( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :259/2022
सरोज कुमार पुत्र श्री राज कुमार सेठ
बनाम्
टाटा मोटर्स लिमिटेड व 09 अन्य
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
दिनांक : 24-09-2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-262/2012 सरोज कुमार बनाम टाटा मोटर्स लि0 व 09 अन्य में जिला आयोग, जौनपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 09-03-2022 के विरूद्ध प्रस्तुत अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद खारिज कर दिया है।
जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के परिवादी की ओर से यह अपील इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी के पिता की ज्वैलरी व्यवसाय की दुकान ठेकमा बाजार आजमगढ़ में है। परिवादी एक पढ़ा-लिखा युवक है और अपने पिता की दुकान में सहयोग करता है। परिवादी ने टाटा मोटर्स कम्पनी की टाटा इण्डिगो (डाईकोर एल0एक्स) कार एजेन्सी मोटर सेल्स इलाहाबाद से दिनांक 07-03-2007 को रूपये 5,93,350/-रू0 अदा करके क्रय की जिसका रजिस्ट्रेशन नं0-यू0पी0 50 एन 9903 है तथा जो विपक्षी संख्या-10 द्वारा बीमाकृत है। परिवादी ने विपक्षी के बताये अनुसार टाटा मोटर्स के अधिकृत वर्कशाप विपक्षी संख्या-5 के यहॉं गाड़ी की सर्विसिंग कराना प्रारम्भ कर दिया जो बाद में वारण्टी अवधि तथा बादहूं वारण्टी के बाद भी उसी सर्विस सेंटर पर सर्विसिंग करायी जाती रही। परिवादी की गाड़ी में दिक्कत होने पर उसकी शिकायत करने पर परिवादी की गाड़ी का पम्प बदल दिया गया।
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वारण्टी अवधि समाप्त होने के पश्चात गाड़ी कुछ किलोमीटर चलने के बाद चेक इंजन दर्शाने लगी, जिस पर गाड़ी को ले जाकर दिखाया गया और दिक्कत समाप्त न होने पर गाड़ी को विपक्षी संख्या-09 ऐनी मोटर्स के यहॉं दिखाया गया जहॉं से वाराणसी में दिखाने की बात कही गयी।
दिनांक 26-10-2007 को विपक्षी संख्या-5 को उक्त गाड़ी दिखाने पर उसमें प्लेट फेल टू डिस इंजन दूषित पाया गया एवं दिनांक 25-02-2008 को फ्यूल लीकेज, इंजन वाइस लेबेल हाई पाया गया तथा दिनांक 18-03-2008 को कोल्ड स्टार्टिंग प्राब्लम-एन पाया गया, तथा दिनांक 26-05-2008 को फ्यूल लीकेज पाया गया इस प्रकार वाहन में लगातार कुछ न कुछ कमी पायी जाती रही और परिवादी द्वारा वाहन की मरम्मत हेतु विभिन्न मदों में धनराशियॉं भी खर्च की जाती रही।
परिवादी से दिनांक 30-11-2010 को जाब कार्ड के नाम पर 2592/-रू0 लिया गया किन्तु गाड़ी फिर भी ठीक नहीं हुई। ऐसी स्थिति में गाड़ी को विपक्षी संख्या-5 व्रिजलेक्स प्रा0लि0 के यहॉं दिनांक 06-04-2011 को छोड़ दिया गया जो परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि तक वहीं पर खड़ी है। विपक्षी संख्या-5 के कायर्शाला प्रमुख एस0 पी0 सिंह ने दिनांक 08-10-2012 को एक चेतावनी पत्र भेजा कि गाड़ी यहॉं से ले जाइयें अन्यथा वर्कशाप में गाड़ी रखने के लिए भाड़ा रू0 200/-रू0 प्रतिदिन के हिसाब से लिया जायेगा।
विपक्षीगण द्वारा जब से उपरोक्त गाड़ी की डिलीवरी दी गयी है तभी से उपरोक्त गाड़ी में बराबर कमी आती रही और विपक्षीगण वाहन को ठीक नहीं कर सके और परिवादी को परेशान करने की नियत से गाड़ी के पुर्जें बदलने के एवज में उससे धनराशियॉं वसूल करते रहे किन्तु परिवादी की गाड़ी आज भी खराब अवस्था में विपक्षी संख्या-5 के यहॉं खड़ी है।
परिवादी ने इसकी शिकायत थाना मडुवाडीह जिला वाराणसी में प्रार्थना पत्र देकर की किन्तु पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की तब परिवादी ने नयायालय मजिस्ट्रेट द्धितीय वाराणसी के समक्ष मुकदमा संख्या-207/2012 सरोज सेठ बनाम प्रोप्राराइटर मोटर्स सेल्स धारा-420/506 भा0दंसं0 थाना मडुवाडीह जनपद वाराणसी दाखिल किया जिसका विचारण न्यायालय द्वारा किया जा रहा है। डीलर द्वारा दिनांक 06-04-2011 को जाब स्लिप बनाकर उस पर यह लिख दिया कि बैक कम्प्रेसर इंजर आयल
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एल में 75,500/- रूपये लगगे तथा इजेक्टर खराब होगा तो 80,000/-रू0 और बढ़ जायेगा। गाड़ी का कभी मरम्मत कार्य नहीं किया गया बल्कि गाड़ी को वर्कशाप में खड़ी करके उसमें बराबर खराबी पैदा कर एजेन्सी के मालिको द्वारा आर्थिक, मानसिक आघात देकर परिवादी को परेशान किया गया जो कि विपक्षीगण के स्तर से सेवा में कमी है अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया गया है।
विपक्षीगण संख्या-1, 3, 4 , 6 व 7 की ओर से लिखित कथन 23ग प्रस्तुत किया गया और कथन किया गया कि कम्पनी अधिनियम 1956 के अन्तर्गत पंजीकृत कम्पनी है जिसका मुम्बई में पंजीकृत कार्यालय है। विपक्षीगण के निर्माण संस्थानों में वाहन के उत्पादन के प्रत्येक स्टेज-डिजाईन, प्रगति, निर्माण संकलन तथा गुणवत्ता नियंत्रण को सावधानी से परखा जाता है। समस्त डीलर वर्कशाप में किसी भी ब्रेक डाउन को सम्भालने के लिए समपित हेल्पलाईन है जो कि कष्टपूर्ण परिस्थितियों के उपभोक्ताओं को सदैव सहायता देती है। वारण्टी की टर्म एवं कन्डीशन से पक्षकार बाध्य है। उनकी ओर से सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है।
विपक्षी संख्या-5 की ओर से लिखित कथन 16 ग प्रस्तुत करते हुए परिवाद के पैरा-2 व 9 के कथनों को स्वीकार किया है और परिवाद के पैरा 13 के कथनों को इस सीमा तक स्वीकार किया है कि परिवादी ने असत्य झूठे तथ्यों के आधार पर न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट, तृतीय वाराणसी के यहॉं योजित किया है। परिवादी द्वारा वाहन में खराब किस्म का डीजल प्रयोग करने व पहली व दूसरी मुफ्त सर्विस न कराये जाने ओनर मैन्युवल एवं वारण्टी टर्म्स एण्ड कन्डीशन्स के अनुसार उक्त वाहन नहीं चलाने, समयाविध के अंदर उचित देखभाल नहीं करने तथा वाहन को निर्माता कम्पनी द्वारा अधिकृत सर्विस सेंटर से अन्यंत्र अक्षम व्यक्तियों द्वारा वाहन की मरम्मत करवाये जाने से यदि वाहन में कोई कमी आती है तो विपक्षी उसके लिए उत्तरदायी नहीं है। परिवाद का वाद कारण जनपद जौनपुर में उत्पन्न हुआ है। उक्त स्थिति में जिला आयोग को इस परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।
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अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता अनुपस्थित हैं जब कि प्रत्यर्थी सर्विस सेंटर की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अजय वाही उपस्थित आए साथ ही विपक्षी संख्या-1, 3, 4, 6 व 7 की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित आए।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है और विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार किये बिना विधि विरूद्ध ढंग से निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है तदनुसार अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त किया जावे।
प्रत्यर्थीगण के विद्धान अधिवक्तागण का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के पश्चात विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है अत: अपील निरस्त करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जावे।
मेरे द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुसार है, जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है, तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1