(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या- 2823/2001
यूनिट ट्रस्ट आफ इण्डिया बनाम तेजिन्दर सिंह
दिनांक: 13.04.2023
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्या द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी यूनिट ट्रस्ट आफ इण्डिया की ओर से विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, बिजनौर द्वारा परिवाद संख्या- 62/97 लेफिटनेंट कर्नल तेजेन्द्र सिंह बक्शी बनाम यू०टी०आई० द्वारा चेयरमैन तेज बिल्डिंग बहादुर शाह जफर मार्ग, नई दिल्ली व दो अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.02.2000 के विरूद्ध योजित की गयी है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी०पी० श्रीवास्तव उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। केवल अपीलार्थी विद्वान अधिवक्ता के तर्क को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद को इस तथ्य के आधार पर सही मानते हुए निर्णय पारित किया है कि वादी अपनी विधवा भाभी श्रीमती उपेन्द्र बक्शी द्वारा क्रय किये गये यूनिट ट्रस्ट का नामिनी है। जिला आयोग द्वारा यह आदेश पारित किया गया है श्रीमती उपेन्द्र बक्सी के वह सभी सर्टिफिकेट्स जिनमें वादी सर्वाइवर के रूप में है, की डिटेल बताते हुए उन्हें वादी के नाम से 30 दिन में हस्तांतरित करें। यह भी आदेशित किया गया है कि वे सर्टिफिकेट जिन्हें उनके नामिनी के नाम से ट्रांसफर कर दिया है उनके आधे हिस्से को वादी के नाम 30 दिन में हस्तांतरित कर दें। साथ ही अन्य योजनाओं के अन्तर्गत लिए गये श्रीमती उपेन्द्र बक्शी के सर्टिफिकेक्ट्स की डिटेल बताते हुए उनके आधे हिस्से को वादी के
2
नाम अगले 30 दिन में हस्तांतरित करें। विपक्षी संख्या-1 वादी को हर्जे-खर्चे के रूप 10,000/-रू० भी अदा करें।
जिला आयोग द्वारा पारित उपरोक्त निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी यूनिट ट्रस्ट आफ इण्डिया द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गयी है।
परिवाद पत्र के तथ्यों के अनुसार वादी की भाभी जिनके कोई संतान नहीं थी, के पास विपक्षी कम्पनी के शेयर थे। वादी व उसका भाई विंग कमाण्डर विरेन्द्र सिंह बक्सी अपनी भाभी की वसीयत के बराबर के हिस्सेदार हैं। इसलिए उनके नाम आधे सर्टिफिकेट जारी किये जाने का आदेश पारित किया गया है। जिला उपभोक्ता आयोग ने वसीयत के आधार पर व्याख्या करते हुए वादी को अपनी भाभी के आधे सर्टिफिकेट का उत्तराधिकारी माना है।
अपीलार्थी का यह तर्क है कि केवल नामिनी को सर्टिफिकेट ट्रांसफर कर दिया गया है जब कि जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया है कि परिवादी को अपने भाई के वसीयत का आधी सम्पत्ति का अधिकारी माना है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश पूर्णत: विधि सम्मत है। वास्तविक उत्तराधिकारी वह होता है जो अधिकृत के तौर पर या वसीयत के आधार पर सम्पत्ति को ग्रहण करता है।
उपरोक्त सम्पूर्ण तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए हम इस मत के हैं कि जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश उचित एवं विधि सम्मत है जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
3
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (सुधा उपाध्याय)
सदस्य सदस्य
कृष्णा–आशु0 कोर्ट नं0 3