View 3865 Cases Against Tata Motors
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GC Khanna filed a consumer case on 06 May 2016 against Tata Motors in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is cc/522/2011 and the judgment uploaded on 12 May 2017.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-522/2011
जी0सी0 खन्ना पुत्र स्व0 डी0आर0 खन्ना निवासी 120/95 लाजपत नगर, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1. कामर्शियल मैनेजर/ए0जी0एम0 (कस्टमर सपोर्ट) मेसर्स टाटा मोटर्स मार्केटिंग एण्ड कस्टमर सपोर्ट पैसेंजर कार बिजनेस यूनिट वन फोर्बस 5वां फ्लोर डा0 वी0बी0 गांधी मार्ग फोर्ट मुम्बई-400023
2. ओनर/मैनेजर, साई मोटर्स, मेसर्स ब्रिन्दावन सेलटर्स प्रा0लि0 षोरूम 119/5/5, कालपी रोड, लक्ष्मी रतन काटन मिल्स के पीछे कानपुर, वर्कषाप 22/2, कुलगांव पुलिस चौकी के पीछे रूमा कानपुर।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 02.08.2011
निर्णय तिथिः 20.04.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी से कुल रू0 5,56,750.00, जिसमें से प्रष्नगत कार की कीमत, रू0 4,84,000.00 जो कि अभी भी विपक्षी सं0-2 के अध्यासन में है और मरम्मत नहीं की गयी है, रू0 150 प्रतिदिन के हिसाब से दिनांक 27.06.11 से तायूम वसूली, रू0 5550.00 मानसिक व षारीरिक क्षतिपूर्ति के लिए, रू0 40,000.00 जो कि परिवादी द्वारा जमा की गयी है मय 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, रू0 5000.00 विधिक नोटिस तथा परिवाद व्यय व रू0 22000.00 यात्रा व्यय (क्योंकि परिवादी द्वारा अपने कार्य के लिए दिनांक 27.06.11 से परिवाद योजित करने की तिथि तक रू0 600.00 प्रतिदिन के हिसाब से कार किराये पर ली गयी है और जो कि आगे भी प्रष्नगत कार किराये पर रहेगी) दिलाया जाये।
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2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी द्वारा विपक्षी के द्वारा यह बताने पर कि प्रष्नगत वाहन का माइलेज 20 किलोमीटर प्रति लीटर हाईवे पर ए0सी0 सहित है और वारंटी अवधि में कार के पार्ट निःषुल्क बदले जायेंगे। दिनांक 22.07.10 को रू0 4,48,000.00 की एक वर्श की वारंटी पर टाटा इंण्डिका विस्टा पंजीकरण नं0-यू0पी0-78 सी0बी0-6722 विपक्षी सं0-2 के षोरूम से क्रय की गयी। परिवादी द्वारा दो माह के अंदर ही विपक्षी सं0-2 को अवगत कराया गया कि प्रष्नगत वाहन का माइलेज 20 किलोमीटर प्रति लीटर के हिसाब से हाईवे पर नहीं आ रहा है। यह बात परिवादी ने अपनी पहली और दूसरी सर्विस के बाद सर्विस मैनेजर को दिनांक 09.08.10 एवं 03.09.10 को बतायी गयी। विपक्षी द्वारा परिवादी से यह कहा गया कि अब माइलेज ठीक हो जायेगा। किन्तु विपक्षी द्वारा हाईवे पर परिवादी के खर्चे पर ट्रायल देने को तैयार नहीं हुआ। फ्यूल मीटर और साकर स्प्रिंग भी बाहर निकल गयी। विपक्षी सं0-2 द्वारा अग्रिम सर्विस में उसे बदलने का वायदा किया गया। परिवादी द्वारा अपनी प्रष्नगत कार की द्वितीय निःषुल्क सर्विस के लिए दिनांक 28.08.10 को वाहन भेजा गया। परिवादी के ड्राईवर को दिनांक 29.08.10 को बुलाया गया ओर इस दौरान परिवादी की कार 5500 किलोमीटर और चल गयी। परिवादी द्वारा जब कार निर्धारित समय पर द्वितीय निःषुल्क सर्विस के लिए भेजी गयी, तो विपक्षी सं0-2 के वर्कषाप के कर्मचारी हड़ताल पर थे। विपक्षी सं0-2 के कर्मचारियों की हड़ताल 5-6 दिन बाद समाप्त हुई और इस दिन परिवादी की प्रष्नगत कार 8000 किलोमीटर और चल गयी। परिवादी द्वारा सर्विस मैनेजर से फोन पर बात करने पर सर्विस मैनेजर द्वारा परिवादी को प्रष्नगत वाहन की द्वितीय निःषुल्क सेवा के लिए दिनांक 03.09.10 तिथि नियत की गयी। किन्तु विपक्षी द्वारा परिवादी की द्वितीय निःषुल्क सेवा करने से मना कर दिया गया और कारण यह बताया गया कि द्वितीय निःषुल्क सेवा के लिए जो मानदण्ड हैं, उनसे अधिक कार चल चुकी है। फलस्वरूप विपक्षी द्वारा प्रष्नगत वाहन की द्वितीय सेवा को तृतीय निःषुल्क सेवा मानी गयी और
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प्रथम निःषुल्क सेवा के दौरान जारी रिटेल इनवाइस दिनांकित 03.09.10 के अनुसार अन्यान्य आवष्यक कार्य पूर्ण नहीं किये गये। उपरोक्त के अतिरिक्त विपक्षी द्वारा प्रष्नगत वाहन की मरम्मत दिनांक 11.11.10, 18.12.10, 11.05.11 एवं 02.06.11 को परिवादी द्वारा सषुल्क करायी गयी। विपक्षी सं0-2 से आग्रह करने के बावजूद विपक्षी सं0-2 द्वारा न तो माईलेज का ट्रायल कराया गया और न ही तो फ्यूल मीटर बदला गया। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 को बिना कार में विद्यमान कमी से अवगत कराया गया और विपक्षी सं0-2 द्वारा द्वितीय निःषुल्क सेवा न करने के तथ्य से भी अवगत अपने पत्र दिनांकित 11.10.10, 23.11.10 एवं 26.11.10 के द्वारा अवगत कराया गया। जिसके आलोक में विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी को मिस्टर प्रसून सिंह (आर0ओ0 गुड़गांव) फोन नं0-9235052580 पर संपर्क करने के लिए कहा गया। किन्तु उपरोक्त मोबाइल हमेषा आउट आफ आर्डर रहा। विपक्षी सं0-1 निर्माता कंपनी के द्वारा भी विपक्षी सं0-2 को प्रष्नगत कार की मरम्मत करने के लिए निर्देषित नहीं किया गया, यद्यपि वाहन वारंटी अवधि में था। इस प्रकार विपक्षीगण के द्वारा सेवा में कमी कारित की गयी है। परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन को पुनः दिनांक 02.06.11 को मरम्मत के लिए भेजा गया, जो कि विपक्षी सं0-2 के द्वारा दिनांक 03.6.11 को इस आष्वासन के साथ कि वाहन के समस्त दोश दूर किये जा चुके हैं, को वापस किया गया, किन्तु दिनांक 26.06.11 की सुबह कार का इंजन स्टार्ट हो गया और लगभग 20 मिनट बाद ऐसा आभास हुआ, जैसे इंजन का चाभी से संपर्क नहीं रहा और इंजन की रेस अत्यधिक बढ़ गयी और कार से अत्यधिक धुंआ और आवाज निकली। इस प्रकार की घटना 2 से 3 बार हुई और उसके एक मिनट बाद इंजन बन्द हो गया, उसकी कार कभी स्टार्ट नहीं हुई। इसके पष्चात परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन दिनांक 27.06.11 को खिंचवाकर ;ज्वूद्ध करके विपक्षी सं0-2 के वर्कषाम में पहुॅचाई गयी। परिवादी को, पूछने पर भी इंजन की कमी नहीं बतायी गयी। विपक्षी सं0-2 के कर्मचारियों द्वारा इंजन खोला गया और परिवादी से रू0 50,000 अग्रिम जमा करने के लिए कहा गया तथा इस्टीमेट रू0 1,55,000.00 का
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परिवादी को दिया गया। परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन वारंटी के अंतर्गत होना बताया गया। किन्तु विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी की बेईज्जती की गयी और यह कहा गया कि पहले रू0 40000.00 परिवादी अग्रिम के रूप में जमा करे तब प्रष्नगत वाहन का इंजन ठीक किया जायेगा। फलस्वरूप परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 के दबाव में दिनांक 31.06.11 को रू0 40000 जमा किया गया। परिवादी द्वारा इस उपरोक्त घटनाक्रम को विपक्षी सं0-1 को अपने पत्र दिनांकित 02.07.11 के माध्यम से अवगत कराया। विपक्षी सं0-2 द्वारा मनमाने ढंग से दिनांक 29.06.11 को प्रष्नगत वाहन की वारंटी रद्द कर दी गयी। जबकि वाहन की वारंटी दिनांक 22.07.12 तक थी। विपक्षी सं0-2 द्वारा अपने लेटर हेड पर इस्टीमेट देने से भी इंकार कर दिया गया। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 व 2 से अपने पत्र दिनांकित 11.07.11 व 06.07.11 के माध्यम से प्रष्नगत वाहन को रिपेयर करने तथा रू0 40000.00 वापस करने के लिए वारंटी अवधि बताते हुए लिखा गया। विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही न करने पर अनुस्मारक दिनांक 18.07.11 को विपक्षी सं0-2 को भेजा गया। समस्त घटनाक्रम से स्पश्ट होता है कि प्रष्नगत वाहन में निर्माणी त्रुटि थी। परिवादी के साथ धोखाधड़ी करके, विपक्षी सं0-2 द्वारा निर्माणी त्रुटियुक्त वाहन को बेंचा गया है, जिससे परिवादी को अत्यन्त हानि हुई। निर्माणी त्रुटि होने के कारण विपक्षी, परिवादी को पुरानी कार बदलकर नई कार देने के लिए उत्तरदायी हैं। परिवादी द्वारा रू0 600.00 प्रतिदिन की दर से अपने कार्य के लिए प्रष्नगत वाहन को विपक्षी सं0-2 के वर्कषाप में छोड़ने के पष्चात से किराये पर ली गयी है। इस प्रकार परिवादी रू0 18000.00 प्रतिमाह प्रष्नगत वाहन के अभाव में अपनी कार के लिए खर्च कर रहा है। जिसके लिए विपक्षीगण उत्तरदायी हैं। जिसकी सूचना विपक्षीगण को परिवादी द्वारा अपने पत्र दिनांकित 06.07.11 18.07.11 एवं 11.07.11 के माध्यम से सूचित कर दिया गया। विपक्षी सं0-1 व 2 की उपरोक्त लापरवाही व सेवा में कमी के कारण परिवादी को अत्यन्त मानसिक एवं षारीरिक क्षति कारित हुई है। बावजूद विधिक नोटिस विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। फलस्वरूप परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया।
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3. विपक्षी सं0-1 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा झूठे कथन के आधार पर परिवाद योजित किया गया है। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में किसी विषेशज्ञ की रिपोर्ट/राय प्रस्तुत नहीं की गयी है। परिवादी के स्वयं के कथनानुसार प्रष्नगत वाहन 500 किलोमीटर प्रतिदिन चलता था, जो कि प्रष्नगत वाहन की क्षमता से अधिक है। फलस्वरूप वाहन में छोटी-छोटी कमियां उत्पन्न हुई और वाहन के सभी पार्ट में घिसावट आई। परिवादी द्वारा वारंटी बुक में दिये गये निर्देषों का अनुपालन नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा किसी अन्य अनाधिकृत व्यक्ति से वाहन की मरम्मत नहीं करानी चाहिए थी। परिवादी द्वारा अनाधिकृत व्यक्ति से प्रष्नगत वाहन रिपेयर कराने के कारण वारंटी समाप्त हो गयी। विपक्षी निर्माता कंपनी एक प्रसिद्ध कार निर्माता कंपनी है। कंपनी द्वारा किसी भी सम्मानित उपभोक्ता को उपेक्षित नहीं किया जाता है। प्रत्येक षिकायत को गंभीरता से उपभोक्ता की संतुश्टि के आधार पर ठीक किया जाता है। सर्विस षेड्यूल के अनुसार प्रष्नगत वाहन की सर्विस नहीं करायी गयी है। इसलिए वारंटी षर्तों का उल्लंघन स्वयं परिवादी द्वारा किया गया है। अतः उपरोक्त परिस्थितियों में विपक्षी सं0-1 उत्तरदाता के विरूद्ध परिवाद संधार्य नहीं है। परिवाद खारिज किया जाये।
4. विपक्षी सं0-2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि विपक्षी उत्तरदाता के द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। प्रष्नगत वाहन का माइलेज जो कहा गया, उतना रहा हैं परिवादी ने गाड़ी खरीदने के पष्चात से ही मन में कुलसित भावना रखी और झूठे आरोप लगाकर झूठा क्लेम प्राप्त करने के लिए परिवाद योजित किया गया है। परिवादी के कार की प्रथम सर्विस 1000 किलोमीटर पर होनी थी, परन्तु परिवादी ने 1500 किलोमीटर पर दिनांक 09.08.10 को प्रथम सर्विस करायी तथा दूसरी सर्विस परिवादी
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विपक्षी से नहीं करायी। तीसरी सर्विस 10000 किलोमीटर पर होनी थी, जो परिवादी ने दिनांक 03.09.10 को 8080 किलोमीटर पर करायी। परिवादी ने चौथी सर्विस विपक्षी से नहीं करायी, बल्कि दिनांक 11.11.10 को परिवादी रनिंग रिपेयर में गाड़ी विपक्षी के यहां लायी, जिसमें जनरल चेकअप हुआ और गाड़ी/कार ओके थी। फिर दिनांक 19.12.10 को रनिंग रिपेयर में गाड़ी आयी, जो 21380 किलोमीटर चल चुकी थी। गाड़ी का जनरल चेकअप हुआ। गाड़ी में कोई खराबी बड़ी नहीं थी। इसमें भी गाड़ी का जनरल चेकअप हुआ था। तब तक परिवादी ने गाडी के इंजन में आयल नहीं डलवाया तथा जबकि विपक्षी ने आयल डलवाने के लिए कहा था। परिवादी ने दिनांक 11.05.11 को विपक्षी के यहां लाया, जो रनिंग रिपेयर में थी, उस समय गाड़ी 35976 किलोमीटर चल चुकी थी। तब परिवादी ने ए0सी0 कूलिंग का काम करावाया था। अन्य कोई खराबी नहीं थी। इसके उपरांत दिनांक 02.06.11 को 36856 किलोमीटर पर गाड़ी थी, जो रनिंग रिपेयर पर आयी थी। जिसमें ससपेंन्षन का काम होना था, जो किया गया। इसके पष्चात दिनांक 15.06.11 को उपरोक्त वाहन पुनः 41190 किलोमीटर पर लायी गयी, तब इसमें आयल चेंज करवाने को कहा, जो परिवादी ने नहीं करवाया। इसके पष्चात विपक्षी के यहां दिनांक 30.06.11 को उपरोक्त गाड़ी आयी। तब 42957 किलोमीटर गाड़ी चल चुकी थी। तब चेकअप करने पर इंजन में फाल्ट पाया गया तथा इसकी रिपेयरिंग का खर्चा रू0 1,74,000.00 मौखिक रूप से इस्टीमेट परिवादी को बताया गया, जिससे परिवादी सहमत हुआ और इंजन का काम करवाने के लिए रू0 40000.00 नकद जमा किया। इंजन आदि का काम पूरा करते हुए गाड़ी दिनांक 23.08.11 को कंम्पलीट हो गयी थी और इसके कम्पलीट होने की सूचना परिवादी को टेलीफोन पर बता दी गयी थी और कहा कि बकाया पेमेंट करके गाड़ी उठा ले जायें। परन्तु परिवादी आज तक गाड़ी उठाने नहीं आया और झूठा परिवाद प्रस्तुत कर दिया। नियमानुसार परिवादी द्वारा गाड़ी न उठाने पर विपक्षी रू0 150.00 प्रतिदिन के हिसाब से गाड़ी खड़ी रखने का पार्किंग चार्जेज का चार्ज विपक्षी सं0-2 वसूल करता है, जो कि
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परिवादी देने का उत्तरदायी है। इस पार्किंग चार्जेज व मरम्मत का बकाया लगभग रू0 1,34,000.00 न चुकाना पड़े, इसलिए परिवादी ने यह झूठा परिवाद प्रस्तुत कर दिया है। विपक्षी उत्तरदाता दिनांक 28.08.11 से रू0 1,34,000.00 बकाया रकम पर 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से परिवादी से वसूलने का अधिकारी है। परिवादी का वाहन पूरी तरह ओके कंडीषन में खड़ा है। परिवादी उपरोक्त बकाया धनराषि अदा करके, उठाने के लिए स्वतंत्र है। वाहन न उठाने पर परिवादी पर पार्किंग चार्ज बराबर बढ़ता जायेगा। उपरोक्त कारणों से परिवादी का प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 02.08.11, 17.09.12 एवं 21.02.13 03.12.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में संलग्नक कागज सं0-1 लगायत् 40 एवं सूची कागज सं0-3 के साथ संलग्न कागज सं0-3/1 लगायत् 3/6 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी सं0-1 ने अपने कथन के समर्थन में दीपक कुमार, असिस्टेंट जनरल मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 01.03.14 दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7. विपक्षी सं0-2 ने अपने कथन के समर्थन में परमानन्द बनवासी डायरेक्टर/निदेषक का षपथपत्र दिनांकित 03.10.11 व राजेष का षपथपत्र दिनांकित 30.11.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-2/1 लगायत् 2/3 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
8. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं विपक्षी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
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उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-5, 6 व 7 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन में निर्माणी त्रुटि बतायी गयी है और यह कहा गया है कि परिवादी के साथ धोखाधड़ी करके, विपक्षी सं0-2 द्वारा निर्माणी त्रुटि युक्त वाहन को बेंचा गया है। जिससे परिवादी को अत्यन्त हानि हुई है। निर्माणी त्रुटि होने के कारण विपक्षी, परिवादी को पुरानी कार बदलकर नई कार देने के लिए उत्तरदायी है। परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन में निर्माणी त्रुटि होने के यह कारण बताये गये हैं कि प्रष्नगत वाहन का माइलेज विपक्षी कंपनी के द्वारा बताने के अनुसार बहुत कम है और प्रष्नगत वाहन कई बार खराब हुआ है। जबकि विपक्षीगण की ओर से यह कहा गया है कि प्रष्नगत वाहन का माइलेज जो कहा गया, उतना रहा है। परिवादी के कार की प्रथम सर्विस 1000 किलोमीटर पर होनी थी, परन्तु परिवादी ने 1500 किलोमीटर पर दिनांक 09.08.10 को प्रथम सर्विस करायी तथा दूसरी सर्विस विपक्षी से नहीं करायी। तीसरी सर्विस 10000 किलोमीटर पर होनी थी, जो परिवादी ने दिनांक 03.09.10 को 8080 किलोमीटर पर करायी। परिवादी ने चौथी सर्विस विपक्षी से नहीं करायी। दिनांक 11.11.10 को रनिंग रिपेयर में गाड़ी विपक्षी के यहां लायी, जिसमें जनरल चेकअप हुआ और गाड़ी ओके थी। फिर दिनांक 19.12.10 को रनिंग रिपेयर में गाड़ी आयी, जो 21380 किलोमीटर चल चुकी थी, का जनरल चेकअप हुआ। गाड़ी में कोई बड़ी खराबी नहीं थी। अंतिम बार प्रष्नगत वाहन विपक्षी के यहां दिनांक 30.06.11 को परिवादी द्वारा लाया गया। तब तक प्रष्नगत वाहन 42957 किलोमीटर चल चुका था। तब उपरोक्त चेकअप में फाल्ट पाया गया तथा इसकी रिपेयरिंग का खर्चा रू0 1,74,000.00 मौखिक रूप से इस्टीमेट परिवादी को बताया गया, जिससे परिवादी सहमत हुआ और इंजन का काम
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करवाने के लिए रू0 40000.00 नकद जमा किया। इंजन आदि का काम पूरा करते हुए गाड़ी दिनांक 23.08.11 को कंम्पलीट हो गयी थी। जिसकी सूचना परिवादी को टेलीफोन पर बता दी गयी थी और यह कहा गया था कि बकाया पेमेंट करके गाड़ी उठा ले जायें। परन्तु परिवादी आज तक गाड़ी उठाने नहीं आया और उसने झूठा परिवाद प्रस्तुत कर दिया। परिवादी पार्किंग चार्जेज विपक्षी को देने का उत्तरदायी है। परिवादी द्वारा मरम्मत का बकाया रू0 1,34,000.00 व पार्किंग चार्जेज न देना पड़े, इसलिए झूठा परिवाद प्रस्तुत कर दिया गया।
उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा प्रष्नगत वाहन में निर्माणी त्रुटि होना बताया गया है। विपक्षी द्वारा निर्माणी त्रुटि का खण्डन किया गया है। निर्माणी त्रुटि के सम्बन्ध में मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा विधि निर्णय कुमारी नम्रता सिंह बनाम जनरल मैनेजर इण्डस इण्ड बैंक 2012 ;95द्ध ।स्त् 829 में यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि निर्माणी त्रुटि साबित करने के लिए किसी विषेशज्ञ की राय प्रस्तुत करना अनिवार्य हैं परिवादी द्वारा अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में कोई उपरोक्त साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
अतः फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। विपक्षी द्वारा स्वीकार किया गया है कि उसके वाहन की मरम्मत कर दी गयी है तथा वाहन विपक्षी के सर्विस सेंटर में खड़ा हैं परिवादी प्रष्नगत चार्जेज अदा करके, अपना वाहन प्राप्त कर सकता है। उपरोक्त परिस्थितियों में परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। विपक्षी द्वारा परिवादी के साथ कोई धोखाधड़ी की गयी है अथवा बाजबरन उसका वाहन नहीं दिया जा रहा है, तो परिवादी विपक्षी के विरूद्ध दाण्डिक न्यायालय में कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है।
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ःःःआदेषःःः
9. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज कया जाता हैं उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
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