राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-212/2024
मैसर्स साहू लैण्ड डेवलपर्स प्रा0लि0, कारपोरेट ऑफिस स्थित साहू थिएटर बिल्डिंग, हजरतगंज, लखनऊ व एक अन्य
बनाम
1- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, द्वितीय लखनऊ।
2- श्रीमती नीलम देवी पत्नी श्री रमाकान्त, निवासी 568 खा/340सी, गीता पल्ली, आलमबाग, फेस-।।।, जिला-लखनऊ।
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थीगण के अधिवक्ता : श्री संजय श्रीवास्तव
प्रत्यर्थी/परिवादिनी के अधिवक्ता : श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव
दिनांक :- 01.8.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थीगण/मैसर्स साहू लैण्ड डेवलपर्स प्रा0लि0 की ओर से इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-86/2022 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09.01.2024 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी
द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के प्रोजेक्ट में भूखण्ड के आबंटन हेतु प्रार्थना पत्र के माध्यम से आवेदन किया था एवं उक्त भूखण्ड की कुल धनराशि 8,64,000/- थी, जिसे 12,000/-रू0 प्रतिमाह की किश्त पर दिनांक 03.6.2021 तक जमा करना था। अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी को निल डेट व निल अलॉटमेन्ट के माध्यम से एक भूखण्ड आवंटित किया गया तथा प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा उपरोक्त वर्णित धनराशि 8,64,000/-रु0
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उक्त भूखण्ड हेतु अपीलार्थी/विपक्षीगण के यहाँ जमा करा दी गई। अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी को आश्वासन दिया गया कि वह निर्धारित समयावधि के भीतर योजना से संबंधित विकास के सभी कार्य पूरा करायेगा। परन्तु उपरोक्त वर्णित धनराशि जमा करने के बावजूद भी अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा निर्धारित समयावधि के अन्दर प्रत्यर्थी/परिवादिनी को कब्जा नहीं दिया गया।
अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी को यह बताया गया था कि उक्त योजना से संबंधित भूमि पर उनका विधिक कब्जा है तथा सक्षम अधिकारी द्वारा योजना का अनुमोदन करा लिया गया था, जबकि अपीलार्थी/विपक्षीगण ने न तो इस योजना का अनुमोदन कराया और न ही विकास का कार्य किया। इसके पश्चात छः माह की अवधि के बीत जाने पर जब कोई विकास कार्य अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा उक्त भूमि पर निर्धारित समयावधि के भीतर नहीं किया गया, तब प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के कार्यालय में दिनांक 10.9.2021 को सम्पर्क किया गया, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा उसको योजना के संबंध में कोई भी सूचना नहीं दी गयी, तब प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा दिनांक 01.10.2021 को एक प्रार्थना पत्र अपीलार्थी/विपक्षीगण के कार्यालय में भूखण्ड की रजिस्ट्री हेतु प्रेषित किया गया, जिसका कोई भी जवाब अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा नहीं दिया गया। इसके पश्चात पत्र दिनांक 09.12.2021 के माध्यम से प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण से अपनी जमा धनराशि की वापसी हेतु प्रार्थना की गयी, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
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परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि उपरोक्त वर्णित योजना में भूखण्ड के क्रय करने हेतु उसके द्वारा सम्पूर्ण धनराशि 8,64,000/-रू0 जमा करने के बावजूद भी अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा न तो कोई भूखण्ड का कब्जा दिया गया और न ही योजना से संबंधित कोई भी विकास कार्य पूरा किया गया। ऐसा करके अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी के प्रति सेवा में कमी की गयी है। अत्एव क्षुब्ध होकर परिवाद अपीलार्थी/विपक्षीगण से जमा धनराशि मय ब्याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कथन किया गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा उनके सीतापुर रोड, लखनऊ स्थित प्लाटिंग स्कीम में भूखण्ड के आवंटन हेतु आवेदन किया गया था। प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा स्कीम के नियम एवं शर्तों को समझकर और सहमत होकर भूखण्ड के आवंटन हेतु प्रार्थना पत्र पर हस्ताक्षर किये गये थे। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा उक्त योजना हेतु ग्राम शिवपुरी में जहाँ प्लाटिंग विकसित की गयी थी, जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादिनी को भूखण्ड उपलव्ध कराना गया था, वह यू0पी0 के जोत चकबंदी अधिनियम-1953 के प्रावधानों के अधीन चकबंदी कार्यवाही के तहत था, जिसके कारण अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा कोई भी विकास कार्य नहीं किया जा सका।
यह भी कथन किया गया कि जिस भूमि पर भूखण्ड काटे जाने है, उसके संबंध में यह हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है कि
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सक्षम प्राधिकारी द्वारा चकबंदी कार्यवाही पूरी की जाये ताकि विकास कार्य जल्दी से पूरा किया जा सके। यह भी कथन किया गया कि प्लाटिंग योजना का नक्शा जिला पंचायत द्वारा विधिवत अनुमोदित किया गया था तथा जिस भूमि में प्रत्यर्थी/परिवादिनी को भूखण्ड आवंटित किया जाना है, उस पर अपीलार्थी/विपक्षीगण का विधिवत कब्जा है। अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी की उपस्थिति में परियोजना के अन्य सदस्यों के साथ ही दिनांक 16.7.2022 को भूखण्ड के संबंध में एक ओपन लाट्री भी आयोजित की जा चुकी है तथा चकबंदी आपरेशन और विकास कार्य पूरा होने के बाद उनके द्वारा लाटरी ड्रा के परिपेक्ष्य में आवंटन पत्र जारी किये जायेंगे और प्रश्नगत भूखण्ड का कब्जा प्रत्यर्थी/परिवादिनी को दे दिया जायेगा।
यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा भुगतान की गयी धनराशि उनके पास शत-प्रतिशत सुरक्षित है और शीघ्र ही सारे विकास कार्य और सुविधाओं को पूर्ण करके अपीलार्थी/परिवादिनी को भूखण्ड का कब्जा दे दिया जायेगा। यह भी कथन किया गया कि योजना की शर्तों के अनुसार धनराशि के रिफण्ड का कोई भी प्रावधान नहीं है और प्रत्यर्थी/परिवादिनी भूखण्ड के हिस्से की हकदार है, जोकि उसे दिनांक 16.07.2022 के लाट्री ड्रा में आवंटित किया गया है। योजना के नियत व शर्तों के क्लाज-12 के अनुसार योजना का सदस्य योजना के कार्यकाल पूर्ण होने से पहले ही जमा धनराशि से 10 प्रतिशत की कटौती के बाद धन वापसी की हकदार है। इस प्रकार चकबंदी आपरेशन के कारण ही अपीलार्थी/विपक्षीगण प्रश्नगत प्लाट का कब्जा प्रत्यर्थी/परिवादिनी को निर्धारित समय के भीतर नहीं दे पाये। अतः
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अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी के प्रति सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। अस्तु प्रत्यर्थी/परिवादिनी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद, विपक्षी पक्ष के विरुद्ध, आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी पक्ष को एकल एवं संयुक्त रूप से आदेशित किया जाता है कि वे परिवादिनी को निर्णय की तिथि से 30 दिन के भीतर, उसकी जमा धनराशि 8,64,000/-रु0 मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवाद दाखिल करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक अदा करें। इसके अतिरिक्त विपक्षी पक्ष, परिवादिनी को मानसिक कष्ट हेतु 1,00,000/- रू0 व वाद व्यय हेतु -10,000/- रू0 भी उक्त अवधि में अदा करें। निर्धारित 30 दिन की अवधि में उक्त धनराशियों अदा न करने पर विपक्षी पक्ष, परिवादिनी को उक्त धनराशियों पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करने के दायी होंगे।
प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध करायी जाये।''
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्व्य को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
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मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रश्नगत योजना के अन्तर्गत नियम व शर्तों के अनुसार अपनी जमा धनराशि की वापसी हेतु अपीलार्थी/विपक्षीगण से पत्र के माध्यम से प्रार्थना भी की गयी, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी, जिससे स्पष्ट है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा स्वयं ही अपनी योजना से संबंधित नियम एवं शर्तों का उल्लंघन किया गया है।
यहॉ यह भी उल्लेखनीय है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा उक्त योजना से संबंधित भूमि पर हो रहे चकबंदी कार्यक्रम का तथ्य प्रत्यर्थी/परिवादिनी से छिपाकर उससे प्रश्नगत भूखण्ड की बावत सम्पूर्ण धनराशि प्राप्त की गयी तथा नियम व शर्तों के अनुसार उसकी जमा धनराशि वापस भी नहीं की गयी, जिससे प्रत्यर्थी/परिवादिनी को मानसिक संताप भी कारित हुआ है, अत्एव स्पष्ट है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी के प्रति सेवा में कमी एवं अनुचित व्यापार व्यवहार प्रक्रिया अपनायी गई है और इस सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत निर्णय में की गई है, जो कि मेरे विचार से विधि अनुकूल है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
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अंतरिम आदेश यदि कोई पारित है, को तत्काल उसे समाप्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1