Uttar Pradesh

StateCommission

A/1425/2019

Mukesh Kumar Sharma - Complainant(s)

Versus

The Manager/General Manager M/S J P electronics - Opp.Party(s)

Rajesh Kumar & Shikhar

25 Jun 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1425/2019
( Date of Filing : 13 Dec 2019 )
(Arisen out of Order Dated 19/11/2019 in Case No. C/247/2015 of District Gautam Buddha Nagar)
 
1. Mukesh Kumar Sharma
C-613, Sec.-19 Noida Gautam Buddha Nagar 201301Noida
...........Appellant(s)
Versus
1. The Manager/General Manager M/S J P electronics
Sony Authorized Service Centre C-54 Ground Floor Sector 2 Noida U.P.Noida
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Jun 2024
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्या 1425 सन 2019  

 

मुकेश कुमार शर्मा सी-613, सेक्‍टर-19 नोयडा।

 ..................   अपीलार्थी

-बनाम-

दि मैनेजर/जनरल मैनेजर मेसर्स जे0 पी0 इलेक्‍ट्रानिक्‍स, सोनी अथराइज्‍ड सर्विस सेन्‍टर सी-54 ग्राउन्‍ड फ्लोर सेक्‍टर-2 नोयडा, उत्‍तर प्रदेश एवं एक अन्‍य।

   ......................प्रत्यर्थीगण

 

 

 समक्ष

मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष ।

 

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता  -  श्री राजेश कुमार

प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता     श्री देवांश भारद्धाज

 

दिनांक-28.06.2024

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित

निर्णय

 

प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्ता आयोग, गौतमबुद्ध गौतम बुद्ध नगर द्धारा परिवाद संख्या 247 सन 2015 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.11.2019 के विरुद योजित की गयी है।

संक्षेप में, परिवाद पत्र के कथनानुसार परिवादी ने एक सोनी टी०वी० वर्ष 2012 में क्रय किया था। एक वर्ष की अवधि के पश्चात वारंटी अवधि में ही क्रय शुदा टी०वी० खराब हो गयी। परिवादी ने इंजीनियर को दिखाया तत्‍पश्‍चात इंजीनियर ने कहा कि इसकी सर्विस व मरम्मत की जायेगी और कुछ पाटर्स बदले जायेगें तथा उसने रू0 21,000/- का खर्च बताया।

परिवादी ने लेवर चार्ज व आने जाने का खर्च रू0 10,000/- विपक्षी के इंजीनियर को दिनांक 06.11.2014 को दिया और रसीद प्राप्‍त की। सुशान्त नामक व्यक्ति ने मरम्‍मत शुदा टी०वी० प्राप्त किया और सर्विस हेतु जॉब शीट दिनांक 24.12.2014 को तैयार कर परिवादी को दिया। दो घण्टे बाद परिवादी को यह सूचना दी गयी कि उसके टी०वी० की मरम्‍मत नहीं हो सकती क्‍योंकि टी0 बी0 पूर्ण रूप से खराब हो गयी है।

विपक्षीगण ने परिवादी से यह भी कहा कि नई टी०वी० क्रय करने पर उसे 25 प्रतिशत का डिस्काउन्ट दिया जायेगा। विपक्षीगण का यह कार्य सर्वथा अनुचित था। विपक्षीगण का यह दायित्व था कि वह परिवादी के टी०वी० की मरम्‍मत करें। परिवादी ने विपक्षीगण को एक विधिक नोटिस अपने अधिवक्ता के माध्यम से भेजा लेकिन टी०वी० सही करके नहीं दिया गया। विपक्षीगण का यह कृत्य सेवा में कमी को दर्शाता है।

विपक्षीगण ने अपने जवाबदावा दिनांक 5.3.2016 में कहा है कि विधि का सर्वमान्य सिद्धान्त है कि जहाँ पर परिवादी किसी भी मशीन में डिफेक्ट अथवा त्रुटि होना दर्शाना बताता है, वहाँ पर त्रुटि को सिद्ध करने का भार परिवादी पर है, और यह त्रुटि सिद्ध करने के लिए एक्सपर्ट रिपोर्ट का होना आवश्यक है।

विपक्षी की पूरे देश में अच्छी ख्याती है। टी०वी० को बिक्रय करने के पूर्व उसकी कई बार जॉच की जाती है, और यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसमें कोई त्रुटि तो नहीं है। परिवादी को टी०वी० अच्छी दी गई थी। परिवादी ने यूजर्स मैनूअल के नियम का सही प्रकार से पालन न करते हुए टी०वी० को गलत तरीके से प्रयोग किया, जिसके कारण टी0 वी0 में खराबी आयी। परिवादी को नया टी०वी० देने की भी पेशकस की गयी थी और इस आधार पर की गयी थी कि 25 प्रतिशत का डिस्काउन्ट कर दिया जायेगा, लेकिन परिवादी ने कोई रुचि नहीं दिखायी और गलत तथ्यों के आधार पर टी0 वी0 दो वर्ष प्रयोग करने के पश्चात यह परिवाद दाखिल किया है।

विद्वान जिला आयोग ने उभय पक्ष को सुनने, पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य के परीक्षण करने के उपरान्‍त परिवादी का परिवाद, विपक्षी के विरूद्ध निरस्‍त कर दिया।

उक्‍त आदेश से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत अपील परिवादी द्वारा योजित की गयी है।

अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला आयोग का निर्णय साक्ष्‍य एवं विधि के विरूद्ध तथा दोषपूर्ण है। अपील स्‍वीकार कर जिला आयोग का निर्णय व आदेश समाप्‍त करते हुए परिवाद स्‍वीकार किया जाए ।

     मैने उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क विस्‍तार से सुने एवं पत्रावली का सम्‍यक अवलोकन किया।

          अपीलार्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि उसने सोनी की टी0 वी0 विपक्षी से क्रय किया था जो वारंटी अवधि में खराब हो गई। विपक्षी से शिकायत करने पर विपक्षी द्धारा भेजे गये इंजीनियर ने खराब टी0 वी0 के पार्टस, लेबर चार्ज आदि हेतु रू0 21,000/-का खर्च बताया जिसमे से रू0 10,000/- परिवादी ने दिनांक 06.11.2014 को विपक्षीगण के यहां जमा कर दिया परन्‍तु परिवादी की टी0 वी0 न तो ठीक की गई न ही वापस की गई।

     इसके विपरीत विपक्षीगण का मात्र इतना ही कथन है कि टी0 वी0 के त्रुटि को सिद्ध करने का भार परिवादी पर है जिसके लिये एक्‍सपर्ट रिपोर्ट की आवश्‍यकता होती है। बिना एक्‍सपर्ट आख्‍या के यह नहीं कहा जा सकता कि परिवादी की टी0 वी0 में कोई दोष था।

     पक्षकारों को यह स्‍वीकृत तथ्‍य है कि परिवादी ने सोनी टी0 वी0 विपक्षीगण से क्रय की थी। टी0 वी0 खराब होने के उपरान्‍त मरम्‍मत तथा आने जाने के व्‍यय व लेबर चार्ज हेतु रू0 10,000/-एडवान्‍स में परिवादी द्धारा विपक्षीगण के यहां दिनांक 06.11.2014 को जमा किया जाना भी उभय पक्षों को स्‍वीकार है।  

     पत्रावली पर उपलब्ध विपक्षी द्धारा जारी रसीद संख्‍या 10419 के अवलोकन से यह पुष्‍ठ होता है कि टी0 बी0 मरम्‍मत हेतु परिवादी ने विपक्षी के सर्विस सेन्‍टर में रू0 10,000/- दिनांक 06.11.2014 को जमा किया था। विपक्षीगण/प्रत्‍यर्थी द्धारा रू0 10,000/- के भुगतान प्राप्‍त करने से इंकार नहीं किया गया है और न ही यह कहा गया है कि परिवादी की टी0 वी0 खराब नहीं थी बल्कि विपक्षी द्धारा वादोत्‍तर में परिवादी को नई टी0 वी0 25 प्रतिशत डिसकाउन्‍ट पर उपलब्‍ध कराने का कथन किया गया है। परिवादी द्धारा दाखिल जॉब कार्ड से यह पुष्‍ठ होता है कि दिनांक 24.12.2014 को विपक्षी के सर्विस सेन्‍टर द्धारा परिवादी के टी0 वी0 को मरम्‍मत हेतु ले जाया गया।

     टी0 वी0 मरम्‍मत के उपरान्‍त विपक्षी द्धारा परिवादी को प्राप्‍त कराये जाने का न तो कोई अभिलेख पत्रावली पर उपलब्‍ध है और न ही विपक्षीगण द्धारा सशपथ यह कथन किया गया है प्रश्‍नगत टी0 वी0 परिवादी को दे दी गई है। ऐसे में यह माना जायेगा कि प्रश्‍नगत टी0 वी0 अभी भी विपक्षीगण/प्रत्‍यर्थी के पास मौजूद है।

     विपक्षीगण के अधिवक्‍ता द्धारा तर्क के दौरान यह कथन किया गया कि परिवादी ने टी0 वी0 की त्रुटि को सिद्ध करने हेतु कोई तकनीकी जांच नहीं करायी थी। यहां यह उल्‍लेखनीय है कि प्रश्‍नगत टी0 वी0 के खराब होने पर परिवादी द्धारा विपक्षीगण के आथराइज्‍ड सर्विस सेन्‍टर पर शिकायत की गई जिसकी जांच हेतु विपक्षीगण ने अपने इंजीनियर को भेजा। इंजीनियर द्धारा टी0 वी0 में पार्टस बदलने तथा आने जाने का खर्च व लेबर चार्ज के रूप में परिवादी से रू0 21,000/- जमा कराये जाने हेतु कहा जिसके विरूद्ध परिवादी द्धारा रू0 10,000/- जमा किये जिसकी रसीद पत्रावली पर उपलब्‍ध है। परिवादी के घर से टी0 वी0 मरम्‍मत हेतु ले जाये जाने का जॉब कार्ड दिनांक 14.12.2014 भी पत्रावली पर मौजूद है।

     तदनुसार मेरे मतानुसार विपक्षीगण ने परिवादी के खराब टी0 वी0 की जांच करने के उपरान्‍त ही मरम्‍मत हेतु रू0 10,000/-का भुगतान एडवान्‍स में प्राप्‍त किया है। ऐसे में विपक्षीगण का यह तर्क कि परिवादी ने टी0 वी0 की त्रुटि हेतु तकनीकी विशेषज्ञ जांच नहीं करायी, आधारहीन है।    

     मेरे मतानुसार परिवादी की टी0 बी0 खराब होना तथा उसे विपक्षीगण द्धारा मरम्‍मत हेतु ले जाया जाना एवं मरम्‍मत के उपरान्‍त टी0 वी0 पुन: परिवादी को प्राप्‍त न होना पुष्‍ठ है। ऐसे में विद्धान जिला आयोग द्धारा इस बिन्‍दु पर विचार न करके त्रुटि कारित की गई है। परिणामत: जिला आयोग द्धारा पारित निर्णय एवं आदेश निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     प्रश्‍नगत प्रकरण में यह भी उल्‍लेखनीय है कि अपील के स्‍तर पर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को नोटिस जारी की गई लेकिन प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्धारा उपस्थित होने के उपरान्‍त कई बार अनावश्‍यक रूप से परिवाद में पारित आदेशों का उल्‍लघंन करने के फलस्‍वरूप उस पर दिनांक 02.05.2024 को रू0 20,000/-का हर्जाना योजित किया गया जिसका भुगतान विपक्षीगण/प्रत्‍यर्थी द्धारा अपीलार्थी/परिवादी को आज तक नहीं किया गया है ऐसे में अपीलार्थी/परिवादी उक्‍त हर्जाना भी प्राप्‍त करने का अधिकारी है।

     तदनुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है जिला आयोग द्धारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.11.2019 अपास्‍त करते हुये एतदद्धारा विपक्षीगण/प्रत्‍यर्थी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रश्‍नगत टी0 वी0 का क्रय मूल्‍य एवं मरम्‍मत के संबंध में प्राप्‍त की गई धनराशि रू0 10,000/- (रूपये दस हजार) परिवाद प्रस्‍तुत करने की दिनांक से अदायगी की तिथि तक 06 (छह) प्रतिशत ब्‍याज सहित दो माह के अंदर अपीलार्थी/परिवादी को अदा करें। उक्‍त के अतिरिक्‍त मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक नुकसान के मद में विपक्षीगण द्धारा परिवादी को रू0 50,000/-(रूपये पचास हजार) हर्जाना भी देय होगा।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण दिनांक 02.05.2024 को न्‍यायालय द्धारा हर्जे के रूप में अधिरोपित धनराशि रू0 20,000/- (रूपये बीस हजार) का भुगतान भी अपीलार्थी/परिवादी को उक्‍त अवधि में अदा करें।

उपरोक्‍त समस्‍त धनराशि दो माह की अवधि में विपक्षीगण द्धारा परिवादी को प्राप्‍त नहीं करायी जावेगी तब उस स्थिति में संपूर्ण धनराशि पर 10 (दस) प्रतिशत ब्‍याज की देयता अपील प्रस्‍तुत किये जाने की तिथि से भुगतान की तिथि तक देय होगी।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार अपलोड करें।

           

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

  

 

 

 

 

रंजीत, पी.ए.

कोर्ट सं.-01

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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