न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, बरेली ।
परिवाद संॅ0 18/2013
उपस्थित:- 1- बृजेश चन्द्र सक्सेना अध्यक्ष
2- मोहम्मद कमर अहमद सदस्य
यूनाइटेड टायर्स एशोसिएट्स, 63 सिविल लाइंस, चैपला रोड, बरेली द्वारा पार्टनर अनन्त बीर सिंह ।
............परिवादी
बनाम
1. दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0, ब्रांच आफिस, सी0बी0गंज, निकट कविशा मोटर्स, रामपुर रोड, बरेली द्वारा सीनियर ब्रांच मैनेजर ।
2. इफ्को टोक्यो जनरल इंश्योरंेस कं0लि0, ब्रांच आफिस, 148 सिविल लाइंस, अपोजिट डी0एम0 रेजीडेंस, बरेली द्वारा ब्रांच मैनेजर ।
3. नदीम मियाॅ पुत्र मोहम्मद यामीन, निवासी कसाई टोला, सैलानी रोड, पुराना शहर, बरेली ।
.............विपक्षीगण
निर्णय
परिवादी यूनाइटेड टायर्स एशोसिएट्स की ओर से भागीदार श्री अनन्त बीर सिंह की ओर से यह परिवाद विपक्षीगण दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0 व अन्य के विरूद्व इस आशय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षीगण से प्रश्नगत व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन के मूल्य के रूप में अंकन रू0 8,91,250/- का भुगतान मय ब्याज के कराया जाये तथा आय के नुकसान के संदर्भ में क्षतिपूर्ति में अंकन 05 लाख रूपये और मानसिक एवं आर्थिक क्षति के रूप में अंकन दो लाख रूपये तथा वाद व्यय के रूप में अंकन 2200/- का भुगतान कराया जाये ।
संक्षेप में परिवादी का कथन है कि परिवादी एक पार्टनरशिप फर्म है, जो जो टायर ट्यूब की बिक्री और वाहनों के व्हील बैलेसिंग और व्हील एलाइनमेंट का कार्य करती है । परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 1 से एक फायर पाॅलिसी सं0 420607/11/00000232 प्राप्त की गयी थी, जो दिनांक 25.07.09 से 24.07.10 तक वैध एवं प्रभावी थी । विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी को यह आश्वासन दिया गया था कि बीमित अवधि में व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन में किसी प्रकार की भी क्षति होने पर यह बीमा पालिसी प्रभावी होगी । विपक्षी सं0 1 द्वारा उपरोक्त बीमा किये जाने के उपरांत बीरमा पालिसी की शर्तांे एवं नियमों के संदर्भ में कोई भी जानकारी परिवादी को नहीं दी गयी । दिनांक 13.07.2010 को नीरज पुत्र रघुवीर द्वारा कार सं0 यू0पी0 25 ए.सी./9924 से परिवादी की दुकान पर आये और दुर्भाग्यवश कार द्वारा व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन को टक्कर मार दी, जिसके फलस्वरूप उक्त दोनों मशीनें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गयीं और करीब अंकन रू0 8,91,250/- का नुकसान हुआ । इस दुर्घटना की सूचना तत्काल ही थाना कोतवाली को दी गयी और साथ ही साथ विपक्षी सं0 1 को भी सूचना भेजी गयी । कार सं0 यू0पी0 25 ए.सी./9924 का बीमा विपक्षी सं0 2 द्वारा किया गया था, जो दिनांक 17.03.10 से 16.03.11 तक की अवधि के लिए वैध एवं प्रभावी था । विपक्षी सं0 1 द्वारा सूचना प्राप्त होने के उपरांत श्री हरिओम गुप्ता को सर्वेयर नियुक्त किया गया, जिनके द्वारा अनेकों अभिलेख माॅगे गय और परिवादी द्वारा सभी अभिलेख सर्वेयर को उपलब्ध करा दिये गये । परिवादी की व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गयीं और उनकी मरम्मत कराया जाना संभव नहीं था । विपक्षी सं0 1 द्वारा बीमा क्लेम का निस्तारण काफी दिनों तक नहीं किया गया और दिनांक 21.06.11 के पत्र के द्वारा बीमा क्लेम को इस आधार पर निरस्त कर दिया गया क्योंकि परिवादी को जो क्षति हुई है वह बीमा पालिसी के अंतर्गत आहरित नहीं है । इस प्रकार विपक्षी सं0 1 द्वारा गलत इरादे से असत्य कथनों के आधार के फलस्वरूप बीमा क्लेम को निरस्त किये जाने में अनुचित व्यापार प्रथा अपनायी गयी और बीमा क्लेम का भुगतान नहीं किया गया । इस संदर्भ में विपक्षी सं0 1 को अनेकांे पत्र भेजे गये और दिनांक 07.09.11 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से रजिस्टर्ड नोटिस भी भेजी गयी, परन्तु कोई प्रभाव नहीं हुआ । विपक्षी सं0 2 द्वारा भी क्षतिपूर्ति का कोई भुगतान नहीं किया गया और इस प्रकार परिवादी को मानसिक एवं आर्थिक क्षति पहुॅंची । तदनुसार परिवादी द्वारा यह परिवाद योजित किया गया है ।
विपक्षी सं0 1 द्वारा प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए यह कथन प्रस्तुत किया गया कि बीमा पालिसी के अंतर्गत व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन का जो जोखिम अग्नि से हुई क्षति में हुआ वह आवरित था, परिवादी का यह कथन असत्य है कि उपरोक्त वर्णित मशीनों में किसी भी प्रकार का जोखिम होने की दशा में बीमा पालिसी आवरित होगी । प्रश्नगत बीमित मशीनों का प्रयोग परिवादी द्वारा व्यवसायिक उद्देश्य से किया जा रहा था, जिसके कारण परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पोषणीय नहीं है । बीमा अवधि के अंदर जो भी जाखिम अग्नि से आवरित था, उसमें टायर ट्यूब, बैटरी का स्टाॅक, फर्नीचर, फ्रिक्चर, फिटिंग, इमारत व उसके तीन तल, प्लाट व मशीनरी, ग्राहकों के पुराने टायर एवचं जनरेटर सेट, फ्रिज व तीन कम्प्यूटर सम्मिलित थे । परिवादी द्वारा दिनांक 18.07.10 को थाना कोतवाली में उपरोक्त घटना के संदर्भ में लिखित सूचना दी गयी और यह बताया गया कि कार सं0 यू0पी0 25 ए.सी./9924 को तेजी व लापरवाही चलाते हुए मशीनों को टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त किया गया था । विपक्षी सं0 1 द्वारा सूचना प्राप्त होने के बाद हरिओम गुप्ता को सर्वेयर नियुक्त किया गया । सर्वेयर द्वारा अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि क्षति अग्नि द्वारा नहीं घटित हुई है, जिसके कारण बीमा पालिसी के अंतर्गत आवरित नहीं है । विपक्षी सं0 1 द्वारा निर्गत बीमा पालिसी मात्र अग्नि से हुई क्षति का जोखिम को आवरित करती है । परिवादी की उक्त मशीनों में जो भी क्षत कार सं0 यू0पी0 25 ए.सी./9924 की टक्कर के कारण पहुॅंची है, उसका आवरण कार से सम्बन्धित् बीमा पालिसी में ही निहित था । विपक्षी सं0 1 द्वारा अपनी सेवाओं में कोई त्रुटि नहीं की गयी है, परिवाद निरस्त होने योग्य है ।
विपक्षी सं0 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए यह कथन प्रस्तुत किया गया कि परिवाद असत्य कथनों पर आधारित है, जो पोषणीय नहीं है । परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है और न ही परिवाद फोरम के समक्ष पोषणीय है । परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 2 को अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया गया है और उक्त दुर्घटना किसी भी पब्लिक प्लेस पर घटित नहीं हुई है । परिवाद में काफी विविधता पूर्ण बिन्दुओं का सम्मिलित होना पाया जाता है, जिनका निर्धारण केवल सिविल कोर्ट के द्वारा ही होना संभव है । परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 2 को उपरोक्त घटना के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं दी गयी । विपक्षी सं0 2 द्वारा सेवाओं में कोई त्रुटि नहीं की गयी है और न ही विपक्षी सं0 2 के कारण परिवादी को मानसिक एवं आर्थिक क्षति पहुॅंचायी गयी है । परिवाद परिसीमा अवधि से बाधित है और विलम्ब को क्षमा किये जाने हेतु कोई भी प्रार्थना नहीं की गयी है । वर्तमान मामले में थर्ड पार्टी क्षति का सम्मिलित होना पाया जाता है, जिसके संदर्भ में फोरम को कोई भी अधिकार नहीं है और थर्ड पार्टी के अंतर्गत बीमा क्लेम प्राप्त किये जाने हेतु परिवाद फोरम के क्षेत्राधिकार से बाहर है । इस संदर्भ में केवल सिविल कोर्ट के समक्ष ही परिवाद योजित किया जा सकता है । परिवादी द्वारा परिवाद असत्य कथनों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है और जो भी क्षतिपूर्ति की धनराशि बतायी गयी है वह किसी भी गणना पर आधारित नहीं है । परिवादी की ओर से योजित परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है ।
विपक्षी सं0 3 की ओर से प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए यह कथन प्रस्तुत किया गया कि विपक्षी सं0 3 से कोई भी क्षतिपूर्ति की धनराशि क्लेम नहीं की गयी है । विपक्षी सं0 3 को अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया गया है । विपक्षी सं0 3 की कार सं0 यू0पी0 25 ए.सी./9924 विपक्षी सं0 2 द्वारा बीमित थी और यह बीमा पालिसी दिनांक 17.03.10 से 16.03.11 तक वैध एवं प्रभावी थी । अतः उपरोक्त दुर्घटना के लिए बीमा कं0 ही उत्तरदायी है । परिवाद परिसीमा अवधि से बाधित है । प्रस्तुत परिवाद में परिवादी व विपक्षी सं0 1 के मध्य विवाद है, जिसके कारण विपक्षी सं0 3 के विरूद्व परिवाद निरस्त होने योग्य है ।
परिवादी की ओर से शपथपत्र साक्ष्य 27/1 लगायत 27/15 पस्तुत की गयी है एवं रिज्वाइंडर शपथपत्र 40/2 लगायत 40/13 प्रस्तुत किया गया है । इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की छाया प्रति 7/1 लगायत 7/11 प्रस्तुत की गयी है और थाना अध्यक्ष, कोतवाली को घटना के संदर्भ में भेजे गये सूचना पत्र की छाया प्रति 7/13, परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 1 को भेजे गये रजिस्टर्ड नोटिस की छाया प्रति 7/14 लगायत 7/15, डाक रसीद की छाया प्रति 7/16 ाप्रस्तुत की गयी है । इसके अतिरिक्त सूची 28 के माध्यम से व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन को क्रय जाने से सम्बन्धित् रसीदों की छाया प्रतियां 29/1 व 29/2, कार के पंजीकरण प्रमाण पत्र की छाया प्रति 29/31, बीमा कवरनोट की छाया प्रति 29/4, चालक के ड्राइविंग लाईसेंस की छाया प्रति 29/5, बीमा पालिसी की शर्तों एवं नियमों की छाया प्रति 29/6 लगायत 29/19, तहरीरी रिपोर्ट की छाया प्रति 29/20, परिवादी द्वारा सर्वेयर को भेजे गये पत्र की छाया प्रति 29/21 और दुर्घटना से सम्बन्धित् फोटो 29/22 लगायत 29/37, परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 1 को भेजे गये पत्र की छाया प्रति 29/39 व 29/40 प्रस्तुत किये गये हैं । इसके अतिरिक्त मरम्मत से सम्बन्धित् स्टीमेट की छाया प्रति अभिलेख सं0 52 प्रस्तुत किया गया है ।
विपक्षी सं0 1 की ओर से साक्ष्य शपथपत्र 38/1 लगायत 38/3, सर्वे रिपोर्ट की छाया प्रति 39/1, बीमा पालिसी की छाया प्रति 39/2 लगायत 39/5 प्रस्तुत किये गये हैं । विपक्षी सं0 2 की ओर से साक्ष्य शपथपत्र 36/1 लगायत 36/6 प्रस्तुत किये गये हंै ।
पक्षगण अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
निष्कर्ष
उपरोक्त आधार पर यह स्पष्ट है कि परिवादी फर्म के व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन को विपक्षी सं0 3 द्वारा कार सं0 यू0पी0 25 ए.सी./9924 से टक्कर मारते हुए दिनांक 13.07.10 को क्षतिग्रस्त कर दी गयीं, जिसके फलस्वरूप व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गयीं, जिनकी मरम्मत कराया जाना भी संभव नहीं रह गया परिवादी द्वारा इस दुर्घटना की सूचना थाना कोतवाली में दी गयी और साथ ही साथ विपक्षी सं0 1 को भी सूचित किया गया । परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 1 से एक फायर पालिसी सं0 420607/11/00000232 प्राप्त की गयी थी, जो दिनांक 25.07.09 से 24.07.09 तक वैध एवं प्रभावी थी । उपरोक्त दुर्घटना जिस कार के द्वारा घटित हाुई वह भी विपक्षी सं0 2 द्वारा वैधानिक रूप से बीमित थी । परन्तु विपक्षी सं0 2 के संदर्भ में उपरोक्त दुर्घटना के फलस्वरूप थर्ड पार्टी क्षति के रूप में क्लेम माॅगा गया है, जो फोरम के क्षेत्राधिकार मंे नहीं है और थर्ड पार्टी बीमा पालिसी के संदर्भ में केवल सिविल कोर्ट के समक्ष ही परिवाद योजित किया जा सकता है । अतः वर्तमान मामले में विपक्षी सं0 2 बीमा कं0 के दायित्व के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की विवेचना किये जाने का कोई औचित्य उत्पन्न नहीं होता है । वर्तमान मामले में परिवादी द्वारा ली गयी फायर पालिसी ही महत्वपूर्ण है, जो दुर्घटना के समय वैध एवं प्रभावी थी और बीमा अवधि में ही दुर्घटना घटित हुई । विपक्षी सं0 1 द्वारा दुर्घटना की सूचना प्राप्त होने के उपरांत हरिओम गुप्ता को सर्वेयर नियुक्त किया गया, परन्तु उनके द्वारा यह आख्या प्रस्तुत की गयी कि प्रश्नगत क्षति अग्नि के द्वारा घटित नहीं हुई है, इस कारण फायर पालिसी के अंतर्गत बीमा क्लेम आवरित नहीं है । विपक्षी सं0 1 बीमा कं0 द्वारा भी सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर ही बीमा क्लेम निरस्त कर दिया गया । इस प्रकरण में परिवादी की ओर से बीमा पालिसी की शर्तों एवं नियमों की छाया प्रति अभिलेख सं0 29/6 लगायत 29/19 प्रस्तुत की गयी है, जिनके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि उपरांक्त बीमा पालिसी जिस जोखिम के संदर्भ में आवरित होना बताई जाती है, उसमें अग्नि से क्षति होने के अतिरिक्त अनेकों प्रकार से होने वाली क्षति सम्मिलित है और इस सूची में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि रेल या रोड वाहन द्वारा अथवा किसी जानवर द्वारा भी बीमित वस्तु को क्षति पहुॅंचायी जाती है,े तो वह भी बीमा पालिसी के अंतर्गत आवरित है । बीमा पालिसी के नियमों के अंतर्गत इम्पैक्ट डैमेज भी सम्मिलित है और यह इम्पैक्ट डैमेज किसी भी रेल/रोड वाहन या एनीमल के माध्यम से पहुॅंचायी गयी हो, तो वह बीमा पालिसी में सम्मिलित होना बतायी गयी है । ऐसी परिस्थिति में यह स्पष्ट है कि विपक्षी सं0 1 के सर्वेयर द्वारा बीमा पालिसी के नियमों पर विचार किये बगैर केवल फायर पालिसी के नाम से आकर्षित होकर गलत आख्या प्रस्तुत की गयी और विपक्षी सं0 1 बीमा कं0 द्वारा भी बिना व्यापक जाॅंच किये हुए केवल सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर बीमा क्लेम को अनुचित रूप से निरस्त कर दिया गया । इस प्रकार विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी के प्रति अनुचित व्यापार प्रथा अपनाते हुए परिवादी को मानसिक एवं आर्थिक क्षति पहुॅंचायी गयी है ।
इस प्रकार उपरोक्त बीमा पालिसी के नियमों के अनुरूप यह तो स्पष्ट है कि यदि किसी रेल अथवा रोड वाहन द्वारा इम्पैक्ट या टक्कर द्वारा बीमित वस्तु को क्षति पहुॅंचायी जाती है, तो वह बीमा पालिसी के अंतर्गत आवरित है । वर्तमान मामले में भी कार सं0 यू0पी0 25 ए.सी. /9924 द्वारा ही टक्कर मारकर परिवादी की बीमा पालिसी के अंतर्गत कवर मशीनों को क्षतिग्रस्त किया गया है, जिसके कारण परिवादी की मशीनों को पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त किये जाने के संदर्भ में जो भी क्षति हुई है, उसके लिए विपक्षी सं0 1 ही उत्तरदायी है । परिवादी की ओर से सशपथ यह साबित किया गया है कि उपरोक्त दुर्घटना के फलस्वरूप व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त (ज्वजंस स्वेे) हो गयीं, जिसके फलस्वरूप परिवादी को अंकन रू0 8,91,250/- का नुकसान हो गया । परिवादी के अधिवक्ता की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि यद्यपि परिवादी द्वारा मशीनों की मरम्मत कराये जाने हेतु स्टीमेट प्राप्त किया गया, परन्तु व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन इतनी सेन्सिटिव होती हैं और इतनी सूक्ष्म विधि से उनके द्वारा कार्य किया जाता है, जो कि मरम्मत के उपरांत भी ठीक होना संभव नहीं था और मरम्मत के बाद भी मशीनों द्वारा उस प्रकार से परिणाम देना संभव नहीं था, जैसा कि मशीनों द्वारा व्हील बैलेसिंग और व्हील एलाइनमेंट किया जाता । विपक्षी सं0 1 के अधिवक्ता की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि मशीनों के पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने के संदर्भ में केाई विशेषज्ञ रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गयी है और परिवादी द्वारा स्वंय ही मशीनांे की मरम्मत कराये जाने का स्टीमेट प्राप्त किया गया, परन्तु उसके द्वारा मशीनों की मरम्मत नहीं करायी गयी, जिसके कारण परिवादी बीमा क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । इस संदर्भ मंे यह स्पष्ट है कि जहाॅंतक मशीनों की मरम्मत न कराये जाने का प्रश्न है, उसका स्पष्टीकरण परिवादी द्वारा दिया गया है और यह स्पष्ट किया गया है कि क्षतिग्रस्त मशीनंे इतनी सेन्सिटिव और उनकी कार्य क्षमता इतनी सूक्ष्म एवं तकनीकी युक्त है, जिनसे मरम्मत के उपरांत भी सफल परिणाम पाना संभव नहीं है और इसी कारण मशीनों को मरम्मत योग्य नहीं पाया गया । परिवादी द्वारा अपने कथनों की पुष्टि और मशीनों के पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने के संदर्भ में शपथपत्र साक्ष्य प्रस्तुत किया है, जिसके विरोध में विपक्षीगण की ओर से कोई भी साक्ष्य पत्रावली पर दाखिल नहीं की गयी है । परिवादी द्वारा स्पष्ट रूप से साबित किया गया है कि व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन को कार द्वारा टक्कर मारे जाने के कारण पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया गया, जो मरम्मत योग्य भी नहीं थीं । ऐसी परिस्थिति में यह स्पष्ट है कि परिवादी को उपरोक्त मशीनों के संदर्भ में अंकन रू0 8,91,250/- की वास्तविक क्षति हुई है, जिसके लिए विपक्षी सं0 1 ही उत्तरदायी है । परिवादी की ओर से शपथपत्र साक्ष्य के अतिरिक्त उपरोक्त तर्क के संदर्भ में फोटोग्राफ भी दाखिल किये गये हैं और पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए यह साबित किया गया है कि व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन को पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त किया गया । विपक्षी सं0 1 की ओर से अपने प्रतिवाद पत्र व शपथपत्र साक्ष्य में ही स्वीकार किया गया है कि बीमा पालिसी के अंतर्गत प्लांट व मशीनरी भी सम्मिलित थी । ऐसी परिस्थिति में परिवादी द्वारा करायी गयी अग्नि बीमा पालिसी उपरोक्त मशीनों में आयी क्षति को आवरित करती है तदनुसार विपक्षी सं0 1 ही मशीनों के पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने के सम्बन्ध में परिवादी को जो भी क्षति हुई है, उसके क्लेम का भुगतान किये जाने हेतु उत्तरदायी पाया जाता है । परिवादी की ओर से उपरोक्त क्षति संदर्भ में व्हील बैलेसिंग मशीन और व्हील एलाइनमेंट मशीन की क्रय रसीदों को भी प्रस्तुत किया गया है, जिसके आधार पर यह स्पष्ट है कि परिवादी को अंकन रू0 8,91,250/- की क्षति हुई है और परिवादी बीमा क्लेम के रूप में इस धनराशि को प्राप्त करने का अधिकारी है ।
परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 1 के माध्यम से बीमा क्लेम का भुगतान न किये जाने के कारण व्यापार में जो क्षति हुई, उसके संदर्भ में अंकन पाॅंच लाख रूपये की धनराशि का भुगतान चाहा गया है, परन्तु हमारे विचार से यह काफी अधिक है । यह सही है कि मशीनों के पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण परिवादी का व्यापार प्रभावित रहा और उसे क्षति हुई, परन्तु विपक्षी सं0 1 द्वारा बीमा क्लेम का भुगतान न किये जाने के आधार पर परिवादी को अधिकतम अंकन रू0 50,000/- क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान किया जाना ही उचित पाया जाता है । परिवादी द्वारा मानसिक एवं आर्थिक क्षति व वाद व्यय के संदर्भ में अंकन रू0 2,02,200/- का भुगतान चाहा गया है, जो हमारे विचार से काफी अधिक है । इस संदर्भ मंे भी परिवादी मानसिक, आर्थिक क्षति व वाद व्यय के रूप में अंकन रू0 25,000/- का भ्ुागतान प्राप्त करने का अधिकारी पाया जाता है । इस प्रकार परिवादी कुल अंकन रू0 9,66,250/- की धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी है, और पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मशीनों को विपक्षी सं0 1 को प्राप्त करायेगा, तदनुसार परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है ।
आदेश
परिवादी की ओर से योजित परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है । विपक्षी सं0 1 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को बीमा क्लेम के रूप में अंकन रू0 8,91,250/- एवं आय की क्षति के रूप में अंकन रू0 50,000/- और मानसिक एवं आर्थिक क्षति तथा वाद व्यय के रूप मंे अंकन रू0 25,000/- अर्थात् कुल अंकन रू0 9,66,250/- का भुगतान एक माह के अन्दर करेगा और पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मशीनों को परिवादी से अपने कब्जे में प्राप्त करेगा अन्यथा परिवादी को यह अधिकार होगा कि वह उपरोक्त धनराशि मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से परिवाद योजित किये जाने की तिथि से भुगतान किये जाने की तिथि तक समस्त धनराशि की वसूलयाबी विपक्षी सं0 1 से फोरम के माध्यम से करेगा ।
( मोहम्मद कमर अहमद ) ( बृजेश चन्द्र सक्सेना )
सदस्य अध्यक्ष
यह निर्णय आज दिनांक 19.05.2017 को हमारे द्वारा हस्ताक्षरित करके खुले फोरम में उद्घोषित किया गया ।
( मोहम्मद कमर अहमद ) ( बृजेश चन्द्र सक्सेना )
सदस्य अध्यक्ष