Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/41

IFFCO Tokio General Insurance - Complainant(s)

Versus

Tejpal - Opp.Party(s)

Ashok Mehrotra

05 Jul 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/41
( Date of Filing : 07 Jan 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. IFFCO Tokio General Insurance
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Tejpal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Jul 2021
Final Order / Judgement

                                                                                                        

                                                     (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0-  41/2010

Iffco Tokio general insurance co. ltd., through Assistant Vice President, Corporate Office at IVth, and Vth, floor, Iffco tower, plot no. 03, Sector 29, Gurgaon, Haryana-122001.

                                   ………Appellant

 

Versus

1. Tejpal, son of late Nand ram, resident of Village Purnapur, P.S. Milak, Distt. Rampur.

2. Kisan seva sehkari samiti ltd., Kapnairi, Tehsil Milak, Rampur                               

                                                                 ……….Respondents  

समक्ष:-                       

1. माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से              : श्री अशोक मेहरोत्रा,                       

                                 विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0- 1 की ओर से        : श्री टी0एच0 नकवी,

                                 विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0- 2 की ओर से       : कोई नहीं।                            

 

दिनांक:- 14.07.2021

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित

                                                 

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 171/2006 तेजपाल बनाम असिस्‍टेंट वाइस प्रेसी‍डेंट इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कं0 व एक अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दि0 21.10.2001 के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के अंतर्गत यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। जिला उपभोक्‍ता आयोग, रामपुर द्वारा परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

          ‘’अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 को निर्देश दिए हैं कि कि वे प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी को बीमित धनराशि 1,00,000/-रू0 मय 08 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दि0 22.07.2005 से वास्‍तविक अदायगी तक प्रदान करें। इसके अतिरिक्‍त 3,000/-रू0 क्षतिपूर्ति के रूप में भी अवार्ड किया गया है।‘’

2.        मामले के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा उक्‍त परिवाद सं0- 171/2006 जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष इन अभिकथनों के साथ योजित किया गया है कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी के पिता ने 72 कट्टे एन0पी0के0 खाद प्रत्‍यर्थी सं0- 2 ‘’सहकारी समिति’’ से लिए थे जिसके सम्‍बन्‍ध में क्रय करने के बदले में ‘’इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कं0’’ से ‘’संकट हरण ग्रामीण बीमा योजना’’ प्रचलित थी। प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी के अनुसार बीमित की मृत्‍यु दि0 22.07.2005 को विषैले सर्प के काटने के कारण हो गई। मृत्‍यु के उपरांत बीमा की धनराशि पाने का अधिकारी प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी था। प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा थाना मिलक में मृत्‍यु की सूचना दी गई और अन्‍य आवश्‍यक कागजात पंचनामा, मृत्‍यु प्रमाण पत्र, मेडिकल रिपोर्ट व थाने की रिपोर्ट संलग्‍न की गई, किन्‍तु बीमा कम्‍पनी अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 ने पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट न होने के आधार पर बीमे का क्‍लेम निरस्‍त कर दिया जब कि सामान्‍य परिस्थितियों में एक अन्‍य व्‍यक्ति का बीमा स्‍वीकृत किया गया। बीमे की धनराशि मानसिक, आर्थिक व शारीरिक क्षति की याचना सहित यह परिवाद योजित किया गया है।

3.        अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया जिसमें यह कथन किया गया कि मृतक की मृत्‍यु की सूचना अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 को नहीं दी गई थी तथा इंश्‍योरेंस की संविदा की शर्तों का उल्‍लंघन किया गया था, जिस कारण यह बीमा अस्‍वीकार किया गया। इस मामले में ‘’इंडियन फार्मर फर्टीलाइजर कार्पोरेशन लि0’’ आवश्‍यक पक्षकार था जिसके द्वारा यह बीमा किया गया था, किन्‍तु उसको पक्षकार न बनाये जाने से परिवाद आवश्‍यक पक्षकार के असंयोजन के आधार पर निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

4.        उभयपक्ष को सुनवाई का अवसर देने के उपरांत विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उपरोक्‍त निर्णय व आदेश पारित किया, जिससे व्‍यथित होकर यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

5.        अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिए गए हैं कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी में केवल दुर्घटना से मृत्‍यु आच्‍छादित थी, किन्‍तु परिवाद की परिस्थितियों में दुर्घटनावश मृत्‍यु होना स्‍थापित नहीं हो सका है। दुर्घटना मृत्‍यु के लिए पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट का होना आवश्‍यक है, किन्‍तु विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने गलत प्रकार से यह निष्‍कर्ष दिया है कि इस मामले में पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट की आवश्‍यकता नहीं है। प्रस्‍तुत मामले में कथित सर्प-दंश से दुर्घटना कारित मृत्‍यु होना साबित नहीं हुआ है। पंचनामें के आधार पर यह निष्‍कर्ष दिया गया है, किन्‍तु यह पंचनामा किसी पुलिस, डॉक्‍टर या राजकीय प्राधिकारी के समक्ष नहीं बनाया गया है। इसके अलावा पंचनामें पर कथित रूप से बनाये गए हस्‍ताक्षरों को साबित नहीं किया गया। चिकित्‍सक द्वारा दिया गया प्रमाण-पत्र दि0 22.07.2005 भी विश्वसनीय नहीं है, चूँकि प्रमाण-पत्र में कथित डॉक्‍टर श्री एस0जी0 उपाध्‍याय ने कभी भी मृतक नंद राम का चिकित्‍सीय परीक्षण या इलाज नहीं किया। मृत्‍यु की सूचना को पुलिस की संज्ञान में नहीं लाया गया तथा कथित प्रथम सूचना रिपोर्ट एक फर्जी दस्‍तावेज है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग का यह आदेश भी गलत है। इसमें निर्णय के एक माह के भीतर अदायगी न होने पर ब्‍याज की दर दुगनी किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। इन आधारों पर प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश को अवैध दर्शाते हुए अपील स्‍वीकार किए जाने व प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश को निरस्‍त किए जाने की प्रार्थना की गई है।

6.        अपील के विरुद्ध प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से मौखिक आपत्तियां प्रस्‍तुत की गई हैं।

7.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक मेहरोत्रा उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0एच0 नकवी उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थी सं0- 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

8.        अपीलार्थी और प्रत्‍यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।

9.        अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिया गया है कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा अपने पिता स्‍व0 नंद राम की मृत्‍यु सर्प दंश से होना साक्ष्‍य से स्‍थापित नहीं हो सका है, इसलिए प्रश्‍नगत बीमा का क्‍लेम निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

10.            उभयपक्ष के मध्‍य स्‍व0 नंद राम द्वारा बीमा लिया जाना और बीमा मृत्‍यु के समय प्रचलित होने के सम्‍बन्‍ध में कोई विवाद नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क के अनुसार साक्ष्‍य से मृत्‍यु दुर्घटना होना, न ही अपील का आधार है। इस सम्‍बन्‍ध में सम्‍पूर्ण साक्ष्‍य के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी की ओर से ग्राम पंचायत पंचनामा दिनांकित 22.07.2005 की छायाप्रति अभिलेख पर है जो पशु चिकित्‍साधिकारी मिलक रामपुर द्वारा सत्‍यापित की गई है तथा इस पर ग्राम पंचायत हरदासपुर के उप प्रधान भगवानदीन तथा चेयरमैन स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण समिति के जिला पंचायत रामपुर का भी सत्‍यापन है जिसमें स्‍व0 नंद राम पुत्र छेदा लाल की मृत्‍यु जहरीले सर्प के काटने से दि0 22.07.2005 को हो जाना सत्‍यापित किया गया है, इस पर अनेक ग्रामवासियों के हस्‍ताक्षर भी हैं।

11.            प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी की ओर से ‘’कपनैरी किसान सेवा सहकारी समिति लि0’’ विकास क्षेत्र मिलक, जनपद रामपुर का प्रमाण पत्र भी प्रस्‍तुत किया गया है, जिस पर प्रथम निदेशक सहकारी समिति एवं सभापति उक्‍त सहकारी समिति के मुहर व हस्‍ताक्षर हैं। उक्‍त प्रमाण पत्र दि0 07.09.2005 में भी नंद राम की मृत्‍यु जहरीले सर्प के काटने से होना प्रमाणित किया गया है। इसी प्रकार का प्रमाण पत्र ग्राम प्रधान ग्राम हरदासपुर, परगना मिलक, रामपुर द्वारा भी दिया गया।

12.            अपीलार्थी की ओर से इंवेस्‍टीगेटर रिपोर्ट दि0 06.01.2006 पर आधारित किया गया जो मेजर संत कुमार, सर्वेयर एण्‍ड लास एसेसर द्वारा दिया गया है, जिसमें किसी मियां जी का उल्‍लेख करते हुए यह दिया गया है कि मियां जी ने सांप के काटने की कोई दवा उक्‍त नंद राम को दी थी और उससे कोई लाभ नहीं हुआ जिसके आधार पर मियां जी ने यह निष्‍कर्ष दिया कि नंद राम को सांप ने नहीं काटा था एवं उसकी मृत्‍यु सर्प दंश से नहीं हुई है। अपीलार्थी द्वारा लिया गया यह आधार किसी प्रकार उचित नहीं ठहराया जा सकता, क्‍योंकि ग्रामीण परिवेश में इस प्रकार के स्‍थानीय उपचार करने वाले व्‍यक्ति अत्‍यधिक विश्‍वसनीय नहीं माने जा सकते। रिपोर्ट के पृष्‍ठ 02 पर ‘’डेथ सार्टीफिकेट-डिटेल’’ में यह अंकित है कि मृत्‍यु प्रमाण पत्र में चिकित्‍सक महोदय ने इस बात की पुष्टि की थी कि उक्‍त नंदराम की मृत्‍यु सर्प दंश से हुई थी और नंदराम के शरीर पर सर्प दंश के लक्षण थे। इसी पृष्‍ठ पर स्‍थानीय जांच में भी इंवेस्‍टीगेटर ने स्‍थानीय व्‍यक्ति द्वारा नंद राम की मृत्‍यु सर्प दंश से होना बताया था। इसके अतिरिक्‍त अभिलेख पर ऐसा कोई साक्ष्‍य नहीं है, जिससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि उक्‍त नंदराम की मृत्‍यु सर्प दंश से नहीं हुई है, जब कि सभी साक्ष्‍य इसी ओर इंगित करते हैं कि उक्‍त नंद राम की मृत्‍यु सर्प दंश से दुर्घटना अवश्‍य हुई है। अत: अपील में उठाये गए तर्क में कोई बल प्रतीत नहीं होता है एवं अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है। अपील में एक यह बिन्‍दु उठाया गया है कि पेनाल्‍टी के तौर पर ब्‍याज दिया जाना अनुचित है। सभी तर्कों को दृष्टिगत रखते हुए प्रश्‍नगत आदेश इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 वाद योजन की तिथि से बीमित धनराशि 1,00,000/-रू0 08 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित वास्‍तविक अदायगी तक अदा करें। इसके अतिरिक्‍त 4500/-रू0 वाद व्‍यय के रूप में भी अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1, प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी को प्रदान करेगा।             

आदेश

          अपील निरस्‍त की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 वाद योजन की तिथि से बीमित धनराशि 1,00,000/-रू0, 08 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित वास्‍तविक अदायगी तक प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी को अदा करें। इसके अतिरिक्‍त 4500/-रू0 वाद व्‍यय के रूप में भी अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1, प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी को प्रदान करेगा।               

.         अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          अपीलार्थी द्वारा अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु जिला उपभोक्‍ता आयोग को प्रेषित की जाए।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।                      

 

    (गोवर्धन यादव)                    (विकास सक्‍सेना) 

       सदस्‍य                             सदस्‍य

          

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 2

     

  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

     ‍

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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