जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-116/2017
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-27/03/2017
परिवाद के निर्णय की तारीख:-09/11/2020
Aftab Husain son of late Ahmad Husain R/o 34/2, Station Road, Lucknow. ...............Complainant.
Versus
1-TEE KAY ELECTRICALS, 9-A Kulbhaskar Complex, Gautam Budh Marg, Lucknow 9336517851 through its authorized Signatory.
2-T.S. Air Conditioning Authorized Service Centre Sharp Business system India Pvt. Ltd. Shop No. 20, L.D.A. Markent, Viswas Khand-3 Gomti Nagar, Lucknow through its authorized signatory.
3-Arun Jaiswal, Service Manager Head, O Geeral, C-19, Sector-J, Aliganj, Lucknow.
..............Opposite Parties.
आदेश द्वारा-श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
निर्णय
परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण को आदेशित किये जाने कि उनकी ए0सी0 को बदले जाने या उसकी बदले उसका वास्तविक मूल्य 34000/-रूपये का भुगतान किये जाने, मानसिक उत्पीड़न के कारण क्षतिपूर्ति के रूप में 50,000/-रूपये तथा 15000/-रूपये वाद व्यय दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने एक O General Window AC 18 AATH विपक्षी संख्या-01 से दिनॉंक-30/05/2015 को 34,000/-रूपये में क्रय किया था, जिसकी वारन्टी एक वर्ष की थी, तथा कम्प्रेशर की वारन्टी अवधि पॉंच वर्ष की थी। लगभग छह माह बाद उक्त ए0सी0 सही प्रकार से कार्य करना बन्द कर दिया तथा उसमें कमियॉं उत्पन्न हो गयी। फलस्वरूप दिनॉंक-23/05/2016 को विपक्षी संख्या-01 को शिकायत भेजी गयी, जिसके संदर्भ में
विपक्षी संख्या-01 ने विपक्षी संख्या-02 को जो अधिकृत सेवा केन्द्र है को निर्देशित किया। विपक्षी संख्या-02 ने उक्त ए0सी0 की क्वायल एवं कंडेशर की मरम्मत कर दी। परन्तु उसे बदला नहीं, और ए0सी0 को पुन: परिवादी के घर में स्थापित कर दिया। पुन: कुछ दिनों बाद ए0सी0 में गड़बड़ी पायी गयी, और ए0सी0 सही ढंग से कूलिंग नहीं कर रही थी। परिवादी द्वारा पुन: एक शिकायत दिनॉंक-28/08/2016 को विपक्षी संख्या-01 के यहॉं दर्ज करायी गयी, जिसके संदर्भ में विपक्षी संख्या-02 पुन: ए0सी0 को ले गये। विपक्षी संख्या-02 द्वारा परिवादी से ए0सी0 का क्वायल एवं कंडेशर बदले जाने को कहा गया। परिवादी का कथन है कि उन्होंने पहली बार वारन्टी अवधि में ही शिकायत की थी, परन्तु क्वायल और कन्डेशर न बदलकर उसकी मरम्मत कर दी गयी थी, जिसके कारण पुन: उसमें कमियॉं उत्पन्न हुई। विपक्षी संख्या-02 द्वारा वारन्टी अवधि समाप्त होने के बाद 20,000/-रूपये कंडेशर एवं क्वायल बदले जाने हेतु मॉंग की गयी। तब से ए0सी0 विपक्षी संख्या-02 के पास ही पड़ा हुआ है। परिवादी ने विपक्षी संख्य-02 से बिल की मॉंग की परन्तु उन्होंने परिवादी को बिल उपलब्ध नहीं कराया और दिनॉंक-10/09/2016 को एक कोटेशन 19,900/-रूपये का उपलब्ध कराया गया। परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या-01 एवं -2 द्वारा जानबूझकर प्रथम शिकायत पर क्वायल एवं कंडेशर नहीं बदला गया। परिवादी का कथन है कि विपक्षी के इस अवैधानिक कार्य के कारण परिवादी एवं उनके परिवार को असुविधा हो रही है। परिवादी ने दिनॉंक-16/09/2016 एवं 24/09/2016 को एक विधिक नोटिस अपने अधिवक्ता के माध्यम से भेजा परन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी, न ही कोई उत्तर दिया गया।
परिवाद की कार्यवाही विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय चल रही है।
परिवादी ने शपथ पर साक्ष्य प्रस्तुत किया है।
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों एवं तथ्यों के परीक्षण से स्पष्ट होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-01 से O General Window AC 18 AATH ए0सी0 क्रय किया गया था जिसमें कमी आयी, और कमी आने की शिकायत करने पर उसमें त्रुटिपूर्ण क्वायल एवं कंडेशर को नहीं बदला गया और प्रथम शिकायत पर मरम्मत कर उसे पुन: लगा दिया गया जिसके कारण परिवादी एवं उसके परिवाद को अत्यधिक असुविधा एवं मानसिक उत्पीड़न हुआ है। विपक्षी संख्या-01, 02 एवं 03
के द्वारा परिवादी को कोई उत्तर न देना एवं परिवादी की शिकायतों पर इस फोरम/आयोग में कोई उत्तर पत्र प्रस्तुत न करने से भी स्पष्ट होता है कि विपक्षी को शिकायत स्वीकार है तथा उक्त ए0सी0 को अपने पास रख कर पविादी को असुविधा उत्पन्न की गयी है। उक्त तथ्यों के आधार पर परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-01 को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादी को ए0सी0 की कीमत मुबलिग-34000/-(चौतीस हजार रूपया मात्र) मय 09 प्रतिशत ब्याज के साथ वाद दायर किये जाने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 45 दिन के अन्दर अदा करेंगें। मानसिक उत्पीड़न के कारण क्षतिपूर्ति के रूप में मुबलिग-10000/-(दस हजार रूपया मात्र) तथा वाद व्यय के रूप में मुबलिग-5000/-(पॉंच हजार रूपया मात्र) अदा करेंगें। यदि आदेश का पालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर 12% वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(अशोक कुमार सिंह) (स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।