Uttar Pradesh

StateCommission

A/148/2019

Bajaj Allianz General Insurance Co. - Complainant(s)

Versus

Tejveer Man - Opp.Party(s)

Vivek Kumar Saksena

29 Aug 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/148/2019
( Date of Filing : 31 Jan 2019 )
(Arisen out of Order Dated 10/12/2018 in Case No. C/43/2017 of District Gautam Buddha Nagar)
 
1. Bajaj Allianz General Insurance Co.
R/O registered Office GE Plaza Airport Road Yarwada Pune 111006 Presently Through 4 Shahnajaf Road Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Tejveer Man
Gautam Buddha Nagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 29 Aug 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-148/2019

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्धारा परिवाद सं0-43/2017 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.12.2018 के विरूद्ध)

बजाज एलियांज जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, पंजीकृत कार्यालय जी0ई0 प्‍लाजा, एयरपोर्ट रोड, यरवादा, पूणे-111006 वर्तमान में बजाज एलियांज जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, 4 शाहनजफ रोड़, लखनऊ।

                                             .......... अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1

बनाम          

1-    तेजवीर मान पुत्र श्री बलदेव मान, निवासी जी-259, जलवायु विहार, सैक्‍टर-पी-3, ग्रेटर नोएडा थाना कासना, नोएडा, जिला गौतमबुद्ध नगर।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

2-    शैलजा इंश्‍योरेंस सर्विसिज पंजीकृत कार्यालय कृष्‍णा सदन, आर0जेड0एफ-2/134, स्‍ट्रीट नं0-3, नासिरपुर रोड के पास, महावीर इन्‍क्‍लेव, पालन कालोनी, नई दिल्‍ली-110045 द्वारा प्रबन्‍धक/अधिकृत प्रतिनिधि श्री अजय वर्मा। 

…….. प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष            

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता        : श्री विकास कुमार सक्‍सेना

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : श्री प्रतुल श्रीवास्‍तव

दिनांक :-08-9-2022           

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 बजाज एलियांज जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-43/2017 में पारित आदेश दिनांक 10.12.2018 के विरूद्ध योजित की गई है।

 

-2-

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का वाहन वोल्‍स वेगन पंजीकरण संख्‍या-एचआर-51-बीएफ-9725 अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के यहॉ से दिनांक 21.8.2015 से दिनांक 20.3.2016 तक की अवधि हेतु बीमित था। दिनांक 21.11.2015 को शाम करीब 7.30 बजे जब प्रत्‍यर्थी/परिवादी का नौकर छोटू वाहन में सामान रख रहा था तब अज्ञात लोगों द्वारा छोटू से चाबी छीन कर प्रश्‍नगत वाहन को लेकर भाग गये तथा नौकर छोटू ने डर के कारण इस लूट की बात को न बताकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को चोरी की बात बतायी, जिसके आधार पर सम्‍बन्धित थाने में भा0दं0संहिता की धारा-379 के अन्‍तर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई, परन्‍तु विवेचना के दौरान पुलिस यह तथ्‍य सही पाया गया कि नौकर छोटू से अज्ञात बदमाश चाबी छीनकर वाहन को लूटकर ले गये हैं, अत्एव पुलिस द्वारा प्रश्‍नगत अपराध में दिनांक 29.01.2016 को अंतिम आख्‍या अन्‍तर्गत धारा-392 आई0पी0सी0 में लगायी गई, जिसे तत्‍कालीन मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट, गौतमबुद्ध नगर द्वारा स्‍वीकार कर लिया गया। अत्एव उपरोक्‍त वाहन के संबंध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने बीमा दावा समस्‍त मूल कागजात सहित अपीलार्थी विपक्षी बीमा कम्‍पनी के समक्ष प्रस्‍तुत किया तथा दूसरी चाबी भी बीमा कम्‍पनी को प्राप्‍त करा दी एवं सम्‍पूर्ण औपचारिकतायें पूर्ण करने के बावजूद भी अपीलार्थी विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा दावा यह कहते हुए निरस्‍त कर दिया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन के रखरखाव में लापरवाही की है। अत्एव प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा विवश होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख  प्रस्‍तुत किया है। 

अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया गया तथा यह कथन किया गया कि परिवाद गलत एवं असत्‍य तथ्‍यों पर आधारित है एवं परिवाद का कोई विधिक आधार नहीं है। परिवाद मात्र विपक्षी को परेशान करने के उद्देश्‍य से

-3-

प्रस्‍तुत किया गया है। बीमा कम्‍पनी द्वारा नियुक्‍त सर्वेयर की आख्‍या के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन के रखरखाव में उपेक्षा बरती है, जिसके कारण बीमा पालिसी की शर्त सं0-4 का उल्‍लंघन किया गया है तथा यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के नौकर छोटू द्वारा वाहन मे सामान रखते समय कार की चाबी पीछे की सीट पर रखकर छोड़ दी गई, जिससे चोरी करने में सहायता मिली, उपरोक्‍त कृत्‍य घोर लापरवाही की श्रेणी में आता है। यह भी कथन किया गया कि एफ0आई0आर0 चोरी के अपराध में दर्ज की गई, परन्‍तु अंतिम आख्‍या लूट के अपराध में प्रस्‍तुत की गई है, इसलिए इस विरोधाभास के चलते सम्‍पूर्ण प्रकरण संदिग्‍ध प्रतीत होता है, अत्एव बीमा क्‍लेम निरस्‍त किया गया है और अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास कुमार सक्‍सेना तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रतुल श्रीवास्‍तव को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन किया।  

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तथ्‍य स्‍वीकार किया गया कि चोरी हुए वाहन का बीमा कुल धनराशि रू0 11,33,915.00 का निर्विवादित रूप से अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा किया गया है। यह तथ्‍य भी निर्विवादित रूप से पक्षकारों को स्‍वीकृत है कि वाहन चोरी हुआ है, जिसके सम्‍बन्‍ध में पुलिस को विधि अनुसार सूचना दी गई है, जिस पर कार्यवाही करते हुए अंततोगत्‍वा वाहन चोरी के सम्‍बन्‍ध में अंतिम रिपोर्ट पुलिस थाना कासना ग्रेटर नोएडा द्वारा लगायी गई, साथ ही पुलिस अधिकारियों द्वारा विधिवत रूप से बयान भी दर्ज किये गये, जिसके आधार पर भा0दं0सं0 की धारा-392 के अन्‍तर्गत अंतिम आख्‍या भी प्रस्‍तुत की गई, जिसको कि मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट द्वारा स्‍वीकार किया गया है। अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि यद्यपि पुलिस द्वारा लगायी गई अंतिम आख्‍या व

-4-

न्‍यायालय के आदेश द्वारा उपरोक्‍त आख्‍या स्‍वीकृत के सम्‍बन्‍ध में कोई वि‍वाद नहीं है, परन्‍तु चूंकि यह तथ्‍य भी परीक्षण किये जाने योग्‍य है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के सेवक द्वारा उपरोक्‍त चोरी हुए वाहन में वाहन की चाबी रख दी गई थी, जिस कारण वाहन चोरी हुआ।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि चूंकि वाहन स्‍वामी के सेवक की कमी के कारण वाहन चोरी हुआ है, अत्एव उस कमी को अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी से यह कहते हुए पूर्ति नहीं करायी जा सकती है कि चोरी हुए वाहन की पूर्ण बीमित धनराशि अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी द्वारा देय है। उक्‍त के सम्‍बन्‍ध में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित निर्णय ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड बनाम प्रेमलता शुक्‍ला आदि 2007 ए0सी0जे0 1928 एवं टाटा ए0आई0जी0 जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0 बनाम महेन्‍द्र सिंह व अन्‍य, 2019 एनसीजे 608 (एनसी) तथा मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा इफ्को टोकियो जनरल बनाम जयपाल सिंह आदि, प्रथम अपील सं0-1988/2018 में पारित निर्णय की ओर मेरा ध्‍यान आकर्षित कराया गया, जिसमें मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह मत प्रतिपादित किया गया है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट में उल्लिखित तथ्‍यों को संज्ञान में लिया जाना आवश्‍यक है।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि यह तथ्‍य भी निर्विवादित रूप से पक्षकारों के द्वारा स्‍वीकृत किया गया है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट वाहन स्‍वामी द्वारा स्‍वयं लिखायी गयी है जिसमें इस तथ्‍य का उल्‍लेख किया गया है कि उनके सेवक छोटू द्वारा वाहन की चाबी वाहन में ही छोड़ दी गई थी, जिससे वाहन चोरी करने में चोरों को सहायता प्राप्‍त हुई।

     समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा ऊपर उल्लिखित मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय व मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के निर्णयों को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से

-5-

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.12.2018 में निम्‍न संशोधन किया जाना उपयुक्‍त एवं उचित है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय में जो बीमा दावा के रूप में अंकन 11,71,776.00 रू0 के भुगतान हेतु आदेश पारित किया गया है, उसे संशोधित करते हुए बीमित धनराशि रू0 11,33,915.00 का 75 प्रतिशत का भुगतान किये जाने हेतु आदेशित किया जाता है साथ ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी को हुए मानसिक संताप एवं वाद व्‍यय के रूप में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित आदेश को यथावत कायम रखा जाता है, तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है।

       अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                      (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    

                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                    

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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