राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-195/2020
(जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ द्धारा परिवाद सं0-159/2017 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-07-2019 के विरूद्ध)
यूनियन बैंक आफ इण्डिया, ब्रान्च सगड़ी, डाकघर जैनपुर, तहसील सगड़ी, जिला आजमगढ़ द्वारा ब्रान्च मैनेजर।
........... अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
तेजपाल गंगवार पुत्र श्री वीरेन्द्र पाल सिंह निवासी ग्राम डूँगरपुर, पोस्ट-शाही, तहसील मीरगंज, जिला बरेली।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष :-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री राजेश चड्ढा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री एस0एन0 सिन्हा विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- 02-02-2023.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा इस आयोग के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ द्धारा परिवाद सं0-159/2017 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-07-2019 के विरूद्ध योजित की गई है।
विद्वान जिला आयोग द्वारा उक्त आदेश दिनांक 10-07-2019 द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी बैंक को आदेशित किया गया कि वह अन्दर तीस दिन परिवादी को 4,13,140.70 रूपये अदा करे। उपरोक्त धनराशि पर परिवाद दाखिल करने की तिथि से परिवादी 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पाने के लिए हकदार होगा। परिवादी को 10,000/-
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रू0 शारीरिक व मानसिक कष्ट के लिए भी विपक्षी द्वारा अदा किए जाने हेतु भी आदेश दिया गया।
उक्त निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील योजित की गई।
हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्वय को विस्तार से सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं प्रश्नगत आदेश का सम्यक रूप से परिशीलन व परीक्षण किया गया।
प्रश्नगत निर्णय में विद्वान जिला आयोग द्वारा निम्न तथ्य उल्लिखित किया गया :-
‘’ परिवाद दिनांक 09-01-2019 को विपक्षी के विरूद्ध एक पक्षीय अग्रसारित किया गया। ‘’
अधिवक्ता अपीलार्थी द्वारा कथन किया गया कि जिला आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी पर नोटिस की तामीली के सम्बन्ध में अपेक्षित तथ्य एवं आख्या इत्यादि का उल्लेख नहीं किया गया जबकि वास्तव में अपीलार्थी को उपरोक्त परिवाद के सम्बन्ध में न तो कोई जानकारी प्राप्त हुई और न ही सूचना। अन्त में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि न्यायहित में अपीलार्थी को एक अवसर सुनवाई का प्रदान किया जावे।
वस्तुत: विद्वान जिला आयोग द्वारा निर्णय में अपीलार्थी/विपक्षी पर नोटिस की तामीली के तथ्य के सम्बन्ध में कोई उल्लेख नहीं पाया गया अत्एव हमारे विचार से अपीलार्थी/विपक्षी को न्यायहित में सुनवाई का एक अवसर प्रदान किया जाना उपयुक्त प्रतीत होता है। तद्नुसार बिना किसी गुणदोष पर विचार किए हुए प्रस्तुत अपील अन्तिम रूप से निर्णीत करते हुए प्रकरण सम्बन्धित जिला आयोग को प्रतिप्रेषित किए जाने योग्य है।
तद्नुसार अपील स्वीकार की जाती है और जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ द्धारा परिवाद सं0-159/2017 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-07-2019
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अपास्त किया जाता है तथा प्रकरण प्रतिप्रेषित करते हुए विद्वान जिला आयोग से आग्रह किया जाता है कि उक्त परिवाद को अपने मूल नम्बर पर पुनर्स्थापित करते हुए परिवाद के दोनों पक्षकारों को सुनवाई का विधि अनुसार समुचित अवसर प्रदान करते हुए यथा सम्भव 06 माह की अवधि में परिवाद सं0-159/2017 को गुणदोष के आधार पर निस्तारित किया जावे।
किसी भी पक्षकार को बिना किसी उपयुक्त कारण के स्थगन की अनुमति न प्रदान की जावे। चूँकि अपीलार्थी को उपरोक्त परिवाद का ज्ञान हो चुका है अत्एव अपीलार्थी पर नोटिस की तामीली की अपेक्षा समाप्त की जाती है। यह निर्णय प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की उपस्थिति में पारित किया जा रहा है अत्एव उनको इस निर्णय की पर्याप्त जानकारी है।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि अपीलार्थी अथवा उनके अधिवक्ता द्वारा दिनांक 03-03-2023 को अथवा उससे पूर्व जिला उपभोक्ता आयोग आजमगढ़ के सम्मुख प्रस्तुत की जावे। अपीलार्थी द्वारा अपील योजित किए जाते समय जमा धनराशि 25,000/- रू0 मय अर्जित ब्याज के विधि अनुसार इस आयोग के निबन्धक द्वारा अपीलार्थी को एक माह की अवधि में वापस की जावे।
वैयक्तिक सहायक/आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-1.
कोर्ट नं0-1.