Uttar Pradesh

StateCommission

CC/201/2019

Shiv Shankar - Complainant(s)

Versus

The New India Assurance Co. Ltd - Opp.Party(s)

Tarun Kumar Misra, Ramesh Kumar Dubey

29 May 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/201/2019
( Date of Filing : 22 Jul 2019 )
 
1. Shiv Shankar
S/O Ram lakhan R/O House No. 1122 Sector 19 Indira nagar Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. The New India Assurance Co. Ltd
Head Office 87 M.G. Marg Road Fort Mumbai 400001 Through its G.M.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 29 May 2024
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-201/2019

शिव शंकर पुत्र राम लखन, निवासी मकान नं0-1122, सेक्‍टर-19, इन्दिरा नगर, लखनऊ।

  परिवादी

                                               बनाम       

1.   दि न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेन्‍स कंपनी लिमिटेड, हेड आफिस-87, एम.जी. रोड, फोर्ट, मुम्‍बई 400001 द्वारा जनरल मैनेजर।

2.   दि न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेन्‍स कंपनी लिमिटेड, माइक्रो ब्रांच, 39 एल्डिको शॉपी, विभूति खण्‍ड अपोजिट लोहिया हॉस्पिटल गोमती नगर, लखनऊ 226010, द्वारा रिजनल मैनेजर।

3.   साई आटो इनोवेशन्‍स इंटौजा सीतापुर रोड लखनऊ, द्वारा प्रोपराइटर।

4.   रिजनल मैनेजर, अशोका लीलैण्‍ड, IVth फ्लोर, शालीमार टायटेनियम, विभूति खण्‍ड, निकट इन्दिरा गांधी प्रतिष्‍ठान लखनऊ।

5.   मैनेजर, हिन्‍दुजा फाइनेन्‍स कंपनी, IIIrd फ्लोर, जनपथ काम्‍पलेक्‍स, अपोजिट नरही हजरतगंज लखनऊ।

6.   श्री पन्‍ना लाल पुत्र यादव लाल, निवासी 123/136 ए, गादरियन पुरवा, आर.के. नगर, कानपुर, यू.पी. 208012 ।

                                                   विपक्षीगण

समक्ष:-                                                  

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित          : श्री तरूण कुमार मिश्रा।

विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से उपस्थित    : श्री वकार हाशिम।

विपक्षी सं0-3 व 4 की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

विपक्षी सं0-5 की ओर से उपस्थित        : श्री बृजेन्‍द्र चौधरी।

विपक्षी सं0-6 की ओर से उपस्थित        : श्री मोहित धींगरा।

दिनांक:  29.05.2024

 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध अकन 27,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए तथा मानसिक प्रताड़ना एवं परिवाद व्‍यय की मद में भी क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.        परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा दिनांक 18.01.2018 को वाहन संख्‍या यू.पी. 32 जे.एन. 0206 क्रय किया गया, जिसकी पंजीयन की प्रति अनेक्‍जर संख्‍या 1 है। इस वाहन को क्रय करने के लिए ऋण प्राप्‍त किया गया तथा बीमा कराया गया, जो दिनांक 18.01.2018 से दिनांक 17.01.2019 तक वैध था तथा परमिट भी दिनांक 23.01.2023 तक वैध था। दिनांक 24.01.2018 को जारी सामान ले जाने का अधिकृत पत्र भी वैध था। परिवादी द्वारा परिवहन का कार्य प्रारम्‍भ किया गया तथा प्रतिमाह अंकन 80,000/-रू0 की किस्‍त अदा की गई, परन्‍तु दिनांक 21.06.2018 को यह वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई। बीमा कंपनी को भी सूचना दी गई, जिनके द्वारा स्‍पॉट सर्वेयर की नियुक्ति की गई, जिनके द्वारा मौके का निरीक्षण किया गया और फोटोग्राफ्स भी तैयार किए गए, इसके बाद वाहन को साई आटो इनोवेशन्‍स इंटौजा, सीतापुर रोड, लखनऊ मरम्‍मत के लिए ले जाया गया। विपक्षी संख्‍या 3 द्वारा केवल 6,03,475/-रू0 का स्‍टीमेट दिया गया, जो विपक्षी संख्‍या 2 को सुपुर्द कर दिया गया। स्‍टीमेट की सत्‍य प्रतिलिपि अनेक्‍जर संख्‍या 6 है। बीमा कंपनी द्वारा धन अदा न करने पर परिवादी ने स्‍वंय अंकन 20,000/-रू0 एवं अंकन 15,000/-रू0 क्रमश: दिनांक 21.11.2018 एवं दिनांक 14.02.2019 को अदा किए, भुगतान की रसीद अनेक्‍जर संख्‍या 7 है। इसके पश्‍चात 9-10 माह बाद बीमा कपंनी ने अंकन 3,63,137/-रू0 साई आटो कंपनी को मार्च 2019 में अदा किए, जबकि दुर्घटना दिनांक 21.06.2018 को हुई थी। इसी बीच परिवादी का व्‍यापार रूक गया और वह किस्‍तों का भुगतान नहीं कर सका, इसलिए वाहन का समर्पण हिन्‍दुजा लीलैण्‍ड फाइनेंस कंपनी को कर दिया गया, जो उनके द्वारा विक्रय कर दिया। समर्पण की प्रति अनेक्‍जर संख्‍या 8 है। विपक्षीगण की लापरवाही के कारण अंकन 3,00,000/-रू0 प्रतिमाह की आय की क्षति हुई, जबकि अंकन 80,000/-रू0 की किस्‍त एवं अंकन 30,000/-रू0 दो ड्राइवर की तंख्‍वाह दी जा रही थी। परिवादी का बिजनेस समाप्‍त हो गया। ऐसा विपक्षीगण के अनुचित व्‍यापार प्रणाली करने के कारण हुआ, इसलिए परिवादी अंकन 27,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।

3.        इस परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा अनेक्‍जर संख्‍या 1 लगायत 8 प्रस्‍तुत किए गए।

4.        इस केस में केवल वाहन के विक्रेता श्री पन्‍ना लाल विपक्षी संख्‍या 6 एवं विपक्षी संख्‍या 1 व 2, बीमा कंपनी द्वारा अपनी आपत्ति प्रस्‍तुत की गयी है। यद्यपि सुनवाई के दौरान परिवादी के विद्वान तथा विपक्षी संख्‍या 1, 2, 5 व 6 के विद्वान अधिवक्‍तागण उपस्थित हुए, उन्‍हें सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया। विपक्षी संख्‍या 3 व 4 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

5.        स्‍वंय परिवाद पत्र में वर्णित तथ्‍यों तथा बहस सुनने के पचात यह स्थिति स्‍पष्‍ट हो जाती है कि परिवादी द्वारा वाहन का बीमा कराया गया। बीमा कंपनी द्वारा वाहन की मरम्‍मत करने वाले गैराज को अंकन 3,63,137/-रू0 का भुगतान किया जा चुका है। यह भुगतान परिवादी को ही किया गया माना जाएगा। परिवादी द्वारा केवल 20,000/-रू0 एवं अंकन 15,000/-रू0 अपने पास से देने का कथन किया गया है अन्‍य किसी राशि को गैराज में अदा करने का कथन नहीं किया गया है। गैराज में अदा की गयी राशि का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। परिवादी ऋण प्रदाता कंपनी के पक्ष में इस वाहन का समर्पण कर चुके हैं तथा ऋण प्रदाता कंपनी द्वारा वाहन का विक्रय किया जा चुका है, जिसे विपक्षी संख्‍या 6 द्वारा क्रय किया गया है। परिवादी ने अंकन 27,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति केवल इस आधार पर मांगी है कि समय पर वाहन की मरम्‍मत में खर्च राशि का भुगतान न होने के कारण आय नहीं हो सकी और किस्‍तों का भुगतान नहीं किया जा सका।

6.        वाहन दिनांक 21.06.2018 को दुर्घटनाग्रस्‍त हुआ, जबकि अंकन 3,63,137/-रू0 का भुगतान 9-10 माह बाद किया गया, इसीलिए देरी से भुगतान करने के कारण अंकन 27,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति की मांग की गई है।

7.        यह सही है कि बीमा कंपनी द्वारा क्षतिपूर्ति की राशि अत्‍यधिक देरी से अदा की गई है, परन्‍तु बीमा कंपनी किसी दूरवर्ती क्षति के लिए उत्‍तरदायी नहीं हो सकती, केवल देरी से क्षतिपूर्ति की राशि अदा करने के लिए बीमा कंपनी अनुचित व्‍यापार प्रणाली अपनाने की दोषी है। बीमा कंपनी द्वारा देरी से क्‍लेम भुगतान का कोई कारण भी स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है, इसलिए वह इस मद में परिवादी को अंकन 2,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए उत्‍तरदायी है।

8.        मानसिक प्रताड़ना की मद में परिवादी द्वारा किसी प्रकार की राशि की मांग नहीं की गई है, इसलिए इस मद में अंकन 50,000/-रू0 प्राप्‍त करने के लिए तथा परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 25,000/-रू0 प्राप्‍त करने के लिए परिवादी अधिकृत है। तदनुसार प्रस्‍तुत परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

9.        प्रस्‍तुत परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्‍या 1 व 2, बीमा कंपनी को आदेशित किया जाता है कि वह 45 दिन के अन्‍दर परिवादी को अंकन 2,00,000/-रू0 (दो लाख रूपये) परिवाद प्रस्‍तुत करने की ति‍थि से भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज की दर से अदा करे।

          मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 50,000/-रू0 (पचास हजार रूपये) बीमा कपंनी द्वारा उपरोक्‍त अवधि में भुगतान किए जाए। इस राशि पर कोई ब्‍याज देय नहीं होगा।

          परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 25,000/-रू0 (पच्‍चीस हजार रूपये) भी बीमा कंपनी द्वारा उपरोक्‍त अवधि में भुगतान किए जाए। इस राशि पर भी कोई ब्‍याज देय नहीं होगा।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

                   

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                 (सुशील कुमार)

    अध्‍यक्ष                              सदस्‍य

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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