत पैसा नहीं दिया गया या क्लेम निरस्त कर किया गया तब से वाद का कारण माना जायेगा और उसके 2 वर्ष बाद तक परिवादी परिवाद दाखिल कर सकता है। 
    परिवादी के अधिवक्ता के उपरोक्त तर्को में बल पाया जाता है क्योंकि जिस दिन भैस की मृत्यु हुई उस दिन वाद कारण उत्पन्न होना नहीं माना जा सकता है बल्कि वाद कारण उस दिन उत्पन्न होगा जिस दिन परिवादी का क्लेम निरस्त कर दिया जाय या विपक्षी द्वारा अन्तिम रूप से पैसा देने से इन्कार कर दिया जाय। प्रस्तुत मामले में विपक्षी का कथन है कि परिवादी का क्लेम दिनांक 29-2-2012 को निरस्त किया गया है किन्तु इस सम्बन्ध में विपक्षी की ओरसे कोई दस्तावेज दाखिल नहीं है। यदि दिनांक 29-2-2012 को क्लेम खारिज होना मान भी लिया जाय तो वाद कारण उसी दिन से उत्पन्न माना जायेगा जब इसकी सूचना परिवादी को प्राप्त हुई हो। किन्तु पत्रावली पर परिवादी को सूचना प्राप्त होने का कोई अभिलेख दाखिल नहीं है। परिवादी ने शपथ पत्र के माध्यम से यह अभिकथन किया है कि उसकी तबियत खराब हो गयी थी और वह दवा इलाज में व्यस्त होने के कारण समय से परिवाद दाखिल नहीं कर सका। परिवादी के उपरोक्त कथन का कोई खण्डन विपक्षी की ओर से नहीं किया गया है और न ही कोई प्रतिशपथ पत्र दाखिल किया गया है। इस मुकदमें में विपक्षी ने अपना जबाबदावा भी दाखिल कर दिया है। ऐसी परिस्थिति में मुकदमें के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए फोरम की राय में परिवादी को परिवाद दाखिल करने में जो विलम्ब हुआ है उसका समुचित एवं पर्याप्त कारण मौजूद है। अतः न्यायहित में विलम्ब को

2
 क्षमा करते हुए उसका परिवाद दर्ज किये जाने योग्य है और उसका प्रार्थना पत्र अन्र्तगत धारा 24 क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम स्वीकार किये जाने योग्य है। 
    अतः परिवादी का प्रार्थना पत्र अन्र्तगत धारा 24 क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम स्वीकार किया जाता है। मुकदमा मूल नम्बर पर दर्ज रजिस्टर हो। पत्रावली वास्ते जबाबदावा दिनांक 5-9-2016 को पेश हो।

सदस्या                                                             अध्यक्ष

CC/51/2016

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Shashi Yadav]
MEMBER

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